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Blog / 10 Nov 2020

(India This Week) Weekly Current Affair (31st October - 6th November 2020)

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इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम का मक़सद आपको हफ्ते भर की उन अहम ख़बरों से रूबरू करना हैं जो आपकी परीक्षा के लिहाज़ से बेहद ही ज़रूरी है। तो आइये इस सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरों के साथ शुरू करते हैं इस हफ़्ते का इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम...

न्यूज़ हाईलाइट (News Highlight):

  • भारत ने गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल के साथ एक आभासी बैठक में की शिरकत... भारतीय कामगार और पेशेवर को वापसी की सुविधा प्रदान करने का किया आग्रह..
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म परिवर्तन पर दिया एक अहम फैसला...कहा सिर्फ शादी करने के लिए धर्म बदलना वैध नहीं है.
  • नमामि गंगे योजना अंतर्गत 2 नवंबर से 4 नवंबर तक गंगा उत्सव का आयोजन किया जाना है...इसका उद्देश्य गंगा नदी के कायाकल्प के लिए जनसहभागिता बढ़ाना है.
  • कोरोना काल में दिली के लोगों को पीना पड़ रहा है प्रदुषण का जहर..पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने के कारण दिल्ली में बन सकते है हेल्थ इमरजेंसी के हालात..
  • प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि योजना के तहत बाटें गये.... तकरीबन 3 लाख पथ विक्रेताओं को बाटें क़र्ज़... पीएम मोदी ने इस मौके पर लाभार्थियों से विडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिये की बातचीत.
  • लम्बे इंतेज़ार के बाद हिमांचल प्रदेश में लूहरी हाइड्रो प्रोजेक्ट को को मिली मोदी कैबिनेट की मंजूरी, मिलेगी 775 करोड़ यूनिट बिजली
  • DRDO ने हासिल की एक और कामयाबी....पिनाका रॉकेट प्रणाली का किया सफल परीक्षण किया.. पिनाका रॉकेट है अत्याधुनिक दिशासूचक प्रणाली से लैस है..
  • कई सालों बाद एक बार फिर से देखने को मिला एक दुर्लभ नजारा...हैलोवीन पर दिखा नीला चांद... दुनियाभर में लोगों ने नीले चांद का जमकर किया दीदार...

खबरें विस्तार से:

1.

खाड़ी सहयोग परिषद् और भारत भारत ने खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Cooperation Council-GCC) के सदस्य देशों से उन भारतीयों को वापसी की सुविधा प्रदान करने का आग्रह किया है, जो महामारी से संबंधित प्रतिबंधों में छूट मिलने के पश्चात् अब पुनः कार्य शुरू करना चाहते बतादें की गल्फ कोऑपरेशन कौंसिल एक क्षेत्रीय संगठन है जिसमे तकरीबन सारे अरब देश शामिल हैं।

हाल ही में भारत ने गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल के साथ एक आभासी बैठक में शिरकत की....बैठक के दौरान भारत और अरब देशों ने कई बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की प्रतिबद्धता जताई। इसके अलावा 21वीं शताब्दी की चुनौतियों के मद्देनज़र दोनों पक्षों ने कोविड महामारी , जलवायु परिवर्तन , सतत विकास और आतंकवाद जैसी चुनौतियों से साथ में निपटने के लिए भी साथ काम करने का आश्वासन दिया।

गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल ने भारत के जनवरी 2021 से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भी अस्थायी सदस्य के तौर पर चुने जाने का स्वागत किया।

भारत ने बैठक के दौरान गल्फ क्षेत्रों को खाना दवाएं और ज़रूरी सामान की भी आपूर्ति जारी रखने का भरोसा दिलाया। गौर तलब है की भारत से गल्फ देशों को जाने वाली आपूर्ति श्रृंखला महामारी के दौरान लगे लॉक डाउन में भी बदस्तूर जारी थी।

एक नज़र गल्फ सहयोग परिषद् या (जी सी सी पर)

गल्फ सहयोग परिषद् या जी सी सी को साल 1981 इक्यासी में वजूद में लाया गया था। इसे बहरीन कुवैत ओमान क़तर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के बीच एक करार के तहत स्थापित किया गया था। ऐसा इन देशों के बीच ख़ास रिश्तों , भौगोलिक निकटता इस्लामी धारणा पर आधारित एक जैसी राजनैतिक व्यवस्था और एक जैसे मकसदों को देखते हुए किया गया था।

गल्फ सहयोग परिषद् में एक प्रधान परिषद् या सुप्रीम कौंसिल होती है जो सबसे ऊंची संस्था है। इसके अलावा मंत्रिपरिषद और सेक्रेटरियट जनरल भी इस परिषद् का हिस्सा है। इसका सचिवालय सऊदी अरब के रियाध में मौजूद है...इसके चार्टर के मुताबिक़ यह राजनैतिक आर्थिक सामाजिक और क्षेत्रीय संघ है।

जी सी सी सदस्य देशों की सरकारें भारत के साथ अच्छे तालुक रखती हैं। भारत के प्रधानमंत्री को संयुक्त अरब अमीरात के सबसे बड़े नागरिक सम्मान आर्डर ऑफ़ ज़ायेद से नवाज़ा गया है। इसके अलावा बहरीन के तीसरे सबसे बड़े सम्मान किंग हमद आर्डर ऑफ़ रेनेसांस से भी भारतीय प्रधानम्नत्री को सम्म्मानित किया जा चुका है...

