होम > Daily-current-affairs

Daily-current-affairs / 26 Dec 2023

परग्रही बुद्धि की खोज और ब्रह्मांड के संकेत - डेली न्यूज़ एनालिसिस

image

तारीख Date : 27/12/2023

प्रासंगिकता: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 - विज्ञान और प्रौद्योगिकी - अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी

की-वर्ड्स : SETI, METI, मिल्की वे आकाशगंगा, ग्रेट साइलेंस

संदर्भ:-

परग्रही बुद्धि (एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस) की खोज (The Search for Extraterrestrial Intelligence -SETI) ने छह दशकों से अधिक समय से वैज्ञानिकों और लोगों की कल्पना को समान रूप से आकर्षित किया है। इस वैज्ञानिक साहसिक कार्य का आधार यह संभावना है कि पृथ्वी जैसा बुद्धिमान जीवन, अन्य ग्रहों पर भी उपस्थित हो सकता है। इस खोज में संभावित अन्य ग्रहों के साथ संचार के साधन के रूप में संकेतों, मुख्य रूप से विद्युत चुम्बकीय तरंगों का आकलन किया जाता है। हालाँकि, ब्रह्मांड के 'ग्रेट साइलेंस' ने वैज्ञानिकों को बुद्धिमान परग्रही जीवन के संकेतों का पता लगाने के लिए वैकल्पिक साधनों और प्रौद्योगिकियों पर शोध करने के लिए प्रेरित करती है।


SETI क्या है?

  • SETI या परग्रही बुद्धि की खोज, ब्रह्मांड में अन्य परग्रही जीवन की खोज के लिए समर्पित वैज्ञानिक प्रयासों का एक समूह है। यह इस महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर खोजने का प्रयास है कि क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं?
    • रेडियो तरंगों का विश्लेषण: वैज्ञानिक ब्रह्मांड से आने वाली रेडियो तरंगों का अध्ययन करते हैं, जो किसी भी संभावित परग्रही सभ्यता द्वारा भेजे गए संदेशों का संकेत दे सकती हैं।
    • ऑप्टिकल संकेतों की खोज: वैज्ञानिक लेजर प्रकाश या अन्य प्रकाश संकेतों का अन्वेषण करते हैं जो दूरस्थ ग्रहों से भेजे जा सकते हैं।
    • अन्य ग्रहों की खोज: वैज्ञानिक रहने योग्य ग्रहों की खोज करते हैं, जो जीवन और बुद्धि के विकास के लिए अनुकूल हो सकते हैं।
  • SETI का आधार यह है कि उन्नत परग्रही सभ्यताएं संचार के लिए भौतिकी के समान सिद्धांतों का उपयोग कर सकती हैं। यह वैज्ञानिकों को इन संभावित संकेतों की खोज के लिए उपर्युक्त माध्यमों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करता है।
  • दूरस्थ परग्रही प्रजातियों के बारे में जानने से हमें यह समझने में मदद मिल सकती है कि वे हमारे अस्तित्व का पता कैसे लगा सकते हैं। यह ज्ञान SETI अनुसंधान को बेहतर बनाने और अन्य परग्रही जीवन रूपों की खोज को केंद्रित करने में मदद करेगा।
  • SETI अनुसंधान में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले संगठनों में नासा,अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियां,SETI संस्थान और द प्लैनेटरी सोसाइटी शामिल हैं।

ब्रह्मांडीय रेडियो तरंगों की ट्यूनिंग

  • 1959 में दो भौतिकविदों ने एक महत्वपूर्ण शोध पत्र प्रकाशित किया जिसमें उन्होंने रेडियो तरंगों का विश्लेषण करके परग्रही सभ्यताओं की खोज के लिए एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण का सुझाव दिया था। इसने आधुनिक SETI परग्रही बुद्धिमान प्राणी अनुसंधान की शुरुआत की, जो एक विशिष्ट आवृत्ति खोजने के लिए एनालॉग रेडियो को ट्यून करने की तकनीक पर आधारित है।
  • SETI परियोजना में ब्रह्मांडीय रेडियो तरंगों के माध्यम से शोध करना शामिल है। प्राकृतिक स्रोत जैसे कि टूटते हुए तारों आवृत्तियों की एक विस्तृत श्रृंखला में संकेत उत्सर्जित करते हैं, जबकि कृत्रिम स्रोत, जैसे एलियन ट्रांसमिशन के संकीर्ण बैंड में होने की संभावना है, जिसके लिए उन्नत तकनीक की आवश्यकता होती है।
  • वैज्ञानिक विशिष्ट आवृत्तियों पर सुसंगत प्रसारण के लिए अंतरिक्ष को व्यवस्थित रूप से स्कैन करने के लिए एलन टेलीस्कोप एरे जैसे बड़े रेडियो उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं। इसका लक्ष्य ऐसे संकेतों की पहचान करना है जो विशिष्ट खगोलीय घटनाओं के लक्षणों की अवहेलना करते हैं।

