तारीख (Date): 29-07-2023
प्रासंगिकता: जीएस पेपर 2 - सामाजिक न्याय।
की-वर्ड: जाति-आधारित भेदभाव, खतरनाक व्यवसाय, स्वच्छ भारत अभियान, नमस्ते योजना, मैनुअल स्कैवेंजर्स को रोजगार और शुष्क शौचालयों का निर्माण (निषेध) अधिनियम 1993।
सन्दर्भ :
- सामाजिक न्याय मंत्रालय ने बताया कि देश भर के 530 जिलों ने खुद को मैला ढोने की प्रथा से मुक्त घोषित कर दिया है।
- हालाँकि, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड सहित कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे जिले हैं जहां हाथ से मैला ढोने की प्रथा जारी है।
क्या आप जानते हैं?
- हाथ से मैला ढोने की प्रथा, जाति-आधारित भेदभाव पर आधारित एक निंदनीय प्रथा है जो विधायी उपायों और सरकारी पहलों के बावजूद भारत में जारी है।
- इस प्रथा में सार्वजनिक सड़कों, शुष्क शौचालयों, सेप्टिक टैंकों और सीवरों से मानव मल को खतरनाक रूप से हाथ से हटाना शामिल है।
- दु:खद बात यह है कि इन खतरनाक कार्यों को करते समय कई मैला ढोने वालों ने अपनी जान तक गंवा दी है।
- इस गंभीर मुद्दे को संबोधित करने के लिए, सरकार ने हाथ से मैला ढोने वालों के पुनर्वास और इस प्रथा को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए विभिन्न योजनाएं और अधिनियम पारित किए हैं।यद्यपि , चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं, अत : इसकी समाप्ति लिए एक व्यापक और दृढ़ दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
सम्बन्धित आँकड़े
- पिछले 29 वर्षों में, 989 हाथ से मैला ढोने वालों ने भूमिगत सीवेज टैंकों की सफाई करते समय अपनी जान गंवा दी है, जो इस कार्य की जीवन-घातक प्रकृति को दर्शाती है।
- मुआवज़ा, पूंजीगत सब्सिडी और अन्य लाभ प्रदान करने वाली सरकारी योजनाओं के माध्यम से लगभग 58,000 पहचाने गए मैनुअल स्कैवेंजरों के पुनर्वास के प्रयास किए जा रहे हैं।
- हाथ से मैला ढोने का प्रचलन विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, असम, कर्नाटक और राजस्थान जैसे राज्यों में अधिक है।
निरंतरता के कारण
- हाथ से मैला ढोने की प्रथा मुख्य रूप से जाति-आधारित भेदभाव का परिणाम है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि पहचाने गए 90% से अधिक मैला ढोने वाले अनुसूचित जाति समुदायों से सम्बन्धित हैं ।
- इसके अतिरिक्त, गरीबी और वैकल्पिक आजीविका विकल्पों की कमी इन लोंगों, विशेषकर महिलाओं को (अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए) इस खतरनाक व्यवसाय को जारी रखने के लिए मजबूर करती है।
- सीवेज सिस्टम की सफाई के लिए आधुनिक मशीनों की कमी के कारण श्रमिकों को खतरनाक भूमिगत सीवरेज लाइनों में मैन्युअल रूप से प्रवेश करना पड़ता है। अकुशल मजदूरों को अक्सर अवैध रूप से कम वेतन पर काम पर रखा जाता है, जो इस प्रथा की निरंतरता का बड़ा कारण है।
हाथ से मैला ढोने के प्रभाव
- स्वास्थ्य संबंधी खतरे: हाथ से मैला ढोने वाले लोग मानव अपशिष्ट और खतरनाक पदार्थों के संपर्क में आते हैं, तथा सुरक्षात्मक उपायों के अभाव एवं खराब स्वच्छता स्थितियों के कारण बीमारियों व श्वसन संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।
- गरिमा और मानवाधिकारों का उल्लंघन: हाथ से मैला ढोने की प्रथा व्यक्तियों को उनकी गरिमा से वंचित करती है, सामाजिक कलंक को कायम रखती है और जाति-आधारित उत्पीड़न को बढ़ाती है।
- मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक आघात: हाथ से मैला ढोने वाले अपमान और भेदभाव का सामना करने के कारण मनोवैज्ञानिक संकट से पीड़ित होते हैं, जिससे कम आत्मसम्मान और अवसाद ग्रस्त होने का संकट रहता है।
सरकारी पहल
विधायी उपाय
- मैनुअल स्कैवेंजर्स का रोजगार और शुष्क शौचालयों का निर्माण (निषेध) अधिनियम 1993,के अंतर्गत मैनुअल स्कैवेंजिंग कराने पर कारावास और जुर्माने का प्रावधान है।
- मैनुअल स्केवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013, मानव अपशिष्ट की की हाथ से सफाई, ले जाने, निपटान या प्रबंधन को गैरकानूनी घोषित करता है।
कार्यकारी प्रयास
- मैनुअल स्कैवेंजर्स के पुनर्वास के लिए स्व-रोज़गार योजना (SRMS) 2017, जिसे 2022 में नमस्ते योजना में एकीकृत किया गया है।
- नमस्ते योजना, सीवर/सेप्टिक टैंक श्रमिकों की पहचान, व्यावसायिक प्रशिक्षण, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई किट) का वितरण, स्वास्थ्य बीमा, आजीविका सहायता और जागरूकता अभियान की कल्पना को साकार करता है ।
