तारीख Date : 12/12/2023
प्रासंगिकताः जी. एस. पेपर 2-सामाजिक न्याय-विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs)
कीवर्ड्सविशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) प्रधानमंत्री-जनजातीय न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) योजना, राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) जनजातीय उप-योजना (TSS)
संदर्भ -
- भारत में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) को आदिम जनजातीय समूहों के नाम से भी जाना जाता है। ये समुदाय स्थिर और घटती आबादी, आदिम कृषि प्रौद्योगिकी, आर्थिक पिछड़ेपन और कम साक्षरता जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
- 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले होने के बावजूद, पीवीटीजी अक्सर दूरदराज के दुर्गम क्षेत्रों में निवास करते हैं, यह कारक इन्हें अनुसूचित जनजातियों में सबसे कमजोर व पिछड़ा बनाता है।
- इस लेख में प्रधानमंत्री-जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) योजना पर ध्यान देने के साथ पीवीटीजी के समग्र विकास के उद्देश्य से हाल के विकास, चुनौतियों और अन्य पहलों पर ध्यान दिया गया है।
पीवीटीजी:
- भारत में, जनजातीय आबादी, कुल जनसंख्या का 8.6% है। जनजाति आबादी के भीतर विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) सर्वाधिक भेद्यता( vulnerability) का सामना कर रहे हैं। जनजातीय विकास निधि का ज्यादातर हिस्सा अधिक विकसित जनजातीय समूहों को प्राप्त होता है और पीवीटीजी अक्सर इससे वंचित रह जाते है, अतः इन्हें समर्पित वित्तीय सहायता की अधिक आवश्यकता होती है।
- 1973 में ढेबर आयोग ने कम विकसित जनजातियों की एक अलग श्रेणी के रूप में आदिम जनजातीय समूहों (पीटीजी) की पहचान की थी। 2006 में, भारत सरकार ने पीटीजी का नाम बदलकर पीवीटीजी कर दिया था। 1975 में, भारत सरकार ने ऐसे 52 समूहों की घोषणा करते हुए सबसे कमजोर आदिवासी समूहों की पहचान शुरू की थी। 1993 में, 23 अन्य समूहों को भी इस सूची में शामिल किया गया। वर्तमान में 705 अनुसूचित जनजातियों में से कुल 75 पीवीटीजी जनजातियाँ हैं।
- सभी पीवीटीजी समूह में सामान्य विशेषताओं को देखेँ तो इन समूहों में समानता, कम आबादी, लिखित भाषा की कमी, आदिम तकनीक, परिवर्तन की धीमी दर और समाज की मुख्य आबादी से शारीरिक गठन में भिन्नता जैसी विशेषताएं हैं। 75 सूचीबद्ध पीवीटीजी जनजातियों में से सबसे अधिक संख्या ओडिशा में है।
पीवीटीजी समूह से संबंधित जनसांख्यिकी आँकड़े :
- पीवीटीजी की जनसंख्या के संबंध में स्पष्ट आंकड़ों की कमी है, उदाहरण के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा पिछले साल एक संसदीय समिति को प्रदान किए गए आंकड़ों और हाल ही में राज्यसभा में दिए गए बयान में इन समूह के संबंध में अलग-अलग प्रवृत्ति का वर्णन है।
- संसदीय समिति को प्रदान किए गए आंकड़ों में बताया गया है कि सदी के पहले दशक के दौरान नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पीवीटीजी की संख्या में लगभग 40% की गिरावट आई है, जबकि राज्य सभा में दावा किया गया है कि इनकी जनसंख्या में कोई गिरावट नहीं आ रही है।
प्रधानमंत्री-जनजातीय न्याय महा अभियान (पीएम-जनमान) योजनाः
- भारत सरकार ने पीवीटीजी के सामने आने वाली चुनौतियों के समाधान हेतु हाल ही में 24,000 करोड़ रुपये की पीएम-जनमन योजना को मंजूरी दी है।
- पीएम-पीवीटीजी विकास मिशन के विस्तार वाली इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जनजातियों में सबसे पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए सड़कें, बिजली, आवास और मोबाइल कनेक्टिविटी जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है।
- इस योजना के तहत पीवीटीजी की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की रूपरेखा तैयार की गई है।
- इसके तहत किये जाने वाले आवंटनों में पीएम-आवास योजना के तहत पक्के घरों के निर्माण और 8,000 किलोमीटर लंबी सड़कों के निर्माण के लिए 19,000 करोड़ रुपये प्रस्तावित किये गए हैं।
