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Blog / 29 Sep 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 29 September 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 29 September 2020



आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच युद्ध की स्थिति क्यों?

  • आर्मेनिया और अजरबैजान इस समय एक दूसरे को तबाह और बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। दोनों देशों ने जमीन के एक हिस्से को लेकर एक दूसरे के खिलाफ युद्ध स्थिति उत्पन्न कर दी है। टैंक, तोप और लड़ाकू विमान उतार दिये गये हैं तथा एक दूसरे की सेना को भारी क्षति पहुँचाने का दावा कर रहे हैं। तटस्थ रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार भी यहां 80 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। घायलों की संख्या सैंकड़ों में है।
  • इस विवाद का कारण एक भू क्षेत्र है, जिसका नाम नागोर्नो- काराबाख (Nagorno-Karabakh) है। यह क्षेत्र 4,400 वर्ग किलोमीटर में फैला है तथा दक्षिण-पश्चिम अजरबैजान में स्थित एक पहाड़ी क्षेत्र है। यह क्षेत्र आर्मेनिया की सीमा से मात्र 50 किमी. की दूरी पर है। परंपरागत रूप में यहां ईसाई धर्म को मानने वाले आर्मेनियाई मूल के लोग रहते हैं, कुछ आबादी मुस्लिम समुदाय की भी है। दोनों देश इस क्षेत्र पर कब्जे को लेकर कई दशकों से युद्ध कर रहे हैं।
  • पृष्ठभूमि-
  • प्रथम विश्वयुद्ध से पहले आर्मेनिया-अजरबैजान एवं समीपवर्ती क्षेत्र एक देश के रूप ट्रांस कॉकेशस का हिस्सा थे।
  • प्रथम विश्वयुद्ध के बाद इस क्षेत्र को तीन देशों के रूप में बांट दिया गया। यह देश-आर्मेनिया, अजरबैजान एवं जॉर्जिया थे।
  • इसी समय (1917-1918) रूस में बोल्शेविक क्रांति (साम्यवादी क्रांति) हो रही थी। इस क्रांति के बाद रूस। (सोवियत संघ) का नेतृत्व स्टालिन के पास आया।
  • स्टालिन ने रूस के समीपवर्ती क्षेत्रें को सोवियत संघ का हिस्सा बनाना प्रारंभ कर दिया। इसी क्रम में दक्षिणी कॉकेशस क्षेत्र में भी सोवियत शासन लागू किया गया और नई सीमायें बनायीं गई। स्टालीन ने लगभग 95 प्रतिशत आर्मेनियाई आबादी वाले नागोर्नो काराबाख क्षेत्र को अजरबैजान के भीतर एक स्वायत्त क्षेत्र बना दिया।
  • आर्मोनिया ने इसे लेकर विरोध किया और कहा कि यह क्षेत्र उसके देश का भाग होना चाहिए। सोवियत संघ ने इसे आर्मेनिया का हिस्सा नहीं बनाया लेकिन नागोर्नो काराबाख की स्वायत्तता बनाये रखने की बात की।
  • इस समय सोवियत संघ मजबूत था तथा साम्यवादी विचारधारा का प्रभाव भी था जिसके कारण आर्मेनिया एवं अजरबैजान में तनाव युद्ध के स्तर पर नहीं पहुँचा लेकिन जैसे-जैसे सोवियत संघ कमजोर पड़ने लगा दोनों देशों की मंशा इस पर नियंत्रण को लेकर आक्रामक होने लगी। 1985 के बाद यह दिखने लगा था कि सोवियत संघ अब ज्यादा दिन नहीं चलेगा।
  • वर्ष 1988 में नागोर्नो काराबाख की विधायिका ने अजरबैजान से अपने को पूर्ण रूप से स्वतंत्र करने का निर्णय ले लिया और इस स्वायत्त क्षेत्र को आर्मेनिया में शामिल करने का प्रस्ताव पारित कर दिया।
  • अजरबैजान ने इस प्रस्ताव को मानने से इंकार कर दिया तथा इसके कारण के रूप में आर्मेनिया पर अलगाववाद को भड़काने का आरोप लगाया। लेकिन इसमें एक एंगल यह भी था कि यहां की इसाई बहुल आबादी अजरबैजान का हिस्सा बनकर नहीं रहना चाहती थी।
  • नागोर्नो काराबाख ने 1991 में सोवियत संघ का विघटन होते ही अपने यहां एक जनमत संग्रह करवाकर स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया। अजरबैजान मे इसे मानने से पुनः इंकार कर दिया और आर्मेनिया पर अलगाववाद को बढ़ाने का आरोप लगाया।
  • दोनों देशों (आर्मेनिया-अजरबैजान) के मध्य तनाव बढ़ता गया और 1992 में एक युद्ध में तब्दील हो गया। यह युद्ध लगभग 2 साल तक चला और धार्मिक नरसंहार की भी खबरें भी आईं। लगभग 30 हजार लोगों की मृत्यु हुई और लाखों लोग विस्थापित हुए । 1994 में रूस के हस्तक्षेप और मध्यस्थता की वजह से युद्ध रूका लेकिन विवाद समाप्त नहीं हुआ।
  • नागोर्नो काराबाख अपने को स्वतंत्र राष्ट्र मानता है तो अजरबैजान इसे पूर्ण रूप से अपने में शामिल करना चाहता है। जिसकी वजह से आये दिन यहां हिंसक घटनायें होती रहती हैं।
