तारीख Date : 30/12/2023
प्रासंगिकता: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 - अंतर्राष्ट्रीय संबंध
की-वर्ड्स: ओपीएस, आईएफसी-आईओआर, विदेशी मुद्रा, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला
संदर्भ:-
लाल सागर वर्तमान समय में अंतर्राष्ट्रीय चर्चा का केंद्र बिंदु बना हुआ है। यमन में हौती विद्रोहियों द्वारा वाणिज्यिक नौवहन पर मिसाइल और ड्रोन से होने वाले हमले तथा लाइबेरियाई व्यापारिक पोत केम प्लूटो पर प्रक्षेप्य हमला (projectile strike ) वैश्विक नौवहन, आपूर्ति श्रृंखलाओं और आर्थिक स्थिरता पर व्यापक सवाल उठाते हैं।
लाल सागर में हौती ड्रोन हमले
गाजा में हमास के खिलाफ इजरायल के हमले के बाद ,हौती विद्रोहियों द्वारा मिसाइल और ड्रोन हमलों में वृद्धि हुई है, जिसके फलस्वरूप लाल सागर, तटवर्ती देशों के मध्य एक हॉटस्पॉट बन गया है। हाल ही में केम प्लूटो, एम. वी. साईं बाबा और एम. वी. बलामनेन जैसे जहाजों पर हमलें लाल सागर की महत्वपूर्ण नौवहन प्रणाली के लिए संकटग्रस्त स्थिति को रेखांकित कर रहे है। हौती विद्रोहियों ने बैलिस्टिक मिसाइलों और लंबी दूरी के ड्रोन द्वारा इजरायल से जुड़े समुद्री वाणिज्य को निशाना बनाने के अपने इरादे की घोषणा की है। यह हमले तटों से बहुत दूरी पर चल रहे जहाजों पर भी किए गए हैं, जो इस क्षेत्र में मिसाइलों और ड्रोन को रोकने के लिए अमेरिकी नौसेना द्वारा सैनिक हस्तक्षेप पर भी प्रश्नचिह्न आरोपित करते हैं। जोखिमों का आकलन करने और प्रभावी जवाबी प्रतिक्रिया तैयार करने के लिए इन हमलों की प्रकृति को समझना महत्वपूर्ण है।
विश्व पर प्रभाव
लाल सागर और बाब अल-मंडेब क्षेत्र में समुद्री वाणिज्य पर हो रहे हौती हमले का विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिल रहा है। यहाँ हम कुछ प्रमुख परिणामों पर चर्चा कर रहे हैं-
- लाल सागर वैश्विक वाणिज्य के लिए एक महत्वपूर्ण नौपरिवहन मार्ग है, जिससे होकर वैश्विक व्यापार का लगभग 12% गुजरता है। हौती विद्रोहियों द्वारा समुद्री वाणिज्य को लक्षित करने से उत्पन्न खतरा, दुनिया भर में आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर सकता है। परिणाम स्वरूप शिपिंग कंपनियां लाल सागर मार्ग के अलावा किसी अन्य वैकल्पिक मार्ग को अपना सकती हैं,इससे माल के परिवहन में देरी हो सकती है और शिपिंग कंपनियों के लिए भी लागत बढ़ सकती है।
आर्थिक प्रभावः
- लाल सागर और बाब अल-मंडेब जलडमरूमध्य अंतर्राष्ट्रीय नौपरिवहन व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हौती हमलों के बाद शिपिंग कंपनियों द्वारा इस क्षेत्र में हमलों से बचने की प्रवृत्ति के कारण विश्व स्तर पर आर्थिक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। ईंधन और परिचालन लागत में वृद्धि के साथ ही यह विस्तारित यात्रा समय और प्रभावी लागत शिपिंग पर आधारित व्यवसायों की लाभप्रदता को प्रभावित कर सकता है।
- औद्योगिक क्षेत्र की दिग्गज कंपनी मार्सक सहित प्रमुख नौवहन कंपनियों ने लाल सागर से बचने के लिए केप ऑफ गुड होप से होते हुए मार्ग का विकल्प चुना है। नौवहन मार्गों में इस रणनीतिक बदलाव से दूरी में वृद्धि होगी , परंपरागत नौवहन मार्ग बाधित होगें और परिचालन लागत बढ़ जाएगी। यह स्वेज नहर से उत्पन्न राजस्व को भी प्रभावित कर सकता है, जो वैश्विक समुद्री व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है।
