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Daily-current-affairs / 17 Dec 2023

भारत में अंग प्रत्यारोपण : परोपकार, चिकित्सा पर्यटन और नैतिकता - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख Date : 18/12/2023

प्रासंगिकता: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3-विज्ञान और प्रौद्योगिकी

की-वर्ड्स: परोपकार, अवैध अंग व्यापार,

संदर्भ:

भारत में अंग प्रत्यारोपण जैसे कार्यों में परोपकार और घोटाले दोनों के उदाहरण मिलते हैं । एक तरफ यह भारतीय स्वभाव से सहज साम्यता प्रदर्शित कर संकट के क्षणों में अनजान लोगों को भी अंग दान करने के लिए प्रेरित रहता है वहीं दूसरी तरफ यह सामाजिक न्याय तथा नैतिकता की दुविधा को भी जन्म देता है । नवीन वैज्ञानिक सफलताएँ प्रत्यारोपण में आने वाली बाधाओं को कम कर रहीं हैं, ये सफलताएं विज्ञान और स्वास्थ्य सेवा में टीमवर्क के तालमेल का उदाहरण प्रदर्शित करती हैं। यद्यपि अंगों की खरीद-बिक्री से जुड़े घोटालों से इसका एक गंभीर पक्ष भी सामने आता है, जो कमजोर व्यक्तियों को शोषण के लिए संवेदनशील बनाता है। हालिया रिपोर्टों से स्पष्ट हैं कि अवैध अंगों का व्यापार काफी व्यापक है, जोकि अंगों की वैश्विक मांग और शरीर के वस्तुकरण के सामान्यीकरण से प्रेरित है। चिकित्सीय नैतिकता और बाजार का टकराव गहरी चुनौतियों को उत्पन्न करता है ।


भारत में अंग प्रत्यारोपण परिदृश्य

  • भारत में, अंग प्रत्यारोपण के परिदृश्य में काफी वृद्धि देखी गई है, अंग प्रत्यारोपण 2013 में 4,990 से बढ़कर 2022 में 15,561 हो गया है-यह तीन गुना से अधिक की वृद्धि को दर्शाता है। देश में गुर्दा प्रत्यारोपण सबसे अधिक प्रचलित हैं, इसके बाद यकृत, हृदय, फेफड़े, अग्न्याशय और छोटे आंत्र का प्रत्यारोपण होता है।
  • वर्ष 2022 में, 12,791 जीवित व्यक्ति द्वारा दिए गए अंगों का प्रत्यारोपण और 2,765 मृत दाता प्रत्यारोपण किए गए। विशेष रूप से गुर्दे और यकृत अंगदान जीवित व्यक्ति द्वारा किए गए थे।
  • 2021 में मृत अंग दान संबंधी आँकड़ें 15 राज्यों से एकत्रित किये गए थे, जिसमें शीर्ष पांच राज्यों की इसमें कुल 85% से अधिक की हिस्सेदारी थी।

भारत में अंग दान बढ़ाने की आवश्यकता

  • अंग प्रत्यारोपण की संख्या में भारत विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है, लेकिन अंगों की मांग और उनकी उपलब्धता के बीच एक व्यापक असमानता बनी हुई है। जीवन शैली से संबंधित बीमारियों में वृद्धि ने अंगों, विशेष रूप से हृदय और फेफड़ों जैसे अंगों की आवश्यकता को बढ़ा दिया है, यह अंग मुख्य रूप से मृत अंग दाताओं से प्राप्त होते हैं।
  • भारत में वार्षिक रूप से लगभग 1.5 लाख व्यक्तियों की सड़क यातायात दुर्घटनाओं में मौत हो जाती है, उनमें से एक बड़ा हिस्सा संभावित अंग दाताओं के रूप में प्रयोग किया जा सकता है । मृतक अंग दानकर्ताओ के समूह का विस्तार करने से बढ़ती मांग को पूरा करने की अपार संभावनाएं हैं। अंगदान में वृद्धि, अंगों की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने के अतिरिक्त , स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर दबाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लंबे समय तक अस्पताल में रहने, बार –बार सर्जरी और विस्तारित उपचार की आवश्यकता को कम करके, अंग प्रत्यारोपण समग्र स्वास्थ्य देखभाल की दक्षता बढाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है ।
  • चिंताजनक बात यह है कि भारत में अंग दान दर केवल 0.52 प्रति मिलियन आबादी है, जो स्पेन में 49.6 प्रति मिलियन की उच्च दर की तुलना में अत्यंत निम्न स्तर पर है।
  • अंग दान का एक महत्वपूर्ण पहलू एकल दाता के द्वारा कई जीवन बचाने की क्षमता में निहित है। विभिन्न अंगों और ऊतकों का दान जरूरतमंद लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इस प्रकार, अंग दान की संस्कृति को बढ़ावा देना बढ़ती मांग को पूरा करने और आबादी के समग्र कल्याण को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण अनिवार्यता के रूप में उभरा है।

