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Blog / 26 Jul 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 26 July 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 26 July 2020



Plea Bargaining (प्ली बारगेनिंग) क्या है?

  • समाज को विधि सम्मत तरीके से चलाने के लिए कानून का निर्माण किया गया है। कानून कहता है कि विधि/ नियमों/कानूनों का उल्लंघन करने वालों की सजा दी जायेगी जिससे समाज में अराजकता की स्थिति उत्पन्न न हों।
  • सजा के लिए कोर्ट की स्थापना को गई है जहां आरोपी और आरोप लगाने वाले दोनों की बात सुनी जाती है। इसे ट्रायल के नाम से जाना जाता है। ट्रायल के बाद यह निर्णय लिया जाता है कि व्यक्ति (आरोपी) दोषी है या नहीं? यदि दोषी है तो कितनी सजा ? और कैसी सजा दिया जाना चाहिए।
  • भारत में ट्रायल का समय बहुत लंबा है और किसी केस की सुनवाई पूरी होने की अवधि भी बहुत लंबी है।
  • भारत में लंबित केस की संख्या लगभग 2.9 करोड़ हैं इसमें 71 प्रतिशत क्रिमिनल केस है, जिनके आरोपी फिलहाल अंडर ट्रायल हैं।
  • हमारे यहां के जिला अदालतों में 66 हजार केस ऐसे है जिन्हें चलते हुए 30 साल हो गये वहीं 60 लाख केस ऐसे है जिन्हें चलते हुए 5 साल से ज्यादा समय बीत चुका है।
  • भारत में जब प्रारंभिक लॉकडाउन लगाया गया था तो इस समय तबलीगी जमात का एक केस बहुत चर्चित हुआ था। और कई लोगों को हिरासत में लिया गया था।
  • इस केस में नवीन घनटनाक्रम यह हुआ है कि तबलीगी जमात के कई सदस्यों को Plea Bargaining (प्ली बारगेनिंग-दलील सौदेबाजी) के माध्यम से अदालती कार्यवाही से मुक्त कर दिया गया है।
  • प्ली बारगेनिंग एक समझौता/एग्रीमेंट है जो आरोपी एवं आरोप लगाने वाले के बीच होता है।
  • इसमें अभियुक्त (Accused) और अभियोजक (Prosecutor) के बीच ट्रायल के पूर्व वार्ता (Pre-trial Negotiations) के बाद सहमती बनायी जाती है।
  • इसमें आरोपित व्यक्ति अपना अपराध स्वीकार अपनी सजा कम करवाने के लिए अभियोजक से सहायता लेता है।
  • इस प्रक्रिया का प्रारंभ सिर्फ आरोपी द्वारा ही किया जा सकता है और इसके लिए उसे आवेदन प्रस्तुत करना होता है।
  • इसका फायदा ऐसे अपराधों के लिए नहीं लिया जा सकता जिसमें मृत्युदंड, आजीवन न कारावास या सात वर्ष से अधिक की सजा हो सकती हो, या 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे या बच्ची के खिलाफ किया गया कृत्य हो या जिस अपराध से देश की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ प्रभावित होती हों।
  • दूसरे शब्दों में इसका फायदा सिर्फ ऐसे मामलों में लिया जा सकता है जो सामान्य प्रकृति के हों।
  • आरोपी द्वारा आवेदन देने के बाद अदालत दोनों पक्षों को सुनवाई के लिए नोटिस जारी करता है।
  • अगले चरण में अदालत अभियोजक, जाँच अधिकारी और पीड़ित को मामले के निपटान के लिए बैठक आयोजित करने की करने का आदेश दिया जाता है। इसी बैठक में आरोपी द्वारा पीड़ित को मुआवजे का भुगतान किया जाता है।
  • इस बैठक में आपसी सहमति बन जाने के बाद अदालत अपने आदेश के माध्यम से इसे औपचारिक स्वरूप प्रदान करता है।
  • इसमें आरोपी की सजा आधी हो जाती है यदि अपराध एक निश्चित अवधि के कारावास वाला है।
  • यदि निश्चित अवधि वाला अपराध नहीं है तो सजा एक चौथाई तक कम की जा सकती है।
  • भारत में वर्ष 2006 तक इस प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं थी। वर्ष 2006 में CrPC (अपराधिक प्रक्रिया संहिता) के अध्याय 21-A में संशोधन Plea Borgaining को शामिल किया गया। धारा 265A से 265L तक इसके प्रावधानों का उल्लेख है।
  • विधि आयोग ने 142वीं रिपोर्ट में स्वयं को अपनी इच्छा से दोषी मानने वाले के लिए रियायत की बात की गई है।
  • न्यायिक व्यवस्था यह मानकर चलता है कि प्रत्येक व्यक्ति में सुधार हो सकता है इसीलिए व्यक्ति को एक अवसर जकर मिलना चाहिए।
  • जेलों का निर्माण सजा देने के साथ-साथ मुख्य रूप से ऐसे स्थानों के रूप में जाने जाते है जहां व्यक्ति अपने अंदर सुधार का प्रयास करता है।
  • प्ली बारगेनिंग भी दरअसल अपने अंदर सुधार करने की प्रक्रिया का एक भाग है।
  • इससे ट्रायल में लगने वाले समय में कमी आती है, निर्णय की अनिश्यितता कम होती है, मुकदमें पर होने वाला व्यय कम होता है, विचाराधीन कैदी के रूप में लंबा समय जेल में नहीं बिताना होता है तथा राज्य के खर्च में भी कमी आती है।

