तारीख Date : 15/12/2023
प्रासंगिकता: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - अंतर्राष्ट्रीय संबंध
कीवर्ड्स: एचएडीआर, 'इंडिया आउट' अभियान, ग्रेटर मेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट
संदर्भ :
4 दिसंबर, 2023 को मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के साथ एक समझौते की पुष्टि की थी , जिसमें 70 से अधिक भारतीय सैनिकों को वापस भारत भेजने का प्रस्ताव था। ये भारतीय सैनिक मालदीव में “मानवीय सहायता और आपदा राहत”(एचएडीआर) और प्रशिक्षण के कार्य में संलग्न थे। यह घोषणा मुइज्जू के संयुक्त अरब अमीरात और तुर्की से लौटने के बाद हुई। यद्यपि मालदीव की यह कार्यवाही राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के प्रमुख चुनावी वादे के अनुरूप है परंतु यह मालदीव की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को भी दर्शाता है। हालांकि यह परिवर्तन अचानक नहीं हुआ है बल्कि 2023 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान सामने आयी भारत विरोधी भावना के पिछले एक दशक लंबे रुझानों का परिणाम है ।
भारत-मालदीव संबंधों का बहुआयामी विकास
सुरक्षा साझेदारी:
- भारत और मालदीव ने एक मजबूत रक्षा सहयोग का निर्माण किया है, जिसमें इन दोनो देशों के मध्य "एकुवेरिन," "दोस्ती," "एकथा," और 2021 में शुरू किए गए "ऑपरेशन शील्ड" जैसे संयुक्त अभ्यास सम्मिलित हैं ।
- भारत मालदीवियन नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) को प्रशिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत मालदीव की रक्षा प्रशिक्षण आवश्यकताओं (Defense Training Need) का लगभग 70% पूरा करता है।
पुनर्वास केंद्र:
- इसके अतिरिक्त, भारत अड्डू में एक ड्रग डिटॉक्सिफिकेशन और पुनर्वास केंद्र पहल में भी भागीदार है । इस पहल में स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, मत्स्य पालन, पर्यटन, खेल और संस्कृति के क्षेत्रों में 20 प्रभावशाली सामुदायिक विकास परियोजनाएं सम्मिलित हैं।
- द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि अड्डू पुनर्प्राप्ति और तट संरक्षण परियोजना के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करना है।
आर्थिक सहयोग:
- पर्यटन मालदीव की अर्थव्यवस्था का एक आधार स्तंभ है और भारत से हर साल लाखों पर्यटक मालदीव घूमने जाते हैं इसी प्रकार मालदीव से भी लाखों लोग भारत भ्रमण पर आते हैं जिसने दोनों देशों के लोगों के मध्य जन संपर्क(people to people contact) बढ़ाया है तथा आपसी संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ किया है ।
- 2021 में भारत , मालदीव का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है।
- इसी कड़ी में एक भारतीय कंपनी, अफकॉन्स ने मालदीव के सबसे बड़े बुनियादी ढांचा उद्यम, ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) के लिए अनुबंध प्राप्त किया है।
- आर्थिक सहयोग के क्षेत्र में जुलाई 2019 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण के बीच एक द्विपक्षीय अमरीकी डॉलर मुद्रा स्वैप समझौता भी सम्मिलित है।
बुनियादी ढांचा परियोजनाएं:
- भारत की मालदीव के विकास के प्रति प्रतिबद्धता महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं तक विस्तृत है। उदाहरण के लिए हनीमादू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (Hanimaadhoo International Airport ) विकास परियोजना को भारतीय ऋण राशि के माध्यम से वित्तपोषित किया गया है।
- 2022 में, भारत के विदेश मंत्री द्वारा भारत के सबसे बड़े अनुदान परियोजना, नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एनफोर्समेंट (NCPLE) का उद्घाटन किया गया।
ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना:
- ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट एक ऐतिहासिक पहल है, जिसमें माले और आस-पास के द्वीपों के बीच 6.74 किलोमीटर लंबा पुल और कॉजवे लिंक (causeway link) का निर्माण सम्मिलित है ।भारत से 100 मिलियन अमरीकी डालर के अनुदान और 400 मिलियन अमरीकी डालर के लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) द्वारा वित्तपोषित यह महत्वाकांक्षी परियोजना न केवल मालदीव में भारत का सबसे बड़ा उपक्रम है बल्कि मालदीव की अब तक की सबसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना भी है।
पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालेह और भारत विरोधी भावनाएँ:
- भारत के साथ संबंध सुधारने के सोलिह के प्रयासों के बावजूद उनके कार्यकाल में ही भारत विरोधी भावनाएँ बढ़नी शुरू हो गई थीं। 'इंडिया आउट' अभियान के समय ही भारतीय सैन्य उपस्थिति का विरोध प्रिंट व सोशल मीडिया के साथ सार्वजनिक प्रदर्शनों में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुआ था ।
- भारतीय उच्चायोग भारत विरोधी भावना की अभिव्यक्ति का केंद्र बिंदु बन गया था, वहीं भारतीय राजनयिकों को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर निशाना बनाया गया था ।
