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Daily-current-affairs / 29 Jun 2023

भारत और मिस्र: मजबूत होती साझेदारी - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख (Date): 30-06-2023

प्रासंगिकता - जीएस पेपर 2 - अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कीवर्ड - रणनीतिक साझेदारी, दक्षिण-दक्षिण सहयोग, द्विपक्षीय व्यापार समझौता

संदर्भ -

मिस्र, एक महत्वपूर्ण भू-रणनीतिक स्थिति के साथ पश्चिम एशिया का एक अत्यधिक महत्वपूर्ण देश है, क्योंकि वैश्विक व्यापार का 12% स्वेज नहर से होकर गुजरता है। यह भारत के लिए यूरोप और अफ्रीका के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है और पश्चिम एशिया एवं अफ्रीका के प्रमुख देशों के साथ इसके द्विपक्षीय व्यापार समझौते हैं।

बढ़ती साझेदारी:

हाल ही में भारत और मिस्र के संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में उन्नत करना दीर्घकाल से प्रतीक्षित कदम का एक प्रतीक है, जो उनके ऐतिहासिक संबंधों को स्वीकार करता है और पश्चिम एशिया-उत्तरी अफ्रीका (डब्ल्यूएएनए) क्षेत्र के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करता है। दोनों देशों का लक्ष्य कृषि, पुरातत्व एवं पुरावशेषों और प्रतिस्पर्धा कानून को शामिल करने वाले समझौतों के साथ हरित ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स तथा रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है।

भारत-मिस्र संबंध: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

प्राचीन समय:

मिस्र के साथ भारत के जुड़ाव की जड़ें नील और सिंधु नदियों के किनारे इन प्राचीन सभ्यताओं के बीच व्यापारिक संबंधों में खोजी जा सकती हैं।

जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में:

शीत युद्ध के दौरान, भारत और मिस्र की साझा मंशा थी कि वे संयुक्त राज्य अमेरिका या सोवियत संघ के साथ न जुड़ें। 1955 में, गमाल अब्देल नासिर के नेतृत्व में मिस्र और जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में भारत गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के संस्थापक सदस्य बने। 1956 के युद्ध के दौरान मिस्र के लिए नेहरू का समर्थन इतना मजबूत था कि उन्होंने भारत को ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से वापस लेने की चेतावनी भी दी थी।

दक्षिण-दक्षिण सहयोग:

भारत और मिस्र ने जी-77 समूह और "दक्षिण-दक्षिण सहयोग" को बढ़ावा देने वाली पहलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

दक्षिण-दक्षिण सहयोग क्या है?

विश्व के देशों का वर्गीकरण विकास के आधार पर किया जाता है। इस प्रकार, हमारे पास विकसित एवं समृद्ध देश, विकासशील देश और अंततः अल्प विकसित देश हैं। यदि हम ध्यान से देखें तो विकासशील और अल्प विकसित देश (एलडीसी) विश्व के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित हैं, जबकि विकसित देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित हैं। इस भौगोलिक विशिष्टता के कारण, विद्वानों ने विकसित देशों को 'उत्तर' और विकासशील देशों एवं एलडीसी को 'दक्षिण' कहा है।

इसलिए, जब दक्षिण के देश या विकासशील देश विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग करते हैं, तो इसे दक्षिण-दक्षिण सहयोग या संवाद के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार, दक्षिण-दक्षिण सहयोग शब्द का अर्थ विकासशील देशों के बीच आर्थिक क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में सहयोग की प्रक्रिया है। वर्तमान में, विकासशील देशों द्वारा अपने विकास और प्रगति के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग को एक व्यवहार्य रणनीति के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है।

इसके विपरीत, जब विकसित उत्तर और विकासशील दक्षिण के बीच सहयोग और संवाद होता है, तो इसे उत्तर-दक्षिण संवाद के रूप में जाना जाता है। विकासशील देशों के बीच सामूहिक आत्मनिर्भरता के सपने को प्राप्त करने के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन द्वारा दक्षिण-दक्षिण सहयोग को अपने आर्थिक दृष्टिकोण के मूल सिद्धांत के रूप में अपनाया गया है। हालाँकि दक्षिण-दक्षिण सहयोग शब्द 1970 के दशक में प्रचलित हुआ, लेकिन यह विचार लंबे समय से NAM के एजेंडे में रहा है। यह विकासशील देशों और एलडीसी के प्रति भारत की आर्थिक कूटनीति का एक बुनियादी दृष्टिकोण भी है।

