तारीख (Date): 08-07-2023
प्रासंगिकता - जीएस पेपर 2 - अंतर्राष्ट्रीय संबंध - क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठन और शिखर सम्मेलन
की-वर्ड: नाटो, प्रत्यर्पण, निर्वासन, तनाव, कानून का शासन, रणनीतिक विचार।
संदर्भ:
उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने की स्वीडन के प्रयासों का नाटो सदस्यों तुर्कियेऔर हंगरी के विरोध का सामना करना पड़ रहा है,यद्यपि अधिकांश नाटो देश स्वीडन की सदस्यता के पक्ष में हैं । प्रधान मंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन की अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के साथ हालिया बैठक में नाटो सदस्यता के लिए स्वीडन की मांग की पुष्टि की गई। यह लेख नाटो की पृष्ठभूमि और महत्व, स्वीडन की आकांक्षाओं, नाटो में शामिल होने की प्रक्रिया और तुर्किये और हंगरी द्वारा उठाई गई आपत्तियों की पड़ताल करता है।
नाटो
उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन, जिसे उत्तरी अटलांटिक गठबंधन के रूप में भी जाना जाता है, 31 सदस्य राज्यों- 29 यूरोपीय राज्यों, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के बीच एक अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन है। इसका नवीनतम सदस्य फ़िनलैंड है।
- गठबंधन के 12 संस्थापक सदस्य : बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1949 में नाटो की स्थापना की।
- नाटो संधि पर हस्ताक्षर 4 अप्रैल 1949 को हुए थे ।
- यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका में ट्रूमैन प्रशासन के आग्रह पर स्थापित किया गया था।
- ट्रूमैन सिद्धांत एक अमेरिकी विदेश नीति है जो शीत युद्ध के दौरान सोवियत भू-राजनीतिक विस्तार को रोकने के प्राथमिक लक्ष्य से उत्पन्न हुई है।
- नाटो के गठन का मुख्य उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किसी भी संभावित जर्मन या सोवियत संघ के हमले के खिलाफ "सामूहिक रक्षा" व्यवस्था बनाना था।
- अनुच्छेद 5: यदि कोई गैर नाटो सदस्य किसी नाटो सदस्य पर हमला करता है, तो इसे नाटो के अनुच्छेद 5 के अनुसार, 'सभी नाटो सदस्यों पर हमला' माना जाता है।
- सदस्यता के बिना नाटो का समर्थन प्रतिबंधित है। उदाहरण के लिए, यह गैर-सदस्य देशों में सेना भेजने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है।
- यद्यपि इसने गैर नाटो सदस्यों में भी सेना भेजी हैं । उदाहरण के लिए यूक्रेन के लिए सार्वजनिक समर्थन व्यक्त किया है।
नाटो को कौन नियंत्रित करता है?
- सैन्य समिति, नाटो का सर्वोच्च सैन्य प्राधिकरण, नाटो के कमांड स्ट्रक्चर (एनसीएस) का प्रभारी है, जो सभी उनतीस सदस्य देशों के रक्षा प्रमुखों से बना है।
- एलाइड कमांड ऑपरेशंस (एसीओ) और एलाइड कमांड ट्रांसफॉर्मेशन (एसीटी) दो रणनीतिक कमांड हैं जो एनसीएस (एसीटी) बनाते हैं।
स्वीडन की नाटो सदस्यता का कारण :
- 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद, नॉर्डिक पड़ोसियों स्वीडन और फिनलैंड ने नाटो में शामिल होने के लिए आवेदन किया था जिसमें फिनलैंड को नाटो की सदस्यता प्राप्त हो गई है ।
- स्वीडन ने नाटो सदस्यता प्राप्त करने के लिए प्राथमिक प्रेरणा के रूप में बदले हुए सुरक्षा माहौल और रूसी आक्रामकता के खिलाफ अपनी सुरक्षा की रक्षा करने की आवश्यकता का तर्क दिया है ।
नाटो सदस्यता के लिए प्रक्रिया:
- इच्छुक देशों को राजनीतिक और सैन्य मानकों को पूरा करना होगा, जिसमें एक काम-काजी लोकतांत्रिक प्रणाली और नाटो संचालन में योगदान करने की इच्छा शामिल है।
