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Daily-current-affairs / 24 Dec 2023

कृषि पूंजी निर्माण में गिरावट को कम करना - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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Date : 25/12/2023

प्रासंगिकता: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3: अर्थव्यवस्था और कृषि

कीवर्ड्स: कृषि में सकल पूंजी निर्माण (Gross Capital Formation in Agriculture- GCFA), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY), व्यापार की शर्तें (ToT), एग्री-टेक इंफ्रास्ट्रक्चर फंड, खाद्य सुरक्षा और हरित जलवायु कोष (GCF)

संदर्भ:

भारतीय कृषि क्षेत्र मे पूंजी निर्माण में गिरावट की स्थिति ,चिंता का विषय बनी हुई है। से कृषिक्षेत्र के सकल पूंजी निर्माण (GCFA) में यह गिरावट वर्ष 2013-14 से निरंतर बनी है। इस विश्लेषण का उद्देश्य, व्यापक आर्थिक एवं नीतिगत परिवर्तनों और वैश्विक कारकों का परीक्षण करते हुए, भारत के महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए रणनीतिक उपायों को प्रस्तावित करना है।


सकल पूंजी निर्माण में कमी

जीसीएफए को कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। यह 2013-14 के 17.5% से घटकर 2020-21 में 15.7% की गिरावट दर्ज की गई है। यद्यपि समग्र अर्थव्यवस्था में पूंजी निर्माण में गिरावट आई है, किन्तु कृषि क्षेत्र की गिरावट अधिक स्पष्ट है। सकल पूंजी निर्माण (जीसीएफ) और जीसीएफए दोनों की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 2004-05 से 2013-14 की अवधि के दौरान 9% थी। हालांकि, 2013-14 से 2020-21 तक की अवधि में जीसीएफए की सीएजीआर में 3% की तीव्र गिरावट देखी गई, जबकि जीसीएफ में 5% की थोड़ी अधिक गिरावट दर्ज की गई है ।

जीसीएफए में कमी के कारण

  • सार्वजनिक निवेश में संरचनात्मक परिवर्तन: ऐसा अनुमान है कि सार्वजनिक निवेश में गिरावट बड़ी और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं से सूक्ष्म सिंचाई की ओर परिवर्तन से जुड़ी है। कृषि में 90% से अधिक सार्वजनिक निवेश सिंचाई से संबंधित है और इस परिवर्तन से समग्र पूंजी निर्माण में कमी आ सकती है।
  • आरकेवीवाई कार्यक्रम में परिवर्तन: राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) ने ऐतिहासिक रूप से कृषि में राज्य के निवेश को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, 2014 के बाद से राज्यों द्वारा आरकेवीवाई व्यय को 40% करने के साथ कृषि में राज्य निवेश को लगातार कम होता चला गया ।
  • कृषि क्षेत्र से बहिष्करण: ग्रामीण विद्युतीकरण, बिजली आपूर्ति, ग्रामीण सड़कें, भंडारण, कृषि अनुसंधान और उर्वरक एवं कीटनाशक उद्योगों पर महत्वपूर्ण व्यय को कृषि या संबद्ध क्षेत्रों के अंतर्गत वर्गीकृत नहीं किया गया है। इस बहिष्करण से कृषि विकास में इन क्षेत्रों के समग्र योगदान की कमी हो सकती है।
  • निजी निवेश में कमी: कृषि में 80% से अधिक निवेश निजी क्षेत्र से आता है। गैर-कृषि क्षेत्र की तुलना में कृषि में व्यापार की शर्तें (टीओटी) निजी निवेश का एक महत्वपूर्ण कारक हैं। हाल के वर्षों में टीओटी में गिरावट ने कृषि में निजी निवेश को कम कर दिया है।
  • कृषि पद्धतियों में परिवर्तन: सूक्ष्म सिंचाई यथा आधुनिक और कुशल माध्यमों ने कृषि में पूंजी निवेश के प्रकार और मात्रक को प्रभावित किया है।
  • आर्थिक और नीतिगत कारक: सब्सिडी, ऋण उपलब्धता या बाजार पहुंच से संबंधित सरकारी नीतियों में परिवर्तन सहित व्यापक आर्थिक कारकों से निवेश निर्णय प्रभावित हो सकते हैं।
  • वैश्विक और जलवायु कारक: वैश्विक आर्थिक स्थितियाँ, जलवायु परिवर्तन और बाह्य कारक कृषि को प्रभावित कर सकते हैं। मौसम प्रारूप में बदलाव से कम लाभप्रदता और फसल विफलता के उच्च जोखिम, कृषि निवेशों की व्यवहार्यता को प्रभावित कर सकते हैं।

