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Daily-current-affairs / 14 Dec 2023

रूस-यूक्रेन युद्ध का आकलन - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख Date : 15/12/2023

प्रासंगिकता: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 : अंतरराष्ट्रीय संबंध

कीवर्ड्स: नाटो(NATO), यूएनओ(UNO), भारत की रणनीतिक स्थिति, पश्चिमी प्रतिबंध

संदर्भ :

रूस और यूक्रेन के मध्य जारी संघर्ष एक गंभीर चरण में प्रवेश कर गया है। यूक्रेन द्वारा बहुप्रतीक्षित जवाबी कार्रवाई शुरू हुए लगभग छह महीने बीत चुके हैं। इस लेख में हम इस संघर्ष के प्रमुख पहलुओं पर गौर करेंगे। साथ ही यूक्रेन के जवाबी हमले की स्थिति, रूस की सैन्य स्थिति, पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का प्रभाव, यूक्रेन के लिए समर्थन और शांति वार्ता की संभावनाओं का विश्लेषण भी करेंगे।


भूराजनीतिक गतिशीलता में परिवर्तन:

  • सुरक्षा और रक्षा पर अधिक ध्यान: इस युद्ध ने यूरोप और अमेरिका के सुरक्षा गठबंधन में पुनरुत्थान को प्रोत्साहित किया है। नाटो फिनलैंड के बाद स्वीडन को भी गठबंधन में सम्मिलित करने पर विचार कर रहा है। यह कदम रूस के खिलाफ नाटो गठबंधन की सैन्य सीमाओं को फिर से परिभाषित करेगा।
  • विश्वास का क्षरण: अमेरिका एवं इसके सहयोगियों द्वारा यूक्रेन में हथियारों की आपूर्ति से स्पष्ट होता है कि रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है। यद्यपि अमेरिकी राष्ट्रपति यूक्रेन की सभी मांगों को पूरा करने में झिझक रहे हैं, परंतु संघर्ष वृद्धि का संकट अभी भी बना हुआ है ।
  • चीन की भूमिका: 2022 में, मॉस्को ने चीन के साथ अपने संबंधों को और भी मजबूत किया है परंतु चीन यूरोप के साथ अपने संबंधों को तनावपूर्ण नहीं बनाना चाहता है। इसी प्रकार अमेरिका और यूरोप चीन द्वारा रूस को हथियारों की आपूर्ति करने से परहेज करने और परमाणु युद्ध के बारे में आपत्ति करने के उपरांत भी सतर्क हैं।

भारत की रणनीतिक स्थिति:

  • भारत ने यूक्रेन युद्ध को, अपनी रणनीतिक स्वायत्तता पर बल देने, तटस्थ रुख बनाए रखने और वैश्विक शांति का समर्थन करते हुए मास्को के साथ संबंध बनाए रखने के अवसर के रूप में लिया है।
  • भारत ने पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद रूस से अपनी तेल खरीद को 25% तक बढ़ा दिया है, जो युद्ध-पूर्व 2% से भी कम थी।
  • स्थायी शांति प्राप्त करने की सीमाओं का तर्क देते हुए भारत ने युद्ध की पहली वर्षगांठ पर रूस से यूक्रेनी क्षेत्र से हटने का आग्रह करने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया है।
  • भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन संकट के दौरान निरंतर मतदान से दूर रहा है, क्योंकि संघर्ष जारी रहने की स्थिति में भारत पर पश्चिमी गठबंधन के साथ जुड़ने का दबाव बढ़ रहा है।

यूक्रेन का जवाबी हमला

  • जून में यूक्रेन ने पश्चिमी सहयोगियों के उन्नत हथियारों और प्रशिक्षण के समर्थन से रूस के विरुद्ध जवाबी कार्रवाई आरंभ की है ।
  • इस कार्रवाई का प्राथमिक ध्यान दक्षिणी मोर्चे पर क्रीमिया तक रूस के भूमि पुल को नष्ट करना था। अगस्त में विशेष रूप से ज़ापोरीज़िया में रोबोटिन पर अधिकार प्राप्त करने के उपरांत भी जवाबी कार्रवाई धीमी पड़ गई।
  • सशक्त रूसी रक्षा प्रणाली के साथ-साथ बारूदी सुरंग और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसी चुनौतियों ने यूक्रेन की युद्धक प्रगति को बाधित किया है। विदित हो कि यूक्रेनी जनरलों ने इस स्थिति को "गतिरोध" की संज्ञा दी है ।