- परिग्रहण प्रोटोकॉल के लिए सभी नाटो सदस्य देशों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होती है।
नाटो के उद्देश्य
नाटो का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा प्रदान करना और राजनीतिक हमले के मामले में गैर-नाटो सदस्यों से अपने सदस्यों की रक्षा करना है। नाटो के अन्य उद्देश्यों में शामिल हैं:
- नाटो लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देता है और सदस्यों को सुरक्षा और रक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा का मंच प्रदान करता है, जिससे दीर्घकालिक संघर्ष को रोकने में मदद मिलती है।
- नाटो अपने सदस्य देशों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और किसी भी विवाद (यदि कोई हो) का शांतिपूर्ण समाधान प्रदान करता है। समस्याओं को सुलझाने का प्रारंभिक स्तर कूटनीतिक आधार पर है। बाद में आवश्यकता पड़ने पर संकट के समाधान के लिए सैन्य शक्ति का भी प्रयोग किया जा सकता है।
- ये गतिविधियाँ नाटो की संस्थापक वाशिंगटन संधि के अनुच्छेद 5 के अनुसार या संयुक्त राष्ट्र के आदेशों के अनुसार संचालित की जाती हैं जो अकेले या अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग क्रियान्विंत होती हैं।
- 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 के हमले के बाद नाटो द्वारा अनुच्छेद 5 पर केवल एक बार मतदान किया गया है।
तुर्किये की आपत्तियाँ:
- तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने आतंकवादी संगठनों के बारे में चिंताओं का तर्क देते हुए शुरू में स्वीडन के फास्ट-ट्रैक आवेदन को अवरुद्ध कर दिया है।
- तुर्किये ने स्वीडन पर प्रतिबंधित कुर्द संगठनों को पनाह देने का आरोप लगाया और उनके खिलाफ सख्त रुख अपनाने की मांग की।
त्रिपक्षीय समझौता और चल रहे तनाव:
- नाटो शिखर सम्मेलन में स्वीडन और फ़िनलैंड ने आतंकवाद से निपटने के प्रयासों को तेज़ करने के लिए तुर्की के साथ एक समझौता किया।
- तुर्किये ने अपना वीटो हटा लिया, और स्वीडन और फ़िनलैंड ने संदिग्ध आतंकवादियों के प्रत्यर्पण और निर्वासन के लिए प्रतिबद्धता जताई।
- एर्दोगन के पुतले को फांसी देने और कुरान जलाने जैसी घटनाओं के बाद स्वीडन और तुर्किये के बीच तनाव बढ़ गया।
हंगरी की चिंताएँ:
- हंगरी के प्रधान मंत्री विक्टर ओर्बन ने हंगरी के लोकतंत्र और कानून के शासन के बारे में झूठ फैलाने के लिए स्वीडन और फिनलैंड की आलोचना की।
निष्कर्ष:
स्वीडन की नाटो सदस्यता के प्रयासों को तुर्कियेऔर हंगरी की आपत्तियों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। बदले हुए सुरक्षा वातावरण और स्वीडन के नाटो मूल्यों के साथ तालमेल के बावजूद, सदस्यता की राह में बाधाएँ बनी हुई हैं।
मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न –
- नाटो की सदस्यता प्राप्त करने में स्वीडन के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करें। तुर्किये और हंगरी द्वारा उठाई गई आपत्तियों और स्वीडन की आकांक्षाओं पर उनके निहितार्थ का विश्लेषण करें। (10 अंक, 150 शब्द)
- यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद बदले हुए सुरक्षा वातावरण के संदर्भ में नाटो में शामिल होने के स्वीडन के निर्णय के महत्व की जांच करें। नाटो सदस्यता की प्रक्रिया और तुर्कियेऔर हंगरी द्वारा उठाई गई आपत्तियों के प्रभाव का मूल्यांकन करें। (15 अंक, 250 शब्द)
Source: The Indian Express