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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 22 May 2020

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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 22 May 2020



Open Skies Treaty से बाहर होगा USA

  • द्वितीय विश्व युद्ध में एक साथ रहे USA और रूस आगे चलकर एक दूसरे के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी बन गए और प्रतिद्वंद्विता तनाव का रूप धारण करने लगी !
  • बाद में शीत युद्ध की स्थिति आई जिसमें पूंजीवादी और समाजवादी विचारधारा के आधार पर देशों के राजनीतिक और सैनिक गुट बनने लगे !
  • इस समय अविश्वास ज्यादा था और इसकी भी संभावना थी की कोई देश किसी देश पर हमला कर सकता है !
  • इसी आशंका को देखते हुए सर्वप्रथम 1955 में Mutual Aerial Observation का विचार आया, लेकिन सोवियत संघ द्वारा इसे नकार दिया गया !
  • इसमें यह विचार था कि हवाई पद्धति से निगरानी और परीक्षण किया जा सकता है !
  • इसे नकारने के बाद तनाव की स्थिति और बढ़ गई !
  • 1990 के दशक के प्रारंभ में सोवियत विघटन के बाद शीत युद्ध में ठहराव आने लगा और पुनः Mutual Aerial Observation पर विचार किया जाने लगा !
  • 24 मार्च 1992 को Helsinki, Finland में एक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुआ जिसे “ Treaty On Open Skies” के नाम से जानते हैं !
  • यह संधि तभी प्रभावी हो सकती थी जब 20 सदस्य इसे रेटिफाई करें ! फलस्वरूप यह संधि 1 जनवरी 2002 को प्रभावी हो पाई !
  • अभी तक इस पर 35 देशों ने हस्ताक्षर किया है लेकिन सदस्य देश 34 हैं क्योंकि Kyrgyzstan ने अभी तक इसे रेटिफाई नहीं किया है !
  • Belarus, Belgium, Bosnia and Herzegovina, Bulgaria, Canada, Croatia, Czech Republic, Denmark (including Greenland), Estonia, Finland, France, Georgia, Germany, Greece, Hungary, Iceland, Italy, Kazakhstan, Latvia, Lithuania, Luxembourg Netherlands, Norway, Poland, Portugal, Romania, Russia Federation, Slovakia, Slovenia, Spain, Sweden, Turkey, Ukraine, United Kingdom, and the United States.
  • भारत, चीन जैसे बड़े देश इसके सदस्य नहीं है !
  • इस संधि के अनुसार यह प्रावधान है कि संबंधित देश एक दूसरे के यहां हवाई जहाज में लगे सेंसर के माध्यम से यह पता कर सकते हैं कि कहीं पर कोई मिसाइल या ऐसा निर्माण तो नहीं हो रहा है जिसका प्रयोग दूसरे देश पर हमला करने में किया जा सकता है !
  • संधि के अनुसार इस प्रकार का निरीक्षण प्रत्येक साल एक दूसरे के यहां किया जाएगा !
  • इसके अंतर्गत परीक्षण करने वाले देश को 72 घंटे पहले उस देश को सूचित करना होता है कि वह इस प्रकार का परीक्षण करना चाहता है !
  • Host कंट्रीज को 24 घंटे में अपना विचार सूचित करना होता है !
  • प्रयोग किया जाने वाला प्लेन दोनों देशों में से किसी देश का हो सकता है, यह इस पर निर्भर करेगा कि दोनों देशों के बीच क्या तय हुआ !
  • Observation करने वाले देश के प्लेन का निरीक्षण होस्ट कंट्री के द्वारा किया जा सकता है, ताकि वह यह सुनिश्चित कर सके कि कोई तकनीकी समस्या या विमान में संधि का उल्लंघन करने वाला कोई टूल्स नहीं है !
  • इसके अंतर्गत किसी देश के Mainland के साथ साथ द्वीपीय क्षेत्र और सभी जलीय क्षेत्र शामिल होते हैं !
  • USA इसके लिए अपने OC-135 B Open Skies का प्रयोग करता है वही कनाडा C-130 Hercules का प्रयोग करता है !
  • रूस इसके लिए Antonov An-30 और Tu-154M-ON का प्रयोग करता है !
  • U.S का कहना है कि रूस कुछ समय से इस संधि का पालन नहीं कर रहा है अर्थात U.S के फ्लाइट ( प्लेन) को रूस के बहुत से क्षेत्रों में जाने नहीं दे रहा था !
  • जैसा की संधि में प्रावधान है कि सभी क्षेत्र इसमें कवर होते हैं, रूस ऐसा नहीं कर रहा था !
  • इसके साथ U.S को लगता है कि रूस USA का निरीक्षण कर संबंधित डाटा चीन को दे सकता है क्योंकि रूस-चीन संबंध USA के खिलाफ मजबूत है !
  • सभी को कारण बनाते हुए USA ने यह घोषित किया है कि अब वह इसका भाग नहीं रहेगा !
  • इस घोषणा के 6 माह बाद U.S इसका सदस्य नहीं रहेगा !
  • चीन का इसमें शामिल ना होना U.S के लिए इस संधि के महत्व को कम करता है क्योंकि पिछले NATO के कुछ बैठकों में यह कई बार कई देशों द्वारा कहा गया है कि चीन रूस से बड़ी चुनौती है !
  • जिस तरह चीन की परमाणु गतिविधियां बढ़ रही है और U.S के साथ तनाव, ऐसे में अमेरिका किसी ऐसी संधि पर विचार कर रहा है जिसके माध्यम से चीन की निगरानी कर सकें !
  • समीक्षक इसे एक चिंताजनक स्थिति बता रहे हैं क्योंकि इससे अफवाहों को बल मिलेगा और अविश्वास तथा तनाव बढ़ेगा !
  • वहीं कई समीक्षक डोनाल्ड ट्रम की राजनीति का एक हिस्सा मान रहे हैं कुछ समय पहले U.S ने पेरिस समझौते, ईरान न्यूक्लियर डील और Intermediate-Range Nuclear Force Treaty से अपने को बाहर कर लिया था !

