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Daily-current-affairs / 25 Jun 2023

मणिपुर में प्रकट होती त्रासदी: एकता और शांति का आह्वान - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख (Date): 26-06-2023

प्रासंगिकता- जीएस पेपर 3 - आंतरिक सुरक्षा - उत्तर पूर्व में विद्रोह

की-वर्ड: साम्प्रदायिक टकराव, कुकी, मैतैई, मीडिया बहस, राजनीतिक रुख, एकता, शांति, परस्पर संबंध, पारस्परिक कल्याण, भौगोलिक नियति।

सन्दर्भ:

हाल ही में मणिपुर में प्रकट होती त्रासदी राज्य के प्रमुख समुदायों, कुकी और मैतैई के बीच चल रहे सांप्रदायिक घातक संघर्षों को हल करने में मीडिया बहस और राजनीतिक रुख की निरर्थकता को उजागर करता है। राज्य में लगभग दो महीने बाद अब भी तनाव बना हुआ है, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है और बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं।

कुकी जनजाति के बारे में-

  • कुकी एक जातीय समूह है जिसमें मूल रूप से भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे मणिपुर, मिजोरम, बर्मा (अब म्यांमार) के कुछ हिस्से, सिलहट, बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी इलाके और असम में रहने वाली कई जनजातियाँ शामिल हैं ।
  • ऐसा माना जाता है कि कुकी लोग मिज़ो हिल्स (पूर्व में लुशाई) के मूल निवासी हैं, जो भारत में मिजोरम के दक्षिणपूर्वी हिस्से में एक पहाड़ी क्षेत्र है।
  • म्यांमार के चिन लोग और मिज़ोरम के मिज़ो लोग कुकी की सजातीय जनजातियाँ हैं। सामूहिक रूप से, उन्हें ज़ो समुदाय कहा जाता है।
  • कुकी स्वयं की जातीय समूह द्वारा गढ़ा गया शब्द नहीं है, औपनिवेशिक शासन के तहत इनसे जुड़ी जनजातियों को सामान्यतः कुकी कहा जाने लगा।
  • मणिपुर में, मुख्य रूप से पहाड़ियों में रहने वाली विभिन्न कुकी जनजातियाँ, वर्तमान में राज्य की कुल 28.5 लाख आबादी का 30% ही हैं।
  • मणिपुर राज्य के पर्वतीय क्षेत्र की बाकी आबादी मुख्य रूप से दो अन्य जातीय समूहों से बनी है - मैतेई या गैर-आदिवासी, वैष्णव हिंदू जो मणिपुर के घाटी क्षेत्र में रहते हैं, और नागा जनजातियाँ, जिनका ऐतिहासिक रूप से कुकी के साथ विवाद हुआ है, वे भी यहीं निवास करते हैं।
  • मणिपुर विधानसभा की 60 सीटों में से 40 पर मैतेई का कब्जा है और शेष 20 सीटों पर कुकी और नागाओं का कब्जा है।
  • मणिपुर की कुछ अन्य महत्वपूर्ण जनजातियाँ ऐमोल, अनल, चिरु, चोथे आदि हैं।

मैतैई समुदाय के विषय में:

  • मैतेई लोग, जिन्हें मणिपुरी लोगों के रूप में भी जाना जाता है, मणिपुर राज्य का प्रमुख जनजातीय समूह हैं।
  • वे मैतैई भाषा (आधिकारिक तौर पर मणिपुरी कहा जाता है) बोलते हैं, जो भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक है और मणिपुर राज्य की एकमात्र आधिकारिक भाषा है।
  • वितरण:
  • मैतैई मुख्य रूप से आधुनिक मणिपुर के इंफाल घाटी क्षेत्र में बसे हैं, हालांकि इनकी एक बड़ी आबादी अन्य भारतीय राज्यों असम, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय और मिजोरम में बस गई है।
  • पड़ोसी देशों म्यांमार और बांग्लादेश में भी मैतेई की उल्लेखनीय उपस्थिति है।
  • मैतैई जातीय समूह मणिपुर की लगभग 53% आबादी का प्रतिनिधित्व करते है।
  • कुल: सामाजिक रूप से मैतेई कुलों में विभाजित हैं, जिनके सदस्य आपस में विवाह नहीं करते हैं।
  • अर्थव्यवस्था: सिंचित खेतों में चावल की खेती उनकी अर्थव्यवस्था का आधार है।
  • धर्म: मैतेई बहुसंख्यक हिंदू धर्म का पालन करते हैं, जबकि 8% से अधिक मुस्लिम हैं।