- हौती विद्रोहियों के पास अत्याधुनिक बैलिस्टिक मिसाइलें और लंबी दूरी के ड्रोन से समुद्री यातायात के लिए सुरक्षा संकट उत्पन्न हो गया है। यह मिसाइलों और ड्रोन को मार गिराने के लिए अमेरिकी नौसेना द्वारा सुरक्षा स्थिति की पुनरबहाली हेतु सैनिक हस्तक्षेप की गंभीरता को इंगित करता है। स्पष्ट है कि शिपिंग लेन की रक्षा के लिए सैन्य प्रयासों की आवश्यकता है।
- लाल सागर मार्ग से जहाजों के न गुजरने के कारण जिबूती और अदन की खाड़ी में बंदरगाहों का परिचालन प्रभावित हो सकता है। इन क्षेत्रों में बंदरगाहों पर यातायात में कमी आ सकती है, जिससे उनका राजस्व और समग्र आर्थिक योगदान प्रभावित हो सकता है।
- हौती हमलों और बाद में U.S. नौसेना की प्रतिक्रियाओं ने क्षेत्र में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव में योगदान दिया है। मौजूदा स्थिति यहाँ चल रहे संघर्षों में जटिलता पैदा कर रही है, इजरायल-हमास संघर्ष और लाल सागर एवं आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा खतरों को दूर करने के लिए और अधिक अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी को प्रेरित कर सकता है।
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का विघटनः
नौवहन मार्गों में बदलावः
सुरक्षा चिंताएं
क्षेत्रीय बंदरगाहों पर प्रभावः
भू-राजनीतिक तनावः
भारत पर प्रभाव
- यह हमले आयात से अधिक निर्यात को प्रभावित कर सकते हैं। समुद्री व्यापार मार्गों में व्यवधान भारतीय निर्यातकों के लिए देरी और लागत में वृद्धि कर सकता है। यह विनिर्माण, वस्त्र और कृषि जैसे उद्योगों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा जो निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
- हमलों के कारण शिपिंग मार्ग अधिक संकटपन्न हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप शिपिंग कंपनियां उच्च जोखिमों की भरपाई के लिए माल ढुलाई की दरों में वृद्धि कर देती हैं। इसके परिणामस्वरूप, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में शामिल भारतीय व्यवसायों की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है।
- लाल सागर तेल परिवहन के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है। इस क्षेत्र में अस्थिरता से वैश्विक तेल बाजार में अनिश्चितता पैदा हो सकती है, जिससे संभावित रूप से तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव होगा। भारत, तेल का एक प्रमुख आयातक होने के कारण ऊर्जा लागतों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर सकता है।
- हमले वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर सकते हैं, परिणामस्वरूप भारत से आयात-निर्यात वाली वस्तुओं और कच्चे माल की समय पर डिलीवरी प्रभावित हो सकती है। जिन उद्योग के लिए समय पर कच्चे माल की उपलब्धता आवश्यक है उन्हें उत्पादन में देरी का सामना करना पड़ सकता है, इससे उनकी समग्र दक्षता प्रभावित हो सकती है।
- व्यापार में बाधा और बढ़ी हुई लागत भारत के व्यापार संतुलन और विदेशी मुद्रा भंडार को प्रभावित कर सकती है। व्यापार संतुलन पर कोई भी नकारात्मक प्रभाव अन्य मुद्राओं के मुकाबले भारतीय मुद्रा के मूल्य को प्रभावित कर सकता है।
- भारत को स्थिति से निपटने और अपने समुद्री हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राजनयिक रूप से जुड़ने की आवश्यकता है। बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और राजनयिक प्रयासों की आवश्यकता संसाधनों और अन्य आर्थिक प्राथमिकताओं से ध्यान को हटा सकती है।
निर्यात पर प्रभावः
लागत में वृद्धि:
ऊर्जा मूल्यः
आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानः
विदेशी मुद्रा पर प्रभावः
राजनयिक और सुरक्षा संबंधी चिंताएं:
समस्या के समाधान के लिए उपाय ?