निजी क्षेत्र की भूमिका और चिकित्सा पर्यटन का उदयः

  • भारत में अंग प्रत्यारोपण का तेजी से विस्तार हुआ है, जो मुख्य रूप से तृतीयक देखभाल सेवा पर निजी क्षेत्र के प्रसार के कारण है।
  • उन्नत तकनीक और प्रशिक्षित डॉक्टरों से युक्त कॉर्पोरेट अस्पतालों ने गुर्दे व अन्य अंगों के प्रत्यारोपण को, आबादी के बड़े वर्ग के लिए सुलभ बना दिया है।
  • साथ ही, कॉर्पोरेट स्वास्थ्य क्षेत्र में चिकित्सा पर्यटन भी तेजी से बढ रहा है, जो दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और अफ्रीका से रोगियों को आकर्षित कर रहा है।
  • राजस्व प्राप्ति के साथ यह अंग प्रत्यारोपण के बाद की देखभाल, सीमा पार संबंधों और भुगतान एवं स्वैच्छिक दान के बीच अंतर करने में अनूठी चुनौतियां उत्पन्न करता है।

प्रत्यारोपण के लिए चिकित्सा पर्यटन में चुनौतियां:

  • यद्यपि भारत में चिकित्सा पर्यटन लाभप्रद प्रतीत होता है, क्योंकि भारत की स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञता से वैश्विक स्तर पर रोगियों को लाभ होता है। हालांकि, प्रत्यारोपण क्षेत्र में काफी चुनौतियां भी हैं-
  • प्रत्यारोपण के लिए आने वाले व्यक्ति को भाषा और सांस्कृतिक बाधाओं का सामना करते हैं। साथ ही प्रत्यारोपण के बाद की देखभाल सेवाएं भी काफी जटिल हो जाती है। इसके अलावा दाताओं और प्राप्तकर्ताओं के बीच वास्तविक संबंध स्थापित करना भी महत्वपूर्ण होता है।
  • दूतावासों द्वारा भुगतान को खारिज करने के लिए प्रमाणन प्रक्रिया पर सवाल उठाया जाता है और भारतीय प्राधिकरण समितियों के भीतर हितों का टकराव भी चुनौती उत्पन्न करता हैं।

नैतिक दुविधाएँ और स्वास्थ्य सेवा न्यासः

  • निजी अस्पताल विदेशी प्रत्यारोपण रोगियों को आकर्षित करने के लिए विज्ञापनों का प्रसार कर रहे हैं, जिससे मौद्रिक कमीशन के लिए रोगियों को यहाँ रेफर किया जा रहा है।
  • भुगतान के बदले प्राप्त किए गए दान का पता लगाना काफी चुनौतीपूर्ण होता है, जिससे प्रत्यारोपण डॉक्टरों की जागरूकता और नैतिकत के विषय में प्रश्न उठते हैं।
  • मृत्यु के बाद मृतक दान की पहल की सफलता के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में लोगों का विश्वास आवश्यक है।
  • छल से प्रत्यारोपण प्राप्त करने वाले विदेशियों के उदाहरणों ने इस विश्वास को कम कर दिया है, जिससे अंग दान की दर नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई है।

