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Daily-current-affairs / 25 Dec 2023

हिंद महासागर में सुरक्षा चुनौतियाँ: कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव का रणनीतिक महत्व - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख Date : 26/12/2023

प्रासंगिकता- सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कीवर्डस- सीएससी, एनएसए, समुद्री सुरक्षा, एचएडीआर

संदर्भ:

हाल ही में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव (सीएससी) की छठी एनएसए बैठक में शामिल हुए। इस बैठक का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देना है। इसमें सदस्य देशों भारत, श्रीलंका और मॉरीशस के साथ-साथ पर्यवेक्षक देशों , बांग्लादेश और सेशेल्स ने भी भाग लिया। इस बैठक में विगत वर्ष में हुई प्रगति का आकलन किया गया तथा 2024 के लिए एक रोडमैप की रूपरेखा तैयार की गई। हालांकि इसमें सदस्य देश मालदीव की अनुपस्थिति ने क्षेत्रीय सहयोग पर घरेलू राजनीति के प्रभाव को उजागर किया।


हिंद महासागर की गतिशीलता में परिवर्तन:

  • वर्ष 2011 में भारत, मालदीव और श्रीलंका के साथ एक त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा समूह के रूप में कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव की शुरूआत की गई थी। हालांकि यह संगठन भारत और मालदीव के बीच तनावपूर्ण संबंधों के कारण 2014 से 2020 के बीच निष्क्रिय रहा ।
  • हालाँकि, भारत के सक्रिय प्रयासों से 2020 में सीएससी का पुनरुद्धार हुआ। इसकी सदस्यता को विस्तारित करने के लिए मॉरीशस, सेशेल्स और बांग्लादेश को सदस्य के रूप में सम्मिलित करने का प्रस्ताव दिया गया ।
  • तेजी से बढ़ते बहुध्रुवीय विश्व में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए यह पुनरुद्धार हिंद महासागर के लिए भारत की रणनीतिक दृष्टि को दर्शाता है।
  • वर्तमान में हिंद महासागर प्रभावशाली वैश्विक शक्तियों के लिए एक केंद्र बिंदु बन गया है, यह प्रवृत्ति हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के बढ़ते महत्व के साथ और अधिक बढ़ेगी।
  • हिंद महासागर भारत का पारंपरिक क्षेत्र रहा है, यहाँ सीएससी अपने नेतृत्व और सुरक्षा अवसंरचना को मजबूत करने का प्रयास करता है।
  • ऐतिहासिक रूप से भारत हिंद महासागर में सुरक्षा बढ़ाने, द्वीपीय देशों की अक्षमता को दूर करने और क्षेत्रीय संकटों पर त्वरित प्रतिक्रिया देने में सम्मिलित रहा है।
  • सीएससी भारत को अपनी भूमिका को संस्थागत बनाने, क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे को आकार देने और उभरते खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम बनाता रहा है।

पुनरुद्धार की चीन से संबद्धता:

  • सीएससी का पुनरुद्धार हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति से निकटता से जुड़ा हुआ है।
  • बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के माध्यम से बीजिंग का उद्देश्य संचार हेतु महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों एवं व्यापार मार्गों को नियंत्रित करना तथा क्षेत्र मे भारत के प्रभाव को सीमित करना है।
  • चीन ने अपनी नौसैनिक क्षमताओं को बढ़ाने के साथ हिंद महासागर के देशों के साथ रणनीतिक रक्षा संबंध स्थापित किए हैं तथा श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह जैसे प्रमुख बुनियादी ढांचे का अधिग्रहण किया है।
  • ये घटनाक्रम हिंद महासागर की सुरक्षा स्थिति को नया आकार देने की चीन की महत्वाकांक्षाओं को रेखांकित करते हैं।
  • चीन द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों को पहचानते हुए सीएससी ने सहयोग के निम्नलिखित पांच स्तंभों को प्राथमिकता दी है: समुद्री सुरक्षा एवं रक्षा, आतंकवाद एवं कट्टरपंथ का मुकाबला, तस्करी एवं अंतरराष्ट्रीय अपराध से निपटना, साइबर सुरक्षा और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) के साथ महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की रक्षा करना।
  • यह रणनीतिक दृष्टिकोण भारत को स्पष्ट रूप से चीन विरोधी रुख की आवश्यकता के बिना चीन के बारे में अपनी चिंताओं को दूर करने में सक्षम बनाता है।
  • भारत का मानना है कि कुछ चीनी गतिविधियों के बारे में आपत्तियों के बावजूद कई क्षेत्रीय देश चीन को सीधे खतरे के रूप में नहीं देखते हैं।
  • चीन पर उनकी आर्थिक निर्भरता को देखते हुए, इसका खुलकर विरोध करना इन देशों के लिए व्यवहार्य नीति नहीं हो सकती है।
  • परिणामस्वरूप , सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों पर सीएससी का ध्यान भारत को खतरों को समझने और सहयोगात्मक ढंग से प्रतिक्रिया करने में सक्षम बनाता है, जिससे वह स्वयं को हिंद महासागर के देशों के लिए एक अधिमानित भागीदार के रूप में स्थापित कर सके।

रणनीतिक समायोजन और लचीलापन:

  • विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों को समायोजित करने में सीएससी द्वारा प्रदर्शित लचीलापन हिंद महासागर की समग्र सुरक्षा में योगदान देता है।
  • 2021 से संगठन ने आतंकवाद, आतंकी वित्तपोषण, नशीले पदार्थों की तस्करी, साइबर अपराध, समुद्री प्रदूषण, समुद्री कानून और तटीय सुरक्षा का परीक्षण किया है।
  • वर्ष 2022 में समुद्र विज्ञान, जल विज्ञान और तटीय सुरक्षा पर सम्मेलन हुए, जो विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए सीएससी की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं।
  • आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर), तस्करी और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराधों से संबंधित संयुक्त कार्य समूह स्थापित किए गए हैं या निर्माण के अंतिम चरण में हैं।
  • नियमित एनएसए और उप एनएसए बैठकों के अतिरिक्त , सदस्य-राष्ट्र आतंकवाद-रोधी, पुलिस, कानून प्रवर्तन और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में क्षमता-निर्माण पहलों पर सहयोग करते हैं।
  • यह बहुआयामी दृष्टिकोण सीएससी को उभरते खतरों के प्रति सजग बनाता है और क्षेत्रीय सुरक्षा बनाए रखने में अपने सदस्य राष्ट्रों की सामूहिक शक्ति सुनिश्चित करता है।

घरेलू राजनीति का प्रभाव:

  • हालाँकि, अपनी आशाजनक प्रगति के बावजूद सीएससी अपने सदस्य-राष्ट्रों के घरेलू राजनीतिक परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील बना हुआ है।
  • हाल ही में एनएसए बैठक से मालदीव की अनुपस्थिति इस संवेदनशीलता को रेखांकित करती है। इस निर्णय को चीन के साथ घनिष्ठ संबंधों के प्रति मालदीव के झुकाव या रक्षा सहयोग पर भारत से दूरी बनाए रखने वाली घरेलू राष्ट्रवादी भावनाओं की प्रतिक्रिया के रूप में माना जा सकता है।
  • राष्ट्रवादी भावनाओं का लाभ उठाने और चीन के साथ संबद्धता का यह पैटर्न केवल मालदीव के लिए अद्वितीय नहीं है। सभी सीएससी सदस्य-राष्ट्र लोकतांत्रिक हैं तथा घरेलू और बाह्य दोनों उद्देश्यों के लिए इन रणनीतिक मुद्दों का उपयोग करने की प्रवृत्ति रखते हैं।
  • जैसे-जैसे हिन्द-प्रशांत क्षेत्र का महत्व बढ़ता जा रहा है, इन सदस्य-राष्ट्रों में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकारें राजनीतिक लाभ के लिए राष्ट्रवादी और चीन समर्थक भावनाओं का लाभ उठाना जारी रख सकती हैं।
  • भारत ने विगत दशक में अपनी क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं, जिम्मेदारियों और संभावित खतरों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है, इसलिए सीएससी भारत के क्षेत्रीय नेतृत्व को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बना हुआ है।

निष्कर्ष:

कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव (सीएससी) हिंद महासागर में सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में स्थापित हो रहा है । सीएससी को पुनर्जीवित करने और विस्तारित करने में भारत की सक्रिय भूमिका इस क्षेत्र के लिए इसकी रणनीतिक दृष्टि को प्रदर्शित करने के साथ साथ वैश्विक शक्तियों, विशेष रूप से चीन की गतिशीलता को स्वीकार करती है। सीएससी के रणनीतिक स्तंभ - समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-निरोध, साइबर खतरों और मानवीय संकटों से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण का संकेत देते हैं।
हालाँकि, सदस्य-राष्ट्रों की घरेलू राजनीतिक परिवर्तनों के प्रति सीएससी की संवेदनशीलता बनी हुई है, यह मालदीव की अनुपस्थिति से स्पष्ट होता है। यह स्थिति उस नाजुक संतुलन को रेखांकित करती है, जिसे क्षेत्रीय सुरक्षा पहलों को बनाए रखना चाहिए। जैसे-जैसे हिन्द-प्रशांत क्षेत्र एक भू-राजनीतिक हॉटस्पॉट के रूप में विकसित हो रहा है, सीएससी भारत के लिए अपने नेतृत्व को प्रभावी बनाने, क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और हिंद महासागर में उभरते खतरों का प्रभावी ढंग से जवाब देने के लिए एक आवश्यक साधन बना हुआ है। आने वाले वर्षों में सीएससी की गतिशीलता क्षेत्रीय राजनीति, सुरक्षा पहलुओं और बाह्य अभिकर्ताओं के प्रभाव की जटिल परस्पर क्रिया से आकार ग्रहण करती रहेगी।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

  1. हिंद महासागर के लिए भारत की उभरती रणनीतिक दृष्टि में कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव (सीएससी) के महत्व पर चर्चा कीजिए। सीएससी द्वारा क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के समाधान और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत के नेतृत्व में योगदान का परीक्षण कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)
  2. हिंद महासागर के भू-राजनीतिक परिदृश्य का विश्लेषण करते हुए इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति पर भारत की प्रतिक्रिया स्पष्ट कीजिए। स्पष्ट रूप से चीन विरोधी रुख अपनाए बिना सुरक्षा चिंताओं को संतुलित करने में सीएससी की भूमिका पर विस्तार से चर्चा कीजिए। सीएससी के माध्यम से अपने क्षेत्रीय नेतृत्व को मजबूत करने में भारत के लिए चुनौतियों और अवसरों का आकलन कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

Source- The Hindu



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