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Daily-current-affairs / 15 Dec 2023

केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राएं और भारत की सीबीडीसी यात्रा का विश्लेषण - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख Date : 16/12/2023

प्रासंगिकता: जीएस पेपर 3 - अर्थव्यवस्था - डिजिटल मुद्रा

की-वर्ड्स: डिजिटल रुपया, वितरित लेजर प्रौद्योगिकी (डीएलटी), क्रिप्टोकरेंसी, यूपीआई, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी)

संदर्भ:

  • केंद्रीय बैंकों की डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का वैश्विक परिदृश्य तेजी से विकसित हो रहा है। वैश्विक जीडीपी के 98 प्रतिशत से अधिक का प्रतिनिधित्व करने वाले विश्व के 130 से अधिक देश सक्रिय रूप से सीबीडीसी-संबंधी पहलों में संलग्न हैं ।
  • सीबीडीसी के कई संभावित लाभ हैं, जिसमें नवाचार, बेहतर वित्तीय समावेशन के साथ अत्याधुनिक भुगतान अनुप्रयोगों और डिजिटल व्यवसायों के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देना शामिल है।
  • यद्यपि, सीबीडीसी के संचालन में बहुत-सी चुनौतियां भी हैं जैसे, प्रदर्शन, अंतरसंचालनीयता, गोपनीयता, डिजाइन विकल्पों पर सावधानीपूर्वक विचार प्रदर्शन और सुरक्षा जोखिम के प्रबंधन के लिए डिज़ाइन विकल्पों पर सावधानीपूर्वक विचार करना आदि ।


सीबीडीसी की वैश्विक स्वीकृति :

  • सीबीडीसी पहलों की वैश्विक स्वीकृति उनके संभावित लाभ की बढ़ती मान्यता को रेखांकित करती है। नवाचार को प्राथमिकता देते हुए देश उन्नत वित्तीय प्रणालियों और डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं के साथ भविष्य की कल्पना कर रहें हैं। इस संदर्भ में देश सीबीडीसी के लाभों को खोजने में भी रुचि प्रकट कर रहें हैं ।

भारतीय संदर्भ: डिजिटल रुपया और नियामक परिदृश्य:

  • वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए भारत ने डिजिटल रुपये के साथ अपनी सीबीडीसी यात्रा शुरू कर दी है। प्रारंभिक चरण में होने के बावजूद, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) इस परिवर्तनकारी डिजिटल मुद्रा से जुड़े जोखिमों के प्रबंधन की आवश्यकता को पहचानते हुए आशाजनक प्रयास कर रहा है।
  • मौजूदा वित्तीय और भुगतान प्रणालियों में सफल एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए सीबीडीसी के नियामक ढांचे पर सावधानीपूर्वक ध्यान देने की आवश्यकता है।

सीबीडीसी से जुड़े जोखिम:

  • साइबर सुरक्षा चुनौतियां: सीबीडीसी पहलों के संदर्भ में साइबर सुरक्षा के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है। सीबीडीसी प्राणाली की संभावित सुभेद्यता इसकी विश्वसनीयता के बारे में चिंताएं उत्पन्न करती है। यद्यपि अभी तक सीबीडीसी पर कोई साइबर हमला दर्ज नहीं किया गया है परंतु केंद्रीय बैंक द्वारा जारी मुद्रा पर हैकिंग और अन्य द्वारा नियंत्रण स्थापित करने का खतरा चुनौतियां उत्पन्न कर सकता है। इसलिए सीबीडीसी पहलों की सुरक्षा के लिए सक्रिय जोखिम प्रबंधन की आवश्यकता है।
  • वितरित लेजर प्रौद्योगिकी (डीएलटी) की मापनीयता (Scalability): सीबीडीसी पहलों में एक संरचनात्मक चुनौती वितरित लेजर प्रौद्योगिकी (डीएलटी) की मापनीयता की है, जिसे विभिन्न सीबीडीसी पहलों में एक महत्वपूर्ण जोखिम के रूप में पहचाना गया है। बैंक ऑफ इंग्लैंड ने सीबीडीसी के लिए वितरित लेजर प्रौद्योगिकी (डीएलटी) की मापनीयता के बारे में चिंता व्यक्त की है। यह सीबीडीसी परियोजनाओं की तकनीकी सीमाओं पर विचार करने के महत्व को प्रकट करता है।
  • प्रौद्योगिकी अवसंरचना कमजोरियाँ: सीबीडीसी प्रौद्योगिकी अवसंरचना की जटिलता और आकार अप्रत्याशित सुरक्षा जोखिम उत्पन्न कर सकते हैं । केंद्रीय बैंकों द्वारा तेजी से अपनाए जा रहे डिजिटल परिवर्तन आईटी और सुरक्षा दोनों के लिए परिचालन संबंधी बाधाएँ पैदा कर रहे हैं। साथ ही अनुसंधान और कार्यान्वयन चरणों के दौरान डीएलटी का संभावित एकीकरण भी अतिरिक्त चुनौतियां उत्पन्न कर सकता है।
  • मानवीय तत्व और फिशिंग हमले: सीबीडीसी के संदर्भ में मानवीय त्रुटि की संभावना को भी स्वीकार करना आवश्यक है। एक महत्वपूर्ण खतरा फिशिंग हमले का भी है , जिसमें उपयोगकर्ता डेटा प्राप्त करने के लिए सामाजिक इंजीनियरिंग का प्रयास करता है। ऐसे भी उदाहरण हैं , जहां उपयोगकर्ताओं के सुरक्षा उपायों को दरकिनार करके धोखा दिया जाता है। इसलिए इस संभावना को भी उपेक्षित नहीं किया जा सकता है कि सीबीडीसी के एकीकरण के साथ इसमें वृद्धि हो सकती है। इसलिए ऐसे जोखिमों को कम करने के लिए मजबूत उपायों की आवश्यकता है।

