तारीख Date : 21/12/2023
प्रासंगिकता: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र 2-विकास से संबंधित मुद्दे-सार्वजनिक स्वास्थ्य (सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र 3-भारतीय अर्थव्यवस्था-खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए भी प्रासंगिक)
मुख्य शब्द: एचएफएसएस, एनसीडी, राजकोषीय उपाय, जीएसटी प्रणाली
प्रसंगः
उच्च वसा,चीनी और नमक (एच. एफ. एस. एस.) वाले खाद्य पदार्थों का सेवन मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी विभिन्न बीमारियों के एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक के रूप में उभरा है। विश्व बैंक की 2019 की एक रिपोर्ट से पता चला है कि 70% अधिक वजन वाले और मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं, जिसमें अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में रहती है। यह रिपोर्ट इस धारणा के विपरीत है कि ये स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं केवल उच्च आय वाले देशों और शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित हैं।
एचएफएसएस खाद्य पदार्थ क्या हैं?
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित एचएफएसएस पर कार्य समूह की रिपोर्ट के अनुसार -
एचएफएसएस खाद्य पदार्थों को ऐसे खाद्य पदार्थों (कोई भी भोजन या पेय, डिब्बाबंद या गैर-पैकेज्ड) के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिनमें प्रोटीन, विटामिन, फाइटोकेमिकल्स, खनिज और आहार फाइबर कम मात्रा में होते हैं लेकिन इनमें वसा (संतृप्त फैटी एसिड) नमक और चीनी उच्च मात्रा में होती हैं और इनसे उच्च ऊर्जा (कैलोरी) प्राप्त होती है। इनके नियमित रूप से या उच्च मात्रा में सेवन करने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पडते हैं।
भारत में गैर-संचारी रोगों की गंभीरता
भारत में, गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) का बोझ 1990 में 38% से बढ़कर 2019 में 65% हो गया है। देश में अधिक वजन और मोटापे से 2017 में 23 बिलियन डॉलर के नुकसान होने का अनुमान लगाया गया था, जिसके 2060 तक 480 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
भारत में 2011 से 2021 के बीच अल्ट्रा-प्रसंस्कृत खाद्य क्षेत्र 13.4% की चक्रवृद्धि वार्षिक दर से आगे बढा है। यह वृद्धि आहार की आदतों में एक चिंताजनक बदलाव को दर्शाती है।भारत दुनिया के अग्रणी चीनी उत्पादक और उपभोक्ता वाले देशों मे से एक है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में पिछले एक दशक के दौरान स्नैक्स और सॉफ्ट ड्रिंक्स की बिक्री तीन गुना हो गई है, जो 30 बिलियन डॉलर से अधिक है। यह इस प्रवृत्ति और इससे जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों पर अंकुश लगाने के लिए हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।
एचएफएसएस खाद्य पदार्थों पर राजकोषीय उपायों का वैश्विक रुझानः
मोटापे की बढती वैश्विक प्रवृत्ति को रोकने के लिए, कई देशों ने इससे निपटने के लिए वित्तीय उपायों को लागू किया है। विदित हो कि चीनी युक्त मीठे पेय पदार्थों (एसएसबी) पर कराधान व्यापक रूप से लागू है, लेकिन एचएफएसएस खाद्य पदार्थों पर कराधान कम है हालांकि इसे बढ़ाया जा रहा है । डेनमार्क, फ्रांस, हंगरी, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों ने एचएफएसएस खाद्य पदार्थों पर समर्पित कर लागू किए हैं। हालिया कोलंबिया ने "जंक फूड कानून" लागू किया गया है, इसके माध्यम से अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर लेवी की शुरुआत की गई है।