मैत्री संधि और द्विपक्षीय संबंध:

भारत और मिस्र ने 1955 में एक ऐतिहासिक मैत्री संधि पर हस्ताक्षर करके अपने संबंधों को और गहरा किया था। हाल के वर्षों में, इन पारंपरिक रूप से मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को दोनों देशों के बीच नियमित उच्च-स्तरीय बैठकों और संवाद के माध्यम से नए सिरे से गति मिली है।

व्यापार एवं वाणिज्य:

मिस्र लंबे समय से अफ्रीका में भारत का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार रहा है। मोस्ट फेवर्ड नेशन क्लॉज पर आधारित भारत-मिस्र द्विपक्षीय व्यापार समझौता मार्च 1978 से प्रभावी है।मिस्र द्वारा भारत को निर्यात में कच्चा कपास, उर्वरक, तेल उत्पाद, रसायन, चमड़ा और लौह उत्पाद शामिल हैं। भारत मिस्र को सूती धागा, तिल, कॉफी, जड़ी-बूटियाँ, तम्बाकू और दाल का निर्यात करता है। इसके अतिरिक्त, भारत मिस्र को खनिज ईंधन, वाहन के पुर्जे, जहाज, नाव, विद्युत मशीनरी एवं उपकरण इत्यादि निर्यात करता है।

तकनीकी एवं वैज्ञानिक सहयोग:

तकनीकी सहयोग और सहायता ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मिस्र के लोग भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (आईटीईसी) में भाग लेते हैं, तथा 1998 में, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और मिस्र के कृषि एवं भूमि मंत्रालय के कृषि अनुसंधान केंद्र ने कृषि अनुसंधान में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

भारत और मिस्र के बीच सांस्कृतिक संबंध:

सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए, 1992 में काहिरा में मौलाना आज़ाद सेंटर फॉर इंडियन कल्चर (MACIC) की स्थापना की गई थी। MACIC सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन करता है, हिंदी, उर्दू और योग कक्षाएं प्रदान करता है, भारतीय फिल्में दिखाता है और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देता है। वार्षिक 'इंडिया बाय द नील' (India by the Nile) उत्सव मिस्र में भारतीय शास्त्रीय, समकालीन, प्रदर्शन एवं दृश्य कला, भोजन एवं लोकप्रिय संस्कृति का जश्न मनाता है, जो भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) और मिस्र के संस्कृति मंत्रालय द्वारा समर्थित है।

रक्षा साझेदारी का पुनरुद्धार:

भारत और मिस्र के बीच रक्षा साझेदारी में पुनरुद्धार देखा गया है, जिसमें भारतीय नौसेना जहाज की मिस्र यात्रा, एक महीने तक चलने वाला वायु सेना अभ्यास और मिस्र वायु सेना प्रमुख की भारत यात्रा शामिल है।

भारत और मिस्र के समक्ष अवसर:

धार्मिक उग्रवाद का मुकाबला: भारत का लक्ष्य क्षेत्र में उदारवादी देशों का समर्थन करके और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देकर धार्मिक उग्रवाद का मुकाबला करना है।

  • भारत ने इसे खाड़ी क्षेत्र में एक प्रमुख अभिकर्ता के रूप में पहचाना है क्योंकि यह धर्म पर उदार रुख रखता है, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब (जिन्होंने मिस्र में पर्याप्त निवेश किया है) के साथ मजबूत संबंध रखता है।

रणनीतिक अवस्थिति: मिस्र स्वेज नहर के साथ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जिसके माध्यम से वैश्विक व्यापार का 12% होकर गुजरता है।

  • मिस्र के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाकर, भारत इस क्षेत्र में अपने लक्ष्यों को आगे बढ़ाने की उम्मीद रखता है।

