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Brain-booster / 24 Dec 2023

बिम्सटेक: चुनौतियां और क्षेत्रीय सहयोग - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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Date : 25/12/2023

प्रासंगिकता : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2- अंतर्राष्ट्रीय संबंध - भारत के हित को प्रभावित करने वाली नीतियां

की-वर्ड्स : बंगाल की खाड़ी क्षेत्र, एक्ट ईस्ट पॉलिसी, मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए), सार्क, 'इंडो-पैसिफिक' क्षेत्र,

संदर्भ -

भारत ने हाल ही में एक वरिष्ठ राजनयिक को बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (BIMSTEC) के चौथे महासचिव के रूप में नियुक्त किया है। यह संगठन में भारत की क्षेत्रीय सहयोग में तेजी लाने की प्रतिबद्धता को स्पष्ट करता है। बिम्सटेक का लक्ष्य बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के तटीय और निकटवर्ती देशों के बीच साझा विकास और सहयोग को बढ़ावा देना है।


बिम्सटेक अवलोकन

  • उत्पत्ति और सदस्यता: बिम्सटेक की उत्पत्ति जून 1997 में बैंकॉक घोषणा को अपनाने के साथ BIST-EC के रूप में हुई, जिसमें बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल थे। बाद में 1997 में म्यांमार इसमें शामिल हुआ और इसे BIMST-EC में बदल दिया गया। 2004 में नेपाल तथा भूटान के सम्मिलित होने के बाद यह संगठन अपने वर्तमान स्वरूप में आया ।
  • क्षमता : बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड को सम्मिलित करते हुए बिम्सटेक क्षेत्र वैश्विक जनसंख्या के 22% (1.68 बिलियन लोग) का प्रतिनिधित्व करता तथा इसकी संयुक्त जीडीपी 3.697 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है।
  • कार्य तंत्र: बिम्सटेक में नीति निर्माण हेतु प्रति 2 वर्ष में शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाता है इसके साथ ही साथ वार्षिक व्यापार तथा आर्थिक मामलों के लिए मंत्री स्तरीय बैठक होती है। इसके अतिरिक्त, समूह की गतिविधियों की निगरानी के लिए वर्ष में दो बार वरिष्ठ अधिकारियों की परिचालन बैठकें आयोजित की जाती हैं।

बिम्सटेक का महत्व

  • गठन की आवश्यकता: ऐतिहासिक रूप से एकीकृत बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के नवोद्भिद स्वतंत्र देशों के आपसी सामंजस्य में में गिरावट देखी गई। बिम्सटेक के गठन का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच कनेक्टिविटी और साझा हितों को पुनर्जीवित करना है।
  • एक पुल के रूप में कार्य करना: बिम्सटेक दक्षिण एशियाई और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच एक लिंक के रूप में कार्य करता है जो संबंधों को मजबूत करता है और अंतर-क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • सेक्टर-संचालित दृष्टिकोण: अन्य क्षेत्रीय समूहों के विपरीत बिम्सटेक एक सेक्टर-संचालित मॉडल अपनाता है जो सदस्यों के बीच लक्ष्यों और सहयोग के क्षेत्रों को विभाजित करता है। उदाहरण के लिए, भारत परिवहन, पर्यटन, आतंकवाद-निरोध, आपदा प्रबंधन और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों की देखरेख करता है।
  • सार्क का विकल्प: भूराजनीतिक मुद्दों के कारण दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की प्रगति रुकी हुई थी, ऐसे में बिम्सटेक क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक वैकल्पिक मंच के रूप में उभरा है ।

भारत और बिम्सटेक

  • भारत के लिए महत्व: बिम्सटेक भारत की 'एक्ट ईस्ट' नीति के अनुरूप है, जो दक्षिण पूर्व एशिया में अधिक से अधिक क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है। यह हिंद महासागर में व्यापार और सुरक्षा में प्रमुखता प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य का समर्थन करता है और क्वाड देशों के फोकस 'इंडो-पैसिफिक' क्षेत्र की अवधारणा के अनुरूप है।
  • भारत के प्रयास: भारत ने बेंगलुरु में बिम्सटेक ऊर्जा केंद्र और बिम्सटेक बिजनेस काउंसिल की स्थापना करके बिम्सटेक की प्रगति में सक्रिय रूप से योगदान दिया है। इन पहलों का उद्देश्य क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देना, मुक्त व्यापार और पावर ग्रिड इंटरकनेक्टिविटी समझौते को लागू करना तथा बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में परिवहन कनेक्टिविटी के लिए एक मास्टर प्लान विकसित करना है।