भारत में, केरल ने 2016 में 'फैट टैक्स' लागू करके एक प्रारंभिक कदम उठाया था, जिसे बाद में 2017 में इसे वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) में शामिल कर दिया गया। हालांकि, इन पदार्थों के उपभोग को कम करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी एचएफएसएस कर को लागू करने की आवश्यकता है।
बाजार की विफलताएं और एचएफएसएस कर का मामलाः
एचएफएसएस पर कर लगाने की अनिवार्यता इनके उपभोग से जुड़ी बाजार विफलताओं से उत्पन्न होती है। ध्यातव्य हो कि इन पदार्थों के उपभोग के कारण स्वास्थ्य देखभाल व्यय में वृद्धि के रूप में नकारात्मक बाह्यताएँ सृजित होती हैं। एचएफएसएस के सेवन के कारण मधुमेह और मोटापा जैसी बीमारियों में वृद्धि समाज पर अप्रत्याशित व्यय (स्वास्थ्य व्यय) को बढ़ाती है, परिणामतः उच्च करों के माध्यम से वित्त पोषित पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की आवश्यकता होती है। साथ ही, इन पदार्थों के आक्रामक विपणन से प्रभावित होकर और अपनी सीमित समझ के कारण उपभोक्ता खुद को नुकसान पहुँचाते हैं। उपर्युक्त कारणों से इन पदार्थों पर कर ,हानिकारक उपभोग की आदतों पर अंकुश लगाने, सामाजिक बोझ को कम करने हेतु एक लक्षित और प्रभावी साधन के रूप में काम कर सकते हैं।
एचएफएसएस कराधान को केवल राजस्व उत्पन्न करने वाले साधन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि उद्यगों को स्वस्थ और समाज के हित में उत्पादों को निर्मित करने के प्रोत्साहन के रूप में भी देखा जाना चाहिए। तंबाकू और शराब जैसी अन्य हानिकारक वस्तुओं के कराधान के विपरीत, एचएफएसएस पर कर का उद्देश्य उद्योग सुधार को बढ़ावा देना और व्यक्तियों को स्वस्थ आहार के लिए प्रोत्साहित करना है। दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य संवर्धन लेवी जैसे हालिया अध्ययनों से संकेत मिलता है कि इस तरह के कर गैर-प्रतिगामी हो सकते हैं और इनसे कमजोर सामाजिक-आर्थिक स्थिति वाले परिवारों द्वारा इन पदार्थों की खरीदारी में सापेक्ष कमी देखी गई है।
कैसा हो प्रभावी एच. एफ. एस. एस. कर ?
एचएफएसएस कराधान की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए, भोजन की पोषण गुणवत्ता के आधार पर कर दरों को लागू करना आवश्यक है। जीएसटी प्रणाली में एचएफएसएस खाद्य पदार्थों को शामिल किया जा सकता है। जिसमें इन पर उच्चतम कर दर तथा स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों पर या तो न्यूनतम या शून्य कर दर लागू की जाए । यह दृष्टिकोण एचएफएसएस और स्वस्थ विकल्पों के बीच एक समान अवसर बनाए रखेगा, जो स्वस्थ खाद्य पदार्थों को अधिक किफायती और उपभोक्ताओं के लिए सुलभ बनाएगा। इसके अतिरिक्त, इस तरह की प्रणाली ,उद्योग द्वारा उत्पाद सुधार को प्रोत्साहित करती है, जिससे स्वस्थ विकल्पों की ओर बदलाव को बढ़ावा मिलता है।
भारत में अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर वर्तमान जीएसटी दरें इसमें प्रयुक्त पोषण सामग्री के साथ सहयुग्मित नहीं होती उदाहरण के लिए, चीनी युक्त मीठे पेय पदार्थों और जूस पर एक समान कर दर। इनमे प्रयुक्त मीठी सामग्री में भिन्नता को नजरअंदाज करता है, इसके अलावा सभी नमकीन स्नैक्स पर इनमें प्रयुक्त नमक सामग्री की परवाह किए बिना फ्लैट 12% कर दर लागू है। ये विसंगतियाँ उत्पादों के पोषण प्रभाव पर विचार करने और उपभोग पैटर्न को बदलने में कर की प्रभावशीलता को सीमित करती हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य में एचएफएसएस कराधान की भूमिकाः
