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Blog / 20 Nov 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 20 November 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 20 November 2020



DHFL नीलामी विवाद क्या है ?

  • DHFL का पूरा नाम Dewan Housing Finance Limited है। इस कंपनी की स्थापना 1984 में की गई थी।
  • यह एक नॉन बैंकिंग कंपनी (NBFC) है अर्थात बैंकिंग का कार्य तो नहीं करती है लेकिन फाइनेंसिंग का कार्य करती है। NBFC लोगों से डायरेक्ट पैसा जमा स्वीकार नहीं कर सकते हैं जैसा कि बैंक सेविंग एकाउंट या करेंट एकाउंट या अन्य तरह से करते है।
  • NBFC कॉमर्शियल पेपर जारी करके पैसा प्राप्त करते हैं, बैंक से लोन लेकर पैसा प्राप्त करते हैं। इंश्योरेंस कंपनिया इसमें निवेश के माध्य से पैसा लगाती हैं इस तरह यह एक स्थान से पैसा लेकर लोगों को कई प्रकार के ट्टण उपलब्ध करवाते हैं। इसी तरह DHFL ने कई स्रोतों से पैसा लेकर लोगों को हाउसिंग फाइनेंस (लोन) देने की सेवा प्रारंभ की थी।
  • जनवरी 2019 के प्रारंभ में कंपनी को 900 करोड़ रूपये के कॉमर्शियल पेपर का ब्याज अदा करना था लेकिन कंपनी ऐसा नहीं कर पाई। इसके बाद इस कंपनी की वित्तीय स्थिति ठीक न होने की खबर आने लगी, हालांकि कंपनी ने कहा कि यह एक अस्थायी समस्या है।
  • हालांकि DHFL में हो रही अनियमितता की जानकारी कोबरा पोस्ट ने पहले ही सार्वजनिक की थी। इस रिपोर्ट में यह बताया गया था कि DHFL ने शेल कंपनी के जरिए 31 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले को अंजाम दिया था। हालांकि इस रिपोर्ट के बाद भी कंपनी के प्रबंधन में कोई परिवर्तन नहीं आया।
  • जून, 2019 में DHFL जब अपनी उधार की किस्त चुकाने में चूक गई तो ED (ईडी) ने 19 अक्टूबर 2019 को पैसे के घौटले की जांच शुरू की।
  • नवंबर 2019 आते-आते सरकार ने RBI को यह शक्ति दी कि वह NBFC को इंसॉल्वेंसी प्रक्रिया के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के पास भेज सकता है।
  • RBI ने अपनी नियामकीय शक्ति का प्रयोग करते हुए DHFL के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को पद से हटा दिया और पूर्व बैंकर आर सुब्रह्मण्य कुमार को कंपनी का प्रशासक बना दिया। सुब्रह्मण्य कुमार को वकायदा इनसॉल्वंसी प्रोफेशनल जैसी शक्ति दी गई, इसका मतलब यह है कि यह बताता है कि कैसे बैंक उधारी का पैसा लौटाया आये। इसके लिए कंपनी बंद कर के उसे बेचा भी जा सकता है।
  • RBI ने नवंबर 2020 में DHFL को NCLT में खींच लिया। NCLT में लाये जाने का आशय यह है कि कंपनी अब दिवालिया घोषित होगी और उसके एसेट या पूरी कंपनी को बेचकर देनदारों का पैसा चुकाया जायेगा।
  • जनवरी 2020 में कंपनी के प्रवर्तक कपिल वाधवान और धीरज वाधवान को गिरफ्रतार किया गया।
  • अब क्या विवाद है?
