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Blog / 10 Sep 2018

(Global मुद्दे) रोहिंग्या संकट एवं संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट (Rohingya Crisis and UN Report)

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(Global मुद्दे) रोहिंग्या संकट एवं संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट (Rohingya Crisis and UN Report)


एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी)

अतिथि (Guest): विवेक काटजू (पूर्व राजदूत, म्यांमार), रवि नायर (मानवाधिकार कायर्कर्ता)

सन्दर्भ:

रोहिंग्या मामले को लेकर म्यामांर की दुनिया भर में कड़ी आलोचना हो रही है। आलोचना का मुख्य कारण है रोहिंग्या समुदाय पर म्यांमार की सेना द्वारा की गई हिंसा। हाल ही में इस मामले पर संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि पिछले साल म्यांमार की सेना ने कई रोहिंग्याओं का नरसंहार किया था। रिपोर्ट में म्यांमार की सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के बक़ायदा नाम हैं जिन पर मुक़दमा चलाने की बात कही है। इतना ही नहीं रोहिंग्याओं पर हुए ज़ुल्म को लेकर नोबेल पुरस्कार विजेता और वर्तमान म्यांमार की नेता आंग सांग सूची की कड़ी आलोचना करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि वे हिंसा को रोकने में पूरी तरह से नाक़ाम रहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा ऐसी रिपोर्ट जारी करना कोई आम बात नहीं है जिसमें किसी देश की सेना पर नरसंहार जैसे संगीन अपराध हो। आपको बता दें कि इस नरसंहार की वैश्विक स्तर पर कड़ी आलोचना हो रही है। संयुक्त राष्ट्र ने इस मामले को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में भेजने की सलाह भी दी है। हालांकि रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि चूंकि म्यांमार उस रोम संधि का हिस्सा नहीं है जिसके तहत ये मामला इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में पहुंच सके। म्यांमार पर मुक़दमा चलाने के लिए सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों का साथ चाहिए होगा जिसमें कि चीन का साथ न मिले। संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के कुछ दिन बाद म्यांमार की अदालत ने रॉयटर के दो पत्रकारों को सात साल की सज़ा भी सुनाई है। इन पत्रकारों पर आरोप है कि इन्होंने देश के गोपनीयता के क़ानून का उल्लंघन किया है जबकि पत्रकारों का कहना है कि ये रखाईन में हुए नरसंहार पर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट तैयार कर रहे थे।

आपको बता दें कि रोहिंग्या आमतौर पर मुसलमान हैं और अल्पसंख्यकों में कुछ हिंदु और ईसाई हैं जो बरसों से म्यांमार की सरज़मीं पर रह रहे हैं। इनकी भाषा रोहिंग्या है जो काफी हद तक बांग्ला से मिलती जुलती है लेकिन म्यांमार का मानना है कि रोहिंग्या बांग्लादेश से अवैध रूप से आए अप्रवासी हैं जो ‘म्यांमार के नागरिकता अधिनियम 1982’ के तहत नागरिकता पाने के क़ाबिल नहीं हैं इसलिए इनके पास कोई लीगल सिक्यूरिटी भी नहीं है। आपको बता दें कि रोहिंग्या समुदाय पर 2012 में हिंसा शुरु हुई थी जो थमने का नाम नहीं ले रही है और पिछले वर्ष 2017 में म्यांमार की सेना की तरफ से अभियान चलाया गया जिसमें रोहिंग्याओं की हत्याएं, सामुहिक बलात्कार और इनके गांव तक जला दिए गए। 2017 में हुई इस हिंसा में कई हज़ारों लोग मारे जा चुके हैं। मौजूदा समय में भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या रह रहे हैं और सात लाख के करीब रोहिंग्या बांग्लादेश में जीवन तलाश रहे हैं। रोहिंग्या संकट आज विश्व के सामने एक विकराल रूप ले चुका है । जिसका हल क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर मानवीय नजरिये से ही संभव है।

मुख्य बिंदु:

