तारीख Date : 16/12/2023
प्रासंगिकता: जजीएस पेपर 2- अंतर्राष्ट्रीय संबंध- द्विपक्षीय संबंध
की-वर्ड्स: खाड़ी सहयोग परिषद (GCC), शीत युद्ध, दुकम बंदरगाह, ऑपरेशन संकल्प, होर्मुज जलडमरूमध्य, चाबहार बंदरगाह
संदर्भ:
- हालिया ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक की भारत यात्रा दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है। ओमान अरब खाड़ी क्षेत्र में भारत के निकटतम पड़ोसी के रूप में रणनीतिक महत्व रखता है।
- यहां हम ऐतिहासिक संदर्भ, भारत-ओमान रणनीतिक साझेदारी के बहुमुखी आयामों और पश्चिम एशिया में भारत के व्यापक जुड़ाव में ओमान की महत्वपूर्ण भूमिका को समझेंगे।
ऐतिहासिक संबंध और कूटनीतिक वार्ताएं
- जब अरब विश्व भारत के प्रति उपेक्षाओं का प्रदर्शन कर रहा था, तब से ओमान भारत का एक सुदृढ़ मित्र रहा है। विशेष रूप से, सुल्तान हैथम के पूर्ववर्ती सुल्तान काबूस ने भारत के प्रति सकारात्मक रुख बनाए रखा, आर्थिक संबंधों को बढ़ावा दिया और विभिन्न परियोजनाओं के लिए भारतीय कंपनियों को आमंत्रित किया था।
- शीत युद्ध के दौरान जब क्षेत्रीय तनाव चरम पर था, उस समय ओमान शांतिपूर्ण स्थिति में बना रहा था। इसने संयम और मध्यस्थता पर आधारित विदेश नीति बनाए रखी। क्षेत्रीय संघर्षों में ओमान की सुविचारित तटस्थता और पश्चिमी शक्तियों, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) एवं ईरान के साथ संबंधों को संतुलित करने की इसकी क्षमता इसके अद्वितीय राजनयिक रुख को उजागर करती है।
- 2019 में फारस की खाड़ी संकट के दौरान ओमान की भूमिका और ईरान परमाणु समझौते में उसकी भागीदारी उसकी कूटनीतिक महत्वाकांक्षा को रेखांकित करती है।
- ओमान में लगभग 7,00,000 भारतीय (जून 2020 तक) रह रहे हैं, जिनमें से लगभग 5,67,000 भारतीय श्रमिक और पेशेवर के रूप में कार्यरत हैं। कुछ भारतीय परिवार 150 से 200 वर्षों से अधिक समय से ओमान में रह रहे हैं। विविधतापूर्ण भारतीय प्रवासी समुदाय में, हजारों लोग डॉक्टर, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, शिक्षक, व्याख्याता, नर्स, प्रबंधक और अन्य विभिन्न कार्यक्षेत्रों में कार्यरत हैं।
भारत-ओमान साझेदारी के रणनीतिक स्तंभ
- ओमान भारत की पश्चिम एशिया नीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत और ओमान के बीच रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत 2008 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओमान यात्रा से हुई थी। आपसी विश्वास और साझा हित इस रिश्ते को रेखांकित करते हैं। हाल ही में भारत की अध्यक्षता में संपन्न जी-20 शिखर सम्मलेन में ओमान को अतिथि राष्ट्र के रूप में आमंत्रित किया गया था।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग द्विपक्षीय साझेदारी की आधारशिला है। 2005 में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन (MoU) ने भारत के रक्षा बलों के तीनों अंगों के बीच संयुक्त अभ्यास का मार्ग प्रशस्त किया तथा ओमान को इस तरह की गतिविधियों के लिए पहले खाड़ी देश के रूप में चिह्नित किया। समुद्री डकैती विरोधी अभियानों के लिए ओमान की खाड़ी में भारत की नौसैनिक उपस्थिति समुद्री सुरक्षा सहयोग संबंधों की गहनता को दर्शाती है।
- प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान दुकम बंदरगाह सम्बन्धी हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो इस क्षेत्र में भारतीय नौसेना संचालन के लिए महत्वपूर्ण आधार सुविधाएं और रसद सहायता प्रदान करता है। 2019 में फारस की खाड़ी संकट के दौरान 'ऑपरेशन संकल्प' ने भारतीय ध्वज वाले जहाजों के सुरक्षित मार्ग को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता को दर्शाया।
- ओमान में रणनीतिक रूप से स्थित दुकम बंदरगाह तक सैन्य उपयोग और रसद समर्थन के लिए पहुंच हासिल करके भारत ने रणनीतिक दूरदर्शिता का प्रदर्शन किया गया है। यह कदम भारत की व्यापक समुद्री रणनीति के अनुरूप है जिसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी प्रभाव और गतिविधियों का मुकाबला करना है। ओमान के दक्षिण-पूर्वी समुद्र तट पर अरब सागर और हिंद महासागर की ओर उन्मुख दुकम बंदरगाह भारत को एक महत्वपूर्ण आधार प्रदान करता है।
- इसके अलावा, ईरान के चाबहार बंदरगाह के करीब दुकम बंदरगाह का रणनीतिक स्थान, भारत के सक्रिय समुद्री सुरक्षा रोडमैप का पूरक है। सेशेल्स में अज़म्प्शन द्वीप और मॉरीशस के अगालेगा में रणनीतिक विकास के साथ दुकम में उपस्थिति से समुद्री हितों की रक्षा करने की भारत की क्षमता बढ़ जाती है।