कोणार्क सूर्य मंदिर में सूर्य की ऊर्जा का उपयोग

  • कोणार्क सूर्य मंदिर उड़ीसा में जगन्नाथ से लगभग 35 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में कोणार्क नामक शहर अवस्थित है ! मंदिर के नाम पर ही इस शहर को कोणार्क के नाम पर जाना जाता है !
  • यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है जिन्हें स्थानीय लोग ‘विरंचि नारायण’ के नाम से भी पुकारते हैं !
  • यह मंदिर भगवान सूर्य के रथ का विशाल प्रतिरूप है जो 24 पहियों का बना है और इसे सात घोड़े खींच रहे हैं !
  • इसका निर्माण तेरहवीं शताब्दी के गंग-वंश के महान राजा नरसिंह देव प्रथम ने बनाया था !
  • उड़ीसा “स्वर्णिम त्रिभुज” के लिए जाना जाता है जिसमें कोणार्क मंदिर के साथ-साथ पुरी का जगन्नाथ मंदिर और भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर शामिल है !
  • कोणार्क मंदिर का रंग काला होने के कारण इसे Black Pagoda के नाम से जाना जाता है !
  • Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act, 1958 के अंतर्गत यह भारतीय राष्ट्रीय संरचना के रूप में संरक्षित है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इस मंदिर का संरक्षक है !
  • वर्ष 1984 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था !
  • हाल ही में सूचना आई है कि- Ministry Of New and Renewable Energy (MNRE- नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय) कोणार्क सूर्य मंदिर और कोणार्क शहर को 100% सौर ऊर्जा से संचालित करने की रूपरेखा बना रहा है !
  • इस योजना का कार्यान्वयन ओडिशा नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी द्वारा किया जाएगा !
  • इस योजना के लिए 25 करोड़ की सहायता MNRE द्वारा राज्य की एजेंसी को प्रदान की जाएगी !
  • इस योजना के तहत 10 मेगावाट ग्रिड कनेक्टेड सौर परियोजना और विभिन्न ऑफ-ग्रिड सौर अनुप्रयोगों जैसे Solar Trees, Solar Water Drinking Kiosks आदि का प्रयोग किया जाएगा !
  • इस तरह यह मंदिर अपने नाम के अनुरूप ऊर्जा का उपयोग करने वाला पहला मंदिर होगा !
  • Solar Trees न सिर्फ इसे ऊर्जा देने में सक्षम होगा बल्कि पर्यावरण हितैषी और सौंदर्यपरक होगा !
  • यह सामान्य वृक्ष की तरह ही होते हैं, जिसमें पत्तियों के रूप में सौर पैनल लगे होते हैं !
  • यह सौर ऊर्जा संयंत्रों के सापेक्ष 100 गुना कम स्थान घेरता है लेकिन उत्पादकता उतनी ही होती है !
  • इसके अलावा बैटरी स्टोरेज सहित ऑफ-ग्रिड सौर संयंत्रों की स्थापना आदि का भी प्रयोग किया जाएगा !
  • इस पहल से सौर ऊर्जा के प्रयोग को प्रोत्साहन और प्रसिद्धि मिलेगी !
  • इस पहल का भविष्य में अन्य धार्मिक स्थानों पर भी उपयोग किया जा सकता है !
  • यह माननीय प्रधानमंत्री के कोणार्क सूर्य मंदिर को “ सूर्य नगरी” के रूप में विकसित करने के विजन के अनुरूप है !