जीसीएफए में कमी के प्रभाव

  • धीमी कृषि वृद्धि: पूंजी निर्माण में कमी से कृषि क्षेत्र में शिथिल वृद्धि होती है। यह बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी अपनाने और उत्पादकता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण आधुनिक कृषि पद्धतियों को प्रभावित कर सकता है।
  • आय असमानता: शिथिल कृषि क्षेत्र, आय असमानता को बढ़ाता है। जनसंख्या के सबसे गरीब वर्ग को आर्थिक चुनौतियों का खामियाजा भुगतना पड़ता है।
  • रोजगार सृजन की चुनौतियां: कृषि क्षेत्र एक प्रमुख नियोक्ता है तथा शिथिल कृषि वृद्धि के परिणामस्वरूप रोजगार के अवसर कम होते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च बेरोजगारी या अल्प-रोजगार दर में वृद्धि होती है।
  • खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव: निम्न गति से बढ़ता कृषि क्षेत्र भूख और कुपोषण के जोखिम में वृद्धि करते हुए भोजन की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न करता है।
  • कम प्रतिस्पर्धात्मकता: अपर्याप्त पूंजी निवेश के कारण भारत का कृषि क्षेत्र विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मकता में पीछे रह सकता है, जिससे दक्षता, प्रौद्योगिकी अपनाने और निर्यात क्षमताएं प्रभावित हो सकती है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: कृषि वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में महत्वपूर्ण योगदान देती है। पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करने के लिए निम्न-कार्बन और जलवायु-स्मार्ट प्रौद्योगिकियों में निवेश करना अनिवार्य है।
  • मानसून पर निर्भरता: कम पूंजी निवेश सिंचाई प्रणालियों के विकास, मौसम पूर्वानुमान और फसल बीमा को प्रभावित करता है, जिससे अप्रत्याशित मानसून पर कृषि क्षेत्र की निर्भरता बढ़ जाती है।

भारत में कृषि का महत्व

  • रोजगार के अवसर: कृषि कुल जनसंख्या के लगभग 54.6% को रोजगार प्रदान करती है।
  • जीडीपी में योगदान: इसका कुल जीडीपी में लगभग 17% का योगदान है।
  • खाद्य आपूर्ति: भारत की विशाल और बढ़ती आबादी के लिए कृषि भोजन का प्राथमिक स्रोत है।
  • कच्चा माल: यह कृषि आधारित और खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति करती है।
  • व्यापार और वाणिज्य: कृषि आंतरिक और बाह्य व्यापार एवं वाणिज्य को प्रभावित करती है।
  • पूंजी निर्माण: यह पूंजी निर्माण और सरकारी राजस्व सृजन में योगदान देती है।

