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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 26 June 2020

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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 26 June 2020



IN-SPAC

  • ISRO (Indian Space Research Organisation) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है, जिसका मुख्यालय बैंगलोर में है !
  • इसकी स्थापना 15 अगस्त 1969 में की गई थी, उस समय इसका नाम अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति था !
  • इसका मुख्य कार्य भारत के लिए अंतरिक्ष से संबंधित तकनीकी उपलब्ध करवाना है ! इसके अंतर्गत इसरो उपग्रह, लॉन्चिंग व्हीकल, और उन तकनीकों का विकास करता है जिससे भारत और इसके नागरिक का जीवन स्तर सुधर सके !
  • रिमोट सेंसिंग, मौसम संबंधी, संचार संबंधी और रक्षा संबंधी आदि क्षेत्रों में इसने हम सब को सशक्त किया है !
  • भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट था जो 19 अप्रैल 1975 को सोवियत संघ द्वारा छोड़ा गया था ! वहीं दूसरा उपग्रह 1979 को प्रक्षेपित किया गया था जिसका नाम भास्कर था !
  • अनेक प्रकार के प्रतिबंधों और चुनौतियों का सामना करते हुए इसरो ने खुद को हमेशा उन्नत करने का प्रयास किया और अपने आपको इसने विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्था के रूप में साबित किया !
  • अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1st एवं 2017 में एक साथ 104 सैटेलाइट का प्रक्षेपण आदि जैसे कई घटनाक्रम थे जब पूरी दुनिया ISRO की मुरीद बन गई !
  • इन सबके बीच लंबे समय से यह भी मांग की जा रही थी कि यदि भारत को स्पेस के क्षेत्र में अग्रणी बने रहना है तो प्राइवेट सेक्टर को भी स्पेस क्षेत्र में शामिल करना चाहिए !
  • राष्ट्रीय आवश्यकता और मांगों को देखते हुए पिछले माह (मई) सरकार ने यह घोषणा की थी कि अब प्राइवेट कंपनियां सेटेलाइट निर्माण, लॉन्चिंग करने में सक्षम होगी और इसरो द्वारा स्थापित संरचना का प्रयोग कर सकेगी !
  • हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय अंतरिक्ष में निजी क्षेत्र अनुसंधान संस्थानों तथा शैक्षणिक संस्थानों की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक नए निकाय के गठन को मंजूरी प्रदान कर दी है !
  • इस निकाय का नाम IN-SPAC-(Indian National Space Promotion and Authorization Centre - भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन तथा प्रमाणीकरण केंद्र) होगा !
  • यह भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देगा तथा अंतरिक्ष के क्षेत्र में दूरगामी सुधार को सुनिश्चित करेगा !
