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Daily-current-affairs / 26 Jun 2023

भारत में रोजगार सृजन और भर्ती : एक अवलोकन - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख (Date): 27-06-2023

प्रासंगिकता - जीएस पेपर 2 - सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप।

की-वर्ड: सफेद-कॉलर (white Collar) कार्यबल, नौकरी की सुरक्षा, तकनीकी विशेषज्ञ, छंटनी प्रक्रिया, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी, राष्ट्रीय कैरियर सेवा (NCS) परियोजना, पं. दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY), पीएम- स्वनिधि योजना।

सन्दर्भ:

  • वर्तमान समय में राष्ट्रव्यापी बेरोजगारी दर बढ़ने के साथ-साथ रोजगार सृजन करना सरकार के लिए एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है।

रोजगार सृजन में मंदी:

  • भारत में रोजगार सृजन की गति मंद हो गई है, विशेषकर आईटी/आईटीईएस क्षेत्र और स्टार्टअप में। अन्य उद्योग में भी भर्ती योजनाओं में मंद प्रक्रिया अपनाया जा रहा हैं। नियुक्ति देने वाली फर्मों के अनुसार, वर्तमान बाजार में लगभग 2.25 लाख सक्रिय नौकरियां हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 1 लाख कम हैं। इस मंदी से सफ़ेद-कॉलर कार्यबल बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।

रोजगार सुरक्षा का अभाव:

  • वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रोजगार सुरक्षा की अवधारणा अप्रासंगिक हो गई है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, अमेज़न, आईबीएम, कोग्निजेंट, बायजू, और ओला जैसे तकनीकी विशेषज्ञता प्राप्त कंपनिययां और बड़े स्टार्टअप्स ने भारत में हजार से अधिक कर्मचारियों को एकाएक नौकरी से निकाल दिया है।

उन्नत कौशल और आईटी पेशेवरों की मांग:

  • यद्यपि समग्र भर्ती प्रक्रिया धीमी हो गई है, किन्तु डिजिटल परिवर्तन के दौर से गुजर रहे क्षेत्रों में तकनीकी प्रतिभा की मांग अभी भी बनी हुई है। बैंकिंग, गैर-बैंकिंग, आतिथ्य उद्योग, ऑटोमोबाइल, विनिर्माण, फार्मास्यूटिकल्स और शिक्षा क्षेत्र की कंपनियां अपनी डिजिटल प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए कुशल आईटी पेशेवरों की मांग कर रही हैं। ब्लू और ग्रे-कॉलर कर्मचारियों के पास अभी भी रोजगार के कुछ अवसर उपलब्ध हैं।

चुनौतियाँ:

  • इस सन्दर्भ में रोजगार सृजन में मंदी के लिए लागत में कटौती, कठिन व्यापक आर्थिक स्थितियां, राजस्व दृश्यता में कमी और नई नियुक्तियों पर रोक जैसे कारकों को जिम्मेदार माना जा सकता है। कंपनियां अक्सर छंटनी प्रक्रिया को अपनाने के लिए अपने कर्मचारियों के खराब प्रदर्शन को जिम्मेदार मानती हैं।
  • इसके अतिरिक्त, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा एनालिटिक्स भी रोजगार सृजन की मंदी में अपना योगदान दे रहे हैं, विशेषज्ञों का अनुमान है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता युक्त तकनीक अगले पांच वर्षों में हजारों मानव कार्यबल/श्रमिक की जगह ग्रहण कर सकता है।

कोविड-19 महामारी के बाद रोजगार सृजन के क्षेत्र में कुछ सकारात्मक संकेत

  • कैलेंडर वर्ष 2019 और कैलेंडर वर्ष 2022 के बीच विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन में 58 मिलियन की वृद्धि हुई है। उपर्युक्त दो वर्षों को शुद्ध पूर्व-कोविड और शुद्ध कोविड-पश्चात अनुमान के अनुरूप चुना गया है।
  • वर्ष 2019 के स्तर की तुलना में महिलाओं के लिए नौकरियों में 28 मिलियन या 25% की वृद्धि हुई; पुरुषों के लिए नौकरियों में 30 मिलियन की वृद्धि हुई, या महिला नौकरियों की गति केवल एक तिहाई (लगभग 8.4 प्रतिशत) बढ़ी।
  • रोजगार सृजन की यह गति भारतीय इतिहास में न्यूनतम तीन वर्षों में सबसे अधिक है।