वहीँ जी सी सी देश भारत के सबसे प्रमुख ऊर्जा आपूर्ति कर्ताओं में से एक है। इसके अलावा इन देशों के भारतीयों द्वारा भेजे गए सालाना धन तकरीबन 4 .8 बिलियन डॉलर के आस पास है...यू ऐ ई भारत के सबसे ज़्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने वाले 10 देशों में शामिल है....

भारत और जी सी सी दोनों फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स के सदस्य हैं...भारत के साथ बहुपक्षीय मिलन अभ्यास में सऊदी अरब ओमान कुवैत और अन्य देश शामिल होते हैं। भारत भी इन सभी देशों के साथ द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास में शामिल होता रहा है...भारत और ओमान सैन्य बलों के तीनों सेनाओं के अभ्यास में शामिल होते रहे हैं। भारत और ओमान के बीच थल सेना का अल नाजाह , वायु सेना का अभ्यास ईस्टर्न ब्रिज और नौसेना का अभ्यास नसीम अल बहर हर साल होता है....

2.

भारत का संविधान हर व्यक्ति को अपने मन मुताबिक़ किसी भी धर्म को मानने या उसका अनुसरण करने का अधिकार देता है लेकिन अगर महज शादी के लिए धर्म में बदलाव किया जा रहा हो यह ठीक नहीं है । भारत में इसके लिए एक ऐसा क़ानून है जिसके तहत बिना धर्म बदले शादी कर सकते हैं। इस अधिनियम को विशेष विवाह अधिनियम कहा जाता है.... यह कानून भारत में सभी धर्मों पर लागू है।

कोर्ट ने अलग अलग धर्मों के याचियों को अपने मन मुताबिक़ कही भी किसी के साथ रहने के लिए आज़ाद कर दिया है । यह फैसला इलाहबाद उच्च न्यायलय के न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर ने सहारनपुर की पूजा उर्फ जोया व शाहवेज की याचिका पर सुनाया है।

गौर तलब है की सहारनपुर की रहने वाली पूजा ने घर से भाग कर शाहवेज से शादी कर ली थी । इस पर परिवार ने पूजा को घर में नजरबंद कर दिया। इसके बाद पूजा ने उच्च न्यायलय में याचिका दाखिल की । न्यायलय ने फैसला सुनाते हुए लड़की को अपनी मर्जी से जाने के लिए आज़ाद कर दिया है।

क्या है विशेष विवाह अधिनियम 1954 चौवन

भारत जैसे देश में जाति और धर्म का समाज पर काफी गहरा असर देखने को मिलता है और देश के ज़्यादातर इलाकों में इन्हें विवाह का सबसे ज़रूरी पैमाना माना जाता है। देश में कई जगहों पर आज भी अंतर-जातीय विवाह को सामाजिक अपराध की श्रेणी में रखा जाता है और इसके चलते कई बेकसूर लोगों को अपनी जान भी गँवानी पड़ती है। हरियाणा जैसे राज्यों में अंतर-जातीय विवाह को लेकर हर साल एक बड़ी तादाद में ऑनर किलिंग के मामले दर्ज किये जाते है । इसे देखते हुए एक ऐसे कानून की ज़रुरत है जो जाति और धर्म के बंटवारे से ऊपर हो और प्रेम आधारित विवाहों को मान्यता दे सके। इसे कानूनी मान्यता देने के लिए संसद ने विशेष विवाह अधिनियम, 1954 चौवन लागू किया जिसके मद्देनज़र किसी भी धर्म के या जाती के नागरिक अपनी मर्ज़ी से आपस में शादी कर सकते हैं और इसे कानूनी मान्यता होगी।

विशेष विवाह अधिनियम ख़ास तौर पर अंतर-जातीय और अंतर-धार्मिक विवाह से ताल्लुक रखता है । इस अधिनियम में पंजीकरण के ज़रिये विवाह को मान्यता दी जाती है । इस अधिनियम के तहत विवाह करने वाले दोनों पक्षों को अपने-अपने धर्म को छोड़ने की ज़रूरत नहीं होती है।

यह अधिनियम सभी धर्मों हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन और बौद्धों आदि पर लागू होता है। इसके दायरे में भारत के सारे राज्य आते हैं।

इस कानून में किसी विवाह के वैध होने के लिये बुनियादी ज़रुरत है कि विवाह के लिये दोनों पक्ष इस पर अपनी सहमति रखते हों । अगर दोनों पक्षों की रज़ामंदी है तो जाति, धर्म और नस्ल जैसी चीज़ें कोई मायने नहीं रखती हैं।

इस कानून में ये भी लिखा है की कानून के तहत विवाहित किसी भी व्यक्ति के उत्तराधिकारी और उसकी जायदाद को भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के मद्देनज़र नियंत्रित किया जाएगा।

इस क़ानून में तलाक़ के भी कुछ नियम बनाये गए है। इन नियमों के तहत विवाहित जोड़े तलाक के लिये तब तक याचिका नहीं दायर कर सकते जब तक कि उनकी शादी एक साल से ज़्यादा की नहीं हो जाती है।

3.