  • 1982 के कानून के तहत है भारतीय मूल की जातियों के खिलाफ पक्षपात
  • रोहिंग्या और भारतीय मूल की अन्य जातियों के खिलाफ है म्यांमार की नीतियां
  • म्यांमार शासन करेगा रोहिंग्या मामले में सेना का पूरा समर्थन
  • रोहिंग्या मामले में म्यांमार को मिलेगा चीन का पूरा समर्थन
  • म्यांमार के संविधान के तहत फौज है औंग सान सूची से ज्यादा ताक़तवर
  • म्यांमार के संविधान में २५% सीटें सेना के लिए आरक्षित
  • म्यांमार की सरकार में रक्षा मंत्री, गृह मंत्री आते हैं फौज से
  • रोहिंग्या मामले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में ले जाने की है कवायद
  • म्यांमार ने रोम संधि पर नहीं किये हैं हस्ताक्षर
  • इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में जाने के लिए सुरक्षा परिषद् के स्थाई सदस्यों की सहमति आवश्यक
  • चीन म्यांमार को ICC ले जाने के विरोध में
  • सीरिया मुद्दे की तरह म्यांमार का हल निकालना होगा
  • सीरिया मुद्दे पर रूस ने लगाया था सुरक्षा परिषद् में वीटो
  • सीरिया की तरह ही इंटरनेशनल इन्वेस्टीगेशन एंड इम्पार्शिअल कमिशन बननी चाहिए म्यांमार के लिए
  • म्यांमार को ICC के बजाय इंटरनेशनल एडहॉक ट्रिब्यूनल से कार्रवाई का सुझाव
  • आंग सान सूची और म्यांमार की सरकार ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया है
  • म्यांमार की सेना के हथियार है इजराइल से आयातित
  • एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित दुनिया भर की मानवाधिकार संस्थाएं आवाज़ उठा चुकी हैं रोहिंग्या मुद्दे पर
  • म्यनमार सरकार को समय लगेगा बातचीत करने में
  • भूराजनीतिक रूप से म्यनमार अपने पडोसी देशों और चीन पर निर्भर है
  • म्यांमार के कोकांग क्षेत्र में रहते है चीनी लोग
  • चीन का समर्थन है शान मिलिट्री के साथ
  • रोहिंग्या समुदाय सऊदी अरब , पाकिस्तान में भी है
  • सऊदी अरब ने रोहिंग्याओं को कभी अपना नहीं माना
  • पाकिस्तान में भी हैं रोहिंग्याओं के हालात मुश्किल
  • मानवाधिकार रिपोर्ट के नाम पर होती है राजनीति
  • वीगर समुदाय भी लगाता रहा है चीन पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप
  • मानवाधिकार रिपोर्टों का प्रयोग दबाव बनाने के लिए किया जाता है न की न्याय दिलाने के लिए
  • अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को बांग्लादेश में रोहिंग्याओं की हालत सुधरने के लिए करनी होगी मदद
  • 7 लाख रोहिंग्या कैंप में बुरे हालात में रह रहे है
  • रोहिंग्याओं में म्यंमार वापस जाने को लेकर है दहशत
  • 6 लाख विस्थापित रोहिंग्या हैं रखाइन राज्य में
  • बांग्लादेश और म्यनमार में रोहिंग्याओं के प्रत्यावर्तन समझौते को बीत चुके है डेढ़ साल
  • 2010 में मिला था रोहिंग्याओं को वोट का अधिकार
  • भारत को रोहिंग्या मामले में करनी होगी मध्यस्थता
  • भारत ने दिया है आर्थिक मदद का आश्वासन
  • मानवाधिकार आयोग सऊदी अरब और पाकिस्तान में रोहिंग्याओं की समस्या पर है मौन
  • भारत म्यांमार के बीच हो रही है सड़क जोड़ने की बात
  • भारत म्यांमार बिम्सटेक का भी हिस्सा है
  • घरेलु और अंतररष्ट्रीय न्याय में है भिन्नता
  • सऊदी अरब और पाकिस्तान में रोहिंग्याओं को कई अधिकार है प्राप्त
  • इन देशों में रोहिंग्याओं का शोषण नहीं होता

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