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Daily-current-affairs / 21 Aug 2023

लोकतांत्रिक शासन और आर्थिक कल्याण के लिए भारत का मार्ग - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख (Date): 22-08-2023

प्रासंगिकता: जीएस पेपर 2 -अंतर्राष्ट्रीय संबंध - जी20 शिखर सम्मेलन

की–वर्ड: जी20, जी-7, बांडुंग सम्मेलन, जन विश्वास विधेयक, जीएसटी

सन्दर्भ :

  • दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत के विकास पथ में एक ऐतिहासिक मोड़ का प्रतीक है, इसका महत्व यह है की यहाँ लोकतंत्र समृद्धि के साथ जुड़ता है। G7 से G20 तक का विस्तार एक ऐतिहासिक मील के पत्थर को दर्शाता है, जो जर्मन शब्दावली में ज़िटेनवेन्डे की याद दिलाता है।
  • हालाँकि G7 से G20 तक के विस्तार को कुछ पुराने शक्तिशाली और आशंकित G7 देशों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। आगामी जी20 बैठक न केवल भारत में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की स्थापना को रेखांकित करती है, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि और हासिल की गई उल्लेखनीय स्वतंत्रता का उत्सव भी मनाती है।

बांडुंग सम्मेलन.. अब से सत्तावन साल पहले 1955 में 18-24 अप्रैल के मध्य इंडोनेशिया के बांडुंग में पांच देशों (बर्मा, श्रीलंका, भारत, इंडोनेशिया व पाकिस्तान) ने मिलकर आयोजित किया था। इस सम्मेलन में एशिया व अफ्रीका के 24 और देश भी शामिल हुए थे। यह पहला वृहदस्तरीय एशियाई-अफ्रीकी सम्मेलन था, जिसमें शामिल 29 देश दुनिया की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे ।

भारत के आर्थिक विकास की लम्बी यात्रा : चुनौतियाँ और विजय

  • 1955 में, बांडुंग सम्मेलन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था क्योंकि उस समय भारत के प्रयासों से 29 देशों ने वैश्विक आबादी के 54% का प्रतिनिधित्व किया था,और अब भारत में जी20 की बैठक एक महत्वपूर्ण अवसर का प्रतीक है क्योंकि इस बार ये नेता दुनिया की 85% जीडीपी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
  • हालाँकि, स्वतंत्रता के बाद भारत की आर्थिक यात्रा को चुनौतियों से चिह्नित किया गया था क्योंकि आर्थिक शक्ति को भू-राजनीतिक, सैन्य और नरम शक्ति पर प्राथमिकता दी गई थी। 72 वर्षों में, भारत ने यूनाइटेड किंगडम की जीडीपी को पार कर लिया है, जो आर्थिक विकास की गति को दर्शाता है। परन्तु स्वतंत्रता के बाद भारत की आर्थिक नीतियों में जटिलता थी, समाज, बाजार, और सरकार की भूमिकाओं में विकृतियां विद्यमान थीं, और साथ ही "नीति कार्यान्वयन में "क्या" और "कैसे" के बीच अंतर करने में विफलता भी स्पष्ट थी। यद्यपि इसके पीछे औपनिवेशिक शोषण से उपजी चुनौतियां सर्वप्रमुख कारण थीं ।

भारत के आर्थिक विकास की रणनीति की खोज

  • भारत की आर्थिक प्रगति नीति-निर्माण में दूरदर्शिता की कमी के कारण बाधित हुई, जैसा कि 1967 के दस सूत्री कार्यक्रम, 1977 के 13 सूत्री कार्यक्रम और 1975 के 20 सूत्री कार्यक्रम से पता चलता है, ये कार्यक्रम अंतर्निहित चुनौतियों और निहित स्वार्थों के कारण सीमित रूप से ही सफल हो पाए ।
  • वर्तमान में भारत रणनीतिक योजना, उद्यमशीलता,अवयवों और उनके अनुपात के बीच अंतर करने के महत्व पर जोर देता है। जो यह रेखांकित करता है कि गलतियों से सीखकर नीति विकास को कैसे आकार दिया जा सकता है। इस सन्दर्भ में डिग्री अपरेंटिस, जन विश्वास विधेयक और 2,000 रुपये के नोट की वापसी जैसी हालिया पहल नीति निर्धारण के लिए इस पुनरावृत्त दृष्टिकोण का उदाहरण हैं।

भारत का लचीलापन और आर्थिक पुनर्गठन

  • पिछले एक दशक में, भारत दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तक पहुंच गया। इस उल्लेखनीय वृद्धि का श्रेय एक नई आर्थिक रणनीति को दिया जाता है जो आर्थिक रूप से वंचित क्षेत्रों के लोगों को प्राथमिकता देती है।
  • यह बहुत स्पष्ट है कि कैसे औपचारिकता में कमी , जीएसटी कार्यान्वयन, दिवालियापन सुधार, डिजिटल भुगतान और अन्य महत्वपूर्ण सुधारों ने भारत के आर्थिक पुनरुत्थान में योगदान दिया है। यह भारत की उभरती आर्थिक जटिलता से सरलता का विश्लेषण करता है, यह सुझाव देता है कि विकास स्क्रैबल के खेल के समान है, जहां सरकार "स्वर" (बुनियादी ढाँचा, नीति समर्थन) प्रदान करती है और उद्यमी "व्यंजन" (नवाचार, उद्यम) का योगदान करते हैं।

