तारीख (Date): 01-08-2023
प्रासंगिकता - जीएस पेपर 2 - गवर्नेंस - डेटा गवर्नेंस।
की-वर्ड - एनएसओ, बिग-डेटा, संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग।
सन्दर्भ -
विगत दिनों में, भारत की सांख्यिकीय प्रणाली की प्रभावकारिता और विश्वसनीयता के संबंध में एक गहन बहस आरम्भ हुई है। जैसे - 'नमूना गलत है, 'सांख्यिकीविद् मूर्ख नहीं हैं, और 'डेटा की खोज में कथा' आदि लेख प्रसारित हुए हैं। इन लेखों से प्रेरित यह चर्चा, देश के डेटा संग्रह और विश्लेषण प्रक्रियाओं में व्यापक सुधारों की तत्काल आवश्यकता पर बल देती है । अत: सांख्यिकीय प्रणाली का बचाव करने के बजाय, इसकी सीमाओं को पहचानना और इसमें सुधार के लिए निर्णायक कार्रवाई करना आवश्यक है।
समस्या को स्वीकार करना और समाधान खोजना
पहला महत्वपूर्ण कदम वर्तमान सांख्यिकीय प्रणाली के भीतर मुद्दों की उपस्थिति को स्वीकार करना और व्यवहार्य समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित करना है। वर्तमान में, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) डेटा एकत्र करने के लिए प्रशासनिक और नमूना सर्वेक्षण पर निर्भर करता है। जबकि प्रशासनिक डेटा संग्रह लागत प्रभावी और तीव्र है, परन्तु यह प्रतिनिधित्व से संबंधित चुनौतियों से ग्रस्त है। इसके विपरीत, नमूना सर्वेक्षण अधिक सटीक परिणाम प्रदान करते हैं लेकिन अपेक्षाकृत महंगे और समय लेने वाले होते हैं। इन कमियों को कम करने के लिए, अधिकांश सर्वेक्षणों के लिए उपयोग किए जाने वाले जनगणना फ्रेम को गतिशील रूप से डिजिटलीकृत किया जाना चाहिए, जिससे बेहतर डेटा गुणवत्ता और अनुमानों में पूर्वाग्रह कम हो सके। भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों और क्राउड डेटा प्लेटफार्मों का लाभ उठाना इस उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायक हो सकता है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के बारे में
- सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) भारत में एक सरकारी विभाग है जो जनता के लिए जारी सांख्यिकीय आंकड़ों की सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है। मंत्रालय जानकारी इकट्ठा करने के लिए वैज्ञानिक रूप से सुदृढ़ नमूनाकरण विधियों का उपयोग करता है।
- सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय में दो मुख्य विंग शामिल हैं: सांख्यिकी विंग और कार्यक्रम कार्यान्वयन विंग। सांख्यिकी विंग को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के रूप में जाना जाता है, जिसमें केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ), कंप्यूटर केंद्र और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) शामिल हैं।
- 23 मई 2019 को एक महत्वपूर्ण कदम में, भारत सरकार ने राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) नामक एक एकीकृत इकाई बनाने के लिए राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) को केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) के साथ विलय करने का निर्णय लिया। इस एकीकरण का उद्देश्य सांख्यिकीय संचालन को सुव्यवस्थित करना और डेटा संग्रह और विश्लेषण की समग्र दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाना है।
डेटा स्रोतों का विस्तार और विविधता
राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणाली को डेटा के नए और उभरते स्रोतों को शामिल करके अपने संसाधन आधार को व्यापक बनाना चाहिए। बिग डेटा को अपनाना, मशीन लर्निंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता की शक्ति का उपयोग करना पारंपरिक डेटा स्रोतों को प्रभावी ढंग से पूरा कर सकता है। हालाँकि, इन नए डेटासेट का बेहतर उपयोग करने के लिए, एनएसओ को डेटा सत्यापन के मानक और कार्यप्रणाली विकसित करनी होगी। इस प्रयास में, वैकल्पिक डेटा स्रोतों का लाभ उठाने के लिए सांख्यिकीय प्रणाली की क्षमता को बढ़ाने में बहुपक्षीय और क्षेत्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग महत्वपूर्ण होगा। आधिकारिक उद्देश्यों के लिए बिग डेटा का उपयोग करने पर संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग के दिशानिर्देश एक मूल्यवान संदर्भ बिंदु के रूप में काम कर सकते हैं।
राज्य सांख्यिकी प्रणाली को सुदृढ़ बनाना
