Date : 23/12/2023
प्रासंगिकताः सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र 2- अंतर्राष्ट्रीय संबंध-वैश्विक स्तर पर भारतीय नीतियां
कीवर्ड्स: जी 20, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC), मिशन लाइफ, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना, अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (IYoM2023)
संदर्भ:
भू-राजनीतिक संघर्षों और महामारी के पश्चात उत्पन्न आर्थिक संकटों के दौर में G-20 में भारत का नेतृत्व आशा की किरण के रूप में उभरा है। संदेहों के बावजूद भारत ने सतत विकास लक्ष्यों, आर्थिक स्थिरता, डिजिटल बुनियादी ढांचे और जलवायु कार्रवाई जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सफलतापूर्वक आम सहमति प्राप्त की है। शांति आधारित मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के प्रति प्रतिबद्धता और कोविड-19 महामारी के दौरान विभिन्न देशों को सहायता ने एक विश्वसनीय वैश्विक शक्ति के रूप में भारत की छवि को मजबूत किया है। इस महत्वपूर्ण समय में भारत का नेतृत्व अभूतपूर्व चुनौतियों से जूझ रही दुनिया के लिए एकता और सहयोग की एक किरण प्रदान करता है।
भारतीय नेतृत्व:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक पर्यवेक्षक की भूमिका से निकलकर परिणामों को आकार देने वाला एक प्रमुख अभिकर्ता बन गया है। इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण G-20 के नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के दौरान इस समूह मे “अफ्रीकी संघ” को सम्मिलित करना है, जो G-20 को अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण बनाने के लिए भारत की "किसी को पीछे नहीं छोड़ने" की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- G-20 शिखर सम्मेलन की घोषणा के अनेक सकारात्मक परिणाम मोदी सरकार की विभिन्न पहलों, जैसे कि वैक्सीन सहायता कार्यक्रम, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (CDRI) और हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) इत्यादि के अनुरूप हैं।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित ग्रीन ग्रिड्स इनिशिएटिव, वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड (OSOWOG) जैसी पहलें भी इस सूची में शामिल हैं।
जलवायु परिवर्तन का संकट:
- भारत जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने हेतु मिशन लाइफ (LiFE-Lifestyle for Environment) के माध्यम से व्यक्तिगत व्यवहार पर जोर देते हुए एक अनूठे दृष्टिकोण का पक्षपोषण करता है।
- सतत विकास के लिए जीवन शैली पर G-20 के उच्च-स्तरीय सिद्धांतों के रूप में संहिताबद्ध इस मिशन का उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली के लिए प्रतिबद्ध व्यक्तियों का एक वैश्विक नेटवर्क बनाना है।
- 2030 के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के स्वच्छ ऊर्जा संबंधी अपने लक्ष्यों को पूरा करके भारत स्वयं को स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित कर रहा है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने और आर्थिक उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करने की घोषणा की है, जो भारत की स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण और वैश्विक जलवायु शमन के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
- भारत का अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के दीर्घकालिक लक्ष्य के साथ संरेखित है। प्रमुख बहुपक्षीय संस्थानों में भारत की उपस्थिति वैश्विक स्तर पर उसकी सक्रिय भूमिका को दर्शाती है।
स्वच्छ ऊर्जा:
- जून 2022 में G-7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ ऊर्जा में भारत की प्रगति का उल्लेख किया था, जिसमें दुनिया का पहला सौर-संचालित हवाई अड्डा और निर्धारित समय से नौ साल पहले गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता लक्ष्य को हासिल करने जैसी उपलब्धियों का प्रदर्शन किया गया। भारत यूरोपीय संघ, जापान और अमेरिका के साथ द्विपक्षीय स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी कर रहा है।
- अमेरिका-भारत रणनीतिक स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी (USISCEP) और यूरोपीय संघ-भारत स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु साझेदारी (CECP) ऊर्जा सुरक्षा, नवाचार और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में सहयोग को बढ़ावा देती हैं।