  • वर्ष 2016 में फिर यहां पर युद्ध की परिस्थिति उत्पन्न हो गई और हिंसा में 130 लोगों की मृत्यु हो गई।
  • वर्ष 2020 के जुलाई माह में जब पूरा विश्व कोरोना की मार झेल रहा था। उसी समय अजरबैजान में कई दशकों को सबसे बड़ा आंदोलन चल रहा था, कई हजार लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे। इनकी मांग थी कि अजरबैजान को आर्मेनिया पर हमला करना चाहिए, युद्ध करना चाहिए। मांग के केंद्र में था नागोर्नो-काराबाख पर नियंत्रण करना।
  • हाल के समय में यहां बनी युद्ध की परिस्थिति बढ़ती जा रही है और दोनों देश एक दूसरे को भारी नुकसान पहुँचाने का दावा कर रहे हैं।
  • विवादित क्षेत्र में सैकड़ों अधिवासीय बस्तियाँ है, यदि युद्ध युद्ध बढ़ता है तो बड़ी संख्या में जन-धन की हानि हो सकती है और विस्थापन भी। अनेक परिस्थितियों को देखते हुए युद्ध के जानकारों का मानना है कि यहां पूर्ण युद्ध होने की संभावना नहीं है लेकिन युद्ध को रोका जाना चाहिए।
  • यू.एन.के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरस ने इस चिंता को व्यक्त करते हुए फायरिंग रोकने की अपील की। रूस, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ईरान ने भी इसे रोकने की अपील की है।
  • तुर्की ने अजरबैजान का पक्ष लेते हुए उसे हर प्रकार की मदद की बात कहा है जिससे चिंता और तनाव गहरा गया है । रूस भी एक तरह से आर्मेनिया के पक्ष में है।
  • यहां पर होने वाली हिंसा के पीछे एक चिंता यहां से होने वाले तेल और गैस के निर्यात का बाधित होना है। अजरबैजान प्रतिदिन लगभग 800000 बैरल तेल का उत्पादन करता हैं यहां से यूरोप एवं मध्य एशिया को इसका निर्यात किया जाता है।
  • यहां पर विवाद बढ़ने से अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कोरिडोर भी प्रभावित हो सकता है। यह भारत-ईरान, अफगानिस्तान, अजरबैजान, रूस, मध्यम एशिया और यूरोप के बीच माल की आवाजाही के लिए सड़क मार्ग, रेलमार्ग एवं जहाजमार्ग का एक नेटवर्क है।
  • भारत के रिश्ते आर्मेनिया के साथ बहुत अच्छे हैं। जम्मू- कश्मीर के मुद्दे पर आर्मेनिया हमेशा भारत का पक्ष लेता हैं वहीं पाकिस्तान इकलोता देश है जो आर्मीनिया को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं देता है।
  • भारत के संबंध अजरबैजान से भी अच्छे हैं। फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र,ऊर्जा क्षेत्र ,सूचना प्रौद्योगिकी, खाद्य पदार्थ ,भारी मशीनरी के क्षेत्र में दोनों देशों ने एक दूसरे का सहयोग किया है।
  • दोनों देशों ने तेल और गैस पाइपलाइन, अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, आदि क्षेत्रें में सहयोग के लिए हस्ताक्षर किया है।
  • भारतीय तेल कंपनी GAIL ने भी अजरबैजान की कंपनियों के साथ हस्ताक्षर किये है।
  • कुछ माह पहले ही भारत और आर्मेनिया ने स्वाति रड़ार सिस्टम की बिक्री के समझौते पर हस्ताक्षर किया था। जिनकी आपूर्ति भी शुरू की जा चुकी है।
  • अनेक देशों की अपील के बावजूद तनाव बढ़वा जा रहा है। कुछ देर पहले प्राप्त हुई सूचना के अनुसार 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। तुर्की द्वारा इस मामले को हवा देने से नाटो और रूस के भी एक दूसरे के आमने-सामने आ जाने का खतरा बढ़ गया है। तुर्की-रूस विवाद इस मुद्दे पर बढ़ता जा रहा है।
  • अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने इंटरफैक्स समाचार एजेंसी को सूचना दी दी है कि आर्मेनिया के 550 से अधिक सैनिक मारे गये है।
  • न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक आर्मेनिया और रूस में रक्षा संधि है और अगर अजरबैजान, आर्मोनिया की सरजमीं पर हमला करता है तो रूस काे मदद के लिए आगे आना होगा। आर्मेनिया ने भी यह सूचना दी है कि हमले सिर्फ विवादित क्षेत्र पर नहीं हो रहे हैं बल्कि उसकी जमीन पर हो रहे है।
  • तुर्की में बने हमलावार ड्रोन विमान नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र में आर्मेनिया के टेंकों पर हमला कर रहे हैं, जिसे लेकर रूस ने सख्त कदम उठानेकी बात कही है।
  • तुर्की अपने आप को मुस्लिम समुदाय के देशों का नेता बनाने के प्रयास में वह इस युद्ध को भी अवसर के रूप में रेखा रहा है।

नमामि गंगे परियोजना चर्चा में क्यों?