भारतीय निवेश: मिस्र बुनियादी ढांचे में निवेश चाहता है - काहिरा और अलेक्जेंड्रिया में मेट्रो परियोजनाएं, स्वेज नहर आर्थिक क्षेत्र, स्वेज नहर का दूसरा चैनल और काहिरा उपनगर में एक नई प्रशासनिक राजधानी।

  • 50 से अधिक भारतीय कंपनियों ने मिस्र में 3.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है।

सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में समानता: मिस्र एक बड़ा देश (जनसंख्या 105 मिलियन) और अर्थव्यवस्था (378 बिलियन अमेरिकी डॉलर) है। यह राजनीतिक रूप से स्थिर है और इसकी सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ काफी हद तक भारत के समान हैं।

  • मिस्र का सबसे बड़ा आयात परिष्कृत पेट्रोलियम, गेहूं (दुनिया का सबसे बड़ा आयातक), कार, मक्का और फार्मास्यूटिकल्स हैं - जिनकी आपूर्ति करने की भारत में क्षमता है।

बुनियादी ढाँचा विकास: इसके अलावा, मिस्र सरकार का एक महत्वाकांक्षी बुनियादी ढाँचा विकास एजेंडा है, जिसमें 49 मेगा परियोजनाएँ शामिल हैं जिनमें न्यू काहिरा (58 बिलियन अमेरिकी डॉलर), 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर का परमाणु ऊर्जा संयंत्र और 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हाई-स्पीड रेल नेटवर्क का निर्माण शामिल है।

  • 2015-19 के दौरान, मिस्र दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक था। जो भारत के लिए अवसर प्रस्तुत करते हैं।

नवीन गतिविधियाँ:

यूक्रेन युद्ध पर रुख:

भारत और मिस्र ने यूक्रेन युद्ध पर समान रुख अपनाया है, रूस के कार्यों की आलोचना करने से परहेज करते हुए राजनयिक समाधान का भी आह्वान किया है।

मिस्र को भारत की गेहूं आपूर्ति:

रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण निर्यात अवरोधों से प्रभावित एक प्रमुख गेहूं आयातक मिस्र को गेहूं की आपूर्ति करने के भारत के फैसले को काहिरा से सराहना मिली और दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हुए।

मिस्र का सर्वोच्च राजकीय सम्मान:

भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में मिश्र के राष्ट्रपति अल-सिसी की भारत यात्रा के दौरान, उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को मिस्र के सर्वोच्च राज्य सम्मान, "द ऑर्डर ऑफ द नाइल" से सम्मानित किया। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार उन नेताओं को मान्यता देता है जिन्होंने मिस्र या मानवता के लिए अमूल्य योगदान दिया है।

भावी रणनीति:

अपने ऐतिहासिक संबंधों से प्रेरित और वर्तमान भू-राजनीतिक गतिशीलता से प्रेरित होकर, भारत और मिस्र एक मजबूत साझेदारी बना रहे हैं जो भविष्य की अर्थव्यवस्थाओं और स्वायत्त विदेश नीतियों को प्राथमिकता देता है।

मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

  • प्रश्न 1: भारत-मिस्र संबंधों के रणनीतिक साझेदारी में हालिया उन्नयन के महत्व को स्पष्ट करें। दोनों देशों के बीच सहयोग के संभावित क्षेत्रों और पश्चिम एशिया-उत्तरी अफ्रीका (डब्ल्यूएएनए) क्षेत्र के साथ भारत के संबंधों पर उनके निहितार्थ पर चर्चा करें। (10 अंक, 150 शब्द)
  • प्रश्न 2: भारत-मिस्र संबंधों की ऐतिहासिक जड़ों और विकास का मूल्यांकन करें, मैत्री संधि जैसे प्रमुख मील के पत्थर, गुटनिरपेक्ष आंदोलन और दक्षिण-दक्षिण सहयोग में उनकी भूमिकाओं पर प्रकाश डालें। भारत और मिस्र के बीच वर्तमान द्विपक्षीय संबंधों पर इन ऐतिहासिक संबंधों के प्रभाव का विश्लेषण करें। (15 अंक, 250 शब्द)

स्रोत: The Hindu