  • DHFL कंपनी की कुल देनदारी लगभग 95000 करोड रुपये है।
  • DHFL की दिवालिया प्रक्रिया के तहत बोली लगाई जानी थी, जिनसी अंतिम तिथि 17 अक्टूबर 2020 थी इस दौरान 4 कंपनियों ने DHFL के संदर्भ में बोली लगई।
  • पहली कंपनी ओक्ट्री है जो यूएसए बेस्ड कंपनी हैं दूसरी कंपनी एससी लोवी थी जो हांगकांग बेस्ड कंपनी हैं तीसरी कंपनी पीरायल एंटरप्राइजेज थी तथा चौथी कंपनी अडानी थी।
  • ओकट्री ने पूरी कंपनी के लिए 30000 करोड़ कपये की बोली लगाई। ओकट्री ने यह शर्त रखी कि DHFL की बुककीपिंग में अगर 2 महीने के भीतर कोई अनियमितता पाई गई तो कंपनी इस डीज को केंसिल कर देगी।
  • अड़ानी कंपनी ने सिर्फ होलसेल एंड स्लम रीहैबिलिटेशन अथॉरिटी (SRA) पोर्टफोलियो के लिए बोली लगाई। अड़ानी की तर्ज पर ही पीरामल एंटरप्राइजेज ने भी DHFL के सिर्फ एक पोर्टफोलियो के बोली लगाई।
  • इन बोलियों में जो राशि दी जा रही थी वह बहुत कम थी और कई शर्तों के अधीन थी जिसकी वजह से कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (COC) इससे संतुष्ट नहीं थे। और इन्होंने फिर से बोली लगाने और बोली बढ़ाने के लिए कहा। अगली बोली बढ़ाने के लिए कहा। अगली बोली के लिए 9 नवंबर की डेट रखी गई।
  • 9 नवंबर, 2020 को पीरामल ने बोली बढ़ाकर 25000 करोड़ कर दिया, पूरी कंपनी के लिए।
  • ओक्ट्री ने अपनी बोली 1000 करोड़ बढ़ाते हुए 31000 करोड़ रूपये कर दिया।
  • 9 नवंबर की सीमा खत्म हो जाने के बाद दिवाली के दिन (14 नवंबर) ओफट्री से 250 करोड़ रूपये रूपये की बोली लगाई। इस तरह ओकट्री से ज्यादा की बोली अड़ानी के द्वारा लगाई गई लेकिन इसमें समस्या यह थी कि यह बोली 9 नवंबर के बाद लगाई गई थी।
  • पीरामल कंपनी के इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि- तय सीमा बीत जाने के बाद भला कैसे कोई बोली लगा सकता है। समय बीत जाने के बाद तभी संशोधित बिडिंग पेश की जा सकती है। जबकि पहले बीडिंग से कमेटी संतुष्ट न हो लेकिन तब भी विडिंग का अवसर सभी कंपनियों को दिया जायेगा।
  • कंपनियों का कहना है कि अगर DHFL की इस बोली को स्वीकार किया जाता है तो बाकि इस निलामी प्रक्रिया से बाहर हो जायेंगी और कोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगी।
  • कंपनियों को आशंका है कि उनकी निविदायें लीक हुई है, जिसकी जांच होनी चाहिए।

महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद क्या है ?

  • 1947 से पहले महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य अलग नहीं थे। तब बॉम्बे प्रेसिडेंसी और मैसूर स्टेट हुआ करते थे। आज के कर्नाटक के इलाके भी उस समय के बॉम्बे प्रेसिडेंसी का हिस्सा थे।
  • आज के बीजापुर, बेलगावी (बेलगाम पुराना नाम), धारवाड़ और उत्तरकन्नड जिले बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा थे। इस समय यहां मराठी, गुजराती और कन्नड भाषा बोलने वाले लोग रहते थे, जिसमें मराठी लोगों की संख्या ज्यादा थी।
  • बेलगाम नगरीय निकाय ने 1948 में मांग की कि इसे मराठी बहुल होने के नाते इसे प्रस्तावित महाराष्ट्र राज्य का हिस्सा बनाना चाहिए। इसके बाद महाराष्ट्र एकीकरण समीति नाम से एक समूह का गठन किया गया।
  • 1956 में राज्य पुनर्गठन कानून लागू हुआ तो बेलगाम को महाराष्ट्र एकीकरण समीति ने मैसूर स्टेट का हिस्सा बना दिया गया। महाराष्ट्र एकीकरण समिति ने मैसूर स्टेट के तहत आने वाले 800 मराठी भाषी गांवों को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाने की बात की। इसमें से ज्यादा गांव बेलगाम जिले के थे, जहां मराठी समुदाय के लोगों की संख्या ज्यादा थी। इसी के साथ बेलगाम शहर में मराठी लोगों की संख्या ज्यादा थी।
  • 1957 में महाराष्ट्र सरकार ने 1956 के प्रावधानों के तहत किये बटवारे पर आपत्ति जताई। इसी के साथ सेनापती बागत भूख हड़ताल पर बैठ गये। महाराष्ट्र सरकार ने एक आयोग का गठन करने की मांग की।
