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Daily-current-affairs / 17 Dec 2023

न्यायिक प्रक्रिया में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को अपनाना - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख Date : 18/12/2023

प्रासंगिकता: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 तथा 3 – राजव्यवस्था तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी

की-वर्ड्स: चैटजीपीटी, विधिक क्षेत्र, SUVAS, SUPACE

संदर्भ:

  • इंग्लैंड और वेल्स की न्यायपालिका ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए न्यायाधीशों को अपने कार्यनिष्पादन में सहायता देने के लिए चैटजीपीटी (ChatGPT) जैसे जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence- AI) सिस्टम के उपयोग करना आरंभ कर दिया है ।
  • 12 दिसंबर को जारी किए गए दिशा-निर्देशों में एआई के अनुमत अनुप्रयोगों को रेखांकित किया गया है, जिसमें व्यापक विधिक ग्रंथों का सारांश, प्रस्तुतिकरण बनाना और ईमेल लिखने जैसे कार्यों के लिए इसके उपयोग पर जोर दिया गया है।
  • हालांकि, इन दिशा-निर्देशों में न्यायाधीशों के लिए चेतावनी और सावधानियां भी उल्लिखित हैं, जिसमें कानूनी क्षेत्र में एआई के उपयोग से जुड़े संभावित जोखिमों और सीमाओं को उजागर किया गया है।


न्यायिक पदाधिकारियों के लिए दिशानिर्देश:

  • "न्यायिक पदाधिकारियों के लिए दिशानिर्देश" नामक दस्तावेज किसी भी एआई उपयोग को न्यायिक प्रशासन की अखंडता की रक्षा के व्यापक दायित्व के अनुरूप होने की आवश्यकता पर जोर देता है।
  • यह दिशानिर्देश एआई के संभावित लाभों को स्वीकार करते हुए न्यायाधीशों को कानूनी शोध या विश्लेषण के लिए चैटबॉट्स पर निर्भर होने के प्रति सावधान भी करते हैं।
  • अमेरिका तथा ब्रिटेन में हालिया आए हुए मामले में उपरोक्त चेतावनियों के पृष्ठभूमि , जो एआई को कानूनी कार्यवाही के रूप में सम्मिलित करने हेतु एक सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता का संकेत , के रूप में भी कार्य करते हैं।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता-जनित सामग्री के संकेतक:

  • दिए गए दिशानिर्देश, न्यायाधीशों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता-जनित सामग्री की पहचान करने में सहायता करने के लिए विशिष्ट संकेतक प्रदान करते हैं।
  • यह संकेतक कुछ इस प्रकार हो सकते हैं, जैसे -अपरिचित मामलों के संदर्भ, विदेशी उद्धरण, समान कानूनी मुद्दों के असंगत उद्धरण और त्रुटिपूर्ण तर्क आदि । इसके अतिरिक्त, अमेरिका की लेखन शैली और विदेशी मामले भी एआई की भागीदारी को प्रदर्शित करते हैं ।
  • न्यायाधीशों से आग्रह किया गया है कि वे कानूनी कार्यवाही की अखंडता को बनाए रखने के लिए इन संकेतकों को पहचानने में सावधानी बरतें ।

संभावित जोखिम और सीमाएं:

  • दिशानिर्देश न्यायपालिका में एआई के उपयोग से जुड़े संभावित जोखिमों को स्पष्ट रूप से संबोधित करते हैं।
  • इनमें बताया गया है कि चैटजीपीटी सहित सार्वजनिक एआई चैटबॉट्स के पास आधिकारिक या विश्वसनीय डेटाबेस तक पहुंच नहीं है। ये सामग्री जनरेशन के लिए एल्गोरिदम और प्रशिक्षण डेटा पर निर्भर करते हैं।
  • अतः इससे गलत, अधूरी, भ्रामक या पक्षपाती जानकारी प्राप्त करने की संभावना बनी रहती है। न्यायाधीशों को नई और असत्यापित जानकारी के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता-जनित सामग्री को एक विश्वसनीय स्रोत मानने के खिलाफ चेतावनी दी गई है।

गोपनीयता जोखिम और शमन रणनीतियां:

  • दिशानिर्देशों में एआई के उपयोग से संबंधित गोपनीयता चिंताओं को भी संबोधित किया गया है। न्यायाधीशों को सार्वजनिक एआई चैटबॉट्स में निजी या गोपनीय जानकारी उपलब्ध कराने के खिलाफ चेतावनी दी गई है, साथ ही इसमें उपलब्ध कराई गई जानकारी की वैश्विक दृश्यता को उजागर किया गया है।
  • “चैट हिस्ट्री” को मिटाने और एआई प्लेटफार्मों की जानकारी तक पहुंच को प्रतिबंधित करने जैसी शमन रणनीतियों की अनुशंसा की गई है। अनजाने में खुलासा होने की स्थिति में न्यायाधीशों को न्यायिक कार्यालय को तुरंत घटना की रिपोर्ट करने की सलाह दी गई है।