पारस्परिक कल्याण में अंतर्संबंध:

दोनों समुदायों की साझा भौगोलिक अवस्थिति से स्पष्ट है, कि एक समुदाय के कार्य दूसरों को कैसे प्रभावित करते हैं, यहाँ सर्वसम्मति की आवश्यकता पर बल दिया गया है। मणिपुर की पहाड़ियाँ और घाटियाँ पारस्परिक कल्याण के लिए अन्योन्याश्रित हैं, और घाटी की सुभेद्यता इसके स्थलाकृतिक और कृषि लाभों से लाभान्वित होती है।

मैतैई संकट:

मणिपुर में वर्तमान संकट इस ओर ध्यान आकर्षित करता है, कि दशकों से चली आ रही पहाड़ियों से मैतैईयों के विस्थापन को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग उनकी आजीविका और सामुदायिक पहचान के खिलाफ उनकी हताशा का प्रतिनिधित्व करती है।

मैतैई की हिंसक प्रतिक्रिया:

विगत 3 मई को चूड़ाचांदपुर जिले में कुकी भीड़ द्वारा आगजनी के हमलों से शुरू हुई मैतेई की हिंसक प्रतिक्रिया, तत्काल संकट की भावना और शिकायतों के संचय से प्रेरित थी। इससे विभिन्न संस्थानों और व्यक्तियों को निशाना बनाते हुए अंधाधुंध हिंसा में वृद्धि हुई।

संगठनों की भूमिका:

हालाँकि अरामबाई तेंगगोल और मैतेई लीपुन जैसे संगठनों ने भूमिका निभाई है, परन्तु वे इन संकट के लिए पूरीतरह तरह जिम्मेदार नहीं हैं। यह स्थिति मैतैई समाज के भीतर मौलिक प्रवृत्ति के विस्फोट को दर्शाती है, जो तर्कसंगतता पर हावी हो रही है और हिंसा के प्रति व्यापक लामबंदी का कारण बन रही है।

कुकियों की दुर्दशा:

कुकियों को सरकारी नीतियों के कारण उपेक्षा और उत्पीड़न सहित विभिन्न अन्यायपूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ा है। इससे स्पस्ट होता है कि रैली के दौरान मैतैईयों के साथ मिलकर उन्होंने अत्यधिक हिंसा के साथ प्रतिक्रिया क्यों की।

सामान्य स्थिति को प्राथमिकता देना:

इस स्तर पर कि दोनों समुदायों का नेतृत्व सामान्य स्थिति में बहाल हो इसके लिए आवश्यक पहल की जानी चाहिए। असम राइफल्स को कुकी उग्रवादियों के निर्दिष्ट शिविरों में लौटने के निर्णायक सबूत उपलब्ध कराने चाहिए, जिससे लूटे गए हथियारों की बरामदगी में सरलता हो। हिंसा की स्थिति में असहयोग आंदोलन को वापस लेने के महात्मा गांधी के फैसले का अनुकरण एक योग्य उदाहरण हो सकता है।

निष्कर्ष:

मणिपुर के दुःखद संघर्ष की समाप्ति और सभी हितधारकों के लाभ के लिए सर्वसम्मति जुटाने और प्रशासनिक परिवर्तनों को लागू करने के लिए एक सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। दोनों समुदायों के संकटों को स्वीकार करना, शिकायतों को दूर करना और शांति को प्राथमिकता देना सामंजस्यपूर्ण भविष्य की दिशा में आवश्यक कदम हैं।

मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

  • प्रश्न 1. मणिपुर में कुकी और मैतेई के बीच चल रहे संघर्ष के विशेष संदर्भ में, भौगोलिक नियति और सांप्रदायिक संघर्षों के बीच अंतर्संबंध पर चर्चा करें। ऐसे संघर्षों को सुलझाने में आम सहमति बनाने और आपसी कल्याण के महत्व पर प्रकाश डालें। (10 अंक, 150 शब्द)
  • प्रश्न 2. मणिपुर की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करते हुए मैतेई समुदाय की हिंसक प्रतिक्रिया और कुकी की दुर्दशा में योगदान देने वाले कारकों की आलोचनात्मक समीक्षा करें। नेतृत्व की भूमिका और सामान्य स्थिति बहाल करने, शिकायतों को दूर करने तथा क्षेत्र में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता पर चर्चा करें। (15 अंक, 250 शब्द)

स्रोत - हिन्दू

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