बीते 2 नवंबर, 2020 को आभासी रूप से गंगा उत्सव की शुरुआत की गई…गंगा उत्सव का यह त्योहार 4 नवंबर, 2020 तक चला....गंगा उत्सव के साथ ही गंगा टास्क फोर्स इस उत्सव के एक हिस्से के तौर पर एनडीए कैडेटों के साथ वनीकरण अभियान भी चलाया गया....आईये जानते है गंगा उत्सव के दौरान आयोजित किये गये क्या कदम रहे...

दरहसल गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी घोषित करने के मौके से गंगा उत्सव की शुरुआत की गयी थी....इसी की 12वीं सालगिरह मनाते हुए गंगा उत्सव का आयोजन स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन द्वारा किया गया... गंगा उत्सव का आयोजन जल शक्ति मंत्रालय के संयुक्त तत्वाधान में किया गया...

गंगा टास्क फ़ोर्स ने नेशनल कैडेट कोर के कैडेट्स के साथ वनीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया.... इसके साथ ही युवाओं को शिक्षित करने के मकसद से एक टूर का भी आयोजन किया गया...

गंगा टास्क फ़ोर्स गंगा की सेवा में जुटे सेवा निवृत्त सरकारी नौकरों की एक इकाई है। इसे रक्षा मंत्रालय से 4 साल की मान्यता मिली हुई है जो दिसंबर 2020 तक प्रभावी रहेगी।

गंगा टास्क फ़ोर्स को नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत लोक सहभागिता के तहत मान्यता दी गयी थी और इसकी पहली इकाई मार्च 2016 में शुरू की गयी थी।

गंगा से जुडी प्रश्नोत्तरी जिसे मिनी गंगा क्वेस्ट कहा जाता है इस मौके पर आयोजित हुई। इसका मकसद पर्यावरणीय मुद्दों को उजागर करना और गंगा को संरक्षित करने में इसकी अहमियत युवाओं को समझानी है।

यह एक द्वी भाषी प्रश्नोत्तरी है जिसे नमामि गंगे कार्यकम में लोगों की हिस्सेदारी बढ़ाने और युवाओं को उत्साहित करने के लिए तैयार किया गया है

इस कार्यक्रम के तहत नमामि गंगे कार्यक्रम में साल भर चलने वाली गतिविधियों के लिए भी सुझाव आमंत्रित किये गए थे

गंगा नदी पर सरकार द्वारा उठाये गए कदम:

  1. गंगा एक्शन प्लान
  2. राष्ट्रिया गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण
  3. स्वच्छ गंगा निधि
  4. भुवन गंगा वेब ऍप
  5. कचरा फेकने पर प्रतिबन्ध आदेश

नमामि गंगे परियोजना केंद्र सरकार की योजना है जिसे वर्ष 2014 में शुरू किया गया था।

सरकार द्वारा इस परियोजना की शुरुआत गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने तथा गंगा नदी को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से की गई थी।

इस योजना का क्रियान्वयन केंद्रीय जल संसाधन,नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।

4.

पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने के कारण दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। इस बाबत पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि यह बायो डीकंपोजर पराली की समस्या से निपटने में एक क्रांतिकारी कदम है दिल्ली के प्रदूषण में लगभग 40 प्रतिशत योगदान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में जलाई जाने वाली पराली का ही है। उन्होंने आगे कहा कि जब दिल्ली सरकार केंद्रीकृत व्यवस्था करके बायो डीकंपोजर का दिल्ली के खेतों में निश्शुल्क छिड़काव करवा सकती है, तो केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों की सरकारें क्यों नहीं कर सकती हैं।

पिछले तीन-चार दिनों से दिल्ली, एनसीर और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाके एक जहरीली हवा के गिरफ्त में हैं। जिसके चलते आंखों में जलन या सांस लेने में दिक्कत जैसी शिकायतें ज्यादा सुनने में आ रही हैं। बता दें कि इस परिस्थिति को देखते हुए दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात हो गये है...

अब आप सोच रहे होंगे आखिर ये क्या है और कब लागू होती है...

