तारीख Date : 04/11/2023
प्रासंगिकता –जीएस पेपर 3 - विज्ञान और प्रौद्योगिकी
की-वर्ड – टीडीएफ, डीआरडीओ, एमएसएमई
सन्दर्भ:
- भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के तहत; रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग द्वारा शुरू की गई प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) योजना, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
- रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के माध्यम से क्रियान्वित इस प्रमुख कार्यक्रम का उद्देश्य स्वदेशी, अत्याधुनिक प्रणालियों और नवीन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना है, जिससे निजी उद्योगों, विशेष रूप से मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्यमों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सके।
- वर्ष 2011 की रक्षा उत्पादन नीति के दृष्टिकोण में निहित, टीडीएफ 'मेक इन इंडिया' पहल की आधारशिला के रूप में कार्य कर रही है, जो रक्षा प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में नवाचार, अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन देता है।
टीडीएफ योजना का अवलोकन:
- टीडीएफ योजना 'मेक इन इंडिया' पहल का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है।
- यह रक्षा मंत्रालय (MoD) का एक कार्यक्रम है, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा क्रियान्वित किया जाता है। यह भारत की त्रि-सेवाओं, रक्षा उत्पादन और DRDO की जरूरतों को भी पूरा करता है।
- इस योजना में सार्वजनिक और निजी उद्योगों को सक्रिय रूप से शामिल किया गया है, जिसमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। परिणामतः रक्षा अनुप्रयोगों के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी क्षमताओं से संदर्भित एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जा सकता है।
- टीडीएफ; एमएसएमई और स्टार्ट-अप द्वारा, उत्पादों, प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास का समर्थन करता है, रक्षा क्षेत्र में नवाचार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है।
स्टार्ट-अप के लिए टीडीएफ (प्रौद्योगिकी विकास निधि) :
- टीडीएफ योजना प्रोटोटाइप विकास और परीक्षणों के लिए स्टार्ट-अप को 1 करोड़ रुपये की सीमा के साथ वित्तीय सहायता प्रदान करती है। स्टार्ट-अप को डीपीआईआईटी-मान्यता प्राप्त होना चाहिए, साथ ही तीन वर्ष से अधिक समय से निगमित नहीं होना चाहिए और समान तकनीक के लिए कोई अन्य अनुदान प्राप्त नहीं होना चाहिए।
- इस योजना हेतु योग्य संस्थाओं में सार्वजनिक/निजी लिमिटेड कंपनियां भी शामिल हैं, जिनका स्वामित्व और नियंत्रण, 51% शेयरधारिता के साथ एक निवासी भारतीय नागरिक के पास होता है। स्टार्ट-अप को सरकार द्वारा सहायता प्राप्त इनक्यूबेटरों से संपोषित किया जाना चाहिए, जिसमें कम से कम 25 स्टार्ट-अप को सहायता प्रदान की गई हो और इनमें से पांच रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों से जुड़े हों।
- इस योजना का उद्देश्य नवाचार सहित आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देकर रक्षा विनिर्माण को प्रोत्साहित करना है। सहायता अनुदान के अलावा, यह डीआरडीओ के तकनीकी मार्गदर्शन, संयुक्त आईपीआर स्वामित्व, युवा प्रतिभा का पोषण और रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकरण जैसे लाभ प्रदान करता है।
- स्टार्टअप के लिए वर्तमान टीडीएफ समर्थित प्रस्तावों में मौजूदा उत्पादों/प्रक्रियाओं को उन्नत करना, प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर को बढ़ाना, भविष्य की प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और घरेलू विकल्पों की कमी वाले घटकों को प्रतिस्थापित करना भी शामिल है।
चयन मानदंड और हितधारकों की भागीदारी:
- टीडीएफ परियोजनाएं कई मापदंडों के आधार पर कठोर मूल्यांकन से गुजरती हैं। इसमें प्रौद्योगिकी चयन प्रत्येक स्तर पर सेवाओं की सक्रिय भागीदारी एवं रक्षा आवश्यकताओं के साथ तालमेल की गारंटी देती है।
- साथ ही साथ यह नवाचार और व्यावहारिक अनुप्रयोग के बीच एक सहज तालमेल को बढ़ावा देती है। इस प्रकार प्रौद्योगिकी विकास निधि (TDF) की सहायता से रक्षा परिदृश्य को आकार देने में उद्योग, शिक्षा जगत और सरकार की भागीदारी से योजना का समग्र दृष्टिकोण रेखांकित होता है।
डेयर टू ड्रीम इनोवेशन प्रतियोगिता:
- टीडीएफ के तहत, 'डेयर टू ड्रीम इनोवेशन प्रतियोगिता' उभरती प्रौद्योगिकियों में अत्याधुनिक विचारों और अवधारणाओं के लिए एक प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य करता है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की विरासत का सम्मान करते हुए यह पहल, स्टार्ट-अप और इनोवेटर्स को रक्षा प्रौद्योगिकियों में प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे भारत की रक्षा और एयरोस्पेस क्षमताओं को बढ़ावा मिलता है।
अवसर: भारत के रक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देना