  • यह ISRO एवं उस प्रत्येक संस्था, संगठन और व्यक्ति के मध्य एक कड़ी का कार्य करेगा जो अंतरिक्ष के क्षेत्र में कार्य करना चाहता है या भारतीय अंतरिक्ष संसाधनों का उपयोग करना चाहता है !
  • यह निजी क्षेत्र के लिए पहले से इसरो द्वारा स्थापित अवसंरचना के प्रयोग का रास्ता खोलने में न सिर्फ सहायक होगा बल्कि इसमें आने वाली रुकावटों का भी समाधान करेगा !
  • सरकार का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष परिसंपत्तियों एवं गतिविधियों के सामाजिक आर्थिक उपयोग को बढ़ावा देना है !
  • इस निकाय के स्थापित हो जाने से ISRO अपनी मूल गतिविधियों जैसे अनुसंधान एवं विकास, ग्रहों के अन्वेषण और अंतरिक्ष के रणनीतिक उपयोग आदि पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा तथा अन्य सहायक कार्य और प्रयोग निजी क्षेत्र कर सकेगा !
  • इस पहल से अंतरिक्ष के क्षेत्र में कार्य करने वाले शोधकर्ताओं और छात्रों को इसरो एवं अन्य सरकारी अंतरिक्ष परिसंपत्तियों तक पहुंच सुनिश्चित हो सकेगी तथा आंतरिक संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित हो पाएगा !
  • इसरो की पाइपलाइन (रोडमैप) में शामिल रिसर्च एंड डेवलपमेंट को गति मिलेगी, मानव मिशनों एवं खोजमिशनो पर फोकस बढ़ सकेगा !हालांकि कुछ खोज मिशन निजी क्षेत्र के लिए भी खोलने पर सरकार द्वारा विचार किया जा रहा है !
  • इससे ना सिर्फ भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में तेजी आएगी बल्कि अंतरिक्ष सेवाओं का भी विस्तार इसरो द्वारा किया जा सकेगा !
  • निजी क्षेत्र के इसमें प्रवेश करने से अंतरिक्ष क्षेत्र में ना सिर्फ वित्त का प्रवाह बढ़ेगा बल्कि आधुनिक तकनीकी और अवसंरचना भी विकसित होगी !
  • वैश्विक संदर्भ में भी यदि हम सोचे तो यह बहुत आवश्यक था क्योंकि भारत में इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भूमिका बहुत सीमित है !
  • अमेरिका, यूरोप, रूस एवं चीन में कई ऐसी कंपनियां है जो अंतरिक्ष के क्षेत्र मेंखूबकार्य कर रही है और कई नए अचीवमेंट प्राइवेट कंपनियों के ही नाम है !
  • इसलिए कई समीक्षकों का मानना है कि अंतरिक्षक्षेत्र के समग्र विकास के लिए निजी क्षेत्र का सहयोग भारत में भी बहुत महत्वपूर्ण है !
  • इससे अंतरिक्ष के क्षेत्र में कार्य करने वाले कुशल मानव संसाधन की बड़ी संख्या अब इसरो से सहयोग प्राप्त कर सकेगी !
  • अंतरिक्ष के क्षेत्र में लॉन्चिंग प्रक्रिया बहुत जोखिम पूर्ण होती है !निजी क्षेत्र केइसमें प्रवेश करने से जोखिम कम होगा !
  • इन सकारात्मक बिंदुओं के साथ-साथ कुछ चुनौतियां भी है !इसमें सर्वाधिक महत्व डाटा संबंधी चुनौतियां हैं !इसके अलावा अनुचित व्यवसायिक प्रथाओं को रोकना तथा सही विनियमन करना भी प्रमुख है !