एक्ट ईस्ट पॉलिसी

  • एक्ट ईस्ट पॉलिसी भारत सरकार द्वारा 2014 में शुरू की गई एक पहल है। इसका उद्देश्य पूर्वी एशिया के साथ भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना है। नीति का मुख्य फोकस आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र) देशों पर है, लेकिन इसमें पूर्वी एशिया के अन्य देश भी शामिल हैं जैसे चीन, जापान और दक्षिण कोरिया।

बिम्सटेक के समक्ष चुनौतियाँ

  • धीमी गति: एक बड़ी चुनौती बिम्सटेक की गतिविधियों में दक्षता का अभाव और धीमी प्रगति है। साथ ही नीति-निर्माण और परिचालन बैठकें आयोजित करने से संबंधित विसंगतियों तथा चिंताओं को बढ़ाती हैं।
  • अपर्याप्त सहायता: बिम्सटेक सचिवालय को अपनी परिचालन गतिविधियों के लिए अपर्याप्त वित्तीय और जनशक्ति सहायता से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • व्यापार चुनौतियाँ: बिम्सटेक देशों के साथ भारत का व्यापार, उसके कुल विदेशी व्यापार के पिछले कुछ वर्षों में कम हुआ है (प्रतिशत के रूप में)। बिम्सटेक देशों के भीतर अंतर-क्षेत्रीय व्यापार भिन्न-भिन्न है, सदस्य देश प्राय: गैर-सदस्य देशों से वस्तु आयात को प्राथमिकता देते हैं।
  • सदस्यों के सामने चुनौतियाँ: हाल की चुनौतियों में रोहिंग्या शरणार्थी संकट, भारत-नेपाल सीमा मुद्दा और म्यांमार में राजनीतिक स्थिति पर तनावपूर्ण बांग्लादेश-म्यांमार संबंध शामिल हैं।
  • एकीकृत तटीय पारिस्थितिकी तंत्र का अभाव: बिम्सटेक सदस्यों द्वारा अभी भी एक साझा और आकर्षक तटीय शिपमेंट पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना शेष है। इसी प्रकार की चुनौतियों में क्षेत्रीय सीमाओं को पार करने वाले मछुआरों को हिरासत में लेना भी शामिल है।

मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए)

  • मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) दो या दो से अधिक देशों के बीच एक समझौता है जिसके तहत वे एक दूसरे के साथ व्यापार करते समय सीमा शुल्क, टैरिफ और अन्य व्यापार बाधाओं को कम करते हैं या समाप्त करते हैं। इसका उद्देश्य व्यापार को आसान बनाना और सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है।