बतातें चलें वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानी डब्ल्यूएचओ के मुताबित जब कोई क्षेत्र, राज्य या इलाका गंभीर स्वास्थ्य खतरों की गिरफ्त में होता है तब इस इमरजेंसी को उस राज्य, क्षेत्र या इलाके में सभी अधिकारियों की सहमती के साथ लागू किया जाता है।

आपको बतादें ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तहत अगर हवा की स्थिति 48 घंटे या उससे ज्यादा गंभीर श्रेणी में है तब इस इमरजेंसी का इस्तेमाल किया जाता है।

एयर क्वालिटी इंडेक्स की बात करें तो इसमें में पीएम-2.5 और पीएम-10 के स्तर को मापा जाता है. इसमें 0-50 के बीच 'अच्छा', 51-100 'संतोषजनक', 101-200 'हल्का नुकसानदायक', 201-300 'ख़राब', 301-400 'बेहद ख़राब' और 401-500 'गंभीर' माना जाता है. यदि AQI 500 से ऊपर हो तो उसे 'बेहद गंभीर-आपातकालीन’ श्रेणी में माना जाता है...

पीएम-10 लेवल क्या होता है?

पर्टिकुलेट मैटर या पीएम उन बेहद छोटे धूल और गैसीय कणों को कहा जाता है जिन्हें नग्न आँखों से नहीं देखा जा सकता. पीएम-10 उन कणों को कहा जाता है जो 10 माइक्रोमीटर व्यास के आकार के होते हैं. इन कणों में धूल, गैस, प्रदूषित कण और कई प्रकार के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं. राजधानी दिल्ली में पीएम-10 के स्तर के बढ़ने का मुख्य कारण - धूल, पराली और कूड़ा जलाए जाने का धुआँ, पटाखे और वाहनों का प्रदूषण है. इन कणों के सांस द्वारा फेफड़ों में प्रवेश करने पर विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं जैसे आँख-नाक में जलन, सांस लेने में दिक्कत, सांस फूलना, खांसी, श्वसन संबंधित गंभीर रोग आदि.

5.

हांल ही मे बीते मंगलवार यानि 27 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिये तकरीबन 3 लाख पथ विक्रेताओं को क़र्ज़ बांटे। ये क़र्ज़ प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि योजना के तहत बांटे।

बतातें चलें प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना भारत सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा प्रायोजित है...इसे इसी साल के जून महीने में शुरू किया गया था...इसका मकसद कोरोना महामारी की वजह से प्रभावित पथ विक्रेताओं को व्यावसायिक पूंजी के लिए क़र्ज़ मुहैया कराना है....

प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत वेंडर्स को 10000 रुपये तक का क़र्ज़ दिया जाता है। यहाँ क़र्ज़ डिजिटल माध्यम से इन वेंडर्स के खाते में सीधे दिया जाता है। सारे स्ट्रीट वेंडर्स जिन्होंने 24 मार्च 2020 को या उससे पहले अपना कारोबार शुरू किया है। नावेल कोरोना वायरस महामारी के चलते इस योजना को लांच किया गया था जिसके लिए केंद्र सरकार ने तकरीबन 50 लाख वेंडरों के लिए 5000 करोड़ के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी।

आपको बतादें भारत में तकरीबन 50 से 60 लाख पथ विक्रेता है जिसमे से दिल्ली , मुंबई कोलकाता और अहमदाबाद शहर में सबसे ज़्यादा पथ विक्रेता हैं....

भारत में जिन विक्रेताओं के पास कोई भी स्थाई दूकान नहीं है उन्हें पथ विक्रेता या स्ट्रीट वेंडर कहा जाता है।

बीते सालों में इन स्ट्रीट वेंडर्स ने खुद के ट्रेड यूनियन और संघ बना लिए हैं। इनके हक़ के लिए कई गैर सरकारी संगठनों ने भी मुहीम की शुरुआत की है। उदहारण के तौर पर नेशनल हॉकर फेडरेशन 1400 स्ट्रीट वेंडर संघों और ट्रेड यूनियन का एक मिला जुला संगठन है। इसकी मौजूदगी तकरीबन 28 राज्यों में है।

नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ़ इंडिया या नासवी की कोशिशों के चलते ऐतिहासिक स्ट्रीट वेंडर (जीविका संरक्षण और पथ विक्रय विनियमन) अधिनियम 2014 संसद से पारित हुआ। यह संगठन इस वक़्त पके हुए खाने के विक्रेताओं को महामारी के चलते साफ़ सफाई और सामजिक दूरी का प्रशिक्षण दे रहा है।

क्या है स्ट्रीट वेंडर क़ानून

पथ विक्रेता (जीविका संरक्षण और पथ विक्रय विनियमन) अधिनियम 2014 को सार्वजनिक क्षेत्रों में पथ विक्रेताओं के विनियमन और उनके अधिकारों को सुरक्षित रखने के मकसद से बनाया गया था। इसे 6 सितम्बर 2012 को लोक सभा में विधेयक के तौर पर पेश किया गया था। इसे ततकालीन आवासन और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री कुमारी सैलजा द्वारा पेश किया गया था...

इस कानून में कई ज़िलों में टाउन वेंडिंग समितियों का भी ज़िक्र किया गया है। इस समिति का काम सरकार द्वारा चिन्हित सभी स्ट्रीट वेंडर्स को नियमों के मुताबिक़ वेंडिंग जोन में स्थापित करना है।

6.

