तारीख (Date): 31-08-2023
प्रासंगिकता - जीएस पेपर 2 - सामाजिक न्याय
की-वर्ड - भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI), यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW), भारतीय ओलम्पिक संघ (IOA), राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
सन्दर्भ:
- भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) को उसकी चुनाव प्रक्रिया में विलम्ब के कारण, यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) द्वारा अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है।
- यह निलंबन WFI के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह और अन्य के खिलाफ प्रमुख पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न, वित्तीय अनियमितताओं और प्रशासनिक कमियों के आरोपों के बाद किया गया है।
- यह निलंबन WFI के निर्वाचित अध्यक्ष और बोर्ड की विफलता की प्रतिक्रिया को दर्शाता है, जो यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) नियमों और सदस्यता के लिए इसकी शर्तों का अनुपालन नहीं करती है।
- इस निलंबन की कार्रवाई के तर्क में यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने एथलीटों की सुरक्षा और महासंघ की परिचालन दक्षता को बहाल करने की अनिवार्यता का उल्लेख किया है।
यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) के बारे में:
- यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) गैर-व्यवसायी (शौकिया) कुश्ती के अनुशासन के लिए वैश्विक नियामक प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है।
- वर्ष 1912 में स्थापित इस संगठन का मुख्यालय स्विट्जरलैंड के कॉर्सियर-सुर-वेवे में है और यह विश्व चैंपियनशिप तथा ओलंपिक दोनों प्रतिस्पर्धाओं में कुश्ती प्रतियोगिताओं की निगरानी करता है।
- यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) विविध कुश्ती शैलियों की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं को नियंत्रित और प्रशासित करता है, जिसमें ग्रीको-रोमन, फ्रीस्टाइल, ग्रेपलिंग आदि श्रृंखलाएं शामिल हैं।
WFI चुनाव में विलम्ब के कारण:
- भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण की गिरफ्तारी और उनके परिवार को चुनाव से बाहर करने की पहलवानों की मांग के कारण 7 मई को निर्धारित WFI चुनाव बाधित हो गया था। इस परिस्थिति ने खेल मंत्रालय को हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप चुनाव स्थगित कर दिया गया।
- खेल मंत्रालय ने ओलंपिक संघ को एक तदर्थ समिति गठित करने का निर्देश दिया। भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की निर्धारित तिथि पर चुनाव करने के प्रयासों के बावजूद, गुवाहाटी और पंजाब तथा हरियाणा के उच्च न्यायालयों द्वारा इन चुनावों पर पुनः रोक लगाने से, चुनावों में और विलंब हुआ।
निलंबन के परिणाम:
- भारतीय पहलवान यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) स्वीकृत प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय ध्वज के तहत भाग लेने के लिए अयोग्य घोषित कर दिए गए।
- यदि कोई भारतीय पहलवान इन स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीत भी जाता है तो राष्ट्रगान नहीं बजाया जाएगा। यद्यपि, भारतीय पहलवानों को प्रतिस्पर्धा करने से प्रतिबंधित नहीं किया गया है।
खेलों में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियां:
- अपर्याप्त वित्तीय सहायता: हाल ही में कई चैंपियनशिप में पुरुष टीम से बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद भारत ही नहीं अमेरिकी महिला फुटबॉल टीम को असमान वेतन भुगतान का सामना करना पड़ा।
- लिंग आधारित पूर्वाग्रह:- महिला एथलीटों को अक्सर उनकी शारीरिक ताकत और क्षमताओं को लेकर गलत धारणाओं का शिकार होना पड़ता है।
- नेतृत्व भूमिकाओं में लैंगिक असमानता: सत्ता के पदों पर पुरुषों का प्रभुत्व और राजनीतिक हस्तक्षेप भारतीय खेलों में प्रगति में बाधक है।
- यौन उत्पीड़न और दुराचार के मामले: टेनिस खिलाड़ी रुचिका गिरहोत्रा और चीनी टेनिस स्टार पेंग शुआई सहित यूएसए जिमनास्टिक के मामले इस मुद्दे को संरेखित करते हैं।
- सीमित मीडिया एक्सपोज़र: महिलाओं के खेल आयोजनों को मीडिया द्वारा अपेक्षाकृत कम कवरेज मिलता है, जिससे प्रयोजन के अवसर कम हो जाते हैं।
- निम्न गुणवत्ता प्रशिक्षण स्थितियाँ: निम्न सुविधाएं, विशेषज्ञ प्रशिक्षकों की कमी और अपर्याप्त उपकरण गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण में बाधा डालते हैं।
