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Daily-current-affairs / 10 Sep 2023

G20 नई दिल्ली घोषणापत्र (लीडर्स डिक्लेरेशन) - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख (Date): 11-09-2023

प्रासंगिकता: जीएस पेपर 2 - अंतर्राष्ट्रीय संबंध - अंतर्राष्ट्रीय समूहीकरण और भारत पर इसका प्रभाव

कीवर्ड: भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईई ईसी), चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई)। ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस, ग्लोबल साउथ, अफ्रीका यूनियन

सन्दर्भ:

नई दिल्ली में आयोजित G20 शिखर सम्मेलनके वैश्विक मंच पर भारत ने G20 नई दिल्ली नेताओं की घोषणा की परिणति के साथ एक महत्वपूर्ण राजनयिक उपलब्धि प्राप्त की । यह विस्तृत आलेख घोषणा का विश्लेषण करता है, जिसमें भारत द्वारा निभाई गई भूमिका और संबोधित किए गए महत्वपूर्ण मुद्दों सहित प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है।

नई दिल्ली घोषणा

यूक्रेन युद्ध पर

  • यूक्रेन युद्ध से अत्यधिक मानवीय पीड़ा हुई है और युद्धों एवं संघर्ष का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
  • इसमें वैश्विक खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के संबंध में यूक्रेन में युद्ध के नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला।
  • यह यूएनएससी और यूएनजीए में अपनाए गए भारत के रुख और प्रस्तावों को दोहराता है।
  • परमाणु हथियारों का इस्तेमाल या धमकी देना अस्वीकार्य है।
  • भारत का मानना है कि जी20 भू-राजनीतिक मुद्दों को हल करने का मंच नहीं है, घोषणापत्र में स्वीकार किया गया है कि इन मुद्दों का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है।
  • सभी देशों को किसी देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ उसके भू-भाग पर कब्जे के लिए बल के इस्तेमाल या धमकी देने से बचना चाहिए।
  • हम सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान करते हैं।
  • "आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए।"

अनाज/खाद्य/ऊर्जा सुरक्षा पर

  • जी20 घोषणापत्र में आपूर्ति शृंखला, वृहद-वित्तीय स्थिरता, मुद्रास्फीति और विकास पर यूक्रेन संघर्ष के नकारात्मक प्रभाव का उल्लेख है।
  • जी20 घोषणापत्र में कहा गया है कि यूक्रेन संघर्ष ने देशों, विशेष रूप से विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिए नीतियों पर जटिलता उत्पन्न कर दी है।
  • इसमें रूस और यूक्रेन से अनाज, खाद्य पदार्थों और उर्वरकों/ इनपुट की तत्काल और अबाधित आपूर्ति सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया।
  • इसमें रूस और यूक्रेन से खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा को बनाए रखने के महत्व पर जोर देते हुए, प्रासंगिक बुनियादी ढांचे पर सैन्य विनाश या अन्य हमलों को रोकने का आह्वान किया गया है ।
  • अर्थव्यवस्थाओं और वित्तीय बाजारों पर "कमज़ोर लोगों की रक्षा और न्यायसंगत विकास और संवर्द्धन पर बल दिया गया है ।

“व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता।"

  • घोषणापत्र, मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर, वित्तीय स्थिरता बोर्ड के उच्च-स्तरीय समर्थन,
  • G20 फाइनेंस द्वारा अप्रैल 2021 में की गई विनिमय दर प्रतिबद्धता की पुष्टि करने,
  • विनियमन, पर्यवेक्षण के लिए सिफारिशें क्रिप्टो-परिसंपत्तियों, गतिविधियों की निगरानी करने, और वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों द्वारा क्रिप्टोकर्रेंसी रोडमैप को आगे बढ़ाने पर चर्चा करने का आवाहन करता है
  • घोषणापत्र, समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने और संरक्षणवाद को हतोत्साहित करके निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा, बाज़ार को विकृत करने वाली प्रथाएँ को समाप्त करने की वकालत करता है ।

