तारीख (Date): 28-08-2023
प्रासंगिकता: जीएस पेपर 3- विज्ञान और प्रौद्योगिकी - अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी
कीवर्ड: इसरो, चंद्रयान-3, गगनयान, ल्यूपेक्स, आदित्य एल-1, नासा,
प्रसंग-
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग जैसी उपलब्धियों के साथ अंतरिक्ष अन्वेषण में अपनी अद्वितीय शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है। इसरो चंद्रमा पर सफल लैंडिंग करने वाले चौथे और दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में ऐसा करने वाली पहली एजेंसी के रूप मे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो चुकी है।
- इसरो भविष्य मे विभिन्न महत्वाकांक्षी परियोजनाओं, अनुसंधान और मिशन पर कार्य कर रहा हैं जो अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए इसके व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है ।
विविध फोकस क्षेत्र:
- इसरो की विभिन्न गतिविधियों में अनुसंधान, उपग्रह प्रणाली का विकास, रॉकेट निर्माण, उपग्रह ट्रैकिंग हेतु बुनियादी ढांचे और कक्षीय मलबे का निपटान जैसे विभिन्न विषय शामिल हैं। ये प्रयास अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक साबित होंगे ।
इसरो का अगला चंद्र मिशन
- गौरतलब है कि इसरो की चंद्रमा की अन्वेषण यात्रा चंद्रयान-3 के साथ समाप्त नहीं होगी । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), जापानी अंतरिक्ष एजेंसी (JAXA) के LUPEX (लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन) के साथ एक और चंद्र मिशन की योजना बना रहा है।
- 2024-25 के आसपास प्रत्याशित यह आगामी मिशन, चंद्रमा के स्थायी रूप से छायांकित ध्रुवीय क्षेत्र का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, । LUPEX का उद्देश्य चंद्रमा पर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के समान एक दीर्घकालिक स्टेशन स्थापित करने की व्यवहार्यता का आकलन करना है। इसे "चंद्रयान 4" कहा जायेगा, इसमें एक परिष्कृत लैंडर और रोवर शामिल होगा ।
- इस मिशन के लिए, JAXA रॉकेट और रोवर घटकों का योगदान देगा, जबकि इसरो लैंडर मॉड्यूल की आपूर्ति करेगा। है। इसरो ने इस बात पर जोर दिया है कि चंद्रयान कार्यक्रम विकसित होता रहेगा, जिसमें चंद्रयान-3 एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में काम करेगा। चंद्रयान-3 एक नमूना संग्रहण मिशन है , जो भविष्य मे अधिक जटिल चंद्र उद्देश्यों की दिशा में संगठन की प्रगति को प्रदर्शित करता।
- “चंद्रयान- 3” 2020 में चीन के चांग' ई-5 मिशन के समान एक नमूना संग्रहण मिशन है जो एक अधिक उन्नत प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है। इस तरह के मिशन के लिए अंतरिक्ष यान को न केवल चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने की आवश्यकता होती है, बल्कि चंद्रमा की सतह से टेकऑफ़ सहित पृथ्वी पर वापस लौटना भी आवश्यक होता है।
मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशनों की ओर
- निकट भविष्य में इसरो का उद्देश्य मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियानों का संचालन करना है, जो इसकी बढ़ती क्षमताओं को प्रदर्शित करता है। गगनयान परियोजना इस महत्वाकांक्षा का प्रतीक है, जिसका लक्ष्य तीन सदस्यीय दल को तीन दिवसीय मिशन के लिए 400 किमी की कक्षा में भेजना है , वापसी मे यान हिंद महासागर में उतरकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौटकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करेगा ।
- इस लक्ष्य को साकार करने के लिए, इसरो मानव-रेटेड एलवीएम-3 (एचएलवीएम-3) विकसित कर रहा है, जो चंद्रयान-3 रॉकेट का एक संशोधित संस्करण है। यह वाहन क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) और 400 किमी की निचली पृथ्वी कक्षा में एक कक्षीय मॉड्यूल लॉन्च करने की क्षमता से लैस होगा।
इसरो का सौर मिशन
- चंद्रयान -3 की सफलता के बाद इसरो अपना ध्यान आदित्य-एल1 मिशन की ओर केंद्रित कर रहा है, आदित्य-एल1 सूर्य के अध्ययन पर केंद्रित है। अंतरिक्ष यान पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) पर प्रभामंडल कक्षा में स्थित होगा। लैग्रेंज बिंदु का अद्वितीय गुरुत्वाकर्षण गतिशीलता वस्तुओं को अत्यधिक ईंधन खपत के बिना अपेक्षाकृत स्थिर स्थिति बनाए रखने में सक्षम बनाता है।
- आदित्य-एल1 को एल1 बिंदु पर हेलो कक्षा में स्थापित करने से निर्बाध सौर अवलोकन संभव हो सकेगा। सात वैज्ञानिक पेलोड से सुसज्जित, मिशन का उद्देश्य सूर्य के कोरोना, सौर उत्सर्जन, सौर तूफान , फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) की जांच करना है।
