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Blog / 31 Oct 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 31 October 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 31 October 2020



तुर्की और ग्रीस के भूकंप को गहराई से समझिये

  • भू-पृष्ठ (Surface) पर होने वाले आकस्मिक कंपन्न को भूकंप कहते हैं। इस आकस्मिक कपन्न का कारण भूगर्भीय चट्टानों में उत्पन्न होने वाला लचीलापन और समस्थिति होती है।
  • पृथ्वी के अंदर कई प्रकार क्रियायें होती रहती हैं जिसके कारण चट्टानों में हलचल उत्पन्न होती है।
  • भूकंप एक प्रकार की तरंगीय ऊर्जा (Wave Energy) है, जिसकी गति ज्यादा होने पर इसका घातक प्रभाव पृथ्वी पर विनाशक स्थिति उत्पन्न करता है।
  • पृथ्वी के अंदर जिस स्थान से भूकंपीय तरंगे उत्पन्न होती हैं, उसे भूकंप मूल (Focus) कहते हैं। भूकंप मूल से तरंगे गति करते हुए पृथ्वी के जिस भाग पर सर्वप्रथम कंपन्न उत्पन्न करती हैं या धक्का मारती हैं, उसे भूकंप केंद्र (Epi-centre) कहते हैं।
  • भूकंप केंद्र सामान्यतः फोक्स के लंबवत (सीध) में स्थित स्थान होता है। भूकंप केंद्र पर ही सर्वप्रथम यह तरंगें पहुंचती हैं, इसीकारण यहां पर इनकी गति ज्यादा होती है तथा विनाश भी ज्यादा होता है।
  • इपिसेंटर से जैसे-जैसे दूरी बढ़ती जाती है इन तरंगों का प्रभाव कम होता जाता है।
  • भूकंप मूल (Focus) की गहराई के आधार भूकंपों को तीन वर्गो में रखा जाता है। अधिकांश भूकंप (93 प्रतिशत से अधिक) पृथ्वी के अंदर 100 किमी- की गहराई तक उत्पन्न होते हैं।
  1. सामान्य गहराई वाले भूकंप - 0-50 किमी.
  2. मध्यवर्ती गहराई वाले भूकंप - 50-250 किमी.
  3. गहरे या पातालीय भूकंप - 250-700 किमी.
  • भूकंप मूल की गहराई और उसके द्वारा किये जाने वाले विनाशक प्रभाव में व्युत्क्रमानुपाती संबंध होता है।
  • भूकंपीय तरंगों को उनकी विशेषताओं के आधार पर तीन श्रेणियों में भिाजित किया जाता है।
  1. Primary Waves- 'P' - यह सर्वाधिक तीव्र गति से चलने वाली तरंगें हैं जो ध्वनी तरंगों की भांति चलती हैं। यह तीनों माध्यमों में गति कर सकती हैं। इनकी सर्वाधिक गति ठोस भाग में होती है। भूकंप केंद्र पर सर्वप्रथम यही तरंगों पहुँचती हैं।
  2. Secondary Waves- 'S' - यह तरंगें P तरंग के बाद उत्पन्न होती हैं तथा इनकी गति P की तुलना में कम होती है, यह तरल माध्यम में गति नहीं कर पाती हैं।
  3. Surface or Long Waves- 'L' - यह सर्वाधिक घातक भूकंपीय तरंगे हैं जो सिर्फ सतह पर ही चलती हैं।
  • भूकंप के कारण :
  1. ज्वालामुखी क्रिया
  2. विवर्तनिकी अस्थिरता
  3. संतुलन स्थापना के प्रयास
  4. वलन एवं भ्रंशन
  5. भूगर्भीय गैसों का फैलाव
  6. मानवीय कारक
  7. प्लेट विवर्तनिकी कारक
  • प्लेट विवर्तनिकी द्वारा होने वाली भूगार्भिक क्रियायें ही पृथ्वी के अधिकांश भूकंपों का कारण माने जाते हैं।
  • प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत ज्वालामुखी, भूकंप, विवर्तनिकी हलचल की व्याख्या प्लेटों के किनारों के आधार पर करता है। यह किनारें तीन प्रकार के होते हैं।
  1. रचनात्मक प्लेट किनारा
  2. विनाशत्मक प्लेट किनारा
  3. संरक्षी प्लेट किनार