लंबे इंतजार के बाद केंद्र सरकार ने एसजेवीएन के लुहरी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट स्टेज-1 में निवेश को मंजूरी प्रदान की है. 210 मेगावाट की ये जल विद्युत परियोजना हिमाचल के शिमला और कुल्‍लू जिले में सतलुज नदी पर निर्माणाधीन है.

गोरतलब हो की लुहरी परियोजना विभिन्न कारणों से लंबे समय तक विवादों में रही है.

बतातें चलें पहले 38 अड़तीस किलोमीटर लंबी टनल का प्रस्ताव था जिस पर स्थानीय लोगों के अलावा राज्य सरकार को भी आपत्ति थी.

एसजेवीएन की डीपीआर पर भी कई सवाल उठे. परियोजना 700 मेगावाट से ज्यादा की थी और एक ही स्टेज पर बननी थी. उसके बाद मार्च,2015 में प्रदेश सरकार ने फिर से संभावनाएं तलाशने के लिए कहा. नई डीपीआर के तहत इसे तीन चरणों में बनाने को मंजूरी दी गई. 210 मेगावाट लूहरी चरण-, 172 मेगावाट लूहरी चरण-।। और स्टेज III 382 बयासी मेगावाट की सुन्‍नी बांध जलविद्युत परियोजना के रूप में डिजाइन किया गया. उसके बाद ये सभी परियेाजनाएं एसजेवीएन को 29 अगस्त 2017 को दोबारा आवंटित की गई.

इसके बाद 2019 में हिमाचल सरकार की ग्लोबल इन्वेस्टर मीट में पीएम की मौजदूगी में स्‍टैंड एलोन आधार पर इन परियेाजनाओं के निर्माण के लिए हिमाचल सरकार के साथ एमओयू हस्‍ताक्षरित किए गए थे.

स्टेज-। परियोजना 3.40 घंटे के लिए पीकिंग जलाशय के साथ एक रन-ऑफ-द-रिवर योजना है. इसके लिए 80 मी.ऊंचा, 225 मी. लंबा तथा 8 मी. चौड़ा, एक कंक्रीट ग्रेविटी बांध बनाया जाएगा, जिससे लगभग 6 किलोमीटर के जलाशय का निर्माण होगा. बांध निर्माण को सक्षम करने के लिए, नदी के प्रवाह को 10 मी. के व्‍यास एवं 567 सडसठ मी. लंबी हार्स-शू आकार की डायवर्जन टनल के माध्‍यम से मोड़ा जाएगा.

एसजेवीएन के मुताबिक इस परियोजना से सालाना 758 अठावन मिलियन यूनिट बिजली का उत्‍पादन होगा. परियोजना के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए 62 बासठ माह का लक्ष्य तय किया है. इस परियोजना से 2000 लोगों के लिए रोजगार सृजन होंगे. इसके अलावा , हिमाचल प्रदेश को 40 वर्षों तक लगभग 1050 करोड़ रुपए की नि:शुल्‍क बिजली मिलेगी.

7.

डीआरडीओ ने ओडिशा तट से पिनाका रॉकेट प्रणाली के नए संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. परीक्षण के दौरान लगातार छह रॉकेट छोड़े गए, जो लक्ष्य पूरा करने में सफल रहे. यह सफल परीक्षण 04 नवंबर 2020 को ओडिशा तट के पास चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया.

डीआरडीओ ने ही पिनाका रॉकेट प्रणाली को विकसित किया है.

वहीँ डीआरडीओ ने कहा कि पिनाका रॉकेट सिस्टम के उन्नत संस्करण मौजूदा पिनाका एमके-आई का स्थान लेंगे, जिसका वर्तमान में उत्पादन हो रहा है. डीआरडीओ ने बताया कि यह रॉकेट अत्याधुनिक दिशासूचक प्रणाली से लैस है, जिसके कारण यह सटीकता से लक्ष्य की पहचान कर उस पर निशाना साधता है.

पुणे स्थित डीआरडीओ प्रयोगशाला, आयुध अनुसंधान एवं विकास स्थापना (एआरडीई) और हाई एनर्जी मैटेरियल रिसर्च लेबोरेटरी ने इसका डिजाइन और इसे विकसित किया है. डीआरडीओ ने बताया कि नए रॉकेट सिस्टम में पुराने वेरिएंट (एमके-1) की तुलना में लंबी रेंज है जबकि यह आकार में पहले के मुकाबले छोटा है.

एक नज़र पिनाका रॉकेट पर

पिनाका रॉकेट अत्याधुनिक दिशासूचक प्रणाली से लैस है जिसके कारण यह सटीकता से लक्ष्य की पहचान कर उसपर निशाना साधता है. पिनाका रॉकेट की रेंज करीब 37 सैंतीस किलोमीटर है. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस पिनाका सिस्टम को पहले वाली पिनाका से अपग्रेड किया गया है. पिनाका काफी लंबे रेंज तक दुश्मन पर वार करने में सक्षम है. पिनाका कारगिल युद्ध के दौरान सेवा में रही थी. पिनाका एमके-1 रॉकेट्स की जगह अब पिनाका रॉकेट का उन्नत वर्जन लेगा.

