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Daily-current-affairs / 20 Dec 2023

शैक्षिक परिवर्तन, डिजिटल लाभांश और भारत के युवाओं का भविष्य- डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख Date : 21/12/2023

प्रासंगिकता: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - विकास से संबंधित मुद्दे - शिक्षा (सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 - विज्ञान और तकनीक - डिजिटलीकरण के लिए भी प्रासंगिक)

मुख्य शब्द : एएसईआर रिपोर्ट, डिजिटल डिविडेंड, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2023, स्टीम

संदर्भ:

  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम -2009 , 6-14 वर्ष के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने की भारत की प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण प्रयास सिद्ध हुआ है। इस क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में, देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है जिसके परिणाम स्वरूप 2018 तक इस आयु वर्ग ( 6-14 वर्ष) में विद्यालय से बाहर के बच्चों का प्रतिशत घटकर 2.8% रह गया है।
  • इस उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद, 2010 - 2018 के बीच माध्यमिक विद्यालयों में परिवर्तन की गति धीमी रही है । यह बदलाव विशेषरूप से 15-16 वर्ष के बच्चों के बीच अत्यंत कम रहा है जो 16.1% से घटकर 13.1% ही हो पाया है । राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान का लक्ष्य इस अंतर को कम करना था ,लेकिन इसकी प्रगति में चुनौतियां अभी भी उपस्थित हैं ।


कोविड-19 का शिक्षा पर प्रभाव

  • मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण अभूतपूर्व रूप से विद्यालयों के बंद होने से भारत की शिक्षा प्रणाली के सामने नई चुनौतियां उत्पन्न हुई थी । लगभग दो वर्ष तक स्कूलों के बंद रहने से, अधिगम क्षमता में कमी और संभावित ड्रॉपआउट दरों के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं यह प्रवृत्ति विशेषकर आजीविका की अनिश्चितता का सामना कर रहे बड़े बच्चों के बीच अधिक पाई गई है ।
  • यद्यपि आशंकाओं के विपरीत, ASER 2020-21 के नामांकन आंकड़ों से पता चलता है विद्यालयी शिक्षा से एक्सकलूडेड (बाहर ) 6-10 आयु वर्ग के बच्चों की संख्या में सामान्य वृद्धि हुई है।
  • हालांकि, जैसे-जैसे स्थिति स्थिर हुई, 6-14 वर्ष के बच्चों का गैर-पंजीकृत अनुपात 2022 में घटकर एक दशक के निचले स्तर 1.6% पर आ गया। इसी प्रकार उल्लेखनीय रूप से, 15-16 वर्ष के बच्चों के लिए विद्यालय से बाहर का अनुपात 2010 में 16.1% से घटकर 2022 में 7.5% हो गया।

डिजिटल साक्षरता और महामारी:

  • महामारी के समय ने डिजिटल साक्षरता के महत्व को रेखांकित किया था , अब स्कूल आभासी शिक्षा की ओर बढ़े हैं । लंबे समय तक स्कूल बंद होने के बावजूद, ASER ने एक सकारात्मक प्रवृत्ति प्रकट की । रिपोर्ट ने यह बताया है कि ग्रामीण भारत में स्मार्टफोन तक पहुंच बढ़ रही है।
  • 2018 में, केवल 36% ग्रामीण घरों में स्मार्टफोन थे, लेकिन महामारी के दौरान यह आंकड़ा बढ़कर 67.6% हो गया और 2022 में यह बढ़कर 74.8% हो गया है। शैक्षिक सामग्री और आजीविका के लिए डिजिटल उपकरणों पर निर्भरता ने डिजिटल पहुंच और साक्षरता की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

"डिजिटल लाभांश" और आर्थिक विकास:

  • विश्व बैंक विकास रिपोर्ट, वैश्विक परिदृश्य में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के तेजी से विस्तार से उत्पन्न होने वाले "डिजिटल लाभांश" की ओर इंगित करती है। इसलिए विकास पर इन प्रौद्योगिकियों के प्रभाव को अधिकतम करने के लिए डिजिटल विभाजन को समाप्त करना महत्वपूर्ण हो जाता है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में स्मार्टफोन तक बढ़ी हुई पहुंच भारत को आर्थिक विकास के लिए "जनसांख्यिकीय" और "डिजिटल" दोनों लाभांशों का उपयोग करने में सक्षम बनाती है।

