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Daily-current-affairs / 14 Jun 2023

डेटा सेंटर और डेटा स्थानीयकरण: डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करना - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख (Date): 15-06-2023

प्रासंगिकता: GS पेपर 3: विज्ञान और प्रौद्योगिकी

मुख्य बिंदु: डेटा सुरक्षा, निजता का अधिकार, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019

संदर्भ –

हाल ही में, माइक्रोसॉफ्ट ने हैदराबाद में भारत के सबसे बड़े डाटा सेंटर को स्थापित करने के लिए तेलंगाना सरकार से १५,००० करोंड के निवेश के समझौते पर हस्ताक्षर किया है ।

डाटा सेंटर्स क्या हैं ?

  • डाटा सेंटर का मतलब ऐसी जगह जहां पर डाटा यानी जानकारी को सचिंत किया जाता है।
  • सूचना और प्रौद्योगिकी के दौर में बड़ी मात्रा में व्यक्तियों और संस्थानों के द्वारा डेटा का सृजन किया जाता है। इन डेटा का भंडारण, प्रोसेसिंग व वितरण हेतु समर्पित अवसंरचना की आवश्यकता होती है।
  • डाटा सेंटर बहुत बड़ी जगह में बनाए जाते हैं।
  • डाटा सेंटर में बहुत बड़ी संख्या में कंप्यूटर सर्वर का प्रयोग किया जाता है।
  • यह सर्वर बहुत ज्यादा मात्रा में डाटा को प्रोसेसिंग कर अपने सर्वर में जानकारियों को इकट्ठा करके रखते हैं।
  • गूगल डाटा सेंटर विश्व का सबसे बड़ा डाटा सेंटर है। जहां विश्व में इंटरनेट का प्रयोग करने वाले सभी लोगों का डाटा मौजूद है।

भारत में डाटा सेंटर्स

  • भारत में डाटा सेंटर उद्योग की क्षमता 499 MW की है जिसमे से ज्यादातर कुछ प्रमुख शहरों में ही संक्रेंद्रित है ।
  • NASSCOM के अनुसार , भारत में 80 थर्ड पार्टी सेंटर हैं और इसमें २०२५ तक लगभग ४.5 बिलियन डॉलर निवेश होने की संभावना है ।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था में तेज़ी से हो रही वृद्धि ने भारत में डाटा सेंटर्स की बृहद संभावनाओं को जन्म दिया है ।

भारत में डाटा सेंटर्स की मांग को बढाने वाले कारक

  • डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देना
  • सेवा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश
  • डाटा लोकलाइजेशन पर जोर
  • कोविड -19 द्वारा प्रेरित मांग
  • बेहतर फाइबर कोनेक्टिविटी
  • बढ़ता IT क्षेत्र
  • क्लाउड सेवाओं को अपनाने में वृद्धि आदि ।

संबंधित जानकारी

कुछ समय पहले सरकार ने व्यकिगत डाटा सुरक्षा विधेयक, 2019 को को वापस ले लिया । सरकार ने इसका कारण विभिन्न स्टेकहोल्डर्स द्वारा दिए सुझावों तथा विस्तृत विधिक रूपरेखा की आवश्यकता को दिया । इन सुझावों में डाटा लोकलाइजेशन एवं अन्य विषयों से सम्बंधित सुझाव प्रमुख थे ।

डाटा लोकलाइजेशन क्या है ?

डेटा स्थानीयकरण कानून ऐसे कानून होते हैं जो देश के नागरिकों के डेटा को एकत्रित, संसाधित और संग्रहीत करने के तरीके को निर्धारित करते हैं।भारत में डेटा स्थानीयकरण के नियमों के अनुसार, भारतीय नागरिकों का डेटा भारतीय भू-भाग में ही स्थित किसी केंद्र में संग्रहीत किया जाना अनिवार्य है।

क्यों महत्त्वपूर्ण है डेटा का स्थानीयकरण?