रूस की स्थिति का आकलन

  • पिछले वर्ष खार्किव और खेरसॉन से पीछे हटने के बाद रूस ने संघर्ष को फिर से बढाया है।
  • राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आंशिक लामबंदी की घोषणा के परिणामस्वरूप 3,00,000 सैनिकों को प्रशिक्षण दिया गया। बखमुत में एक लंबी लड़ाई के बावजूद नियमित रूसी सैनिकों ने अग्रिम पंक्ति पर रक्षात्मक रेखाएँ मजबूत कर दीं।
  • रूस के सैन्य-औद्योगिक आधार को फिर से मजबूत किया गया है, जिससे रक्षा उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • ईरान से ड्रोन और उत्तर कोरिया से गोला-बारूद का अधिग्रहण युद्ध को निरंतर गतिशील बनाये हुए है। पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रभाव के बावजूद रूस सैन्य और आर्थिक स्थिरता के साथ ऊर्जा व्यापार में विविधता लाकर अर्थव्यवस्था को संतुलित बनाये रखने में काफी हद तक सफल रहा है।

रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों का प्रभाव

  • रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के उद्देश्य से लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों के मिश्रित परिणाम परिलक्षित हुए हैं। इससे जहां एक तरफ रूसी अर्थव्यवस्था और यूरोप के साथ ऊर्जा संबंध प्रभावित हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ मूल्य सीमा के माध्यम से मास्को के तेल राजस्व को सीमित करने के प्रयास विफल रहे हैं।
  • रूस ने विशेष रूप से चीन और भारत में सफलतापूर्वक वैकल्पिक बाजार ढूंढ लिया है, जो रूसी कच्चे तेल के शीर्ष खरीदार के रूप में उभर रहें हैं ।
  • नाटो सदस्य तुर्किये और मध्य एशियाई गणराज्य एशियाई बाजारों के साथ रूस के प्रतिबंध-मुक्त व्यापार के माध्यम बन गए हैं।
  • पश्चिमी प्रतिबंधों के आर्थिक दबावों के बावजूद रूस की अर्थव्यवस्था की समग्र स्थिरता मजबूत बनी हुई है।

यूक्रेन के लिए समर्थन: गतिशीलता और चुनौतियाँ

  • पश्चिमी देशों, विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका के समर्थन को यूक्रेन के जवाबी हमले की असफलताओं से चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
  • विभिन्न रिपोर्टें दृष्टिकोण में बदलाव का संकेत देती हैं। अमेरिका और यूरोपीय संघ यूक्रेन और रूस के बीच वार्ता को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
  • अमेरिकी कांग्रेस में अवरुद्ध आपातकालीन व्यय विधेयक संभावित सहायता में कटौती का संकेत देने के साथ समर्थन में कमी को रेखांकित करता है। जनमत सर्वेक्षणों से पता चलता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में यूक्रेन के लिए रिपब्लिकन मतदाताओं सहित जनता का समर्थन घट रहा है।
  • राष्ट्रपति जो बिडेन का यह बयान है कि अमेरिका "जब तक संभव होगा" यूक्रेन का समर्थन करेगा, यूक्रेन को अमेरिका की सहायता की निरंतरता पर सवाल उठाता है। जैसे-जैसे अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आ रहे हैं, बढ़ती अनिश्चितता यूक्रेन की पश्चिमी सहायता पर निर्भरता को और जटिल बनाती जा रही है।

पश्चिमी प्रतिबंध और रूस का लचीलापन

  • पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रभाव के बावजूद रूस ने अपने ऊर्जा व्यापार को वैकल्पिक बाजारों के साथ संबंधों को मजबूत करके लचीलेपन का प्रदर्शन किया है।
  • रूसी तेल राजस्व को सीमित करने के प्रयासों की विफलता प्रभावी आर्थिक प्रतिबंधों को लागू करने की चुनौतियों को उजागर करती है। रूस की चीन, भारत, तुर्की और मध्य एशियाई गणराज्यों के साथ रणनीतिक साझेदारी मजबूत हुई है, जो बाहरी दबावों के बावजूद रूस की आर्थिक स्थिरता को प्रदर्शित करती है ।