  • गंगा नदी भारत की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण नदी है, जिस पर देश की लगभग 40 प्रतिशत आबादी निर्भर है।
  • गंगा हिमालय के ग्लैशियर से निकलकर हरिद्वार में मैदानी भाग में प्रवेश करती है । इसके किनारे 118 से 120 प्रमुख शहर हैं । यह शहर इस नदी के जल का उपयोग तो करते ही हैं लेकिन इसमें प्रदूषण भी फैलाते हैं। धीरे-धीरे इस नदी का प्रदूषण बढ़ता गया, जिसे कम करने के लिए 1985 में गंगा एक्शन प्लान बनाया गया। 1986 में गंगा प्रदूषण रहित अभियान प्रारंभ किया गया।
  • वर्ष 2014 में केंद्र सरकार ने गंगा के प्रदूषण को कम करने तथा गंगा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए नमामि गंगे परियोजना को प्रारंभ किया गया। इसके लिए एक अलग मंत्रालय बनाने का निर्णय लिया गया।
  • केंद्र सरकार ने इसके लिए 20,000 करोड़ रूपये का बजट आवंटित किया तथा इसे 5 साल तथा 10 साल में पूरा करने का निर्णय लिया। अर्थात दो अवधि में यह कार्य किया जाना था।
  • कुछ माह पहले की विश्व बैंक द्वारा 45 अरब रूपये के फंड/ऋण को भी मंजूरी दी गई।
  • इसके तहत गंगा एवं उसकी सहायक नदियों में वह सभी प्रयास किये जाने थे जिससे प्रदूषण कम होता है।
  • गंगा के ऊपरी सतह की सफाई, कचरे की समस्या का समाधान, शौचलयों का निर्माण, शबदाह गृह का नवीनीकरण, घाटों की मरम्मत, नाले एवं नालियों के जल को रोकना, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना, ऑक्सीडेशन प्लांट, गंगा एवं उसकी सहायक नदियों के किनारे पौधारोपण, गंगा बेसिन क्षेत्र में जागरूकता आदि प्रकार के प्रयास किये जाने थे।
  • यह परियोजना मुख्य रूप 5 राज्यों में लागू की जा रही हैं यह राज्य हैं- उत्तराखंड, झारखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल ।
  • कुछ समय पहले ही केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने दावा किया कि गंगा की सफाई का 70 से 80 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है जबकि मीडिया की रिपोर्ट यह कहती है कि 151 घाटों में से महज 36 घाट बनकर ही तैयार हुए हैं ।
  • NGT की 2017 की रिपोर्ट बताती है कि गंगा ऑक्सीजन की मात्रा लगातार घट रही है अर्थात् प्रदूषण कम नहीं हुआ है। बैक्टीरिया की मात्रा का प्रतिशत 58 प्रतिशत से अधिक हो गया है।
  • नमामि गंगे योजना के अंतर्गत नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा के तहत 20016 तक सीवेज व्यवस्था को ठीक करने की तारीख तय की गई लेकिन मीडिया रिपोर्ट बताती है कि यह अभी तक पूरी नहीं हुई है।
  • आज (29 सितंबर) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे के तहत 6 मेगा प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने गंगा को समर्पित एक म्यूजियम का भी लोकर्पण किया। यह हरिद्वार के चांदनी घाट पर स्थित है।
  • जल जीवन मिशन को प्रारंभ करते हुए भारत के गांव में हर घर तक साफ पानी पहुंचाने का लक्ष्य पूरा करने के लिए सभी के सहयोग की बात की।
  • आज से हरिद्वार में पहला चार मंजिला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को भी शुरू कर दिया गया है।
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 तक उत्तराखंड के सभी घरों तक पीने के पानी का कनेक्शन पहुंचाया जायेगा।
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन की प्लानिंग और रखरखाव की पूरी व्यवस्था अब ग्राम पंचायत और पानी समीतियाँ करेगी, जिसकी 50 प्रतिशत सदस्य गांव की महिलायें होगी।
  • 2 अक्टूबर से इस मिशन के तहत 100 दिन का एक अभियान चलाने की बात प्रधानमंत्री ने कहा।