पश्चिमी घाट की जैविविधता

  • पश्चिमी घाट से जुड़े क्षेत्र अपनी जैवविधता के लिए जाने जाते हैं। पश्चिमी घाट दुनिया के सर्वाधिक जैवविविधता संपन्न वाले Hotspot के रूप में जाना जाता है।
  • गुजरात से कार्डयम की पहाडियों तक फैले पश्चिमीघाट के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रें में अनेक प्रकार के जीव पाये जाते हैं इसीलिए भारत सरकार एवं राज्य सरकारें यहां की जैविविधता को संरक्षित करने करने के लिए यहां राष्ट्रीय पार्क, जैव आरक्षित क्षेत्र, वन्यजीव अभयारण्य आदि की यहां एक चैन का विकास हुआ है।
  • गोवा के उत्तरी भाग में एक ऐसा ही जैवविविधता संपन्न क्षेत्र है जिसे महादेई वन्यजीव अभ्यारण्य के नाम से जाना जाता है जो 208 वर्ग किमी- के क्षेत्र में फैला है।
  • इसे कुछ समय पहले अंतर्राष्ट्रीय पक्षी क्षेत्र (International Bird Area) घोषित किया गया है।
  • यहां बंगाल टाइगर की उपस्थिति के कारण टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव है।
  • इसके समीप महाराष्ट्र के सिंधु दुर्ग क्षेत्र में लगभग 30 वर्ग किमी- क्षेत्र में एक तिलारी क्षेत्र है जिसे अब तिलारी संरक्षण रिजर्व (Tillari Conservation Reserve) घोषित किया गया है।
  • यह डोडामार्ग वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
  • यह गोवा के महादेई अभयारण्य को कर्नाटक के भीमगढ़ से जोड़ता है।
  • यह (तिलारी) महाराष्ट्र राज्य का सातवां वन्यजीव गलिंयारा है जिसे संरक्षण रिजर्व के रूप में घोषित किया गया है।
  • यह डोडामर्ग वन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 9 गांवों को आरक्षित करता है।
  • यह जीवों को तीन राज्यों में भ्रमण करने की आजादी प्रदान करता है।
  • यह संरक्षण रिजर्व पश्चिमी घाट के अंतर्गत आता है जिसके कारण जीवों का आवागमन बहुत ज्यादा होता है।
  • यह संरक्षण जिर्व वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत स्थापित किये जाते हैं।
  • संरक्षण रिजर्व सामान्यतः राष्ट्रीय उद्याधनों, वन्यजीव अभ्यारण्यों और संरक्षित जंगलों के मध्य बफर जोन के रूप में स्थापित किये जाते हैं।
  • राष्ट्रीय पार्क और जैव आरक्षित क्षेत्र की तुलना में यहां नियम कम कठोर होते है।
  • जुलाई 2019 तक 88 संरक्षण रिजर्व एवं 127 रिजर्व घोषित किये जा चुके हैं।
  • यह रिजर्व क्षेत्र अर्द्ध सदाबहार वन, शुष्क पर्णपाती वन एवं बाधों तथा हाथियों की दृष्टि बहुत महत्त्वपूर्ण है।
  • इस क्षेत्र को संरक्षण रिजर्व घोषित करने से अनेक प्रकार की मानवीय गतिविधियों पर लगाय लगेगी यहां के वन क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता था।