- अमेरिका ने 18 दिसंबर को संयुक्त समुद्री बल के अधीन 153 टास्क फोर्स के नेतृत्व में लाल सागर में हमलों का मुकाबला करने के लिए ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन की घोषणा की।
- भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने विध्वंसक, गश्ती विमान, मानव ड्रोनो, हेलीकॉप्टरों और तटरक्षक जहाजों को तैनात करके इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है।
- भारतीय नौसेना ने अक्टूबर 2008 से लगातार अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती रोधी गश्ती जहाजों को तैनात किया है। 2017 से हिंद महासागर क्षेत्र(IOR) में महत्वपूर्ण समुद्री चोक बिंदुओं पर युद्धपोतों की तैनाती की है।
- गुरुग्राम में स्थित हिंद महासागर क्षेत्र के लिए सूचना संलयन केंद्र (आईएफसी-आईओआर) सक्रिय रूप से इस क्षेत्र की निगरानी कर रहा है। यह हिंद महासागर क्षेत्र में जहाजों के लिए परिचालन प्रतिक्रियाओं और सहायता का समन्वय करता है और रूएन (m.v. Ruen) अपहरण जैसी घटनाओं की स्थिति में संचार की सुविधा प्रदान करता है। ।
- क्षेत्रीय संकट के फलस्वरूप हुए समय और मूल्य में वृद्धि के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की चिंताएं बढ़ गईं हैं ।
- एम. वी. रूएन जैसी घटनाओं के जवाब में अंतरराष्ट्रीय समन्वय अति आवश्यक है।
ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन (ओपीएस) की स्थापना
भारतीय सैन्य उपस्थिति में वृद्धिः
2008 से निरंतर तैनातीः
वैश्विक आर्थिक चिंताएं:
अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ समन्वयः
भविष्य की चुनौतियां
- राष्ट्रों और अंतर्राष्ट्रीय गठबंधनों द्वारा उठाए गए सक्रिय उपायों के बावजूद, कई सवाल अनुत्तरित हैं।
- चूंकि इस क्षेत्र से भारतीय वाणिज्यिक जहाजों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा गुजरता है, यहाँ कोई एक बडा हमला जान तथा माल की संभावित हानि के प्रति चिंता उत्पन्न करता है।
- जैसे-जैसे क्षेत्रीय संकट सामने बढ रहा है, वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के लिए उभरता खतरा समन्वित और निर्णायक प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
निष्कर्ष
लाल सागर में हौती विद्रोहियों द्वारा हाल ही में किए गए ड्रोन हमले वैश्विक नौवहन और आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती प्रस्तुत करते हैं। इन हमलों के भू-राजनीतिक निहितार्थ क्षेत्रीय संघर्षों से परे हैं, जो प्रमुख नौवहन मार्गों, व्यापार की मात्रा और आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत सहित विभिन्न राष्ट्र, समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने और वाणिज्यिक हितों की रक्षा के लिए बहुराष्ट्रीय पहलों में सक्रिय रूप से शामिल हैं। आने वाले समय में वैश्विक शिपिंग पैटर्न में तनाव और रणनीतिक बदलाव देखने को मिलेंगे, जो विश्व अर्थव्यवस्था पर समुद्री खतरों के प्रभाव को कम करने के लिए निरंतर सतर्कता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर देगा।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न
- वैश्विक नौवहन पर लाल सागर में हौती ड्रोन हमलों के आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रभावों का मूल्यांकन करें। महत्वपूर्ण नौवहन मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में समुद्री खतरों और उनकी संभावित प्रभावशीलता से निस्तारण हेतु भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा किए गए उपायों पर चर्चा करें। (10 marks, 150 words)
- "भारत के आर्थिक हितों, विशेष रूप से निर्यात, ऊर्जा की कीमतों और विदेशी मुद्रा के संदर्भ में लाल सागर में हौती ड्रोन हमलों के प्रभाव की जांच करें। बढ़ते समुद्री खतरों का सामना करते हुए भारत की समुद्री सुरक्षा और हितों की रक्षा करने में ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन (ओपीएस) और हिंद महासागर क्षेत्र के लिए सूचना संलयन केंद्र (आईएफसी-आईओआर) की भूमिका का आकलन करें । (15 marks, 250 words)
Source- The Hindu