रोजगार के अवसर और उपलब्ध योग्यताओं का असंतुलन:

  • श्रम की अधिकता होने के बावजूद भारत कौशल की कमी के विरोधाभास का सामना कर रहा है। नौकरी के अवसरों और योग्यताओं के बीच असंतुलन व्याप्त है। उदाहरण के लिए, ट्रक ड्राइवरों, इस्पात उद्योग में धातु-कर्मियों, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नर्सों और तकनीकी तथा निर्माण क्षेत्र में सिविल इंजीनियरों की कमी है। यद्दपि भारत की आर्थिक वृद्धि सदैव सेवाओं से प्रेरित रही है, जिसके परिणामस्वरूप जन शिक्षा स्तर पर कौशल की कमी रही है।

महिलाओं की न्यूनतम भागीदारी:

  • कानून और व्यवस्था, कुशल सार्वजनिक परिवहन, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और सामाजिक मानदंडों सहित कामकाजी स्थितियां प्राय: महिलाओं को रोजगार खोजने में हतोत्साहित करती हैं। कई महिलाएं अपने परिवार की देखभाल करते हुए विशेष रूप से अपने घरों में रहना पसंद करती हैं। महिलाओं के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसरों की कमी हमेशा से एक महत्वपूर्ण चुनौती रही है।

सरकार के प्रयास:

भारत सरकार ने बढ़ती मंदी वाले रोजगार की स्थिति को सुधारने के लिए विभिन्न प्रयास किये हैं, जिनमें से कुछ निम्नवत हैं :

  1. राष्ट्रीय कैरियर सेवा (NCS ) परियोजना: कैरियर संबंधी सेवाएं प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय रोजगार सेवा।
  2. पं. दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-JKYE): ग्रामीण युवाओं को कौशल विकास के अवसर प्रदान करना।
  3. पीएम-स्वनिधि योजना: कोविड-19 लॉकडाउन से प्रभावित फुटकर विक्रेताओं को संपार्श्विक-मुक्त कार्यशील पूंजी ऋण की पेशकश।
  4. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PAMKVYE): कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित कौशल विकास योजना।
  5. ग्रामीण स्व-रोजगार और प्रशिक्षण संस्थान (RASETI): ग्रामीण युवाओं के बीच उद्यमिता विकास को बढ़ाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण संस्थान।

सुझाव और आगामी रणनीति:

  • शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना सरकार और समाज दोनों की ही प्राथमिकता होनी चाहिए। व्यवसायों के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल बनाने और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उनकी उपस्थिति का विस्तार करने से रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिल सकता है। रोजगार क्षमता बढ़ाने और अधिक नौकरियाँ पैदा करने के लिए सरकार की कौशल विकास पहल को प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है। रोजगार सृजन और रोजगार क्षमता में सुधार जैसे क्षेत्रों पर सरकार का ध्यान अधिक होना चाहिए।

मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

  • प्रश्न 1. भारत में रोजगार सृजन में मंदी के लिए योगदान देने वाले कारकों पर चर्चा करें। इस समस्या के समाधान के लिए क्या उपाय किये जा सकते हैं? रोजगार सृजन को बढ़ावा देने और रोजगार क्षमता में सुधार लाने में सरकारी पहलों की भूमिका का विश्लेषण करें। (10 अंक, 150 शब्द)
  • प्रश्न 2. भारत में रोजगार बाजार श्रम की अधिकता के बावजूद कौशल की कमी के विरोधाभास का सामना करता है। इस असंतुलन के पीछे के कारणों और देश की अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव की जांच करें। कौशल की कमी का सामना करने वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए नौकरी के अवसरों और योग्यताओं के बीच अंतर को पाटने के उपाय सुझाएं। (15 अंक, 250 शब्द)

स्रोत- बिजनेस स्टैंडर्ड

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