  • सरकार द्वारा अपने देश के नागरिकों के वित्तीय एवं और व्यक्तिगत सूचनाओं को सुरक्षित करने एवं विदेशी निगरानी को रोकने तथा स्थानीय सरकारों और नियामकों को आवश्यकता के समय डेटा के प्रयोग का अधिकार देने के लिये डाटा लोकलाइजेशन की महत्ता को समझा गया I
  • स्थानीय स्तर पर डेटा संग्रहीत करने से कानून प्रवर्तन एजेंसियों को किसी अपराध का पता लगाने या साक्ष्य इकट्ठा करने के लिये आवश्यक जानकारी का उपयोग करने में मदद मिलती है।
  • समय के साथ बढ़ती प्रौद्योगिकी प्रासंगिकता के द्वारा अपराधों को समाप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।
  • जहाँ डेटा का स्थानीयकरण नहीं होता है वहाँ जाँच एजेंसियों को जानकारी प्राप्त करने के लिये पारस्परिक कानूनी सहायता संधियों (Mutual Legal Assistance Treaties-MLATs) पर निर्भर होना पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप जाँच-पड़ताल में विलंब होता है।
  • श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट के अनुसार, ऑन-शोरिंग वैश्विक डेटा भी डेटा भंडारण और एनालिटिक्स के क्षेत्र में घरेलू नौकरियों और कौशल का सृजन कर सकता है।

कंपनियाँ डेटा भंडारण और स्थानीयकरण में असमर्थ क्यों हैं?

  • उच्च लागत- डेटा के स्थानीयकरण का कार्य कंपनियों के लिये उच्च लागत वाला है क्योंकि इसके लिये उन्हें सर्वर, यू.पी.एस., जनरेटर, भवन और कर्मियों सहित बहुत सी अन्य भौतिक एवं अवसंरचनात्मक लागतों को वहन करना पड़ेगा।
  • सूचना प्रौद्योगिकी के लिये आधारिक संरचना: कंपनियों को लगता है कि भारत में अभी तक सूचना प्रौद्योगिकी के लिये अनुकूल परिस्थितियों तथा आधारिक अवसंरचना का अभाव है। भारत में किसी भी बड़े ई-कॉमर्स व्यापारी हेतु कानूनी प्रावधानों के तहत यह लागत 10% से 50% के बीच हो सकती है।भारत में सेवाएँ प्रदान करने वाली छोटी कंपनियों के लिये मानदंडों का अनुपालन कर पाना मुश्किल होगा।
  • वास्तव में डेटा स्थानीयकरण के प्रमुख उद्देश्यों में से एक उद्देश्य भारत में स्टार्ट-अप क्षेत्र को बढ़ावा देना भी है। लेकिन भारत सरकार द्वारा निर्धारित सख्त मानदंड छोटी कंपनियों के लिये इसे काफी महँगा बना सकते हैं जिससे सरकार के उद्देश्य को पूरा करना संभव नहीं होगा।

आगे की राह

  • नीति निर्माताओं को विश्व स्तर पर सफल होने के लिये भारतीय उद्यमियों की परिवर्तनकारी शक्ति पर विश्वास करना चाहिये और इन उद्यमियों को गोपनीयता और डेटा प्रवाह के बारे में निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करने का प्रयास करना चाहिये।
  • यूरोपीय संघ के डेटा स्थानांतरण मॉडल (EU’s Data Transfer Model) और CLOUD अधिनियम से भी कुछ प्रावधानों का समावेश किया जाना चाहिये।

मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न -

  • प्रश्न 1: भारत में डेटा केंद्रों के महत्व और उनकी मांग को बढ़ाने वाले कारकों पर चर्चा करें। (10 अंक, 150 शब्द)
  • प्रश्न 2: डेटा केंद्रों की भूमिका का विश्लेषण करें जो डिजिटल इंडिया पहल को प्रोत्साहित करने और आईटी क्षेत्र के विकास का समर्थन करती है। (15 अंक, 250 शब्द)

स्रोत : Business Standard

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