(Global मुद्दे) वेनेज़ुएला संकट (Venezuala Crisis and Effects)
एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी)
अतिथि (Guest): जीतेन्द्र कुमार त्रिपाठी (पूर्व राजदूत, वेनेज़ुएला), आनंद स्वरुप वर्मा (वरिष्ठ पत्रकार और लेखक)
सन्दर्भ:
वेनेज़ुएला में पिछले वर्ष हुए चुनावों में धांधली के आरोपों के बाद एक बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है। विपक्षी नेता हुआन गोइदो ने ख़ुद को वेनेज़ुएला का अंतिम राष्ट्रपति घोषित कर दिया है, जिन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपना समर्थन भी दे दिया है। कई यूरोपीय देशों ने वेनेज़ुएला के मौजूदा राष्ट्रपति को अल्टीमेटम दते हुए कहा है कि अगर उन्होंने 8 दिनों के भीतर फिर से चुनाव करवाने की घोषणा नहीं की तो वे हुआन गोइदो को राष्ट्रपति के तौर पर मान्यता दे देंगे। इसके अलावा कनाडा, ब्राज़ील, और अर्जेंटीना तथा कोलंबिया जैसे 7 दक्षिण अमेरिकी देश विपक्ष के नेता हुआन गोइदो का समर्थन कर रहे हैं। मौजूदा राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने कहा है कि वेनेज़ुएला यूरोप या किसी देश का बंधक नहीं है और वो उनकी दावेदारी का विरोध कर रहे लोगों से संवाद के लिए तैयार है।
दूसरी ओर रूस, चीन, मेक्सिको, तुर्की और ईरान ने खुलकर राष्ट्रपति मादुरो का समर्थन किया है। पिछले 26 जनवरी को रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की बैठक में अमेरिका पर वेनेज़ुएला में सरकार का तख़्तापलट करने की साज़िश का आरोप लगाया। वेनेज़ुएला इस समय गंभीर आर्थिक संकट से गुज़र रहा है। वहां बुनियादी चीजों की कमी हो गई है और इस कारण लाखों लोग पलायन कर रहे हैं। मानवाधिकारों को लेकर राष्ट्रपति मादुरो की छवि काफी ख़राब है और आर्थिक चुनौतियों से निपटने में नाकाम रहने के कारण भी देश के अंदर और बाहर दोनों जगह उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले साल उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए चुना गया था, मगर उनका ये चुनाव विवादों से घिरा रहा। कई विपक्षी नेताओं को या तो चुनाव लड़ने से रोक दिया गया या उन्हें जेल में दाल दिया गया । वेनेज़ुएला सुप्रीम कोर्ट के एक जज इस साल जनवरी माह में भाग कर अमरीका चले गए, जहां उन्होंने पत्रकारों से कहा कि वेनेज़ुएला में हुए चुनाव निष्पक्ष नहीं थे। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमतों का कम हो जाना भी वेनेज़ुएला में जरी संकट का एक बड़ा कारण है। देश में मुद्रा स्फीति काफी ज़्यादा है और वेनेज़ुएला अपना तेल निर्यात करने की स्थिति में नहीं हैं, जबकि उसकी कुल आमदनी का 95 फीसद तेल निर्यात से ही आता है।