जलवायु परिवर्तन पर

  • घोषणापत्र कहता है की, चरणबद्ध प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत है राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप कोयला बिजली को निर्बाध रूप से बंद करना होगा ।
  • निम्न को सुविधा प्रदान करने की दिशा में काम करेंगे-
  • विकासशील देशों के लिए लागत वित्तपोषण,
  • निम्न कार्बन में उनके परिवर्तन का समर्थन करें,
  • 2030 तक राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप, मौजूदा लक्ष्यों और नीतियों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के प्रयासों को आगे बढ़ाएंगे और प्रोत्साहित करेंगे।

वैश्विक स्वास्थ्य

  • स्वस्थ्य पर सुदृढ़ीकरण के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे
  • घोषणापत्र स्वास्थ्य प्रणालियों का लचीलापन और विकास का समर्थन करता है
  • जलवायु-लचीला और कम कार्बन स्वास्थ्य में सहयोग पर बल देता है

यूक्रेन-रूस संघर्ष पर बातचीत

  • संतुलन अधिनियम (Balancing Act): घोषणा ने इस मुद्दे पर सात व्यापक पैराग्राफ समर्पित करके यूक्रेन-रूस संघर्ष के लिए एक गंभीर दृष्टिकोण का प्रदर्शन किया। यह पिछली बाली घोषणा से एक उल्लेखनीय विचलन का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें केवल दो पैराग्राफ शामिल थे।
  • आम सहमति की भाषा (Language of Consensus): संतुलन बनाने के प्रयास में, घोषणापत्र में रूस के कार्यों की स्पष्ट रूप से निंदा करने या उन्हें आक्रामकता के रूप में चित्रित करने से परहेज किया गया है। इसके लिए इसमें कूटनीतिक भाषा का उपयोग किया है जिसका उद्देश्य आम सहमति बनाना है।
  • मूल सिद्धांत (Core Principles): इसमें प्रमुख सिद्धांतों पर जोर दिया गया है, जैसे क्षेत्रीय विजय की स्पष्ट अस्वीकृति, राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने की अनिवार्यता, और यूक्रेन में न्यायसंगत और स्थायी शांति की स्थापना ।
  • भविष्य के लिए प्रासंगिकता (Relevance for the Future): वर्तमान संघर्ष को संबोधित करने के अलावा, घोषणापत्र की भाषा भविष्य में इसी तरह के संघर्षों को संबोधित करने के लिए आधार तैयार करती है। यह क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के लिए बल प्रयोग से परहेज करने के महत्व को रेखांकित करता है।

भारत का कूटनीतिक प्रभाव

  • भारत घोषणापत्र को आकार देने में एक महत्वपूर्ण वैश्विक नेता के रूप में उभरा है। इसने राष्ट्रों को एक साथ लाकर, विविध दृष्टिकोणों को आत्मसात करके और समझौता प्रस्ताव तैयार करके असाधारण कूटनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया। इससे वैश्विक मंच पर एक कूटनीतिक नेता के रूप में भारत की प्रतिष्ठा मजबूत हुई।

व्यापक डिलिवरेबल्स

  • संरचनात्मक दृष्टिकोण (Structured Approach): घोषणापत्र पारंपरिक पैराग्राफ संरचना से हटकर, “जी20 नई दिल्ली नेताओं की घोषणा एक अलग प्रारूप अपनाता है”। यह एक प्रस्तावना के साथ शुरू होता है, उसके बाद इसमें दस विषयगत अध्याय शामिल हैं, जो एक संक्षिप्त निष्कर्ष के साथ समाप्त होता है।
  • अध्याय की मुख्य विशेषताएं: प्रत्येक अध्याय एक विशिष्ट विषयगत क्षेत्र को संबोधित करता है। पहला अध्याय, "मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास", वैश्विक आर्थिक स्थितियों, वित्तीय समावेशन और भ्रष्टाचार विरोधी उपायों पर प्रकाश डालता है। इसके बाद के अध्यायों में सतत विकास लक्ष्य, महामारी प्रतिक्रिया तंत्र, हरित विकास, बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार, तकनीकी परिवर्तन, डिजिटल बुनियादी ढांचा और लैंगिक समानता जैसे विषय शामिल हैं।

मुख्य सफलतायें:

  • सुधार: अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और जी20 के भीतर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर पहली बार सहमती बनी । इसके अतिरिक्त, यह साइबर शिक्षा और जागरूकता बढ़ाने, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने , आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग का मुकाबला करने के उपायों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • व्यापक घोषणा: अंतिम घोषणा में 83 पैराग्राफ शामिल थे, जिनमें आठ "भूराजनीतिक मुद्दों" को समर्पित थे। इन पैराग्राफों में जलवायु कार्रवाई, वित्तपोषण तंत्र, जीवाश्म ईंधन चरणबद्धता, ऋण पुनर्गठन, जैव ईंधन गठबंधन, स्वास्थ्य, डिजिटल बुनियादी ढांचे और क्रिप्टोकरेंसी विनियमन जैसे विविध विषयों को शामिल किया गया है।

निर्बाध समुद्री-रेल गलियारा: भारत से पश्चिम एशिया होते हुए यूरोप तक

  • प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में 20 नेताओं के समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन में एक महत्वाकांक्षी परियोजना का अनावरण किया। इस परियोजना को ,आधिकारिक तौर पर भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईई ईसी) के नाम से जाना जाता है इसका उद्देश्य पश्चिम एशिया के माध्यम से भारत से यूरोप तक एक कनेक्टिविटी गलियारा स्थापित करना है।
  • यह परियोजना आधुनिक स्पाइस रूट की तुलना में, ऐतिहासिक व्यापार मार्गों को पुनर्जीवित करने और नए मार्ग स्थापित करने, एशिया, पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व एवं यूरोप के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने पर आधारित है।
  • यह पहल यूरेशियन उपमहाद्वीप से भौतिक संपर्क बनाने के लिए रेलवे ट्रैक और शिपिंग गलियारों का लाभ उठाने की कल्पना करती है। इसमें भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, इज़राइल और यूरोपीय संघ में कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है।
  • इससे न केवल डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा बल्कि देशों के बीच व्यापार में भी वृद्धि होगी, विशेष रूप से इसमें हरित हाइड्रोजन जैसे ऊर्जा उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • इसके अतिरिक्त,भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईई ईसी) चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के लिए एक वैचारिक विकल्प भी प्रस्तुत करता है।भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईई ईसी) भारत की "मेक इन इंडिया," "सागरमाला," और "आत्मनिर्भर भारत" जैसी पहलों के साथ संरेखित है। इससे आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हुए बुनियादी ढांचे, लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षमताओं को बढ़ाने की उम्मीद है।
  • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईई ईसी) अमेरिका के नेतृत्व वाली पहल, पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट (PGII) के साथ भी सम्बद्ध है। इसका उद्देश्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में आर्थिक विकास को बढ़ाते हुए उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण को बढ़ावा देना है।

