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Daily-current-affairs / 10 Dec 2023

भारत-श्रीलंका संबंध - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख Date : 11/12/2023

प्रासंगिकता: जीएस पेपर 2 - अंतर्राष्ट्रीय संबंध - द्विपक्षीय संबंध

कीवर्ड्स: तमिल जातीय चिंता, पाक जलडमरूमध्य, हंबनटोटा पोर्ट, भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौता, बौद्ध धर्म

संदर्भ:

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे द्वारा भारत के साथ भू-संपर्क के प्रस्ताव की घोषणा दोनों देशों के संबंधों में एक महत्वपूर्ण क्षण है। इस दो दशक पुराने प्रस्ताव का उद्देश्य रामेश्वरम, तमिलनाडु को श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में तलाईमनार से जोड़ना है। इसके अंतर्गत एक पुल का निर्माण किया जाएगा जिससे क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा। इस प्रस्ताव का कुछ क्षेत्रों में समय-समय पर विरोध भी हुआ है परंतु दोनों देशों ने इसे आगे बढ़ाने में रुचि दिखाई है।


भारत-श्रीलंका संबंध

  • प्राचीन ऐतिहासिक संबंध:
    भारत और श्रीलंका प्राचीन काल से ही संस्कृति, धर्म और व्यापार के क्षेत्र में गहरे ऐतिहासिक संबंधों को साझा करते रहे हैं। सांस्कृतिक दृष्टि से दोनों देशों के सबंध बहुत मजबूत हैं यहाँ तक की बहुत से श्रीलंका के निवासी आज भी अपनी जड़ें भारत में खोजते हैं। इसी प्रकार भारत में उत्पन्न बौद्ध धर्म आज श्रीलंका के बहुसंख्यकों का धर्म है जो धार्मिक क्षेत्र की एक जुटता को प्रदर्शित करता है।
  • आर्थिक सहायता:
    1948 में स्वतंत्रता के बाद से सबसे खराब आर्थिक दौर से गुजर रहे श्रीलंका को वर्ष 2022 में भारत ने लगभग 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यक आर्थिक सहायता प्रदान की थी। इस आर्थिक सहायता से विदेशी मुद्रा भंडार की कमी का सामना कर रहे श्रीलंका की आर्थिक स्थिति में तुलनात्मक रूप से सुधार हुआ।
  • फिनटेक सहयोग:
    वित्तीय संपर्क बढ़ाने के लिए, श्रीलंका ने भारत की यूपीआई सेवा को अपनाया है, जो फिनटेक सहयोग में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसी प्रकार व्यापार निपटान के लिए रुपये का उपयोग श्रीलंका के आर्थिक सुधार को और बढ़ावा दे रहा है।

भारत के लिए श्रीलंका का महत्व:

  • भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संबंध क्षेत्रीय विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। श्रीलंका दक्षिण भारतीय राज्यों की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकरण के द्वारा भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। दोनों देशों की भौगोलिक निकटता आपसी संबंधों को आकार देने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है।
  • हिंद महासागर के प्रमुख शिपिंग मार्गों पर श्रीलंका की सामरिक स्थिति भारत के व्यापार और सैन्य अभियानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
  • भारत श्रीलंका के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों में से एक है। 2020 में, भारत श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। भारत से श्रीलंका को मुख्य निर्यातों में पेट्रोलियम उत्पाद, मशीनरी, रसायन और दवाएं शामिल हैं। श्रीलंका से भारत को मुख्य निर्यातों में चाय, रेशम, सीमेंट और लकड़ी शामिल हैं।

चुनौतियां:

  • मत्स्यन विवाद:
    भारत और श्रीलंका के मध्य पाक जलडमरूमध्य और मन्नार की खाड़ी में मछली पकड़ने के अधिकारों को लेकर लंबे समय से विवाद बना हुआ है। इसके कारण भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारियों की घटनाएं होती रहतीं हैं ।
  • तमिल जातीय चिंता:
    श्रीलंका में तमिल अल्पसंख्यकों से जुड़ा जातीय संघर्ष का संवेदनशील मामला है। यह भारत-श्रीलंका संबंधों में तनाव का एक महत्वपूर्ण पहलू बना हुआ है, जिस पर भारत लगातार चिंताएँ व्यक्त करता रहा है।
  • चीन का प्रभाव:
    श्रीलंका में चीन द्वारा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश और हंबनटोटा बंदरगाह के विकास के माध्यम से इसके बढ़ते आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव को लेकर भारत असहज है, क्योंकि यह भारत के क्षेत्रीय हितों के समक्ष चुनौती उत्पन्न करता है ।

भू-संपर्क:

  • भू-संपर्क/भू- कनेक्टिविटी के प्रस्ताव में राष्ट्रपति विक्रमसिंघे का क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण का दृष्टिकोण प्रकट हुआ है। यद्यपि लगभग 24,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली इस पुल परियोजना के विचार को आलोचना का भी सामना करना पड़ा है, परंतु इसके बावजूद इस परियोजना पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया गया है।
  • इस संदर्भ में दोनों दशों ने कनेक्टिविटी के लिए एक व्यवहार्यता मॉडल का अध्ययन करने पर भी जोर दिया है। श्रीलंका के वित्त मंत्री, जो प्रधान मंत्री भी हैं, ने बजट संबोधन में इस परियोजना पर प्रकाश डाला था। इसमें भारत के दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व क्षेत्रों में आपूर्ति आवश्यकताओं के लिए कोलंबो और त्रिंकोमाली बंदरगाहों के रणनीतिक उपयोग पर जोर दिया गया है।