जीसीएफए को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहलें

  • उन्नत संस्थागत ऋण: किसान क्रेडिट कार्ड, ब्याज सहायता योजना आदि जैसी योजनाओं का उद्देश्य किसानों को संस्थागत ऋण तक व्यापक पहुंच प्रदान करना है।
  • भंडारण अवसंरचना को बढ़ावाः ग्रामीण भंडारण योजना, भंडारण विकास और नियामक प्राधिकरण जैसी पहलें कृषि उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक भंडारण अवसंरचना पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
  • एग्री-टेक इंफ्रास्ट्रक्चर फंड: प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना और एग्री-मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर फंड जैसी पहलों का उद्देश्य एग्री-टेक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के माध्यम से प्रतिस्पर्धी और लाभदायक कृषि को बढ़ावा देना है।
  • जैविक कृषि विकास: परम्परागत कृषि विकास योजना, मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास जैसी योजनाएं वाणिज्यिक जैविक कृषि को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं।
  • कृषि में स्टार्टअप इकोसिस्टम: राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और कृषि उड़ान जैसी पहलों का उद्देश्य कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देना है।

जीसीएफए बढ़ाने की रणनीतियाँ

  • सार्वजनिक व्यय में वृद्धि: सिंचाई, अनुसंधान एवं विकास, विस्तार सेवाओं और बाजार के बुनियादी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर सार्वजनिक व्यय को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इससे उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ सकती है और निजी निवेश के लिए अनुकूल माहौल बन सकता है।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी:- मॉडल कृषि उपज और पशुधन विपणन अधिनियम, मॉडल कृषि उपज और पशुधन अनुबंध कृषि अधिनियम और किसान उत्पादक कंपनियों को आयकर से छूट जैसे नीतिगत सुधारों के माध्यम से निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ये सुधार वैकल्पिक विपणन चैनल बना सकते हैं, अनुबंध कृषि की सुविधा प्रदान कर सकते हैं और किसानों द्वारा सामूहिक प्रयास को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
  • जलवायु वित्त का लाभ उठाना: जलवायु-नम्य और कम उत्सर्जन वाली कृषि का समर्थन करने के लिए जलवायु वित्त के अवसरों का पता लगाया जाना चाहिए। हरित जलवायु कोष लचीली कृषि को बढ़ावा देने, जलवायु-सूचित सलाहकार सेवाओं को सुविधाजनक बनाने और खाद्य प्रणालियों को पुन: संरचित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

निष्कर्ष

कृषि में सकल पूंजी निर्माण (जीसीएफए) में कमी के कारण भारत के कृषि क्षेत्र को स्थिरता की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सार्वजनिक निवेश में परिवर्तन, कृषि पद्धतियों में परिवर्तन और वैश्विक कारक इस मुद्दे को जटिल बनाते हैं, जिससे आय वितरण, रोजगार सृजन और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होती है। भारत के महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र के लिए एक लचीला, प्रतिस्पर्धी और संधारणीय भविष्य सुनिश्चित करने के लिए सहयोगात्मक और रणनीतिक उपाय आवश्यक हैं। सार्वजनिक व्यय में वृद्धि, निजी क्षेत्र की भागीदारी और जलवायु वित्त का लाभ उठाने के साथ सरकार की पहल, एक मजबूत कृषि परिदृश्य का मार्ग प्रशस्त कर सकती है, जो वर्तमान और भविष्य की मांगों को पूरा करने में सक्षम होगी।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

  1. भारत में कृषि में सकल पूंजी निर्माण (जीसीएफए) के गिरावट में योगदान देने वाले कारकों का परीक्षण कीजिए । सार्वजनिक निवेश में बदलाव, कृषि पद्धतियों में बदलाव और वैश्विक कारक सामूहिक रूप से कृषि क्षेत्र के विकास को किसप्रकार प्रभावित करते हैं? (10 अंक, 150 शब्द)
  2. कृषि विकास, आय असमानता, रोजगार सृजन और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सहित विभिन्न पहलुओं पर जीसीएफए में कमी के निहितार्थ पर चर्चा कीजिए। सरकारी पहलों और रणनीतिक सुधारों, दोनों को शामिल करते हुए सहयोगी उपाय कैसे इन चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं और भारत के कृषि क्षेत्र के लिए एक संधारणीय भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं? (15 अंक, 250 शब्द)

Source- The Hindu Business Line