स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की पहल

  • भारतीय प्रधानमंत्री ने जी -20 शिखर सम्मेलन में वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन का उद्घाटन किया, जिसमें सदस्य देशों से पेट्रोल के साथ 20% के वैश्विक इथेनॉल मिश्रण को लक्षित करने का आग्रह किया गया।
  • मुख्य फोकस वैश्विक स्तर पर पेट्रोल के साथ इथेनॉल के मिश्रण को बढ़ावा देना है, जिसका लक्ष्य दुनिया भर में 20% इथेनॉल मिश्रण तक पहुंचना है।
  • गठबंधन के संस्थापक सदस्यों में अर्जेंटीना, बांग्लादेश, ब्राजील, इटली, मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका शामिल हैं। इसके अलावा, कनाडा और सिंगापुर पर्यवेक्षक देशों के रूप में भागिदार हैं।
  • भारतीय प्रधानमंत्री ने पर्यावरण और जलवायु अवलोकन के लिए जी-20 सैटेलाइट मिशन का प्रस्ताव रखा और "वन अर्थ" पर जी-20 शिखर सम्मेलन सत्र के दौरान ग्रीन क्रेडिट पहल पर काम शुरू करने का आह्वान किया।
  • उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए 21वीं सदी में ऊर्जा परिवर्तन के महत्व पर प्रकाश डाला और इस परिवर्तन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने में विकसित देशों की भूमिका पर जोर दिया।
  • विकसित देशों ने जलवायु वित्त के लिए 100 बिलियन डॉलर प्रदान करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की, जो जलवायु कार्रवाई का समर्थन करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
  • अफ्रीकी संघ का समावेश: भारत ने अफ्रीकी संघ को जी-20 में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह निर्णय जी-20 के भीतर संतुलन को पावर-11 से , जिसमें जी7, ईयू, रूस और चीन शामिल हैं, से स्थानांतरित करके विकासशील-10 के पक्ष में करता है , जिसमें भारत, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब और अफ्रीकी संघ जैसे देश शामिल हैं।
  • ग्लोबल साउथ पहल: "वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ" पर भारत के जोर ने 125 से अधिक विकासशील देशों को बातचीत में शामिल किया। यह जनवरी 2023 में एक "फीडर कॉन्फ्रेंस" के माध्यम से हासिल किया गया था, जहां विकासशील दुनिया की चिंताओं को नई दिल्ली के नेताओं की घोषणा में शामिल किया गया है।
  • जी-20 का लोकतंत्रीकरण: जी-20 को अधिक समावेशी और लोकतांत्रिक बनाने का भारत का प्रयास शिखर सम्मेलन के अनूठे दृष्टिकोण में स्पष्ट था। 125 से अधिक देशों के 1,00,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने 60 से अधिक भारतीय शहरों में लगभग 200 बैठकों में भाग लिया, जो "पीपुल्स जी-20" के राजनीतिक संदेश को स्पष्ट करता है।
  • विविधता को बढ़ावा: यह घोषणा धार्मिक प्रतीकों और पवित्र ग्रंथों सहित धार्मिक घृणा के कृत्यों की कड़ी निंदा करते हुए धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

भविष्य का दृष्टिकोण

  • मजबूत प्रतिबद्धता: जी20 शिखर सम्मेलन ने भविष्य के अध्यक्ष पद के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता प्रदर्शित की, जिसमें ब्राजील को 2024 में अध्यक्ष का पद संभालने की उम्मीद है, उसके बाद 2025 में दक्षिण अफ्रीका और 2026 में संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान होगा।
  • सहभागिता समूहों को स्वीकार करना: शिखर सम्मेलन ने अनेक सहभागिता समूहों और पहलों की सिफारिशों को स्वीकार किया और उनका स्वागत किया। यह दृष्टिकोण समावेशिता के महत्व और निर्णय लेने में विविध दृष्टिकोणों को शामिल करने के महत्व को रेखांकित करता है।
  • जन-केंद्रित कूटनीति: भारत के 60 शहरों में 200 से अधिक बैठकें आयोजित करने का जी20 शिखर सम्मेलन का अनूठा दृष्टिकोण जन-केंद्रित कूटनीति का उदाहरण है। यह G20 को वैश्विक जनता के करीब लाता है, अधिक पारदर्शिता और सार्वजनिक सहभागिता को बढ़ावा देता है।

निष्कर्ष

नई दिल्ली जी-20 शिखर सम्मेलन वैश्विक सहयोग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो उल्लेखनीय नई दिल्ली घोषणा और भारत की प्रभावशाली अध्यक्षता द्वारा चिह्नित है। जी-20 को अधिक समावेशी बनाने, वैश्विक दक्षिण का प्रतिनिधित्व करने और वैश्विक आबादी को शामिल करने के भारत के प्रयास एक अधिक न्यायसंगत और समृद्ध विश्व के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं। यद्यपि कुछ प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति उल्लेखनीय है परन्तु शिखर सम्मेलन के परिणाम इसमें शामिल सभी पक्षों के लिए जीत-जीत की स्थिति को दर्शाते हैं, जो भविष्य के सहयोग के लिए सकारात्मक परिवेश की स्थापना करते हैं।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

  1. भारत के कूटनीतिक प्रभाव ने G20 नई दिल्ली नेताओं की घोषणा को कैसे आकार दिया, और घोषणा में प्रमुख मुद्दे क्या थे? विश्लेषण कीजिये । (10 अंक, 150 शब्द)
  2. भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईई ईसी) का क्या महत्व है, और यह "मेक इन इंडिया," "सागरमाला," और "आत्मनिर्भर भारत" जैसी भारत की पहलों से कैसे संबंधित है? (15 अंक,250 शब्द)

Source - The Hindu, The Indian Express