चीन की आक्रमकता को रोकेगा अमेरिका

  • भारत और चीन के बीच चल रहा सीमा विवाद समाप्त होने के स्थान पर पुनः उभर आया है !
  • लगभग 2 माह से चीन के द्वारा उत्पन्न किया गया तनाव अब भारत की सीमा से बाहर हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी फैल सकता है !
  • भारत के साथ ही चीन ने जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भी अपने विवाद बढ़ा लिए हैं !
  • कुछ दिन पहले सीमा विवाद को लेकर हुए संघर्ष में हमारे 20 जवान शहीद हो गए थे बड़ी संख्या में चीन के जवानों के मारे जाने की भी सूचना आई थी ! लेकिन इसके बाद भी कई स्तरों पर की गई मीटिंग में यह पूरा क्षेत्र चीनी सेना ने खाली नहीं किया है !
  • कई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि 15 जून के बाद चीन के जो टेंट हटाए गए थे वहां पर अब और अधिक टेंट लगा दिए गए हैं !
  • इसके साथ ही यह भी सामने आया है कि पिछले डेढ़ माह में चीन ने अपनी सेना के लिए अनेक निर्माण कर लिए हैं !
  • इस तरह कई स्तर पर की गई वार्ता का कोई सकारात्मक परिणाम अभी सामने नहीं आया है और चीन के 10,000 से अधिक सैनिक गलवान घाटी क्षेत्र के पास बताए जा रहे हैं !
  • वह इस क्षेत्र में रहने के लिए निर्माण के साथ-साथ सड़क का निर्माण भी कर रहा है तथा अपने सैनिकों के युद्ध सामग्री अधिक मात्रा में उपलब्ध करता रहा है !
  • इसी के साथ चीन ने तनाव का एक और नया एरिया Depsang Plain बना दिया है !
  • Depsang Plain काराकोरम रेज तथा काराकोरम दर्रा एवं दौलत बेग ओल्डी DBO के समीप है !
  • DBO ही सबसे उत्तर में स्थित वह हवाई क्षेत्र है जहां आर्मी हवाई मार्ग से पहुंच सकती है और वहां से वह दूसरे क्षेत्रों में पहुंचते हैं !
  • चीन की नजर शुरू से ही इस क्षेत्र पर रही है इस वजह से यह तनाव का नया क्षेत्र चीन द्वारा बनाया जा रहा है !
  • इसी प्रकार का एक क्षेत्र Gogra Post है जो गलवान घाटी के दक्षिण और फिंगर क्षेत्र के उत्तर में है ! इस क्षेत्र में भी चीन की आर्मी प्रवेश करने का प्रयास कर रहे हैं !
  • सनकाकू द्वीप को लेकर भी चीन आक्रामक रुख अपना रहा है तो साथ ही हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी है !
  • इसी बीच अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट माइक पॉम्पियो ने एक बड़ा बयान दिया है कि वह यूरोप और अन्य क्षेत्रों से अमेरिकी फौजों को कम करके हिंद प्रशांत क्षेत्र में तैनात किया जाएगा !
  • पॉम्पियो ने अपने बयान में यह कहा है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी आर्मी की वजह से भारतीय क्षेत्र, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस और दक्षिणी चीन सागर में तनाव बढ़ा है !
  • अमेरिका का मानना है कि इस पूरे क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता चिंताजनक है इसीलिए अमेरिकी फौजो की तैनाती इन सभी क्षेत्रों में बढ़ाया जाएगा ताकि चीन को नियंत्रित किया जा सके !
  • ऐसा नहीं है कि अमेरिका की उपस्थिति हिंद प्रशांत क्षेत्र में पहले से नहीं है दक्षिण कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस, डियागो गार्सिया, गुआम आदि क्षेत्रों में 50 हजार से अधिक अमेरिकी फौज, नेवी, एयर फोर्स की मौजूदगी है !जिन्हें USA द्वारा और मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है !
  • पिछले एक माह में USA और चीन अनेक मुद्दों पर एक दूसरे के सामने आए हैं और इसी कारण USA ने भी अपनी गतिविधियां तभी से तेज कर दी थी और चीन ने इसे लेकर चिंता भी व्यक्त की थी !
  • वर्तमान समय में 60% अमेरिकी नेवी की हिंद प्रशांत क्षेत्र में तैनाती और इसे और मजबूत करने का प्रयास करना इस क्षेत्र में चीन की आक्रामकता को रोकने में सहायक हो सकता है !

भारत का अमेरिका के साथ एक एग्रीमेंट - Logistic

  • Exchange Memorandum of Agreement -LEMOA और Communications Compatibility and Security Agreement - COMCASA कर रखा है जिससे अमेरिका और भारत एक दूसरे का सहयोग प्राप्त कर सकते है !
  • इसी प्रकार एक अन्य एग्रीमेंट GENERAL SECURITY OF MILITARY INFORMATION AGREEMENT - GSOMIA है !
  • भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस तथा जापान के साथ इसी प्रकार के कई एग्रीमेंट है और इन एग्रीमेंट की प्रकृति भी बहुत व्यापक और मजबूत है !
  • कुल मिलाकर हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की मौजूदगी एक अच्छी खबर है लेकिन भारत को हिंद क्षेत्र मे अपने आप को और मजबूत करने की जरूरत है !
  • हाल ही में भारत और रूस के मध्य हुई रक्षा वार्ता भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है !