तारीख (Date): 22-07-2023
प्रासंगिकता: जीएस पेपर 2: सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप
की-वर्ड: मनरेगा, वित्तीय बोझ, इन्दिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना, नकद हस्तांतरण योजना
सन्दर्भ:
- अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा हाल ही में प्रस्तावित राजस्थान न्यूनतम आय गारंटीकृत विधेयक 2023, एक व्यापक सामाजिक सुरक्षा जाल स्थापित करने की दिशा में अधिकार-आधारित दृष्टिकोण लेता है।
इस बिल के तीन घटक हैं:
1. न्यूनतम आय की गारंटी:
- इस प्रावधान के तहत राज्य के प्रत्येक वयस्क नागरिक को प्रत्येक वर्ष न्यूनतम 125 दिन की आय प्राप्त होगी। यह पात्रता दो कार्यक्रमों के माध्यम से पूरी की जाएगी:
- शहरी क्षेत्रों के लिए इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना ।
- ग्रामीण क्षेत्रों के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ।
- सरकार ने शहरी रोजगार योजना में रोजगार गारंटी को 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन कर दिया है । इसके अतिरिक्त, राज्य ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के 100 दिनों के पूरक के लिए 25 अतिरिक्त कार्य दिवस की पेशकश भी करेगा ।
2. रोजगार की गारंटी:
- यह विधेयक शहरी या ग्रामीण रोजगार योजनाओं में काम पूरा होने के बाद साप्ताहिक आधार पर या एक पखवाड़े के भीतर न्यूनतम मजदूरी के समय पर भुगतान पर जोर देता है ।
- इस अधिनियम को लागू करने की जिम्मेदारी एक नामित कार्यक्रम अधिकारी की है, जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में खंड विकास अधिकारी और शहरी क्षेत्रों में स्थानीय निकाय के कार्यकारी अधिकारी का पद धारण करना होगा ।
- इस अधिनियम का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि कार्यस्थल ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जॉब कार्ड पंजीकरण स्थान के 5 किमी के दायरे में होना चाहिए ।
- यदि कार्यक्रम अधिकारी आवेदन के 15 दिनों के भीतर रोजगार प्रदान करने में विफल रहता है, तो आवेदक साप्ताहिक बेरोजगारी भत्ते के लिए पात्र होगा ।
3. गारंटीशुदा सामाजिक सुरक्षा पेंशन:
- आय विधेयक की यह श्रेणी सुनिश्चित करती है, कि विशिष्ट श्रेणियों में आने वाले व्यक्ति, जैसे कि बुजुर्ग, विशेष रूप से विकलांग, विधवाएं और एकल महिलाएं, प्रति माह न्यूनतम 1,000 रुपये पेंशन के हकदार हैं। साथ ही साथ पेंशन राशि में वार्षिक रूप से 15% की बढ़ोतरी भी होगी ।
- इसे दो किस्तों में लागू किया जाएगा, जुलाई में 5% की वृद्धि और 2024-2025 से शुरू होने वाले प्रत्येक वित्तीय वर्ष में जनवरी में 10% की वृद्धि होगी ।
नकद हस्तांतरण योजनाओं से अंतर:
- राजस्थान न्यूनतम आय गारंटीकृत विधेयक नियमित नकद हस्तांतरण योजनाओं से अलग है क्योंकि यह कानूनी रूप से न्यूनतम आय सहायता, गारंटीकृत रोजगार और पेंशन की गारंटी देता है, जो महात्मा गांधी के व्यापक कल्याण उपायों के दृष्टिकोण के अनुरूप है ।
- सीमित कवरेज वाली नकद हस्तांतरण योजनाओं के विपरीत, यह विधेयक राज्य के सभी परिवारों को कवर करता है, विभिन्न कमजोर समूहों को रोजगार और पेंशन सहायता प्रदान करता है ।
- विधेयक में मुद्रास्फीति के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए पेंशन में वार्षिक वृद्धि को शामिल किया गया है, यह सुविधा आमतौर पर नकद हस्तांतरण योजनाओं में नहीं पाई जाती है ।
- सामाजिक सुरक्षा के प्रति व्यापक दृष्टिकोण के साथ, इस विधेयक का लक्ष्य समाज के कमजोर वर्गों को लाभ पहुंचाना और उनका उत्थान करना है ।
महत्व:
- इस विधेयक का महत्व एक व्यापक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने और समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान की प्रतिबद्धता में निहित है ।