भारत में अंग प्रत्यारोपण की सुविधा के लिए सरकारी कदम

  1. मानव अंगों और ऊतकों का प्रत्यारोपण अधिनियम (THOTA)
    1994 में अधिनियमित, थोटा भारत में अंग प्रत्यारोपण को नियंत्रित करने वाला नियामक कानून है। इस अधिनियम के तहत, अंग दान और प्रत्यारोपण गतिविधियों की देखरेख के लिए राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) और राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एसओटीटीओ) की स्थापना की गई है।
  2. राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम (NOTP)
    2014 में शुरू किए गए एनओटीपी का उद्देश्य अंग दाताओं और प्राप्तकर्ताओं की एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनाना, अतिरिक्त अंग प्रत्यारोपण केंद्र स्थापित करना एवं अंग दान के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
  3. मृतक अंग दान कार्यक्रम
    स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया, यह कार्यक्रम मृत व्यक्तियों से अंग दान को प्रोत्साहित करता है, जो प्रत्यारोपण के लिए अंगों की उपलब्धता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  4. 27 नवंबर को निर्धारित राष्ट्रीय अंग दान दिवस, अंग दान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार के नेतृत्व में एक पहल है। इसका उद्देश्य व्यक्तियों को अपने अंग दान करने का संकल्प लेने के लिए प्रोत्साहित करना है।
  5. स्वस्थ भारत यात्रा
    सरकार के नेतृत्व में संचालित स्वस्थ भारत यात्रा स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने, जीवन शैली की बीमारियों को रोकने और अंग दान के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित है। यह अभियान लोगों को एक स्वस्थ राष्ट्र को बढ़ावा देने के व्यापक लक्ष्य के साथ संरेखित करते हुए अपने अंग दान करने का संकल्प लेने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  6. राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण रजिस्ट्री
    एक राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण रजिस्ट्री की स्थापना भारत में अंग दान और प्रत्यारोपण के रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में कार्य करती है। यह रजिस्ट्री अंग दान और प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने के लिए नीतियों और रणनीतियों के निर्माण में सहायता करती है।
  7. अंग पुनर्प्राप्ति बैंकिंग संगठन
    नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के भीतर स्थित, यह संगठन विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रत्यारोपण के लिए अंगों की पुनर्प्राप्ति, संरक्षण और वितरण के लिए जिम्मेदार है। यह कुशल अंग प्रबंधन और वितरण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

निष्कर्ष

जहां एक तरफ वैज्ञानिक प्रगति मृत्यु के बाद अंग दान का समर्थन करती है, वहीं चिकित्सा पर्यटन, नैतिक चिंताओं और स्वास्थ्य सेवा के मुद्रीकरण से उत्पन्न चुनौतियां एक जटिल परिदृश्य बनाती हैं। नागरिकों से परोपकारी अंग दान करने का आग्रह किया जाता है, लेकिन संभावित छल लोगों के विश्वास को कम करते हैं। यह परिदृश्य इन जटिल मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक संतुलित और व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर देता है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

  1. भारत के अंग प्रत्यारोपण में चिकित्सा पर्यटन के विकास से संबंधित नैतिक दुविधाओं और कानूनी पहलुओं का आकलन करें। सरकारी नियमों, विशेष रूप से थोटा की भूमिका को स्पष्ट करते हुए नैतिक प्रथाओं को सुनिश्चित करने और अंग दान में लोगों के विश्वास को बनाए रखने के लिए रणनीतियां सुझाएं । (10 marks, 150 words)
  2. प्रत्यारोपण में वृद्धि और लगातार मांग-आपूर्ति के अंतर को देखते हुए भारत में अंग दान की वर्तमान स्थिति का परीक्षण करें। एन. ओ. टी. पी. और मृतक अंग दान कार्यक्रम जैसी सरकारी पहलों के प्रभाव का मूल्यांकन करें। अंग दान के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, परोपकार को बढ़ावा देने और जीवित दाताओं की व्यापकता से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिए नीतिगत उपायो बताएं । (15 marks, 250 words)

Source- Indian Express