ब्रह्मांडीय दूरियों की चुनौती:

  • अंतरिक्ष की विशालता परग्रही बुद्धि की खोज में एक विकट चुनौती प्रस्तुत करती है।
  • विशाल ब्रह्मांडीय दूरी के पार विद्युत चुम्बकीय-तरंग संकेतों विशेष रूप से रेडियो सिग्नल की पहचान के लिए हमारे प्राथमिक स्रोत के रूप में उभरे हैं।
  • इन संकेतों को अपने पारगमन के दौरान विकृति जैसी बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिससे सार्थक सूचना प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।
  • प्राकृतिक घटनाओं और संभावित परग्रही संकेतों के बीच अंतर करने की आवश्यकता खोज को और जटिल बनाती है।

विद्युत चुम्बकीय तरंगों से परे: न्यूट्रिनो सिग्नल्स:

  • विद्युत चुम्बकीय तरंगों से उत्पन्न चुनौतियों के प्रतिउत्तर में वैज्ञानिक न्यूट्रिनो सिग्नल जैसे वैकल्पिक संचार साधनों की खोज कर रहे हैं।
  • न्यूट्रिनो एक उप-परमाण्विक कण है जो पदार्थ के साथ कम तीव्रता से संपर्क करते हैं, यह बाहरी अंतरिक्ष से संचार का एक संभावित विकल्प हैं।
  • ध्यातव्य है कि रेडियोधर्मी क्षय के उदाहरण न्यूट्रिनो और बाहरी अंतरिक्ष घटनाओं के बीच संबंध का सुझाव देता है। इसे पर्ड्यू विश्वविद्यालय में 2017 के एक प्रयोग के दौरान देखा गया था।
  • NU-SETI प्रस्ताव पारग्रही गतिविधियों से जुड़े ‘गैर-समान न्यूट्रिनो फ्लक्स ’(non-uniform neutrino flux) का पता लगाने के लिए दुनिया भर में ‘न्यूट्रिनो क्षय प्रयोगों’ का संचालन कर रहा है, जो परग्रही जीवन की खोज के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

परग्रही बुद्धि को संदेश (METI):

SETI जो कि सिग्नल्स प्राप्त करने कि तकनीक पर आधारित है, के साथ-साथ मैसेजिंग एक्सट्राटेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस (METI) की अवधारणा पर भी फोकस किया जा रहा है जिसमें संभावित परग्रही सभ्यताओं को सक्रिय रूप से संदेश भेजना शामिल है। उल्लेखनीय उदाहरणों में नासा के पायनियर 10 और 11 अंतरिक्ष यान पर लगे प्लाक और एरेसिबो टेलीस्कोप द्वारा एम13 गोलाकार क्लस्टर को एक ग्राफिकल संदेश का प्रसारण किया गया था। METI ने उपग्रह प्रौद्योगिकी में प्रगति और एक्सोप्लैनेट की खोज के साथ नए सिरे से रुचि प्राप्त की है, जो वैज्ञानिकों को अपने संदेश भेजने के प्रयासों में विशिष्ट खगोलीय पिंडों को लक्षित करने में सक्षम बनाता है।

ग्रेट साइलेंस का रहस्य:

दशकों के प्रयासों के बावजूद, 'महान मौन ' अर्थात ग्रेट साइलेंस बना हुआ है, जिससे वैज्ञानिकों को विभिन्न संभावनाओं पर विचार करना पड़ रहा है। यह इस सवाल को जन्म देता है कि क्या परग्रही जीवन पृथ्वी से परे उपस्थित है या क्या हमारे तरीके संभावित संकेतों का पता लगाने के लिए अपर्याप्त हैं। संभावित व्याख्याओं में मिल्की वे आकाशगंगा की विशाल दूरी एक ही जीवनकाल में सिग्नल पहुंच की सीमाएं उत्पन्न करती है । इसमें निष्क्रिय परग्रही सभ्यताओं की संभावना और गैर-पारंपरिक संचार रूपों को पहचानने की चुनौती शामिल हैं।