आर्थिक सुधार: आगे का रास्ता

  • यह स्वीकार करते हुए कि एक क्रांतिकारी आर्थिक सुधार एजेंडा, विवादास्पद और चुनौतीपूर्ण दोनों है, यह उन विशिष्ट सुधारों पर प्रकाश डालता है जो भारत के विकास पथ को बढ़ावा दे सकते हैं। इसमें जीएसटी कार्यान्वयन को सरल बनाने, लक्षित प्रशिक्षुता के माध्यम से कौशल को संबोधित करने और नियोक्ता अनुपालन पर ध्यान केंद्रित करके व्यापारिक प्रक्रियाओं को सहज बनाना शामिल है ।

प्रवासी, आशा और आशावाद

  • आसन्न G20 बैठक में प्रवासी भारतीयों द्वारा भारत की आर्थिक संभावनाओं के बारे में संदेह और आशंका व्यक्त की जा सकती है। जबकिआशावाद अक्सर विवेकपूर्ण लगता है, आशावाद और अधिक धैर्य की मांग करता है, यह भारतीय प्रवासियों से भारत को कुछ और साल देने का आग्रह करता है और यहां तक कि देश के विकास में योगदान देने के लिए वापस लौटने पर भी विचार करने का सुझाव देता है।

भारत का वैचारिक बदलाव: अभिजात वर्ग से जन सशक्तिकरण तक

  • एक सदी पहले के मौलाना आज़ाद के शब्द आज भी प्रसांगिक लगते हैं, उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को एक विशिष्ट विमर्श से एक जन राजनीतिक आंदोलन में परिवर्तन का सुझाव दिया था। इस बदलाव ने नए संबंधों को उत्प्रेरित किया, भारतीय विकल्पों को बढ़ावा दिया और लोकतंत्र का मार्ग प्रशस्त किया।
  • यह रेखांकित करता है कि स्वतंत्रता के बाद भारत के आर्थिक विचार शुरू में कैसे सरल, अनुकरणात्मक और बाधाकारी रहे। हालाँकि, यह परिवर्तन 1991 में शुरू हुआ, पिछले दशक में इसमें गति आई और आगामी जी20 बैठक में इसकी परिणति हुई। लोकतंत्र और समृद्धि का यह अभिसरण भारत के उत्थान का प्रतीक है और दो स्वतंत्रताओं के संगम को रेखांकित करता है।

निष्कर्ष

लोकतंत्र और समृद्धि के समन्वय की दिशा में भारत की यात्रा दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के साथ एक ऐतिहासिक मोड़ पर पहुंच गई है। एक कृषि प्रधान समाज से एक उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति के रूप में विकास भारत के लचीलेपन और अनुकूलन क्षमता का उदाहरण है। पिछली नीतिगत विफलताओं से सीखना, पुनरावृत्तीय प्रगति को अपनाना और आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए सुधारों को तैयार करना इस परिवर्तन का सार है। जैसे-जैसे भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की कगार पर खड़ा है, लोकतंत्र और समृद्धि का संगम नया महत्व प्राप्त कर रहा है। यह आशावाद को अपनाने, सक्रिय नीति निर्धारण में संलग्न होने और वैश्विक मंच पर भारत की उन्नति को उत्प्रेरित करने का एक स्पष्ट आह्वान है। जी20 बैठक इस परिवर्तनकारी यात्रा में एक मील का पत्थर साबित है, जो लोकतंत्र और समृद्धि की दोहरी स्वतंत्रता के संयोजन के लिए भारत के उदय की शुरुआत करती है।

मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

  • प्रश्न 1. कृषि प्रधान समाज से एक उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति बनने तक भारत की प्रगति को उसकी आर्थिक नीतियों और सुधारों के प्रति विकसित दृष्टिकोण ने कैसे आकार दिया है? भारत की आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाने में पुनरावृत्तीय प्रगति, रणनीतिक योजना और अवयवों तथा अनुपातों के बीच अंतर करने की भूमिका पर चर्चा करें। इसके अतिरिक्त, उन विशिष्ट आर्थिक सुधारों के बारे में विस्तार से बताएं जो भारत के विकास पथ को आगे बढ़ा सकते हैं। (10 अंक, 150 शब्द)
  • प्रश्न 2. दिल्ली में आगामी जी20 शिखर सम्मेलन लोकतंत्र और समृद्धि के संयोजन की दिशा में भारत की यात्रा में एक ऐतिहासिक मोड़ है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक अभिजात वर्ग के नेतृत्व वाले विमर्श से एक जन राजनीतिक आंदोलन में भारत के परिवर्तन ने जन सशक्तिकरण और आर्थिक कल्याण की दिशा में इसके वैचारिक बदलाव को कैसे प्रभावित किया है? वैश्विक मंच पर भारत के उत्थान में लोकतांत्रिक मूल्यों और आर्थिक प्रगति के अभिसरण और इसके भविष्य की वृद्धि और विकास के लिए इस संगम के निहितार्थ का विश्लेषण कीजिये। (15 अंक,250 शब्द)

Source - The Indian express