एक मजबूत राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणाली काफी हद तक राज्य सांख्यिकीय प्रणालियों की क्षमता पर निर्भर करती है। इस संदर्भ में, उप-राष्ट्रीय सांख्यिकी प्रणाली पर ढोलकिया समिति,2020 की रिपोर्ट महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह राज्य सरकारों की डेटा संग्रह क्षमताओं को मजबूत करते हुए बॉटम-अप दृष्टिकोण का समर्थन करती है। इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्य और जिला स्तर पर संस्थागत ढांचे का निर्माण आवश्यक होगा। विश्व बैंक द्वारा समर्थित भारत सांख्यिकी सुदृढ़ीकरण परियोजना जैसी पहल, राज्य सांख्यिकीय प्रणालियों की डेटा संग्रह क्षमताओं को प्रभावी रूप से बढ़ा सकती है। इसके अलावा, एक व्यापक और एकीकृत दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणालियों के बीच अंतर-एजेंसी समन्वय को संस्थागत बनाया जाना चाहिए।
सफलता की कहानियों से सबक लेना
अन्य क्षेत्रों में सफल अनुभवों से सीखना सांख्यिकीय प्रणाली में सुधार के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती है। उदाहरण के लिए, मौसम की भविष्यवाणी में भारत की उल्लेखनीय प्रगति, राष्ट्रीय मध्यम अवधि के मौसम पूर्वानुमान केंद्र की स्थापना और अवलोकन प्रणालियों तथा आईटी बुनियादी ढांचे में प्रगतिआदि । इस दृष्टिकोण का अनुकरण करते हुए, सांख्यिकीय प्रणाली उन्नत अवलोकन तकनीकों और आईटी क्षमताओं से लाभ उठा सकती है। तकनीकी प्रगति का लाभ उठाने से प्रत्यक्ष कर, जीएसटीएन, रेलवे आरक्षण, बैंकिंग और वित्त, यूपीआई, पोर्टल एग्रीगेटर्स तथा ऑनलाइन शॉपिंग सहित विभिन्न क्षेत्रों में सफलता मिली है।
सतत विकास के लिए संसाधनों में निवेश
किसी भी सफल सांख्यिकीय प्रणाली की नींव भौतिक, मानवीय, वित्तीय और तकनीकी संपत्तियों सहित संसाधनों की उपलब्धता में निहित है। सांख्यिकीय उत्पादों की दक्षता, गुणवत्ता और समयबद्धता सीधे संसाधन अनुकुलता से प्रभावित होती है। आर्थिक विकास के समान, जो उत्पादन संभावना सीमा में निरंतर विस्तार पर निर्भर करता है, सांख्यिकीय प्रणाली में सुधार के लिए निरंतर संसाधन वृद्धि की आवश्यकता होती है। भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ाने के लिए इसे एक निवेश के रूप में मानना जरूरी है।
तेजी से सुधार: आधिकारिक सांख्यिकी पर राष्ट्रीय नीति का कार्यान्वयन
इन प्रयासों को उत्प्रेरित और समन्वित करने के लिए, बजट 2020 में घोषित आधिकारिक सांख्यिकी पर राष्ट्रीय नीति को शीघ्र अंतिम रूप देना महत्वपूर्ण है। उचित संस्थागत समर्थन और पर्याप्त संसाधनों के साथ यह नीति, बॉटम-अप दृष्टिकोण का उपयोग करके सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर भारत की प्रगति की प्रभावी ट्रैकिंग को सक्षम करेगी। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करेगा कि विकास प्रक्रिया में कोई भी पीछे न छूटे। यदि भारत अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकीय बिरादरी में एक प्रमुख भूमिका निभाने की इच्छा रखता है तो राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणाली में सुधारों का त्वरित कार्यान्वयन और पर्याप्त निवेश समय की मांग है।
निष्कर्ष:
वर्तमान सांख्यिकीय प्रणाली की कमियों को पहचानना और व्यापक सुधार करना भारत के सतत विकास के लिए आवश्यक है। डेटा स्रोतों का विस्तार करके, राज्य सांख्यिकीय प्रणालियों को मजबूत करके, सफल अनुभवों से सबक लेकर और संसाधनों में निवेश करके, राष्ट्र एक मजबूत और कुशल सांख्यिकीय ढांचा बना सकता है। आधिकारिक सांख्यिकी पर राष्ट्रीय नीति के तीव्रे कार्यान्वयन से भारत के विकासात्मक उद्देश्यों को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता मजबूत होगी और इसकी वैश्विक स्थिति में वृद्धि होगी। ठोस प्रयासों और रणनीतिक निवेश के साथ, भारत की सांख्यिकीय प्रणाली राष्ट्र को समृद्ध और समावेशी भविष्य की दिशा में मार्गदर्शन करने के लिए एक दुर्जेय उपकरण बन सकती है।
मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:
- प्रश्न 1. चुनौतियों और संभावित समाधानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सतत विकास के लिए भारत की सांख्यिकीय प्रणाली में व्यापक सुधारों के महत्व पर चर्चा करें। बिग डेटा का एकीकरण और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ सहयोग डेटा संग्रह की सटीकता और प्रभावकारिता को कैसे बढ़ा सकता है?चर्चा कीजिये । (10 अंक, 150 शब्द)
- प्रश्न 2. भारत के राष्ट्रीय सांख्यिकीय ढांचे को मजबूत करने के लिए राज्य सांख्यिकीय प्रणालियों को मजबूत करने के महत्व की जांच करें। आधिकारिक सांख्यिकी पर राष्ट्रीय नीति का कार्यान्वयन सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में तेजी से प्रगति कैसे कर सकता है और भारत की वैश्विक स्थिति को कैसे मजबूत कर सकता है? विश्लेषण कीजिये । (15 अंक, 250 शब्द)
Source – Indian Express