- एक कानून के माध्यम से रोजगार और पेंशन की गारंटी देकर, इस विधेयक द्वारा अपनाया गया दृष्टिकोण अन्य राज्यों की नकद हस्तांतरण योजनाओं से अलग है ।
- राज्य सरकार का यह प्रयास राज्य के सभी नागरिकों के लिए न्याय सुनिश्चित करने और आगामी चुनावों की तैयारी में मुद्रास्फीति से राहत प्रदान करने की सरकार की नैतिक जिम्मेदारी को दर्शाता है ।
चुनौतियाँ और वित्तीय बाधाएँ:
- हालांकि नागरिकों के लिए न्यूनतम आय सुनिश्चित करने का विचार सराहनीय है, लेकिन शहरी रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से इसे लागू करने के दृष्टिकोण को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है ।
- ग्रामीण क्षेत्रों में काम की मौसमी मांग के विपरीत, शहरी क्षेत्रों में मांग कम पूर्वानुमानित होती है, जिससे योजना का क्रियान्वयन जटिल हो जाता है । इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों में उपलब्ध सार्वजनिक कार्यों के प्रकार और शहरी स्थानीय निकायों की क्षमता सीमा भी विचारणीय हैं ।
- राज्य पर वित्तीय बोझ: इस योजना पर प्रति वर्ष 2,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा, जो समय के साथ बढ़ सकता है इस कारण राज्य पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ सकता है ।
- योजना का लक्षित कार्यान्वयन: लक्षित समूह को लाभान्वित करने के इस तरीके से योजना का क्रियान्वयन चुनौतीपूर्ण है ।
- इस कल्याणकारी एजेंडे की व्यापक लोकप्रियता के बावजूद, राजकोषीय सीमाएँ हैं जिन पर विचार करने की आवश्यकता है ।
- राजस्थान देश के अन्य राज्यों में सबसे अधिक वित्तीय ऋण बोझ वाले राज्यों में से एक है और व्यय के अधिक उत्पादक क्षेत्रों के लिए कम धन आवंटित करता है ।
- विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार राज्य ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में अपने स्वयं के कर राजस्व का 8.6 प्रतिशत मूल्य मुफ्त देने की घोषणा की है ।
- हालाँकि ये नीतियाँ नेक इरादे वाली हैं, लेकिन ये आर्थिक रूप से तनावग्रस्त राज्यों के लिए सामाजिक दबाव को कम करने के लिए पर्याप्त पैमाने पर उत्पादक रोजगार के अवसर पैदा करने में आर्थिक चुनौतियों को रेखांकित करती हैं ।
निष्कर्ष:
- राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी विधेयक 2023 और अन्य संबंधित उपाय एक व्यापक और समावेशी सामाजिक सुरक्षा जाल के निर्माण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं ।
- हालांकि, ऐसी नीतियों को लागू करने में चुनौतियों का समाधान करना और राजकोषीय बाधाओं से निपटना उनके सफल कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण होगा ।
- इसके अतिरिक्त, अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करने और भविष्य के लिए गतिशील मार्ग प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, विशेषकर कम कौशल स्तर वाले लोगों के लिए ।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न-
- प्रश्न 1. नियमित नकद हस्तांतरण योजनाओं के विपरीत राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी विधेयक 2023 की विशिष्ट विशेषताओं को स्पष्ट करें। इस विधेयक का लक्ष्य समाज के कमजोर वर्गों को कैसे लाभ पहुंचाता है? (10 अंक, 150 शब्द)
- प्रश्न 2. राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी विधेयक 2023 के कार्यान्वयन से जुड़ी चुनौतियां और वित्तीय बाधाएं क्या हैं? राजस्थान राज्य के लिए एक व्यापक सामाजिक सुरक्षा जाल के निर्माण में विधेयक के महत्व पर चर्चा करें। (15 अंक, 250 शब्द)
स्रोत: हिन्दू