(Global मुद्दे) प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaty)
एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी)
अतिथि (Guest): नीरज श्रीवास्तव (पूर्व राजदूत), स्मिता शर्मा (डिप्लोमेटिक एडिटर और वरिष्ठ पत्रकार 'द ट्रिब्यून')
सन्दर्भ:
किसी भगोड़े को जो किसी देश में वॉन्टेड हो या भाग गया हो, उसे पकड़ के वापस ले आना प्रत्यर्पण कहलाता है । भारत से भागे किसी अपराधी को अगर भारत लाना हो तो उसे भारतीय प्रत्यर्पण कानून, 1962 के हिसाब से ही वापस लाया जा सकता है। इसमें दो तरह के समझौते होते हैं- पहले समझौते के हिसाब से कसूरवार दोनों ही देशों में अपराधी माना जाता है।
भारत का 42 देशों से पहला वाला समझौता है- जिसके हिसाब से अगर भारत का कोई अपराधी जो वॉन्टेड है और ऐसे किसी देश में छिपकर बैठा है जिससे भारत का समझौता है तो ये देश उसको पकड़कर भारत को वापस कर देंगे। दूसरे समझौते के हिसाब से अगर दो देशों में समझौता हो गया है तो जिस देश से समझौता हुआ है वो दूसरे देश के कानून के हिसाब से ही कार्रवाई करेगा। भारत की 9 देशों के साथ प्रत्यर्पण की व्यवस्था, यानी दूसरा वाला समझौता है.भारत 2002 से 2015 तक ऐसे 60 अपराधियों को कामयाबी से प्रत्यर्पण करवा चुका है, पर अब भी केवल इंग्लैंड में ही 131 लोगों के केस फंसे हुए हैं ।
बहुचर्चित अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला मामले में क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण को भारत सरकार के लिए एक बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। प्रत्यर्पण को लेकर इसलिए भी दिक्कत आ रही थी क्यों कि मिशेल ब्रिटिश नागरिक है और यूएई ने पहले कहा यह कहकर भारत के निवेदन को नकार दिया था कि मिशेल ब्रिटिश नागरिक है ।उसे भारत को नहीं सौंपा जा सकता है। बोफोर्स मामले के बाद मिशेल का भारत आना पहला मौका है जब किसी हाईप्रफाइल व्यक्ति का प्रत्यर्पण हुआ। आरोप है कि ब्रिटिश नागरिक मिशेल ने अगुस्टा वेस्टलैंड और भारत के बीच 12 वीवीआई पी हेलिकॉप्टर डील कराने के लिए भारतीय वायु सेना के अधिकारियों, ब्यूरोक्रेट्स और नेताओं को 42 मिलियन यूरो (295 करोड़ रुपये) दिए।
अभी तक जिन देशों से सबसे ज्यादा सफल प्रत्यर्पण कराये गए हैं उनमें यूएई पहले नंबर पर है। वहां से अब तक 17 भगोड़ों का प्रत्यर्पण कराया गया है, जो वहां भागकर गए लोगों का 28 फीसदी है। अमेरिका दूसरे नंबर पर है जहां से अब तक 11 लोगों को पकड़कर लाया गया है। तीसरे नंबर पर है कनाडा जहां से 4 लोग पकड़े गए हैं। अगर भगौड़ा किसी ऐसे देश में भागा हो जिससे भारत की कोई प्रत्यर्पण संधि न हो तो प्रत्यर्पण तभी हो सकता है जब दोनों देशों में सम्बन्ध अच्छे हों । फिर जिस देश में भगोड़ा छिपा है, उस देश के कानून उस पर लागू होते हैं. इससे भी उसके प्रत्यर्पण में दिक्कतें आती है ।
ब्रिटेन की पीएम थेरेसा मे की हालिया भारत यात्रा के दौरान भारत ने ब्रिटेन को 57 भगोड़े की लिस्ट सौंपी है. ब्रिटेन ने भी ऐसे 17 भगोड़ों की लिस्ट दी है, जो ब्रिटेन की अदालत में दोषी हैं । दोनों मुल्कों के बीच प्रत्यर्पण की संधि 1993 में हो गई थी, पर समझौते के इतने दिनों बाद भी ब्रिटेन ने किसी भी भगोड़े को भारत को नहीं सौंपा है. इसके उलट भारत अब तक दो लोगों को ब्रिटेन को सौंप चुका है ।
प्रत्यर्पण के मामले सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में एक बड़ी समस्या है अमेरिका में जासूसी के आरोप में वांछित अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व कान्ट्रेक्टर एडवर्ड स्नोडेन के प्रत्यर्पण को लेकर अमेरिका और रूस के बीच बातचीत जारी है। इसके अलावा विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे के भी प्रत्यर्पण को लेकर भी स्वीडेन और इक्वेडोर में भी बातचीत चल रही है ।