भारत की सीबीडीसी: संभावनाएं और शंकाएं

    वैश्विक प्रतिस्पर्धा और क्रिप्टोकरेंसी का बढ़ता प्रचलन:
  • भारत में डिजिटल रुपये की शुरुआत सीबीडीसी विकास में वैश्विक प्रतिस्पर्धा और क्रिप्टोकरेंसी, विशेष रूप से स्टेबलकॉइन्स(Stablecoins) के बढ़ते प्रचलन से प्रभावित है। आरबीआई के उप-गवर्नर ने स्टेबलकॉइन्स जैसे उपकरणों को अनुमति देने में सावधानी बरतने पर जोर दिया है, जिसके कारण सीबीडीसी को एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में खोजा जा रहा है।
  • यूपीआई की सफलता और आवश्यकता पर सवाल:
  • भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) की सफलता ने देश में सीबीडीसी की आवश्यकता पर प्रश्न उठाए हैं। यूपीआई ने एक कुशल रीयल-टाइम उपभोक्ता भुगतान प्रणाली के रूप में, भारत में डिजिटल भुगतान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। खुदरा भुगतान परिदृश्य में यूपीआई द्वारा उत्पन्न प्रतिस्पर्धा उपभोक्ता सीबीडीसी लेनदेन को प्रभावित कर सकती है।
  • डिजिटल रुपये की अवधारणा:
  • यह कहना गलत होगा कि आरबीआई ने साइबर सुरक्षा और मापनीयता जोखिमों पर विचार नहीं किया है। डिजिटल रुपया अवधारणा नोट डीएलटी का उपयोग करने की व्यवहार्यता का परीक्षण करता है और मापनीयता का आकलन करता है। सीबीडीसी के परिनियोजन में भविष्य के तकनीकी विचारों की आवश्यकता पर जोर देता है।

सक्रिय जोखिम शमन और भविष्य का दृष्टिकोण :

  • चुनौतियों का अनुमान और समाधान:
    सीबीडीसी के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए चुनौतियों को पहचानना और उनका अनुमान लगाना महत्वपूर्ण है। प्रणालीगत समस्याओं की पहचान करने से समस्याओं का समाधान प्राप्त किया जा सकता है, जिससे एक सहज कार्यान्वयन प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सकती है। वास्तव में सीबीडीसी से जुड़ी चुनौतियों का समाधान उनकी दीर्घकालिक सफलता के लिए आवश्यक है।
  • जनमत और स्वीकृति :
    भारत की सीबीडीसी कार्यान्वयन के शुरुआती चरणों में है, जिसमें वर्तमान में पायलट परियोजनाएं चल रही हैं। यूपीआई प्रणाली की स्थापित सफलता को देखते हुए, जनमत को इन तकनीकी विकासों के अनुकूल होने में समय लग सकता है। हालांकि डिजिटल रुपये को अभी तक उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली है। इसे अपनाने और उपयोग में समय लग सकता है । इसलिए अधिकारियों को संबंधित जोखिमों को कम करने के लिए तंत्र स्थापित करने चाहिए।
  • वैश्विक अनुभवों से सीखना:
    सीबीडीसी के साथ वैश्विक अनुभवों से सीखना भारत के लिए जरूरी है। अन्य देशों द्वारा सामने आई सफलता की कहानियों और चुनौतियों दोनों को समझना रणनीतिक निर्णयों को अधिक प्रभावी बना सकता है और भारत के सीबीडीसी कार्यान्वयन की प्रभावशीलता को बढ़ा सकता है।

निष्कर्ष

सीबीडीसी का परिदृश्य गतिशील है। भारत डिजिटल रुपये की शुरुआत के माध्यम से डिजिटल मुद्राओं के अज्ञात क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है। सीबीडीसी की सफलता प्रभावी जोखिम प्रबंधन, सक्रिय जोखिम शमन रणनीतियों और वैश्विक तथा घरेलू संदर्भ की सूक्ष्म समझ पर निर्भर करती है। भारत की सीबीडीसी यात्रा में साइबर सुरक्षा चिंताओं, मापनीयता की चुनौतियों और यूपीआई जैसी मौजूदा भुगतान प्रणालियों से प्रतिस्पर्धा का समाधान डिजिटल रुपये के सफल अपनाने के लिए महत्वपूर्ण होगा। इन चिंताओं का समाधान करके भारत डिजिटल वित्तीय परिदृश्य में एक परिवर्तनकारी भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

Probable Questions for UPSC mains Exam-

  1. केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं (सीबीडीसी) को किन साइबर सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और भारत डिजिटल रुपये के परिनियोजन में इन चुनौतियों का अग्रसक्रिय रूप से कैसे समाधान कर रहा है? (10 अंक, 150 शब्द)
  2. भारत में यूपीआई की सफलता सीबीडीसी की आवश्यकता पर प्रश्न क्यों उठाती है, और डिजिटल रुपये को अपनाने के लिए निर्बाध उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए अवधारणा नोट में किन उपायों की रूपरेखा दी गई है? (15 अंक, 250 शब्द)

Source- Indian Express