- स्टीरियोटाइपिंग और ऑब्जेक्टिफिकेशन: महिला एथलीटों को अक्सर उनकी शारीरिक बनावट के आधार पर ऑब्जेक्टिफिकेशन और स्टीरियोटाइपिंग का सामना करना पड़ता है।
- नैतिक समस्याएं: खेलों में यौन उत्पीड़न के मामलों के परिणामस्वरूप अधिकार का दुरुपयोग, विश्वास का विश्वासघात और असुरक्षित वातावरण होता है।
भारत में खेल और समावेशी विकास:
- खेलों ने विभिन्न क्षेत्रों के एथलीटों और खिलाड़ियों को एक ही मंच पर लाने में अहम भूमिका निभाई है। महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाकर आर्थिक और भौगोलिक रूप से हाशिए पर रहने वाले क्षेत्रों को भी सशक्त बनाने का प्रयास किया है।
- खेलों में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा खेलो इंडिया महिला लीग जैसी पहल शुरू की गई है।
- खेलो इंडिया महिला लीग की शुरुआत के बाद से, देशभर के 50 से अधिक शहरों में आयोजित 27 से अधिक खेल प्रतियोगिताओं में 1.25 लाख से अधिक महिलाओं ने भाग लिया है।
- टोक्यो ओलंपिक में लगभग 50% एथलीट महिलाएं थीं, और उन्होंने देश द्वारा जीते गए सभी पदकों में से लगभग 50% पदक हासिल किए।
- विश्व मुक्केबाजी चैंपियन निखत ज़रीन, मैरी कॉम, हिमा दास,मीराबाई चानू, लवलीना बोरगोहेन और पीवी सिंधु सहित अन्य महिला प्रतिभागियों द्वारा खेलों में उत्कृष्टता प्राप्त करना भारत में खेल समावेशिता का उदाहरण है।
- खेलों में प्रवेश करने वाली महिलाओं के बढ़ते समुदाय से विभिन्न क्षेत्रों की महिलाओं के प्रति सामाजिक अवधारणा में बदलाव आएगा।
- यद्यपि अभी भी देश में खेल में महिलाओं के समावेशन और युवाओं को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना आवश्यक है।
- जम्मू और कश्मीर जैसे उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में इसकी अनिवार्य आवश्यकता को देखा जा सकता है।
खेलों में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक उपाय:
- शिक्षा और जागरूकता: अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के ‘एथलीट 365’ कार्यक्रम जैसी पहलें एथलीटों में शिक्षा और जागरूकता बढ़ाने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करती है।
- नीतियों और दिशानिर्देशों का विकास: भारतीय खेल प्राधिकरण की विकास यात्रा के दौरान महिला एथलीटों के साथ उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महिला प्रशिक्षक की उपस्थिति को अनिवार्य करता है।
- रिपोर्टिंग तंत्र की स्थापना: यौन उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स (SHe-Box) महिलाओं को उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, जिससे रिपोर्टिंग के लिए एक सुरक्षित स्थान सुनिश्चित होता है।
- जवाबदेही और प्रवर्तन: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए अनुचित कोच व्यवहार के मामलों में नोटिस जारी करके कार्रवाई की है।
- समर्थन और सशक्तिकरण: युवा मामले और खेल मंत्रालय ने लड़कियों की खेल भागीदारी को बढ़ावा देने, समर्थन और सशक्तिकरण प्रदान करने के लिए खेलो इंडिया योजना शुरू की।
निष्कर्ष:
- खेलों में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान सरकारी निकायों, खेल संस्थानों और नागरिक समाज सहित विभिन्न हितधारकों को शामिल करते हुए एक समन्वित और सहयोगात्मक प्रयास की मांग करता है।
- सुरक्षित और निष्पक्ष माहौल स्थापित करने की दिशा में सामूहिक रूप से काम करके, हम एक ऐसे माहौल को बढ़ावा दे सकते हैं जिसमें महिलाएं खेल के दायरे में समान अवसर पर अपने कौशल और प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें।
- नीतिगत पहलों, जागरूकता अभियानों और सख्त कार्यान्वयन के माध्यम से एक ऐसे भविष्य का निर्माण किया जाए जहां लैंगिक असमानताएं समाप्त हो जाएं और खेल क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को उचित रूप से स्वीकार किया जाए।
मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न
- प्रश्न 1: यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अस्थायी निलंबन के पीछे के कारणों को स्पष्ट करें। पूर्व WFI अध्यक्ष के विरुद्ध आरोपों और इस निलंबन के परिणामों पर प्रकाश डालिए। स्थिति को सुधारने और यूडब्ल्यूडब्ल्यू नियमों को बनाए रखने के लिए उपाय प्रस्तुत करें। (10 अंक, 150 शब्द)
- प्रश्न 2: खेलों में महिलाओं के सामने आने वाली आम चुनौतियों की पहचान करें, जैसे लैंगिक पूर्वाग्रह और मीडिया कवरेज की कमी आदि। शिक्षा, नीतियाँ और रिपोर्टिंग तंत्र सहित इन मुद्दों के समाधान के लिए वैश्विक और भारतीय प्रयासों का वर्णन करें। खेलों में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के महत्व और इसके संभावित प्रभाव पर चर्चा करें। (15 अंक, 250 शब्द)
स्रोत- हिन्दू