शैक्षिक आकांक्षाएं और कार्यबल की गुणवत्ता:

  • भारत में अधिकांश बच्चे आठवीं कक्षा तक अपनी शिक्षा पूरी कर रहे हैं और माध्यमिक विद्यालय में प्रवेश ले रहे हैं।
  • "जनसांख्यिकीय लाभांश" तभी पूरी तरह से प्राप्त किया जा सकता है जब कार्यबल में वे आवश्यक कौशल हो जो विकसित अर्थव्यवस्था में उत्पादक रूप से योगदान दे सकें। अर्थव्यवस्था के बदलते स्वरूप, डिजिटल युग की मांगों के अनुरूप कौशल विकसित करने के लिए भारत के श्रमबल की गुणवत्ता सुनिश्चित करना अनिवार्य है।

ASER का ग्रामीण युवाओं पर फोकस:

  • वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) में 14-18 वर्ष की आयु के ग्रामीण युवाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है । रिपोर्ट का मानना है की 14 से 18 वर्ष की आयु के ग्रामीण युवा अपने और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए भविष्य के अवसरों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार इस आयु समूह के बच्चों की पसंद, अध्ययन और काम की आकांक्षाओं को समझना तथा पढ़ने एवं अंकगणित जैसे बुनियादी कौशल तक पहुंच प्रभावी नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।

डिजिटल साक्षरता में एडटेक की भूमिका:

  • एडटेक प्रत्येक छात्र पर व्यक्तिगत ध्यान केंद्रित करने, उनकी प्रगति की निगरानी करने और अगले कदमों के अनुरूप सुझाव देकर वैयक्तिकृत सीखने की क्षमता को सशक्त बनाता है। इसमे सभी विषयों के लिए समान कक्षा असाइनमेंट के बजाय छात्रों के पास अब सूचित ऑडियो-विज़ुअल मॉड्यूल का उपयोग करके उन क्षेत्रों में अधिक समय आवंटित करने की सुविधा है, जिन पर उन्हें अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • इसके अलावा, एडटेक महत्वपूर्ण सोच, समस्या-समाधान, सहयोग और मल्टीमीडिया संचार के अनुकूलन जैसे कौशल को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • अधिगम विकास पारंपरिक कक्षाओं से आगे तक विस्तृत है, अतः ठोस परिणाम देने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसके साथ ही मात्र पारंपरिक स्कूल पद्धतियों की प्रतिकृति अपर्याप्त है। शिक्षा के क्षेत्र में नवोन्मेषी मॉडल विकसित किए जाने चाहिए जो पारंपरिक व्याख्यान-आधारित प्रारूपों से आगे बढ़ते हुए दैनिक जुड़ाव को बढ़ावा दे, चौबीस घंटे डाउट-क्लियरिंग मे सहायता प्रदान करे और एक बहुआयामी अधिगम का अनुभव प्रदान करें ।
  • डिजिटल शिक्षा उपकरणों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए डिजिटल गतिविधियों के प्रकारों को समझना और सरल डिजिटल कार्यों में उनकी प्रवीणता आवश्यक है।

भारत के शिक्षा परिदृश्य में चुनौतियां:

ग्रामीण शिक्षा असमानताएं:

  • अपर्याप्त बुनियादी ढांचा
  • योग्य शिक्षकों की कमी
  • भाषागत बाधाएं
  • आर्थिक कठिनाइयां
  • लैंगिक पूर्वाग्रह

पहुंच और गुणवत्ता संबंधी विसंगतियां:

  • शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच शैक्षिक पहुंच में असमानताएं
  • विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा की विविध गुणवत्ता
  • सीमित संसाधन इष्टतम सीखने के अनुभवों में बाधा डालते हैं

विशेष आवश्यकतानुरूप शिक्षा:

  • विकलांग छात्रों के लिए प्रौद्योगिकी का सीमित एकीकरण
  • समावेशी शिक्षा के लिए अपर्याप्त समर्थन प्रणाली
  • सभी शिक्षार्थियों के लिए समान अवसर प्रदान करने में चुनौतियां

वैश्विक प्रतिस्पर्धा:

  • कौशल विकास को वैश्विक मांगों के साथ संरेखित करने की आवश्यकता पारंपरिक शिक्षा और उभरती प्रौद्योगिकियों के बीच अंतर को कम करना ।
  • यह सुनिश्चित करना कि स्नातक वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हों