वहीँ दूसरी और डीआरडीओ ने पिछले साल एमके-2 पिनाका रॉकेट सिस्टम का परीक्षण किया था. इसका रेंज 70-90 किलोमीटर के बीच है. एमके-1 का उन्नत वर्जन इस खाई को भरने के साथ नजदीकी लक्ष्य पर निशाना साधने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

8.

ब्लू मून दरअसल में अक्टूबर महीने में दूसरा पूरा चन्द्रमा है। पहला पूर्ण चन्द्रमा 1 से 2 अक्टूबर के बीच देखा गया था....इस पूरे चन्द्रमा को हार्वेस्ट मून कहा गया था...इ

इस बार का ब्लू मून काफी ख़ास रहा ...क्यूंकि यह हैलोवीन के मौके पर दिखाई दिया...पिछली बार ये घटना साल 1944 चौवालिस में हुई थी जब ब्लू मून हैलोवीन के मौके पर देखा गया था। भविष्य में ये दुर्लभ घटना साल 2039 उनतालीस में दिखाई देगी....इसके अलावा सामन्य ब्लू मून की घटना 31 जनवरी और 31 मार्च 2018 को घटी थी...जबकि भविष्य में ये घटना दुबारा 2023 में घटेगी....

ब्लू मून का मतलब लोग यही समझते आए हैं कि चांद इस दिन नीला हो जाता होगा लेकिन ऐसा नहीं होता। वैज्ञानिक कहते हैं कि एक ही घटना जब दो बार घटित होती है तब इसे ये नाम दिया गया। पूर्णिमा का होना एक माह में एक बार ही होता है लेकिन जब भी ये महीने में दो बार होता है तब इसे नीला चांद या ब्लू मून कहते हैं। सरल भाषा में कहें तो किसी महीनें में जब दो बार पूर्णिमा आती है तब उस दिन को ब्लू मून कहा जाता है..

दो पूर्णिमाओं के बीच 29 उनतीस दिन का अंतर पाया जाता है जबकि ज़्यादातर महीने या तो 30 दिन या 31 दिन वाले होते हैं....इसलिए ये मुमकिन हैं की एक ही महीने में 2 पूर्णिमा हो जाएँ। कभी कभी 30 दिनों के महीने में भी ब्लू मून की घटना घटित होती है जैसा की 30 जून 2007 को हुआ था...

क्या होता है सुपर मून

  • एक सुपर मून की घटना तब होती है जब चंद्रमा और पृथ्वी के बीच में दूरी सबसे कम हो जाती है. इसके साथ ही पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के
  • बीच में आ जाती है, जिसके बाद चांद की चमक काफी ज्यादा होती है. इस दौरान चांद तकरीबन 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी तक ज्यादा चमकीला दिखता है.

क्या होता है ब्लड मून

चन्द्रमा को धरती का उपग्रह कहा जाता है और ये पृथ्वी के चारों घूमता है। चंद्रमा पृथ्वी के चारो और घूमने में तकरीबन 27 दिन का समय लेता है।

चंद्रग्रहण के दौरान जब चंद्रमा का रंग सुर्ख लाल हो जाता है तो इसे ब्लड मून (Blood Moon) कहा जाता है। लेकिन सवाल ये उठता है की ऐसा होता कब है। आम तौर पर जब पृथ्वी की छाया पूरे चांद को ढक देती है उसके बाद भी सूर्य की कुछ किरणें चंद्रमा तक पहुंचती हैं। लेकिन चांद तक पहुंचने के लिए उन्हें धरती के वायुमंडल से गुजरना पड़ता है. इसकी वजह से सूर्य की किरणें बिखर जाती हैं। पृथ्वी के वायुमंडल से बिखर कर जब किरणें चांद की सतह पर पड़ती हैं तो इसकी सतह लाल दिखाई देने लगती है । इसे ही ब्लड मून कहा जाता है

तो ये थी पिछली सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरें...आइये अब आपको लिए चलते हैं इस कार्यक्रम के बेहद ही ख़ास सेगमेंट यानी इंडिया राउंडअप में.... जहां आपको मिलेंगी हफ्ते भर की कुछ और ज़रूरी ख़बरें, वो भी फटाफट अंदाज़ में...