- अस्वच्छ शौचालयों और हाथ से मैला ढोने वालों की पहचान करने और उन्मूलन के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए जिला स्वच्छता समितियों की स्थापना की जा रही है ।
- हाथ से मैला ढोने की संभावित घटनाओं से संबंधित शिकायतें प्राप्त करने और उनकी जांच करने के लिए 2016 में स्वच्छता मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया था।
संवैधानिक सुरक्षा उपाय
- संविधान, अनुच्छेद 21 के माध्यम से सम्मान के साथ जीने के अधिकार की गारंटी देता है।
- अनुच्छेद 46 कमजोर वर्गों, विशेषकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को सामाजिक अन्याय और शोषण से बचाने की राज्य की जिम्मेदारीनिर्धारित करता है।
अन्य प्रयास
- सुप्रीम कोर्ट के निर्देश: सुप्रीम कोर्ट ने 1993 से सीवेज सिस्टम में काम करते समय अपनी जान गंवाने वाले मैनुअल स्कैवेंजर्स के परिवारों के लिए मुआवजे का आदेश दिया है।
- पुनर्वास प्रयास: विभिन्न योजनाएं हाथ से मैला ढोने वालों के पुनर्वास और सीवर कार्य में होने वाली मौतों को समाप्त करने के लिए एकमुश्त नकद भुगतान, सब्सिडी और कौशल विकास कार्यक्रम की पेशकश करती हैं।
- प्रौद्योगिकी-संचालित समाधान: स्वचालित सीवर सफाई रोबोट जैसी प्रौद्योगिकी को अपनाना, मैन्युअल सफाई कार्यों को प्रतिस्थापित करने के साथ सुरक्षा उपायों में सुधार कर सकता है।
- उद्यमिता और कौशल विकास को बढ़ावा देना: विभिन्न क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण की पेशकश, पूर्व मैनुअल स्केवेंजरों को वैकल्पिक आजीविका प्राप्त करने एम् सहयोग दे सकती है।
- स्वच्छता अवसंरचना उन्नयन: आधुनिक शौचालयों, सीवेज उपचार संयंत्रों और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों में निवेश से मैन्युअल सफाई की आवश्यकता कम हो जाएगी।
इस प्रथा की समाप्ति में चुनौतियाँ
- कम रिपोर्टिंग और उचित दस्तावेज़ीकरण की कमी हाथ से मैला ढोने के मामलों का पता लगाने और उनके समाधान में बाधा डालती है।
- अधिकांश मामले घातक घटनाओं के बाद ही सामने आते हैं, खासकर जब सेप्टिक टैंक की सफाई करते समय श्रमिकों की मृत्यु हो जाती है।
- मैनुअल स्केवेंजिंग शहरी क्षेत्रों में प्रचलित है, जहां हाशिए पर रहने वाले समुदाय पर्याप्त सुरक्षात्मक उपायों या तकनीकी सहायता के बिना मानव और पशु अपशिष्ट का निपटान करते हैं।
- असुरक्षित सीवर सफाई में शामिल ठेकेदारों के लिए सजा की दर चिंताजनक रूप से कम है, जो जवाबदेही की कमी का संकेत देती है।
आवश्यक उपाय
- सीवर एवं सेप्टिक टैंकों की सुरक्षित सफाई हेतु मशीनों की खरीद।
- मौतों को रोकने के लिए स्थानीय सरकारों द्वारा निगरानी बढ़ाना।
- मैनुअल स्कैवेंजिंग की आवश्यकता को कम करना ,पुनर्वास प्रयासों की गति बढ़ाना और जैव-शौचालयों में निवेश वृद्धि इस समस्या के समाधान में तेजी ला सकती है ।
भावी रणनीति
- हाथ से मैला ढ़ोने की प्रथा को खत्म करने के लिए स्वच्छ भारत अभियान के मुख्य उद्देश्य के रूप में सीवर टैंकों के वैज्ञानिक रखरखाव को एकीकृत करना चाहिए ।
- हाथ से मैला ढोने के पीड़ितों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, बीमा कवर और पेंशन योजनाएं प्रदान करनी होगी ।
- हाथ से मैला ढोने की प्रथा को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए वर्तमान कानूनों को सख्ती से लागू करना आवश्यक है ।
निष्कर्ष
मैला ढोने की प्रथा का उन्मूलन सामाजिक न्याय प्राप्त करने और सभी नागरिकों की गरिमा को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि सरकार ने भी इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए बहुस्तरीय प्रयास किये हैं, लेकिन इस अमानवीय प्रथा को खत्म करने के लिए व्यापक और निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।
मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:
- प्रश्न 1. भारत में हाथ से मैला ढोने की प्रथा के कारणों और परिणामों का विश्लेषण कीजिये , साथ ही इसे समाप्त करने के लिए सरकारी पहल और सफलता के लिए आवश्यक अतिरिक्त उपायों का विश्लेषण कीजिये । (10 अंक, 150 शब्द)
- प्रश्न 2. कुछ राज्यों में हाथ से मैला ढोने की प्रथा को ख़त्म करने में आने वाली चुनौतियों और प्रौद्योगिकी एवं स्वच्छता उन्नयन की भूमिका पर चर्चा कीजिये । मैला ढोने की प्रथा से मुक्त भारत के लिए एक व्यापक रणनीति का प्रस्ताव रखिये । (15 अंक,250 शब्द)
Source : The Indian Express