SETI और METI गतिविधियों में चुनौतियां:

  • दूरी: ब्रह्मांड विशाल है, और संकेतों को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक यात्रा करने में लाखों या अरबों वर्ष लग सकते हैं।
  • शोर: ब्रह्मांड प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों तरह के शोर से भरा है, जो संकेतों का पता लगाना मुश्किल बना देता है।
  • अज्ञात: हम नहीं जानते कि एलियंस कैसे संवाद करते हैं, इसलिए हम यह नहीं जान सकते कि किस तरह के संकेतों की तलाश करनी चाहिए।
  • विकासशील प्रौद्योगिकियां: रेडियो सिग्नल से लेकर ऑप्टिकल टेलीस्कोप, लेजर लाइट और यहां तक कि संभावित न्यूट्रीनो तक, सभी प्रौद्योगिकियां अभी विकाशील अवस्था में हैं।

अंतःविषय सहयोग:

  • SETI और METI के वैज्ञानिक न केवल वैज्ञानिक प्रयासों में लगे हुए हैं, बल्कि अंतःविषय पहलों पर भी सहयोग करते हैं।
  • वैज्ञानिक प्राकृतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और मानविकी के विशेषज्ञों को एक साथ लाकर मानव अस्तित्व को समझने के लिए तकनीकी समझ को बढ़ाने का प्रयास कर रहें हैं।
  • ये सहयोगी प्रयास अनुसंधान के दायरे को व्यापक बनाते हैं, जिसमें जीवन की प्रकृति, उसके संभावित स्थान और विभिन्न रूपों को समझने के लिए विविध दृष्टिकोण शामिल हैं।

नवीनतम विकास और अंतरतारकीय आकांक्षाएं:

हाल के वर्षों में परग्रही आकांक्षाओं का उदय हुआ है, जो एलन मस्क की मंगल ग्रह पर मानव के रहने योग्य आवास बनाने की महत्वाकांक्षा और चंद्रमा पर आधार स्थापित करने के लिए नयी अंतरिक्ष दौड़ से प्रेरित है। दुनिया भर के विद्वान जीवन की पेचीदगियों, उसके संभावित आवासों, विविध रूपों और पहचान के तरीकों को समझने के लिए एकजुट हो रहे हैं। चूंकि ब्रह्मांड का अन्वेषण एक वैश्विक प्रयास बनता जा रहा है, वैज्ञानिक समुदाय ब्रह्मांड में जीवन के बारे में अपनी समझ का विस्तार करने के लिए तैयार है।

निष्कर्ष:

परग्रही बुद्धि (परग्रही इंटेलिजेंस) की खोज मानव जिज्ञासा को सदैव आकर्षित करती रही है और वैज्ञानिक अन्वेषण की सीमाओं को आगे बढ़ाती रही है। वैज्ञानिक समुदाय 'महान मौन' (Great Silence) के बावजूद निराश नहीं हुआ है और परग्रही सभ्यताओं के संकेतों की खोज के लिए विभिन्न वैकल्पिक संचार चैनलों का उपयोग कर रहा है। इनमें न्यूट्रीनो संकेतों का अध्ययन और एमईटीआई (Messaging Extraterrestrial Intelligence) के माध्यम से सक्रिय रूप से संदेश प्रसारित करना शामिल है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

  1. वैज्ञानिकों को परग्रही बुद्धिमत्ता (SETI) की खोज में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, विशेष रूप से विद्युत चुम्बकीय तरंगों के विश्लेषण के संदर्भ में। वैज्ञानिकों द्वारा न्यूट्रिनो सिग्नल जैसे वैकल्पिक संचार साधनों की खोज कैसे इन चुनौतियों के समाधान में सहयोग कर सकती है ? (10 अंक, 150 शब्द)
  2. मैसेजिंग एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस (एमईटीआई) की अवधारणा और संभावित परग्रही सभ्यताओं तक संदेशों को सक्रिय रूप से प्रसारित करने में इसकी भूमिका पर चर्चा करें। पिछले कुछ वर्षों में एमईटीआई कैसे विकसित हुआ है, और अंतरिक्ष या दुनिया के विशिष्ट क्षेत्रों पर अवरोधों, प्रेरकों और संभावित प्रभाव पर विचार करते हुए संदेश विकल्प चुनते समय किन बातों को ध्यान में रखा जाता है? (15 अंक, 250 शब्द)

Source- The Hindu