अतिरिक्त चुनौतियां:

  • शिक्षा प्रणाली में जड़ता और परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध
  • शिक्षा में निवेश की कमी
  • शिक्षकों की कमजोर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
  • पाठ्यक्रम की अप्रासंगिकता
  • शिक्षा में व्यावसायिकता की कमी
  • छात्रों में सीखने के प्रति कम प्रेरणा
  • शिक्षा में भ्रष्टाचार

भारत के शैक्षिक परिदृश्य में भविष्य का रोडमैप:

एनईपी 2023 कार्यान्वयन

  • देशभर में शैक्षिक अवसरों का विस्तार करना ।
  • पहुंच अंतराल को कम करना और सभी छात्रों के लिए समान अवसर प्रदान करना।
  • बहुविषयक दृष्टिकोण, आलोचनात्मक सोच और रचनात्मकता का विकास करना ।

इंटर्नशिप और रिसर्च पर फोकस:

  • अनिवार्य इंटर्नशिप के लिए यूजीसी के मसौदा दिशानिर्देश को लागू करना ।
  • अनुसंधान और व्यावहारिक अनुभव पर जोर देना ।
  • स्नातक पाठ्यक्रम को व्यावहारिक अनुप्रयोगों के साथ संरेखित करना।

वैश्विक एकीकरण:

  • भारत में कैम्पस स्थापित करने के लिए शीर्ष वैश्विक विश्वविद्यालयों को आकर्षित करना।
  • सहयोग बढ़ाने के लिए ट्विनिंग, संयुक्त और दोहरी डिग्री कार्यक्रम का संचालन करना ।
  • अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों और विशेषज्ञों के योगदान को सुविधाजनक बनाना।

बुनियादी ढाँचा और विनियामक संवर्द्धन:

  • शैक्षिक बुनियादी ढांचे के में निवेश वृद्धि करना ।
  • एक प्रभावी विनियामक परिवेश निर्मित करना ।
  • अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और संस्थानों को आकर्षित करना।

सांस्कृतिक विरासत संवर्धन:

  • शिक्षा को सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने के लिए 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' पहल का संचालन करना ।
  • शैक्षिक अन्वेषण के लिए पर्यटन स्थलों की पहचान करना।
  • सांस्कृतिक जागरूकता के माध्यम से राष्ट्रीय गौरव और शक्ति का संचार करना।
  • जैसे –जैसे भारत ज्ञान के क्षेत्र में एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर रहा है वैसे-वैसे चुनौतियों का समाधान करना,
  • रणनीतिक पहलों को लागू करना और एक व्यापक भविष्य के रोडमैप पर ध्यान केंद्रित करना राष्ट्र के शैक्षिक परिवर्तन में योगदान देगा।

निष्कर्ष:

शिक्षा में भारत की यात्रा, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान और बाद में, चुनौतियों और अवसरों के एक जटिल अंतःक्रिया को दर्शाती है। स्कूल से बाहर बच्चों की दर को कम करने और डिजिटल पहुंच में वृद्धि के साथ किए गए महत्वपूर्ण प्रयास राष्ट्र के युवाओं के लिए एक आशाजनक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।यद्यपि शिक्षा परिदृश्य की विकसित हो रही आवश्यकताओं को लगातार संबोधित करना महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि श्रमबल डिजिटल युग के अनुरूप कौशल से भी सुसज्जित हों । जनसांख्यिकीय और डिजिटल लाभांश के योग से भारत स्वयं को निरंतर आर्थिक विकास के पथ पर अग्रसर करता रहेगा ।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के संभावित प्रश्न-

  1. भारत की शिक्षा प्रणाली पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव का मूल्यांकन करें। चर्चा करें कि कैसे डिजिटल उपकरणों का एकीकरण और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2023 चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं और भविष्य के व्यवधानों के खिलाफ लचीलापन बढ़ा सकते हैं। (10 अंक, 150 शब्द)
  2. कौशल विकास और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में एडटेक की भूमिका का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। शहरी-ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाजन को समाप्त करने के उपाय भी सुझाएं और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी कार्यबल बनाने के लिए STEAM विषयों को एकीकृत करने के महत्व पर चर्चा करें। (15 अंक, 250 शब्द)

Source- The Hindu



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