भविष्य के सुझाव और भावी रणनीति

  • सदस्य देशों के बीच सार्थक वार्ता को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत बिम्सटेक सचिवालय आवश्यक है। यह दक्षता, समन्वय और सहमत पहलों के कार्यान्वयन से संबंधित चुनौतियों का समाधान करेगा।
  • बिम्सटेक क्षेत्र के लिए भावी रणनीति में क्षेत्रीय समन्वय को बढ़ावा देने और उपलब्ध संसाधनों का अनुकूलन करके इसकी अंतर्निहित विविधता का लाभ उठाना शामिल है। अधिक मजबूत और गतिशील बिम्सटेक विकसित करने के लिए यह दृष्टिकोण आवश्यक है।
  • घरेलू और भू-राजनीतिक कारकों के जटिल परिदृश्य से निपटने में सदस्य देशों को द्विपक्षीय और समूह दोनों स्तरों पर निरंतर बहुपक्षीय चर्चाओं में शामिल होना चाहिए। ये चर्चा रोहिंग्या संकट जैसी चुनौतियों को आर्थिक और सुरक्षा परिणामों के निर्बाध संचालन में बाधा डालने से रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं। विशेष रूप से, भारत को नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे भागीदारों के साथ लगातार राजनीतिक जुड़ाव बनाए रखने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है कि घरेलू राजनीतिक मुद्दे सहयोगात्मक कामकाजी संबंधों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित नहीं करेंगे ।
  • समूह के भीतर व्यापार कनेक्टिविटी बढ़ाने के भारत के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए, विशेष रूप से म्यांमार और श्रीलंका जैसे समुद्री संसाधन समृद्ध सदस्यों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के कार्यान्वयन से सभी प्रतिभागियों को पर्याप्त लाभ मिल सकता है।
    • परिवहन कनेक्टिविटी के लिए अपनाए गए मास्टर प्लान के अनुरूप 'तटीय शिपिंग पारिस्थितिकी तंत्र' और एक एकीकृत विद्युत ग्रिड की स्थापना, अंतर-क्षेत्रीय व्यापार और आर्थिक संबंधों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने की क्षमता रखती है।
    • बिम्सटेक के लिए अतिरिक्त फंडिंग सुरक्षित करना और इन अवसरों को पूरी तरह से साकार करने के लिए परियोजनाओं के समय पर कार्यान्वयन को प्राथमिकता देना अनिवार्य है।
  • बिम्सटेक के पथप्रदर्शक के रूप में, भारत को शक्ति असंतुलन के संबंध में छोटे सदस्यों के बीच किसी भी चिंता को दूर करने में नेतृत्वकारी भूमिका निभानी चाहिए।
  • सीमा पार कनेक्टिविटी को अधिक सुविधाजनक बनाना और लोगों और वस्तुओं की आवाजाही में बाधाओं को कम करके निवेश के प्रवाह को बढ़ावा देना भारत के लिए प्रमुख जिम्मेदारियां हैं।
  • विशेष रूप से, शिखर सम्मेलन के दौरान, भारत ने सचिवालय को अतिरिक्त धनराशि का प्रस्ताव की और एक विज़न दस्तावेज़ बनाने के लिए एक प्रतिष्ठित व्यक्ति समूह (ईपीजी) स्थापित करने के महासचिव के प्रस्ताव का समर्थन किया। अन्य सदस्य देशों को भी अपनी प्रतिबद्धताओं को मूर्त कार्यों में परिवर्तित करके इसका अनुसरण करना चाहिए।
  • बिम्सटेक को ब्लू-इकॉनमी और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे नए क्षेत्रों की खोज करके अपने फोकस में विविधता लानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, सतत विकास से संबंधित क्षेत्रों को बढ़ावा देने पर जोर देने से इस क्षेत्र की समग्र प्रगति में योगदान मिलेगा।
  • इन रणनीतिक उपायों को सामूहिक रूप से अपनाकर, बिम्सटेक क्षेत्र बेहतर सहयोग और समृद्धि की दिशा में मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

निष्कर्ष

बिम्सटेक एक क्षेत्रीय सहयोग मंच के रूप में अपार संभावनाएं रखता है, इसकी सफलता के लिए धीमी गति, अपर्याप्त सहायता और व्यापार असंतुलन जैसी चुनौतियों का समाधान करना महत्वपूर्ण है। भारत की सक्रिय भागीदारी और पहल, सभी सदस्य देशों के सामूहिक प्रयासों के साथ मिलकर, संगठन के उद्देश्यों को पूरा करने और क्षेत्रीय विकास और स्थिरता में योगदान करने की क्षमता निर्धारित करेगी।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न -

  1. भारत ने बिम्सटेक की प्रगति में सक्रिय रूप से कैसे योगदान दिया है और क्षेत्रीय व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए क्या पहलें की है? (10 अंक, 150 शब्द)
  2. बिम्सटेक अन्य क्षेत्रीय समूहों से किस प्रकार भिन्न है, और संगठन को बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में साझा विकास और सहयोग के अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? (15 अंक, 250 शब्द)

Source- The Hindu Business Line