फटाफट न्यूज़ (India Roundup):

1. भारत-ओपेक ऊर्जा वार्ता वर्चुअली आयोजित की गई

5 नवंबर, को भारत-ओपेक ऊर्जा वार्ता की चौथी उच्च स्तरीय बैठक वर्चुअली आयोजित की गई...जहाँ भारत का प्रतिनिधित्व तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया...बतातें चलें यह वार्ता 2015 से आयोजित की जा रही है...इस बातचीत के दौरान, भारत ने तेल आपूर्ति के COVID-19 प्रेरित अवरोधों का आकलन करने के लिए बल दिया। इस बैठक के दौरान भारत ने ओपेक से विभिन्न क्षेत्रों के लिए ओपेक सदस्यों द्वारा तय किए गए कच्चे तेल की कीमतों में व्याप्त विसंगतियों को दूर करने का आग्रह किया।2019-20 में, भारत ने ओपेक देशों से 92.8 बिलियन अमरीकी डालर मूल्य के हाइड्रोकार्बन आयात किए....ओपेक के सदस्य हैं एशिया व मध्य पूर्व में ईरान, इराक, सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात और क़तर....अफ्रीका में अल्जीरिया, अंगोला, लीबिया, नाइजीरिया, भूमध्य गिनी तथा गाबोन और दक्षिण अमेरिका में इक्वेडोर तथा वेनेज़ुएला...

2. भारत ने गिलगिट-बाल्टिस्तान को प्रांतीय दर्जा देने के फैसले को किया खारिज

भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के गिलगित-बाल्टिस्तान को अंतरिम प्रांत का दर्जा देने की घोषणा किए जाने का विरोध किया है. पाकिस्तान सरकार ने 01 नवंबर को गिलगित-बाल्टिस्तान को अस्थायी प्रांत का दर्जा देने की घोषणा किया था. भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है. गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू-कश्मीर के उत्तर-पश्चिमी में स्थित अत्यधिक ऊँचाई वाला एक पहाड़ी क्षेत्र है. यह क्षेत्र जम्मू और कश्मीर की पूर्ववर्ती रियासत का एक हिस्सा था, किंतु साल 1947 में कश्मीर पर पाकिस्तानी सेना के आक्रमण के बाद से यह क्षेत्र पाकिस्तान के नियंत्रण में है.

3. संयुक्त राष्ट्र ने परमाणु निरस्त्रीकरण पर भारत के प्रस्तावों को स्वीककार किया

संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रथम समिति ने परमाणु निरस्त्रीकरण पर भारत द्वारा प्रस्तुत दो प्रस्तावों को स्वीककार कर लि‍या है. इनका उद्देश्य परमाणु दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करना और परमाणु हथियारों के उपयोग पर रोक लगाना है. यह समिति निरस्त्रीकरण के मुद्दे से निपटती है और संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण आयोग और जिनेवा स्थित निरस्त्रीतकरण सम्मेमलन नामक संस्था के साथ काम करती है.

4. तमिलनाडु सरकार ने ई-वाहनों पर दी 100 % कर में छूट

तमिलनाडु सरकार ने ई-वाहनों पर 100 प्रतिशत कर में छूट दी है. तमिलनाडु में बैटरी चलित वाहन अब और तेज गति से दौड़ सकेंगे. बैटरी चालित वाहनों पर साल 2022 तक मोटर वाहन टैक्स में छूट दे दी है. हुण्डई के उपाध्यक्ष बीसी दत्ता ने कहा कि पिछले साल प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी पर टैक्स में सौ फीसदी छूट की घोषणा की थी. इससे प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में इजाफा हो सकेगा. पिछले साल जुलाई में 25.3 लाख के शुरुआती मूल्य पर हुण्डी ने देश की पहली इलेक्ट्रिक एसयूवी कोना लांच की थी.

5. WWF की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2050 तक भारत के 30 शहरों पर पानी का संकट

हाल ही में विश्व वन्यजीव कोष द्वारा एक सर्वेक्षण किया गया जिसमें यह पता चला कि भारत में स्थित 30 शहरों में 2050 तक पानी के तीव्र जोखिम का सामना करना पड़ सकता है. इन शहरों में जयपुर सूची में सबसे ऊपर है. इसके बाद इंदौर, ठाणे, मुंबई, कोलकाता और दिल्ली का स्थान है. इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि दुनिया भर में करोड़ों लोगों को पानी के बढ़ते खतरों का सामना करना पड़ेगा. इस रिपोर्ट के अनुसार, शहरों को पानी के जोखिम से बचाने के लिए, आर्द्रभूमि को बहाल करना महत्वपूर्ण है. इससे शहरों को पानी की कमी और बाढ़ के दुष्चक्र से बाहर आने में मदद मिलेगी.

6 .केंद्र सरकार ने वायु गुणवत्ता सुधारने की दिशा में काम करने के लिए जारी की पहली किस्त

केंद्र सरकार ने 02 नवंबर 2020 को वायु गुणवत्ता सुधारने की दिशा में काम करने के लिए 15 राज्यों को 2,200 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की. इस राशि से लाभान्वित होने वाले राज्यों को वायु गुणवत्ता सुधारने के कदम उठाने में मदद मिलेगी. यह स्थानीय निकायों की क्षमता बढ़ाने में भी सहायक होगा. इन 15 राज्यों में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं.