भारत में एचएफएसएस कराधान को न केवल एक राजकोषीय आय के साधन के रूप में देखा जाना चाहिए, बल्कि एक सार्वजनिक स्वास्थ्य अनिवार्यता के रूप में भी देखा जाना चाहिए। अच्छी तरह से निर्मित किए गए कर कई लाभ प्रदान कर सकते हैं,जैसे-एचएफएसएस के उपभोग में कमी, स्वस्थ खाद्य विकल्पों को बढ़ावा, निर्माताओं को उत्पादों में सुधार हेतु प्रोत्साहित कर सकते हैं। इसके अलावा यह सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों में सुधार,स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर बोझ में कमी और राष्ट्र के समग्र कल्याण को बढ़ावा दे सकते हैं।
एचएफएसएस कराधान को अन्य उपायों जैसे कि पोषण साक्षरता को बढ़ावा और प्रभावी खाद्य लेबलिंग आदि के साथ जोड़ना, अधिक वजन और मोटापे की बढ़ती महामारी का मुकाबला करने में अधिक सक्षम बना सकता है। एक अधिक टिकाऊ और न्यायसंगत खाद्य प्रणाली स्थापित करके, भारत एचएफएसएस की खपत से जुड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान कर सकता है ।
निष्कर्ष
भारत में उच्च वसा चीनी नमक (एचएफएसएस) युक्त खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है, जो गैर-संचारी रोगों(NCDs) के बढ़ते बोझ में योगदान दे रही है। वैश्विक प्रवृत्ति को स्वीकार करते हुए, इन उत्पादों से जुड़े नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों पर अंकुश लगाने के लिए एक रणनीतिक उपाय के रूप में एचएफएसएस कराधान को लागू करने की आवश्यकता है। एचएफएसएस. कर को इस तरह से निर्मित किया जाना चाहिए , जो पोषण की गुणवत्ता के आधार पर दरों में अंतर कर सके। यह न केवल अस्वास्थ्यकर उपभोग के लिए एक निवारक के रूप में कार्य कर सकता है, बल्कि उद्योग को स्वस्थ विकल्पों का उत्पादन करने के लिए भी प्रोत्साहित कर सकता है।
अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के उपभोग की आहार आदतें, स्वास्थ्य जोखिमों और आर्थिक प्रभावों को दूर करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग करता है। एचएफएसएस कराधान को इसके राजकोषीय पहलुओं से परे देखा जाना चाहिए और एक सार्वजनिक स्वास्थ्य अनिवार्यता के रूप में इसकी भूमिका पर जोर दिया जाना चाहिए। पोषण सामग्री के साथ कर दरों को संरेखित करके और स्वस्थ विकल्पों को बढ़ावा देकर, भारत एक अवसर पैदा कर सकता है, जिससे उपभोक्ताओं और उत्पादकों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाया जा सके ।
एचएफएसएस कराधान के साथ, पोषण साक्षरता को बढ़ावा देने और खाद्य लेबलिंग को बढ़ाने के प्रयास अधिक वजन और मोटापे की महामारी का मुकाबला करने में एक व्यापक रणनीति में योगदान कर सकते हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर और एक अधिक न्यायसंगत खाद्य प्रणाली अपनाकर, भारत एचएफएसएस की खपत से जुड़े आर्थिक और स्वास्थ्य बोझ को कम करते हुए एक स्वस्थ भविष्य की दिशा में काम कर सकता है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न
- उच्च वसा,चीनी,नमक (एचएफएसएस) वाले खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत भारत में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के बढ़ते बोझ में कैसे योगदान करती है, और इससे जुड़े आर्थिक निहितार्थ क्या हैं? स्पष्ट करें । (10 marks, 150 words)
- भारत में एच. एफ. एस. एस. की खपत के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों को संबोधित करने में एक अच्छी तरह से डिज़ाइन किया गया एच. एफ. एस. एस. कर क्या भूमिका निभा सकता है। यह खाद्य उद्योग को स्वस्थ विकल्पों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक रणनीतिक उपाय के रूप में कैसे काम कर सकता है? (15 marks, 250 words)
Source- The Hindu