हालिया उदहारण:

  • इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार, 4 दिसंबर को एक अदालत ने एक महिला की अपील को खारिज कर दिया क्योंकि उसने नौ "मनगढ़ंत" चैटजीपीटी मामलों का उपयोग करके पूंजीगत लाभ कर दंड को चुनौती देने का प्रयास किया था।
  • इसी तरह जून में, न्यूयॉर्क के दो वकीलों को चैटजीपीटी द्वारा उत्पन्न छह काल्पनिक केस के उद्धरणों के साथ एक लीगल ब्रीफ प्रस्तुत करने के लिए अमेरिकी न्यायाधीश से प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा।

भारतीय न्यायिक परिदृश्य और एआई का एकीकरण:

  • भारत के संदर्भ में एआई के उपयोग हेतु भारतीय अदालतों की प्रतिक्रिया का विश्लेषण करने की आवश्यकता है। मार्च में, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनूप चिटकरा ने एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान चैटजीपीटी से प्रतिक्रिया मांगी थी।
  • हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि चैटजीपीटी के किसी भी संदर्भ का उद्देश्य एक सहायक उपकरण के रूप में एआई की भूमिका को मान्यता देते हुए जमानती न्याय पर एक व्यापक परिप्रेक्ष्य प्रदान करना था।
  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी न्यायिक प्रक्रिया में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के एकीकरण की दिशा में कदम उठाए हैं। सर्वोच्च न्यायालय के विधि अनुवाद सॉफ्टवेयर (SUVAS) के विकास का उद्देश्य अंग्रेजी न्यायिक दस्तावेजों का ग्यारह स्थानीय भाषाओं में अनुवाद करना है, जिससे कानूनी कार्यवाही में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा मिलेगा।
  • इसके अतिरिक्त, तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे द्वारा शुरू किया गया सुप्रीम कोर्ट पोर्टल फॉर असिस्टेंस इन कोर्ट एफिशिएंसी (SUPACE), न्यायाधीशों को उनकी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में सहायता करने के लिए प्रासंगिक तथ्यों और कानूनों का एकत्रीकरण करता है।

SUPACE

  • SUPACE का अर्थ है सुप्रीम कोर्ट पोर्टल फॉर असिस्टेंस इन कोर्ट्स एफिशिएंसी। एस. ए. बोबडे के अनुसार यह मानव और कृत्रिम बुद्धिमत्ता को सम्बद्ध करता है, जिसमें निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करने पर विशेष जोर दिया जाता है।
  • एआई का कार्य डेटा एकत्र करने और उसकी जांच तक ही सीमित है। जबकि अदालतें पूर्ण स्वायत्तता और मामले के समाधान में न्यायाधीश की विवेकाधीन शक्ति को बनाए रखती हैं। एआई का एकीकरण सूचना तक त्वरित पहुंच की सुविधा प्रदान करता है, जिससे समग्र कानूनी प्रक्रिया में तेजी आती है।

निष्कर्ष:

ब्रिटेन की न्यायपालिका द्वारा जारी दिशानिर्देश न्याय प्रशासन की अखंडता की रक्षा के लिए आवश्यक सावधानियों को रेखांकित करते हुए कानूनी प्रक्रियाओं में एआई की क्षमता को स्वीकार करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। वर्तमान में एआई वैश्विक कानूनी परिदृश्य को आकार देने में एक भूमिका निभा रहा है। ब्रिटेन, अमेरिका और भारत के अनुभव न्यायपालिका में एआई के एकीकरण द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों और अवसरों हेतु मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। हालांकि एआई दक्षता बढ़ा सकता है, किन्तु न्यायाधीशों और विधि व्यवसायियों को न्याय के अनुसरण में जोखिमों को कम करने और प्रौद्योगिकी के जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना चाहिए।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

  1. इंग्लैंड और वेल्स में न्यायपालिका द्वारा हाल ही में जारी दिशा-निर्देश में एआई, विशेष रूप से चैटजीपीटी के उपयोग के संबंध में प्रमुख बिंदु क्या हैं? संभावित लाभों, जोखिमों और न्याय प्रशासन की अखंडता के साथ एआई अपनाने को संतुलित करने की चुनौतियों की चर्चा कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)
  2. भारतीय न्यायिक प्रक्रिया की दक्षता पर भारतीय सर्वोच्च न्यायालय की पहलों जैसे SUVAS और SUPACE के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए। न्यायपालिका में जिम्मेदार एआई के उपयोग के लिए किन चुनौतियों और नैतिक विचारों को संबोधित किया जाना चाहिए? एआई को कानूनी कार्यवाही में शामिल करने के तरीके में ब्रिटेन, अमेरिका और भारत के दृष्टिकोण की तुलना कीजिए? (15 अंक, 250 शब्द)

Source- Indian Express



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