  • प्लेटों के किनारों के आधार पर भूकंपों का विश्व वितरण दिखाया जाता है। वितरण के क्षेत्रें को भूकंपीय पेटी का नाम दिया जाता है।
  • भूकंपों के वितरण को तीन पेटियों के माध्यम से दिखाया जाता है।
  1. प्रशांत महासागरीय पेटी- इस पेटी में सर्वाधिक 63 प्रतिशत वैश्विक भूकंप आते ह्रैं। यहां अधिक भूकंप का कारण प्लेटों का अभिसरण, ज्वालामुखी की क्रिया तथा भूपर्पटी के चट्टानी संस्तरों में भ्रंशन की क्रिया है।
  2. मध्य महाद्वीपीय पेटी- यह दूसरी सर्वाधिक भूकंपीय पेटी है, जिसमें 21 प्रतिशत भूकंप आते हैं। यह पेटी मध्य अटलांटिक महासागर से प्रारंभ होकर, भूमध्य सागर, कॉकेशस श्रेणी एवं हिमालय होते हुए दक्षिणी पूर्वी प्रशांत द्वीपों से जाकर मिल जाती है।
  3. मध्य अटलांटिक पेटी ।
  • भूकंप की घटनायें अपनी तीव्रता के आधार पर विनाश उत्पन्न करती है। इस समय पूर्वी भूमध्य सागरीय क्षेत्र भूकंप से प्रभावित है।
  • तुर्की और ग्रीस सीमा पर शुक्रवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किये गये। जिसकी रिक्टर स्केल पर 7.0 मापी गई थी। इसके बाद पुनः यहां भूकंप घटना हुई थी, जिसकी तीव्रता अपेक्षाकृत कम 5.4 थी।
  • यह भूकंप लगभग 10 मिनट तक रहा और इसने तूर्की में भारी तबाही मचाई है। तुर्की का तीसरा सबसे बड़ा शहर इजमिर सर्वाधिक प्रभावित हुआ है। यहां कई बिल्डिंगें ध्वास्त हो गई हैं और कई सौ लोगों के दबे होने की सूचना है।
  • इस भूकंप का केंद्र एजिएन सागर में सामोस द्वीप (ग्रीस) के पास लगभग 16-17 किमी- की गहराई में था। अधिकेंद्र सागरीय क्षेत्र में था इस कारण भूकंप के बाद इस सागरीय क्षेत्र में सुनामी भी उत्पन्न हुई। इस तरह भूकंप और सुनामी जैसी दो आपदाओं का सामना यह क्षेत्र एक साथ कर रहा है।
  • इस भूकंप के झटके इस्तांबुल में भी महसूस किये गये लेकिन यहां भूकंपीय तरंगों की गति ज्यादा न होने के कारण बड़ी क्षति की सूचना नहीं है।
  • तुर्की मीडिया की खबरों के अनुसार इस भूकंप के बाद करीब 196 झटके महसूस किये गये जिसमें से 23 की तीव्रता 4-0 से अधिक थी।
  • इससे पहले जनवरी में तुर्की के सिव्रिस में भूकंप आने से 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।
  • नेशनल ज्योग्राफिक के साथ-साथ अनेक रिपोर्टस में यह बताया गया है कि यहां भूकंप की घटनाओं पहले भी होती रही हैं और इनका लंबा इतिहास हैं। यह क्षेत्र दुनिया के सर्वाधिक भूकंप संवेदनशील क्षेत्र में शामिल है।
  • अगस्त 1999 में इस्तांबुल के दक्षिण पूर्व में बसे इजमित शहर में 7.6 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें लगभग 17000 लोगों की मृत्यु हो गई थी। वर्ष 2011 में यहां भूकंप की वजह से 500 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी।
  • यह क्षेत्र कई छोटी बड़ी प्लटों के मिलन का स्थल है जिसकी वजह से यहां के प्लेटों में होने वाली गति की वजह से भूकंप आते हैं।
  • यहां प्लेटों के टकराव एवं भूगर्भिक क्रिया के कारण कई भ्रंश रेखा (Fault Line) का विकास हुआ है। इन fault line पर जब भी विवर्तनिकी क्रियायें होती हैं, भूकंप आता है।
  • हाल के भूकंप का यूरेशियन प्लेट का अनातोलिया प्लेट के नीचे क्षेपित होना है। क्षेपण की क्रिया चलती रहेगी इसलिए यहां पर और भी भूकंपों के आने की संभावना है।