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Daily-current-affairs / 06 Nov 2023

भारत की एकीकृत राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख (Date) : 07/11/2023

प्रासंगिकता :जीएस पेपर 3-आंतरिक सुरक्षा और सुरक्षा से संबंधित मुद्दे

मुख्य शब्द: राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, साइबर सुरक्षा, बहु-आयामी रणनीति

संदर्भ :

भारत वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति दस्तावेज विकसित कर रहा है।

राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति

राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति एक महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज होता है जो किसी राष्ट्र के सुरक्षा उद्देश्यों को स्पष्ट करता है और उन्हें प्राप्त करने के तरीकों का वर्णन करता है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक व्यापक परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है, जिसमें पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों तरह के खतरे शामिल होते हैं। यह रणनीति रक्षा और सुरक्षा नीतियों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है, जो अपने हितों की रक्षा करने और समग्र सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सैन्य, आर्थिक और राजनयिक मोर्चों पर एक राष्ट्र के रुख को आकार देती है।

  • राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियों के वैश्विक उदाहरणः
  • संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और रूस जैसे कई विकसित देशों ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियाँ स्थापित की हैं। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान ने भी समकालीन चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा नीति 2022-2026 जैसी विशिष्ट नीतियां पेश की हैं।

  • राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के लिए भारत की अनिवार्यताः
  • भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की तात्कालिक आवश्यकता पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों के जटिल जाल से उत्पन्न होती है। विशेषज्ञ इस तरह के दस्तावेज़ के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करते हैं, सैन्य सुधारों का मार्गदर्शन करने और उभरती चुनौतियों एवं भू-राजनीतिक तनावों के बीच एक स्पष्ट रोडमैप प्रदान करने में इसकी भूमिका पर जोर देते हैं। एक अच्छी तरह से परिभाषित राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के बिना, सैन्य सुधारों में एक मजबूत नींव का अभाव होता है। अतः इस दस्तावेज़ का निर्माण भारत की सुरक्षा स्थिति के लिए महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के प्रमुख घटकः

    स्पष्ट उद्देश्यों को परिभाषित करनाः

  • यह नीति संरक्षित की जाने वाली परिसंपत्तियों की रूपरेखा तैयार करती है और राष्ट्र की रक्षा प्राथमिकताओं पर स्पष्टता प्रदान करते हुए संभावित विरोधियों की पहचान करती है।
  • प्राथमिकता निर्धारण और नवाचारः

  • यह नीति हाइड्रोजन ईंधन सेल , विलवणीकरण और साइबर सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित करते हुए नवाचार और प्रौद्योगिकी के लिए समर्पित नए विभागों की स्थापना पर जोर देती है।
  • रणनीतिक अनुकूलनः

  • यह नीति खतरों का पूर्वानुमान लगाने और संभावित घटनाओं को रोकने के लिए एक बहु-आयामी रणनीति के विकास की वकालत करती है, जिससे सक्रिय उपाय सुनिश्चित किए जा सकें।
  • उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करनाः

  • यह नीति महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचे, साइबर सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा की ओर ध्यान केंद्रित करती है और इन क्षेत्रों में आगे रहने के महत्व को स्वीकार करती है।
  • नीति निर्माताओं और साइबर सुरक्षा उपायों की भूमिकाः

  • यह नीति साइबर सुरक्षा के लिए एक अलग बजट के आवंटन, हैकर्स का मुकाबला करने के लिए साइबर टीम के लिए केंद्रीय निकाय के निर्माण और भारत की सॉफ्टवेयर निर्माण मे कौशल विकास की सिफारिश करती है। यह राज्य स्तरों पर साइबर सुरक्षा क्षमताओं को बढाने की आवश्यकता पर भी जोर देता है।
  • रक्षा, प्रतिरोध और तैयारी:

  • यह नीति महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की रक्षा पर जोर देती है और इससे संबंधित उल्लंघनों की ईमानदार रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करती है। दस्तावेज साइबर सुरक्षा की जटिलताओं को स्पष्ट करती है, इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक रणनीतिक साधन के रूप में साइबर युद्ध की तैयारी के महत्व को भी रेखांकित करती है।

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का विस्तार और सारः

  • वर्तमान युग की चुनौतियां: भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति वित्तीय सुरक्षा ,आर्थिक सुरक्षा, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के अलावा सूचना युद्ध, महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना में कमजोरियों, आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों और पर्यावरणीय चिंताओं सहित विभिन्न प्रकार की आधुनिक चुनौतियों का समाधान करेगी।
  • समग्र रणनीतिः यह रणनीति भारत के गतिशील सुरक्षा वातावरण के साथ निर्बाध रूप से संरेखित करते हुए इन उभरते खतरों से निपटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का उपयोग करेगी।

राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की अनुपस्थिति के ऐतिहासिक कारणः

अब तक भारत मे राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के अभाव को राजनीतिक हिचकिचाहट और रक्षा प्रबंधन में जवाबदेही के बारे में चिंताओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। विशेषज्ञों ने समन्वित सरकारी प्रयासों के अभाव से लेकर अपने राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों का खुलासा करने में सरकार की अनिच्छा तक आदि अनेक कारण बताए है, जिससे एक व्यापक रणनीति के निर्माण में देरी हुई है।

निष्कर्ष

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का निर्माण एक स्पष्ट और एकीकृत सुरक्षा दृष्टिकोण स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अग्रणी रणनीति जटिल सुरक्षा मुद्दों से निपटने, राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और वैश्विक परिदृश्य में निरंतर परिवर्तनों के बीच एक सुरक्षित भविष्य के पोषण में मार्गदर्शन प्रदान करने का कार्य करेगी।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

  1. भारत की पहली राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में उल्लिखित प्रमुख घटकों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। ये घटक पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों खतरों को कैसे संबोधित करते हैं और विकसित वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में भारत की रक्षा नीतियों और तैयारियों पर उनका क्या प्रभाव पड़ने की उम्मीद है? (10 marks, 150 words)
  2. राजनीतिक हिचकिचाहट और रक्षा प्रबंधन जवाबदेही से संबंधित चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति तैयार करने में भारत की देरी के पीछे के ऐतिहासिक कारणों की जांच करें। अतीत में सामना की गई चुनौतियों पर चर्चा करें और कैसे नई प्रस्तावित रणनीति का उद्देश्य राष्ट्र के लिए एक व्यापक सुरक्षा ढांचा स्थापित करने के लिए इन चुनौतियों को दूर किया जा सकता है। (15 marks, 250 words)

Source - The Indian Express


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