- विशेष रूप से हाइड्रोजन और संभवतः एक शुद्ध ऊर्जा निर्यातक बनकर भारत का लक्ष्य वैश्विक ऊर्जा व्यापार में एक प्रमुख अभिकर्ता बनना है। भारत जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए हरित हाइड्रोजन और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में उभर रहा है।
लचीली आपूर्ति श्रृंखला:
- भारत ने आपूर्ति श्रृंखला में लचीलेपन को बढ़ाने के लिए चिप विनिर्माण को बढ़ावा देने हेतु $10 बिलियन की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना शुरू की है।
- सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम का लक्ष्य भारत को ,वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक महत्वपूर्ण अभिकर्ता के रूप में स्थापित करना है।
- इसके अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ आपूर्ति श्रृंखला नम्यता पहल का उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाना है, जिससे आपूर्ति श्रृंखला के संभावित व्यवधानों को दूर किया जा सके।
डिजिटल बुनियादी ढांचा:
- 2015 में शुरू की गई डिजिटल इंडिया पहल ने भारत को वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में स्थापित किया है। इंटरनेट की वहनीयता और पहुंच बढ़ाने पर ध्यान देने के साथ इस पहल से मोबाइल धारकों की संख्या में वृद्धि हुई है।
- सरकारी प्रक्रियाओं में प्रौद्योगिकी को अपनाने से शासन में पारदर्शिता बढ़ी है। 2021 में वास्तविक समय में डिजिटल लेनदेन 48 बिलियन तक पहुंच गया है।
- भारत की विशाल आबादी को निर्बाध रूप से जोड़ने के लिए आधार और एकीकृत भुगतान पोर्टल की संबद्धता ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मॉडल प्रस्तुत किया है।
योग और आयुर्वेद:
- कोविड -19 महामारी के दौरान, योग और आयुर्वेद जैसी पारंपरिक प्रथाओं के माध्यम से देश के समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण ने ख़्याति प्राप्त की।
- लगभग 100 देशों को मुफ्त वैक्सीन प्रदान करना और योग एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा सहित निवारक स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देना, वैश्विक कल्याण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
- महामारी के दौरान सरकार द्वारा आयुर्वेदिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के साथ-साथ कोविन और आरोग्य सेतु जैसे ओपन-सोर्स ऐप के वैश्विक साझाकरण ने सार्वजनिक डिजिटल वस्तुओं में भारत के योगदान को चिह्नित किया।
अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष:
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (IYoM2023) के रूप में घोषित गया है, जो मोटा अनाज के पोषण मूल्य और खाद्य सुरक्षा चुनौतियों को दूर करने की उनकी क्षमता के लिए भारत की मान्यता को दर्शाता है।
- मोटा अनाज ने ग्लूटन-मुक्त विकल्प के रूप में लोकप्रियता प्राप्त की है, जो विशेष रूप से जीवनशैली की बीमारियों और अस्वास्थ्यकर आहारों के बीच पोषण संबंधी सेवन और प्रतिरक्षा को बढ़ाने में योगदान देता है।
निष्कर्ष
विगत नौ वर्षों में, कर्तव्य काल के युग में प्रवेश करते हुए भारत के प्रक्षेप पथ में एक उल्लेखनीय परिवर्तन आया है। यह अवधि अभूतपूर्व वैज्ञानिक, तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए एक सुनहरा अवसर प्रस्तुत करती है। जैसे-जैसे भारत 2047 में अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी के करीब पहुंच रहा है, राष्ट्र अपने लोगों, विशेष रूप से युवाओं के सामूहिक प्रयासों से प्रेरित एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति बनने की आकांक्षा रखता है। विश्व के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और अधिक से अधिक कल्याण के लिए योगदान ने भारत को एक विश्व मित्र, विश्व गुरु, और विश्व वैद्य के रूप में स्थापित किया है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:
- G-20 में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका सहित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन जैसी वैश्विक पहलों में इसके योगदान का परीक्षण कीजिए। सतत विकास के लिए भारत की ग्रीन ग्रिड पहल के महत्व का आकलन कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)
- मिशन LiFE जैसी पहल के द्वारा जलवायु परिवर्तन संकट का सामना करने में भारत की रणनीति का विश्लेषण कीजिए। विशेषकर हाइड्रोजन के वैश्विक ऊर्जा व्यापार में एक प्रमुख अभिकर्ता बनने के भारत के लक्ष्य के निहितार्थ पर चर्चा कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)
Source- The Hindu