यूक्रेन के लिए पश्चिमी समर्थन का आकलन

  • यूक्रेन के लिए पश्चिमी समर्थन की उभरती गतिशीलता एक बदलते परिदृश्य को प्रकट करती है।
  • यूक्रेन को "जब तक संभव होगा" समर्थन देने पर राष्ट्रपति बिडेन का बयान एक व्यावहारिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से पहले घटते जन समर्थन और राजनीतिक विचारों का खुलासा करने वाले जनमत सर्वेक्षण यूक्रेन की कूटनीतिक और सैन्य रणनीति में जटिलता को सम्बद्ध करते हैं।

यूक्रेन को पश्चिमी सहायता कायम रखने में चुनौतियाँ

  • जैसे-जैसे यूक्रेन कमजोर जवाबी हमले और पश्चिमी सहायता में संभावित कटौती जैसे संकटों का सामना कर रहा है वैसे ही , यूक्रेन के लिए चुनौतियों में वृद्धि हो रही है ।
  • अवरुद्ध व्यय बिल और सीमा नीति पर समझौते के संकेत एक संवेदनशील संतुलन को रेखांकित करते हैं जिसे यूक्रेन को निरंतर समर्थन प्राप्त करने के लिए बनाए रखना चाहिए।
  • नेतृत्व में संभावित बदलाव के साथ अमेरिकी राजनीतिक परिदृश्य पर लंबे समय तक चले संघर्ष का प्रभाव यूक्रेन के लिए सहायता की स्थिरता में अनिश्चितता की वृद्धि करता है ।

शांति वार्ता की संभावनाएँ

  • राष्ट्रपति पुतिन ने हाल ही ने वक्तव्य दिया है कि “यूक्रेन के साथ शांति केवल तभी होगी जब हम अपने उद्देश्यों को प्राप्त करेंगे । इस प्रकार के वक्तव्य शांति वार्ता की शीघ्रता में अनिच्छा को प्रदर्शित करते है। यूक्रेन ने भी तत्काल शांति वार्ता से इनकार कर दिया है।
  • कड़ाके की सर्दियों की शुरुआत के साथ यूक्रेन आने वाले वर्ष में अग्रिम पंक्ति के लिए एक नई रणनीति पर विचार कर सकता है। रूस अतिरिक्त क्षेत्रों पर अधिकार करने हेतु स्थानीयकृत जवाबी हमलों के लिए तैयारी से अधिक आश्वस्त दिखाई दे रहा है।
  • संघर्ष के स्पष्ट अंत का अभाव यूक्रेन की संभावनाओं को आकार देने में पश्चिमी सहायता की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।

निष्कर्ष:

रूस-यूक्रेन संघर्ष की अत्यधिक अस्थिरता के साथ कई अन्य आयाम इसके प्रक्षेप पथ को प्रभावित कर रहे हैं। यूक्रेन के जवाबी हमले को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। रूस ने सैन्य और आर्थिक रूप से अपनी स्थिति मजबूत की है जिससे पश्चिमी प्रतिबंधों के मिश्रित प्रभाव दिखाई देते हैं। यूक्रेन के लिए पश्चिमी देशों के समर्थन में बदलाव आ रहा है। शांति वार्ता की संभावनाएँ अनिश्चित बनी हुई हैं और यूक्रेन का भविष्य जटिल रूप से निरंतर पश्चिमी सहायता पर निर्भर है। जैसे-जैसे संघर्ष आगे बढ़ेगा युद्ध में सम्मिलित सभी हितधारकों के लिए इन जटिलताओं का निस्तारण चुनौतीपूर्ण होगा।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न-

  1. रूस-यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में भारत ने रणनीतिक रूप से खुद को किस प्रकार स्थापित किया है। भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्तावों पर मतदान से दूर रहने के निर्णय में किन कारकों का योगदान है ? (10 अंक, 150 शब्द)
  2. सार्वजनिक समर्थन में गिरावट, अवरुद्ध व्यय बिल और अमेरिकी राजनीतिक नेतृत्व में संभावित बदलाव जैसे कारकों के संदर्भ में यूक्रेन के लिए पश्चिमी समर्थन और सहायता को बनाए रखने से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ और जटिलताएँ क्या हैं? चर्चा कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

Source- Indian Express