- इस योजना में स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे और संपर्क जैसे विशिष्ट पहलुओं के कार्यान्वयन के लिए नौ मंत्रालय शामिल हैं। इसका लक्ष्य पीवीटीजी क्षेत्रों में व्यापक विकास करना है जिससे पीवीटीजी द्वारा सामना की जाने वाली बहुआयामी चुनौतियों का समाधान किया जा सके ।
चुनौतियां :
- पीएम-जनमन योजना को लागू करने में एक बड़ी बाधा पीवीटीजी पर नवीन और व्यापक आंकड़ों का अभाव है।
- जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा आधारभूत सर्वेक्षण करने और गाँव की जरूरतों का आकलन करने के प्रयासों के बावजूद, जनसांख्यिकीय और सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों का अभाव है।
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर संसदीय स्थायी समिति ने पीवीटीजी से संबंधित डेटा की कमी को एक महत्वपूर्ण मुद्दे के रूप में उजागर किया है।
ऐतिहासिक डेटा गैपः
- 1951 से पीवीटीजी के लिए विशिष्ट जनगणना डेटा का अभाव है।
- 2013 की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की रिपोर्ट के अनुसार, इन समूहों के लिए अलग जनगणना करने में सरकार की विफलता ने लक्षित नीतियों के निर्माण में बाधा उत्पन्न की है।
- इस तरह के आंकड़ों से न केवल इन समूहों की आबादी की सही जानकारी प्राप्त होगी बल्कि इनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास की स्थिति के विषय में भी समझ विकसित होगी।
जनजातीय मामलों का मंत्रालय
- जनजातीय मामलों का मंत्रालय पीवीटीजी के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 2023-24 के लिए बजट आवंटन में इन समुदायों के लिए 256.14 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।
अन्य सरकारी योजनाएं
- जनजातीय कार्य मंत्रालय इन समूहों के विकास के लिए "विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों का विकास (पीवीटीजी)" योजना को भी संचालित करता है। इस पहल के तहत, प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश द्वारा अपने पीवीटीजी की विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर संरक्षण-सह-विकास (सीसीडी) योजनाएं तैयार की जाती हैं। इन योजनाओं का मंत्रालय की परियोजना मूल्यांकन समिति द्वारा मूल्यांकन और अनुमोदन किया जाता है।
- पीवीटीजी योजना 18 राज्यों एवं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 100% केंद्रीय सहायता के प्रावधान के साथ एक केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में संचालित हो रही है। इस योजना का प्राथमिक लक्ष्य पीवीटीजी की अनूठी संस्कृति और विरासत को संरक्षित करते हुए, इनका व्यापक सामाजिक-आर्थिक विकास करना है।
- संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत जनजातीय उप-योजना (टीएसएस) अनुदान के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) में पीवीटीजी को प्राथमिकता दी जाती है। जिसके अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए समर्पित स्वैच्छिक संगठनों को सहायता अनुदान और निम्न साक्षरता वाले जिलों में अनुसूचित जनजाति की लड़कियों की शिक्षा सहित अन्य योजनाओं में भी पीवीटीजी को प्राथमिकता दी जाती है।
निष्कर्ष
पीएम-जनमन योजना भारत में पीवीटीजी के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इस पहल की सफलता डेटा की उपलब्धता, सटीक आधारभूत सर्वेक्षण और लक्षित नीतियों को लागू करने पर निर्भर करती है। चूंकि पीवीटीजी आर्थिक पिछड़ेपन, बुनियादी ढांचे की कमी और खराब कनेक्टिविटी से जूझ रहे हैं, इसलिए इनके विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता देश भर के आदिवासी समुदायों के बीच समावेशिता और समानता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न-
- विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सामने आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण करें और आकलन करें कि पीएम-जनमन योजना उन्हें कैसे संबोधित करती है। (10 marks, 150 Words)
- पी. वी. टी. जी. विकास पहलों में बाधा डालने वाले डेटा अंतराल की जांच करें, इसके समाधान के सुझाव दें और नीति निर्माण में सटीक डेटा की आवश्यकता को स्पष्ट करें। (15 Marks, 250 words)
Source- The Hindu