पावर ग्रिड सहयोग:

  • भू- कनेक्टिविटी का प्रस्ताव तेजी से आगे रहा है जबकि बिजली क्षेत्र में सहयोग में देरी का सामना करना पड़ा है।
  • दोनों देशों में 1970 के दशक में बिजली नेटवर्क को जोड़ने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद से, कोई बिजली ट्रांसमिशन नहीं हुई है।
  • इसके विपरीत, भारत लगातार बांग्लादेश को ऊर्जा निर्यात करता रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में 1,000 मेगावाट के हस्तांतरण से जुड़ी ट्रांसमिशन नेटवर्क परियोजना की धीमी प्रगति ऊर्जा क्षेत्र में शीघ्र सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

व्यापारिक संबंध:

  • 1998 में भारत-श्रीलंका के मध्य मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए गए। साथ ही इसमें लगातार आर्थिक और प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते के लिए भी वार्ता चल रही है परंतु कोई विशेष प्रगति नहीं देखी गई है।
  • द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों में सुधार होने के बावजूद इन दोनों देशों के बीच व्यापार बांग्लादेश के साथ भारत के व्यापार की तुलना मे सीमित ही रहा है। इसके लिए भारत को श्रीलंका के साथ वार्ता व सहयोग के माध्यम से पारस्परिक रूप से लाभप्रद आर्थिक संबंधों के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देना चाहिए।

ऊर्जा क्षेत्र की चुनौतियाँ:

  • नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में चल रही परियोजनाओं के बावजूद, ऊर्जा सहयोग की पूर्ण क्षमता को साकार करने में चुनौतियाँ बनी हुई हैं। मदुरै और न्यू हबराना के बीच हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट ओवरहेड लिंक वाली ट्रांसमिशन नेटवर्क परियोजना में त्वरित प्रगति की आवश्यकता है। इस परियोजना के समय पर पूरा होने से 2022 में श्रीलंका की बिजली की कमी रोका जा सकता था और देश को 2030 तक भारत को सस्ती बिजली निर्यात करने की स्थिति में लाया जा सकता था।

व्यापार समझौता और आर्थिक सहयोग:

  • आर्थिक सहयोग समझौतों और प्रौद्योगिकी सहयोग में धीमी प्रगति भारत-श्रीलंका संबंधों के व्यापक विकास में एक बाधा है। हालांकि द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों में सुधार देखा गया है, परंतु श्रीलंका की हालिया आर्थिक वृद्धि भारत के साथ पर्याप्त व्यापार लाभ में परिवर्तित नहीं हुई है। जिससे आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए नए प्रयासों की आवश्यकता है।

बांग्लादेश के साथ तुलनात्मक विश्लेषण:

  • श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ भारत के व्यापार संबंधों के तुलनात्मक विश्लेषण से एक महत्वपूर्ण असमानता का पता चलता है।
  • 2021 में जहां भारत के साथ श्रीलंका का द्विपक्षीय व्यापार 5.45 बिलियन डॉलर रहा, वहीं बांग्लादेश का व्यापार 18.14 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। हाल के वर्षों में बांग्लादेश की आर्थिक वृद्धि श्रीलंका के लिए भारत के साथ अपने आर्थिक संबंधों को बढ़ाने हेतु सक्रिय उपायों की आवश्यकता पर बल देती है।

आगे का रास्ता:

  • बांग्लादेश के उदाहरण से सीखते हुए, श्रीलंका पारस्परिक रूप से लाभकारी आर्थिक संबंध स्थापित करने के लिए राजनीतिक वर्ग में राष्ट्रवादी भावनाओं पर नियंत्रण पा सकता है।
  • हाल के सकारात्मक विकास, जैसे कि हवाई सेवाओं की बहाली और डेयरी क्षेत्र में संयुक्त उद्यम इत्यादि को निरंतर और बेहतर द्विपक्षीय संबंधों की नींव के रूप में देखा जाना चाहिए।

निष्कर्ष:

निष्कर्षतः भारत और श्रीलंका के बीच बुनियादी ढांचे के विकास, ऊर्जा सहयोग और व्यापार के क्षेत्र में में अपार संभावनाएं हैं। प्रस्तावित भू- कनेक्टिविटी परियोजना तथा बिजली और व्यापार क्षेत्रों में अनसुलझी चुनौतियाँ दोनों देशों के लिए व्यापक सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को फिर से मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं। मौजूदा चुनौतियों का समाधान करके, हाल के सकारात्मक विकास का लाभ उठाकर और क्षेत्र में सफल साझेदारियों से सीखकर, भारत और श्रीलंका अधिक एकीकृत और पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंधों की दिशा में रास्ता बना सकते हैं।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न-

  1. पाक जलडमरूमध्य और मन्नार की खाड़ी में लंबे समय से चले आ रहे मत्स्यन विवाद ने भारत और श्रीलंका के संबंधों को कैसे प्रभावित किया है और इस मुद्दे के समाधान के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं? (10 अंक, 150 शब्द)
  2. भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते की प्रगति में बाधा डालने वाली चुनौतियाँ क्या हैं? दोनों देश आर्थिक सहयोग और व्यापार संबंधों को बढ़ाने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं? (15 अंक, 250 शब्द)

Source- The Hindu