7. भारतीय रेलवे ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए मेरी सहेली अभियान की शुरूआत की

भारतीय रेलवे ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए मेरी सहेली अभियान की शुरूआत की है, जिससे ट्रेन में अकेली महिला को यात्रा के दौरान पूर्ण सुरक्षा एवं हर संभव सहायता प्रदान करने का संकल्प लिया है. रेल मंत्रालय ने उन महिला यात्रियों को रक्षा और सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से ‘मेरी सहेली’ पहल शुरू करने का यह फैसला किया है जो अपनी पूरी यात्रा के लिए शुरुआती स्टेशन से गंतव्य स्टेशन तक ट्रेनों से यात्रा करेंगी. इस पहल से ट्रेन के छोटे या लंबे मार्गों से यात्रा करने वाली महिला यात्रियों के बीच सुरक्षा की भावना पैदा होगी.

8. IIT मद्रास ने “IITM COVID गेम” किया विकसित

आईआईटी मद्रास ने COVID -19 वायरस के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए “IITM COVID गेम” विकसित किया है. यह गेम मुख्य रूप से बच्चों पर केंद्रित है. यह गेम एक ब्राउज़र-आधारित सॉफ़्टवेयर है और इसे किसी भी डिवाइस पर खेला जा सकता है. यह 12 विभिन्न भारतीय भाषाओं जैसे संस्कृत, तमिल, कन्नड़, तेलुगु, उड़िया, मराठी, मलयालम, हिंदी, गुजराती, बंगाली, असमिया और पंजाबी में उपलब्ध है.

9 . राजस्थान और ओडिशा में पटाखों की बिक्री /आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाया

राजस्थान और ओडिशा की राज्य सरकारों ने कारोना वायरस का हवाला देते हुए दीवाली पर होने वाली पटाखों की बिक्री और आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाया है. राजस्थान पटाखे बेचने वाले दुकानदार पर 10,000 रुपये और पटाखों का उपयोग करने या अनुमति देने वाले व्यक्ति को 2,000 रुपये का जुर्माना लगेगा. ओडिशा सरकार ने कोविड-19 महामारी की स्थिति और पटाखों से पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों का हवाला देते हुए 10 से 30 नवंबर 2020 तक पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाई है.

10. 1 नवंबर को मनाया गया विश्व शाकाहारी दिवस

हर साल 01 नवंबर को विश्व स्तर पर विश्व शाकाहारी दिवस मनाया जाता है. यह दिन मनुष्यों, जानवरों और प्राकृतिक पर्यावरण के लिए शाकाहारी होने के लाभ के बारे में प्रचार-प्रसार करने लिए मनाया जाता है. विश्व शाकाहारी दिवस आम तौर पर शाकाहारी भोजन और शाकाहारी होने के लाभों को बढ़ावा देने का एक अवसर है.

11. केंद्र सरकार ने सैनिक स्कूलों में ओबीसी को 27 % आरक्षण देने की घोषणा की

केंद्र सरकार ने सैनिक स्कूलों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की है. बता दें कि रक्षा मंत्रालय के तहत कार्य करने वाली सैनिक स्कूल सोसाइटी देश में ऐसे 33 आवासीय विद्यालयों का प्रबंधन करती है. यह आरक्षण नीति शैक्षणिक सत्र 2021-22 से लागू होगी. सरकार के अनुसार प्रत्येक सूची में 15 प्रतिशत सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, 7.5 प्रतिशत सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए हैं और 27 प्रतिशत सीटें गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी के लिए हैं.

12. IIT रूडकी ने विशिष्ट बैक्टीरिया बायो सेंसर किया विकसित

आईआईटी रुड़की ने पर्यावरण डिटर्जेट प्रदूषक (एसडीएस) का पता लगाने के लिए विशिष्ट बैक्टीरिया बायो सेंसर विकसित किया है. संस्थान का दावा है कि यह इस दिशा में दुनिया की पहली खोज है. आईआईटी रुड़की की पांच सदस्यीय टीम ने सामान्य डिटर्जेट पर्यावरण प्रदूषक (सोडियम डोडेसिल सल्फेट और सोडियम लॉरिल सल्फेट) की उपस्थिति का पता लगाने के लिए बायोसेंसर विकसित किया है. इनका उपयोग प्रमुख रूप से साबुन, टूथपेस्ट, क्रीम, शैंपू, डिटर्जेट, कृषि कार्यों और उद्योगों में किया जाता है.

13. भारत और कम्बोडिया के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को मिली मंज़ूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग के लिये भारत और कंबोडिया के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को मंज़ूरी दे दी है. इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, यह समझौता ज्ञापन स्वास्थ्य क्षेत्र में संयुक्त पहल और प्रौद्योगिकी विकास के माध्यम से दोनों देशों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करेगा. यह समझौता हस्ताक्षर होने की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि के लिये लागू होगा और इससे भारत और कंबोडिया के द्विपक्षीय संबंध काफी मज़बूत होंगे.

तो इस सप्ताह के इण्डिया दिस वीक कर्यक्रम में इतना ही। परीक्षा के लिहाज़ से ज़रूरी और भी तमाम महत्वपूर्ण ख़बरों के लिए सब्सक्राइब कीजिए हमारे यूट्यूब चैनल ध्येय IAS को। नमस्कार।