- स्थानीय समाचार आउटलेट, धीयारेस न्यूज़ ने 'इंडिया आउट' अभियान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहां तक कि सत्तारूढ़ मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने भी समाचार आउटलेट पर भारत के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए वित्त पोषित और सुनियोजित राजनीतिक अभियान में सम्मिलित होने का आरोप लगाया था ।
- चीन समर्थक पूर्व राष्ट्रपति यामीन इस अभियान में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में सामने आए जिससे भारत विरोधी अभियानो का निदान तथा निस्तारण और अधिक जटिल हो गया । इस संदर्भ में यामीन की पूर्व पार्टी पीपीएम के गठबंधन सहयोगी मोहम्मद मुइज्जू ने अपने चुनाव प्रचार में सामाजिक दहशत और भारत विरोधी भावना को चरम पर पहुँच दिया जो अंततः सोलिह सरकार के पतन का कारण बना।
सुनियोजित दुष्प्रचार:
कोलंबो सूचना एजेंसी की एक रिपोर्ट 'इंडिया आउट' अभियान की सुनियोजित प्रकृति पर प्रकाश डालती है। जिसके अनुसार :
- ट्विटर ने अभियान के लिए प्राथमिक मंच के रूप में काम किया तथा इस मंच पर #इंडियाआउट ने लोकप्रियता हासिल की थी।
- रिपोर्ट से पता चला है कि नव निर्मित ट्विटर हैंडल में लगभग आधे से अधिक फेक हैंडल्स थे ।
- रिपोर्ट में अभियान को चलाने में धीयारेस न्यूज़ और उसकी सहयोगी पत्रिका, द मालदीव जर्नल की भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया। चीन समर्थक रुख वाले इन आउटलेट्स ने भारतीय उपस्थिति को निशाना बनाते हुए भारत पर मालदीव के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए लेख भी प्रकाशित किए।
- धीयारेस न्यूज़ के सह-संस्थापक, आज़ाद अज़ान ने अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हैशटैग साझा करने में लगे आधे हैंडल अज़ान के अनुयायी ही थे। वहीं अज़ान के चीन समर्थक रुख ने इसे अधिक जटिल बना दिया।
भारत-मालदीव संबंध: निहितार्थ और भविष्य की संभावनाएं
- ऐतिहासिक रूप से भारत, मालदीव की राजनीतिक, आर्थिक और प्राकृतिक आपदाओं के समय प्रतिक्रिया देने वाला पहला देश रहा है। इसके बावजूद, दुष्प्रचार अभियानों के कारण भारत विरोधी भावना को स्वीकार करना एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। मालदीव की घरेलू राजनीति ने न केवल मालदीव के आंतरिक वातावरण को भारत विरोधी बनाया है वरन देश के कूटनीतिक संबंधों की दिशा को भी प्रभावित किया है। "इंडिया आउट" अभियान इस बात को स्पष्ट करता है कि कूटनीतिक प्रयासों को आकार देने में जनभावना की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वास्तव में द्विपक्षीय संबंध किसी विशेष नीति के लिए साझेदार सरकार द्वारा उत्पन्न समर्थन से ही प्रभावी होते हैं।
- एक तरफ जहां मालदीव इस कूटनीतिक बदलाव से गुजर रहा है वहीं भारत की निरंतर क्षेत्रीय और भू-राजनीतिक प्रासंगिकता को पहचानना आवश्यक है। यद्यपि इस संदर्भ में माले में बदलती घरेलू वास्तविकताओं के बावजूद मालदीव के नई दिल्ली के साथ संबंध संभवतः उच्च-प्राथमिकता वाले बने रहेंगे।
निष्कर्ष:
- "इंडिया आउट" जैसे अभियान द्वारा भारत-मालदीव संबंधों में विकसित होती गतिशीलता भू-राजनीति, दुष्प्रचार और जनभावना के जटिल अंतर्संबंध को रेखांकित करती है ।
- यमीन के युग के चीन समर्थक रुख से लेकर सोलीह की "इंडिया फर्स्ट" नीति तक, और अब मुइज़ु का भारतीय सैन्य कर्मियों से हटना गहरे भू-राजनीतिक बदलावों को दर्शाता है।
- धिया्रेस न्यूज जैसे मीडिया आउटलेट्स द्वारा संचालित भारत विरोधी अभियान का सुनियोजित स्वरूप, समकालीन समाजों की दुष्प्रचार के प्रति संवेदनशीलता की ओर ध्यान आकर्षित करता है।
- हालांकि तत्कालीन परिणाम कूटनीतिक संबंधों पर दबाव डाल सकते हैं परंतु भारत और मालदीव के ऐतिहासिक संबंध साझा हितों और द्विपक्षीय लाभ पर ही आधारित रहें हैं । भविष्य में भी दोनों देश साझा मूल्यों और हितों पर आधारी मजबूत संबंधों को आगे बढ़ाएंगे ।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:
- मालदीव की विदेश नीति में हुए ऐतिहासिक बदलावों के आलोक में "इंडिया आउट" अभियान के भारत-मालदीव संबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण करें। सोशल मीडिया के जरिए फैलने वाले दुष्प्रचार की भूमिका और क्षेत्रीय स्थिरता के साथ-साथ भारत की भू-राजनीतिक स्थिति पर इसके प्रभावों का मूल्यांकन करें। (10 अंक, 150 शब्द)
- "इंडिया आउट" अभियान के दौरान भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने में धिया्रेस न्यूज जैसे मीडिया आउटलेट्स की भूमिका का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। समकालीन लोकतंत्रों में कूटनीतिक संबंधों पर सुनियोजित दुष्प्रचार के परिणामों का परीक्षण करें तथा ऐसे अभियानों का निदान करने के लिए आवश्यक रणनीतियों पर चर्चा करें?(15 अंक, 250 शब्द)
Source- Indian Express