- अंतरिक्ष यान सूर्य की निरंतर इमेजिंग की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे सौर घटना के बारे में हमारी समझ बढ़ेगी । L1 बिंदु पर पहले से ही सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला उपग्रह (SOHO) स्थित है, जो NASA और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के बीच एक सहयोग है।
शुक्र मिशन
- इसरो की भविष्य की योजनाएं अगले कुछ वर्षों में अनुमानित शुक्र ग्रह के मिशन तक विस्तारित हैं। हालांकि इस संबंध मे स्पष्ट घोषणा नहीं की गई है, तथापि प्रस्तावित शुक्र मिशन संभवतः वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी कौशल पर ध्यान केंद्रित करेगा। शुक्र पर तीव्र गर्मी, उच्च दबाव और ज्वालामुखीय गतिविधि सहित चरम स्थितियां मौजूद हैं।
- इसरो का प्रारंभिक शुक्र मिशन संभवतः एक ऑर्बिटर मिशन होगा ।शुक्र के कठोर वातावरण को देखते हुए शुक्र पर उतरने के पिछले प्रयासों को सीमित सफलता मिली है।शुक्र पर वैज्ञानिक अनुसंधान हेतु इसरो का जोर अंतरिक्ष अन्वेषण में अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाने और ज्ञान का विस्तार करने की उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान- प्रौद्योगिकी प्रदर्शक( Reusable Launch Vehicle Technology Demonstrator )(आरएलवी-टीडी):
- इसरो एक पुन: प्रयोज्य लॉन्च यान- प्रौद्योगिकी प्रदर्शक पर काम कर रहा है, जो नासा स्पेस शटल के समान प्रोद्योगिकी का उपयोग करता है।
- यह रॉकेट भारी पेलोड और अधिक परिष्कृत मिशनों को लॉन्च करने मे समर्थ होगा । आरएलवी-टीडी 20,000 किलोग्राम तक का उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाने सक्षम होगा।
एससीई-200 इंजन:
- इसरो SCE-200 इंजन का परीक्षण कर रहा है, जो रॉकेटों को शक्ति देने के लिए परिष्कृत केरोसिन और तरल ऑक्सीजन का उपयोग करता है। उम्मीद है कि यह इंजन इसरो के रॉकेटों की अगली पीढ़ी मे प्रयोग किया जाएगा, जिससे उनकी दक्षता और प्रदर्शन में वृद्धि होगी।
लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी):
- एसएसएलवी, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) की तुलना में एक छोटा रॉकेट है, जिसे पृथ्वी की निचली कक्षा में हल्के उपग्रहों को लॉन्च करने की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए विकसित किया गया है। यह परियोजना लॉन्च के बीच टर्नअराउंड समय को कम करेगी है।
वाणिज्यिक लॉन्च और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण:
- इसरो भारत की विशेषज्ञता को प्रदर्शित करने और एक विश्वसनीय सेवा प्रदाता के रूप में उभरने के लिए अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों और कंपनियों के लिए वाणिज्यिक प्रक्षेपण कर रहा है। संगठन नवाचार और विकास को बढ़ावा देते हुए, विशेष रूप से दूरसंचार और इलेक्ट्रॉनिक्स में, प्रौद्योगिकियों को निजी क्षेत्र में स्थानांतरित भी कर रहा है।
अन्य प्रमुख मिशन:
- इसरो के अन्य लॉन्च मेनिफेस्ट में बाहरी अंतरिक्ष में एक्स-रे अनुसंधान के लिए डिज़ाइन किए गए XPoSat उपग्रह सहित कई प्रमुख मिशन शामिल है। विशेष रूप से, एनआईएसएआर उपग्रह, नासा के साथ एक संयुक्त परियोजना, रडार तकनीक का उपयोग करके पृथ्वी की सतह प्रक्रियाओं का अध्ययन करेगी।
- इसरो लगातार प्रौद्योगिकी की अपनी सीमाओं को विस्तारित कर रहा है। वैज्ञानिक मिथालॉक्स प्रोपेलेंट विकसित कर रहे हैं, जो एक अधिक ऊर्जा-कुशल रॉकेट ईंधन है। इसके अतिरिक्त, एजेंसी उपग्रहों के लिए विद्युत प्रणोदन प्रणाली पर काम कर रही है, जिससे उनकी दीर्घायु और दक्षता में वृद्धि हो सके।
निष्कर्ष:
- चंद्रयान-3 से आगे इसरो की यात्रा में गगनयान मिशन से लेकर उन्नत चंद्र अन्वेषण और मंगल, और शुक्र के महत्वाकांक्षी मिशन तक शामिल है। नवाचार, अनुसंधान और सहयोग के प्रति इसरो की प्रतिबद्धता वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की स्थिति को मजबूत करती है। जटिल रॉकेट प्रणोदन प्रणाली से लेकर अंतरग्रहीय अन्वेषण तक की उपलब्धियों के साथ, इसरो अंतरिक्ष अन्वेषण और समझ के लिए मानवता की खोज में उल्लेखनीय योगदान दे रहा है।
- जैसे-जैसे इसरो वैश्विक अंतरिक्ष परिदृश्य में भारत की उपस्थिति को आगे बढ़ा रहा है, इसका भविष्य नई खोजों और वैज्ञानिक प्रगति हेतु मील का पत्थर साबित होगा जो ब्रह्मांड के बारे में मानवता की समझ को आकार देगा।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न-
- ल्यूपेक्स मिशन क्या है और यह इसरो के चंद्र अन्वेषण प्रयासों में कैसे योगदान देता है? इसके उद्देश्यों, सहयोग भागीदारों और इसके मिशन समयरेखा के महत्व के बारे में विवरण प्रदान करें। (10 अंक, 150 शब्द)
- इसरो की गगनयान परियोजना की व्याख्या करें, इसके लक्ष्यों और मानव-रेटेड एलवीएम-3 रॉकेट जैसी प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालें। यह परियोजना मानव अंतरिक्ष मिशन के क्षेत्र में इसरो की आकांक्षाओं को कैसे दर्शाती है स्पष्ट करें? (15 अंक, 250 शब्द)