- होर्मुज जलडमरूमध्य के प्रवेश द्वार पर अपनी महत्वपूर्ण स्थिति के कारण ओमान भारत के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक महत्व रखता है, जिसके माध्यम से भारत के तेल आयात का लगभग पांचवां हिस्सा गुजरता है। भारत और ओमान के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी रक्षा सहयोग के महत्वपूर्ण पहलू पर बल देती है, जिसे 2021 में फ्रेमवर्क मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) के हालिया नवीनीकरण द्वारा बल प्रदान किया गया है।
आर्थिक आयाम
- व्यापार और वाणिज्य भारत-ओमान साझेदारी का एक और महत्वपूर्ण स्तंभ है। वित्त वर्ष 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार 12.388 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक जुड़ाव को दर्शाता है। 6,000 से अधिक संयुक्त उद्यमों और 7.5 बिलियन डॉलर से अधिक के अनुमानित निवेश के साथ आर्थिक सहयोग निरंतर विस्तृत होता जा रहा है।
- ओमान भारत की ऊर्जा सुरक्षा में महत्व रखता है। भारत, चीन के बाद ओमान के कच्चे तेल निर्यात के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। अक्टूबर 2022 में भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना पहल के हिस्से के रूप में ओमान में रुपे डेबिट कार्ड का लॉन्च किया गया, जो दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को और मजबूत बनाता है।
- अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी सहयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन अंतरिक्ष अन्वेषण में सहयोगात्मक प्रयासों की नींव रखता है।
- रेयर अर्थ मेटल्स (Rare Earth Metals) की संयुक्त खोज और प्रस्तावित भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर (IMEEC) बुनियादी ढांचा परियोजना पर संभावित समझौता द्विपक्षीय सहयोग के दायरे का विस्तार करने की प्रतिबद्धता का संकेत देता है।
ओमान पश्चिम एशिया के लिए भारत का प्रवेश द्वार
- ओमान का भूराजनीतिक महत्व द्विपक्षीय संबंधों से परे तक विस्तृत है। यह पश्चिम एशिया के लिए भारत के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है, जो भारत की विस्तारित पड़ोस पहुँच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चुनौतियों से जूझ रहे इस क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वी विचारधाराओं और शक्ति की गतिशीलता को प्रबंधित करने की ओमान की क्षमता इसे एक स्थिर शक्ति के रूप में स्थापित करती है।
- GCC, इस्लामिक सहयोग संगठन और अरब लीग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रीय समूहों में ओमान की भागीदारी इसके राजनयिक प्रभाव को रेखांकित करती है। शांति और सद्भावना के प्रति इसकी प्रतिबद्धता भारत के वैश्विक दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो इसे पश्चिम एशिया की जटिलताओं से निपटने में एक विश्वसनीय भागीदार बनाती है।
भारत के लिए अवसर
- इज़राइल-हमास का जारी संघर्ष वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में इस क्षेत्र के लचीलेपन का परीक्षण करता है। सुल्तान हैथम की यात्रा के बाद ओमान का रणनीतिक महत्व और भी अधिक स्पष्ट हो गया है। दक्षिण एशिया गैस एंटरप्राइज (SAGE) द्वारा सुझाए गए समुद्र के नीचे कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की संभावना साझेदारी की विकसित प्रकृति को प्रतिबिंबित करती है।
- भारत पश्चिम एशिया में व्यापक भागीदारी हेतु प्रयासरत है। ओमान इन उद्देश्यों को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण कड़ी बना हुआ है। प्रस्तावित भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर और समुद्र के नीचे गैस पाइपलाइन जैसी पहल व्यापक और एकीकृत साझेदारी के लिए साझा दृष्टिकोण को रेखांकित करती है।
निष्कर्ष
सुल्तान हैथम बिन तारिक की भारत यात्रा दोनों देशों के बीच सतत मित्रता के प्रमाण के रूप में कार्य करती है। ऐतिहासिक संबंधों, साझा मूल्यों और समान हितों पर आधारित भारत-ओमान रणनीतिक साझेदारी, पश्चिम एशिया के जटिल परिदृश्य में राजनयिक सहयोग के लिए एक मॉडल प्रस्तुत करती है। दोनों देशों के लिए इस क्षेत्र में चुनौतियां और अवसर विद्यमान हैं, जिसके लिए सशक्त और विविधतापूर्ण साझेदारी को बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न-
- भारत-ओमान रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख स्तंभ क्या हैं तथा ओमान ने पश्चिम एशिया में भारत की भागीदारी में कैसे योगदान दिया है? (10 अंक, 150 शब्द)
- ओमान के भू-राजनीतिक महत्व का भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों में क्या योगदान है? यह पश्चिम एशिया में भारत के प्रवेश द्वार के रूप में क्या भूमिका निभाता है? (15 अंक, 250 शब्द)
Source- Indian Express