  • 1966 में केंद्र सरकार ने रिटायर्ड न्यायधीश मेहर चंद महाजन की अध्यक्षता में महाजन कमीशन का गठन किया। रिपोर्ट 1967 में इस कमीशन के अपनी रिपोर्ट दी।
  • कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उत्तर कन्नड जिले के 264 गांवों और हलियल तथा सूपा इलाके के 300 गांवों को महाराष्ट्र को दिये जायें। हालांकि इसमें बेलगाम शहर शामिल नहीं था।
  • कमेटी ने महाराष्ट्र के शोलापुर समेत 247 गांव और केरल के कासरगोड जिले को कर्नाटक को दिये जाने की भी बात की।
  • महाराष्ट्र और केरल दोनों राज्यों सरकारों ने इस रिपोर्ट का विरोध किया।
  • महाराष्ट्र सरकार ने इस रिपोर्ट को बिना तर्क वाली ओर एकपक्षीय बताया। फलस्वरूप विरोध के चलते केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट को लागू नहीं किया।
  • 1983 में बेलगाम में पहली बार नगर निकाय के चुनाव हुए जसमें महाराष्ट्र एकीकरण समिति के समर्थक उम्मीदवार अधिक संख्या में जीतकर आये। नगर निकाय और 250 से ज्यादा मराठी बहुल गांवों ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा कि उन्हें महाराष्ट्र में मिला दिया जाये।
  • धीरे-धीरे समर्थक और गैर-समर्थकों के बीच विवाद बढ़ता गया और 1936 में कई जगह हिंसा हुई जिसमें 9 लोगों की मृत्यु हो गई। 2005 में बेलगाम नगर निकाय ने पुनः इस मुद्दे को हवा दी। निकाय ने बेलगाम को महाराष्ट्र में मिलाने वाले प्रस्ताव को पास कर कर्नाटक सरकार को भेजा। कर्नाटक सरकार ने इसे असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया तथा निकाय को भी भांग कर दिया।
  • इसी वर्ष महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस विवाद को सुलझाने की अपील दाखिल की।
  • वर्ष 2006 में बेलगाम पर अपना दावा मजबूत करने के लिए कर्नाटक सरकार ने बेलगाम/बेलगांव का नाम बदलकर बेलगांवी कर दिया तथा साथ ही बेलगांवी को कर्नाटक की उपराजधानी घोषित कर दिया।
  • वर्ष 2006 में कर्नाटक सरकार ने विधानसभा का एक पांच दिवसीय विशेष सत्र यहां बुलाया तथा तय किया कि विधानसभा का शीतकालीन सत्र यहीं बुलाया जायेगा।
  • वर्ष 2012 में कर्नाटक सरकार ने बेलगावी में एक नई विधानसभा इमारत यहां उद्घाटन किया। यहां पर विधानसभा का शीतकालीन सत्र बुलाया जाता है।
  • वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे से महाराष्ट्र एकीकरण समिति के नेताओं ने इस मुद्दे पर ध्यान देने की मांग की।
  • उद्धव ठाकरे ने इसके लिए दो सदस्यों की एक कमेटी का गठन किया। इसके विरोध में बेलगावी में कर्नाटक नव निर्माण सेना ने उद्धव ठाकरे का पुतला जलाया।
  • कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी-एस- येदियेरूप्पा ने कहा कि कर्नाटक की एक इंच जमीन भी किसी राज्य को देने का सवाल नहीं उठता है। इस बयान के बाद कोल्हापुर में उनका पुतला जलाया गया।
  • शिवसेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता वर्ष 2019 में बेलगाम जिले में जार रहे थे जिन्हें पुलिस ने रोक दिया। इसके बाद संजय राउत ने कि विधानसभा में कहा कि- बेलगाम कर्नाटक ऑक्युपाइ महाराष्ट्र हैं इसके बाद विवाद और बढ़ गया।
  • इस सोमवार को महाराष्ट्र के उस मुख्यमंत्री अजित पवार ने बालठाकरे के बरसी पर बोलते हुए कहा कि कर्नाटक के मराठी-भाषी इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल करने के बाला साहब के सपने को साकार करना चाहिए।
  • कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने इस पर पलटवार करते हुए कहा- मैं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के बयान की निंदा करता हूँ। पूरी दुनिया को पता है कि महाजन समिति की रिपोर्ट फाइनल है। अब उस पर आग भड़काना गलत है।