- प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) योजना, भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय की एक प्रमुख पहल के रूप में, देश के रक्षा उद्योग के लिए एक परिवर्तनकारी अवसर प्रस्तुत करती है। इसका मुख्य उद्देश्य आत्मनिर्भरता और स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करना है।
- निजी उद्योगों, विशेष रूप से एमएसएमई और स्टार्टअप को सक्रिय रूप से शामिल करके, टीडीएफ अत्याधुनिक अनुसंधान और विकास के लिए एक अनुकूल और जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करता है।
- वित्तीय सहायता और तकनीकी विशेषज्ञता के माध्यम से, यह योजना उद्यमियों और वैज्ञानिकों को सशक्त बनाती है, उन्हें रक्षा प्रौद्योगिकियों में अज्ञात क्षेत्रों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित करती है।
- इसके अलावा, शिक्षा जगत के साथ सहयोग ज्ञान के आधार को मजबूत करता है, नवाचार को बढ़ावा देता है। अतः टीडीएफ न केवल भारत को तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर ले जाता है, बल्कि दूरदर्शी नवप्रवर्तन की एक पीढ़ी का भी पोषण करता है, जिससे भारत रक्षा प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेता के रूप में अपनी पहचान बना सके।
नवप्रवर्तन की खोज में चुनौतियां
- अपनी परिवर्तनकारी क्षमता के बावजूद, टीडीएफ चुनौतियों से रहित नहीं है। इस सन्दर्भ में एक महत्वपूर्ण बाधा नई परियोजनाओं के लिए अनुमोदन तंत्र है, विशेष रूप से वित्तीय नियमों की व्याख्या के संबंध में।
- वर्तमान टीडीएफ परियोजनाओं का पूर्ण स्वामित्व लेने और न्यूनतम ऑर्डर सीमा निर्धारित करने के लिए सेवाओं की अनिच्छा को संबोधित करने की आवश्यकता है, जिससे नवाचारों की व्यावसायिक व्यवहार्यता सुनिश्चित हो सके।
- इसके अलावा, रक्षा उद्योग को टीडीएफ के लक्ष्यों के साथ संरेखित करने के लिए सक्रिय सहायता और तकनीकी सहायता की आवश्यकता है। इन चुनौतियों पर काबू पाने के लिए इसमें शामिल सभी हितधारकों से रणनीतिक दृष्टिकोण और सहयोगात्मक प्रयासों की अपेक्षा होती है।
भावी रणनीति:
- वर्तमान चुनौतियों पर नियंत्रण पाने और टीडीएफ द्वारा प्रस्तुत अवसरों का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण आवश्यक है।
- टीडीएफ के तहत परियोजना अनुमोदन के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए, साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि, नौकरशाही इस प्रगति में बाधा न बनें।
- सरकार को निजी उद्योगों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना चाहिए, उन्हें नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक संसाधन और सहायता प्रदान करनी चाहिए।
- इसके अलावा, अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को देश के भविष्य में निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए; यह स्वीकार करते हुए कि प्रत्येक प्रयास, सफल हो या न हो, स्वदेशी क्षमताओं के विकास में यह व्यापक योगदान देता है।
- नवाचार और ज्ञान के आदान-प्रदान की संस्कृति को बढ़ावा देते हुए डीआरडीओ, निजी उद्योगों और शिक्षा जगत के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। मित्र देशों के साथ साझेदारी करके, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान साझा करने के रास्ते खोलकर टीडीएफ के दायरे का विस्तार किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
निष्कर्षतः, प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना भारत के रक्षा उद्योग के लिए आशा और प्रगति की किरण है। हालांकि चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, तथापि टीडीएफ द्वारा प्रस्तुत अवसर भी अपार हैं। चुनौतियों का सीधे तौर पर समाधान करके सक्रिय, सहयोगात्मक और नवीन दृष्टिकोण अपनाकर, भारत तकनीकी संप्रभुता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
टीडीएफ न केवल स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देता है बल्कि एक सतत, स्थायी और आत्मनिर्भर रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण भी करता है। जैसे-जैसे भारत आधुनिक दुनिया की जटिलताओं से जूझ रहा है, टीडीएफ एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरता जा रहा है, जो राष्ट्र को अपनी नियति को आकार देने और वैश्विक मंच पर अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सशक्त बनाता है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न-
- भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) योजना की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करें। स्वदेशी नवाचार पर इसके प्रभाव, निजी उद्योगों के साथ सहयोग और इसके कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालें। (10 अंक, 150 शब्द)
- प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना के सामने आने वाली चुनौतियों की जांच करें और इसकी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए नवीन समाधान प्रस्तावित करें। भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर चर्चा करें और ऐसी साझेदारियों को बढ़ावा देने के लिए संभावित रणनीतियों का सुझाव दें। (15 अंक, 250 शब्द)
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