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Blog / 16 Jul 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 16 July 2020

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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 16 July 2020



5G HUAWEI विवाद

  • तकनीकी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें बहुत तेजी से परिवर्तन आता है। तकनीकी में होने वाले इस परिवर्तन ने जीवन को आसान तो बनाया है लेकिन कुछ चुनौतियां और समस्याएं भी खड़ी की है।
  • पहले के फोन और आज के स्मार्टफोन में अंतर को हम तकनीकी परिवर्तन के माध्यम से समझ सकते हैं।
  • मोबाइल की तकनीकी (सेल्युलर कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी) में परिवर्तन को ‘जनरेशन’ के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
  • मोबाइल फोन की तकनीकी में पहली जनरेशन (1जी) का प्रारंभ 1980 के दशक में, दूसरी जनरेशन (पीढ़ी) का प्रारंभ 1990 के दशक में, तीसरी पीढ़ी का प्रारंभ 2000 के दशक में, चौथी पीढ़ी (जनरेनशन) का प्रारंभ 2010 के दशक में हुआ और यह दौर 5जी (पांचवी जनरेशन)
  • विश्व के कई भागों में आज 5जी समय की हकीकत बन चुकी है।
  • 5जी वायरलेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक ऐसा क्रांतिकारी चरण है जिसमें दूनिया में कई ऐसे बदलाव आयेंगे जो अभी तक हमारे ख्याल का भाग है।
  • इसमें मशीनें (रोबोट) आपसे-हमसे बात कर सकेंगी, हमारे निर्देशों के हिसाब से घर की चीजों को ऑपरेट कर सकेंगी।
  • इस तकनीकी से मशीनों को निर्देश भी नहीं देना होगा बल्कि वह समय-समय पर खुद कार्य कर सकेगी।
  • ऑटोमेटिक (स्वचालित) गाडियों को चलाना आसान होगा।
  • रोबोट के माध्य से डॉक्टर मरीजों का इलाज या आपरेशन कर सकते हैं।
  • अंतरिक्ष, कृषि, जलवायु, रिमोट सेंसिंग, सुरक्षा सभी क्षेत्र में रेडिकल चेंज आयेगा।
  • आपदाओं के विषय जानकारी और त्वरित उपाय करना कुछ मिनटों की बात होगी।
  • इसमें इंटरनेट की स्पीड 20Gbs से अधिक होगी।
  • किसी तकनीकी की बैडविथ जितनी ज्यादा होती है किसी फाइल को ब्राउज करना या डाउनलोड करना उतना ही आसान और त्वरित गति से संभव हो पाता है।
  • 5जी नेटवर्क में Low Energy की आवश्यकता पड़ती है तथा सामान्य नेटवर्क की तुलना में यह लगभग 90% कम नेटवर्क का इस्तेमाल करता है।
  • यह एक साथ बहुत ज्यादा नेटवर्क को अपने से जोड़ने में सक्षम होती है।
  • इसमें बैटरी का खर्च बहुत कम होगा। तथा एक मोबाइल से सैकड़ों सिस्टम को ऑपरेट किया जा सकेगा।
  • इस समय 5जी के क्षेत्र में सबसे बड़ा नाम चीन की कंपनी भ्न्।ॅम्प् (हुआवे) का है।
  • इस कंपनी की स्थापना 1987 में रेन जेंगफे द्वारा की गई थी जो चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में इंजीनियर थे अर्थात चीन की सेना से जुड़े रहे है।
  • यह वर्तमान समय में चीन की सबसे बड़ी कंपनी है जो विश्व मे सर्वाधिक मात्र में टेलीकॉम उपकरण का उत्पादन करती है।
  • वर्ष 2020 की पहली छमाही में, कोरोना काल में इस कंपनी का राजस्व लगभग 65 बिलियन डॉलर का रहा।
  • वर्ष 2020 में ही इस कंपनी द्वारा लगभग 5 लाख टॉवर लगाया जायेगा।
  • चूंकि कंपनी किसी शेयर बाजार से सूचीबद्ध नहीं है इस बजह से कंपनी के विषय में ज्यादा जानकारियों बाहर नहीं आ पती है।
  • चूंकि कंपनी के मालिक एवं उससे जुड़े लोग च्स्। से संबंधित रहे है इस कारण कई देशों और संस्थाओं द्वारा यह चेतावनी आती रहती है कि इस कंपनी के माध्यम से चीन किसी देश के डाटा तक अपनी पहुँच बना सकता है, उसका दुरूपयोग कर सकता है तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती उत्पन्न कर सकता है।
  • कंपनी का समय-समय पर यह स्पष्टीकरण आता रहा है कि उसका चीन की सरकार या आर्मी के साथ कोई संबंध नहीं है।
  • यह कंपनी 5जी के उपकरण अन्य कंपनियों की तुलना बहुत सस्ता रहता है इस कारण सभी देशों के लिए यह एक अच्छा विकल्प साबित होता है।
  • अन्य 5जी कंपनियां- नोकिया, सेमसंग, इरिक्शन, फाइबरहोम एवं र्ज्म् अभी अपनी उत्पादन लगात बहुत कम नहीं कर पाई है।
  • सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए तथा ईरान के साथ कंपनी द्वारा व्यापार और कार्य करने कारण अमेरिका ने इस कंपनी पर कई साल से प्रतिबंध लगा चुका है।
  • इसके बाद अमेरिका ने और देशों से भी अपील की कि वह इस कंपनी के साथ काम न करें क्योंकि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पड़ सकता है।
  • अमेरिका ने मई 2019 में भारत सरकार को पत्र भी लिखा था कि वह और कोई विकल्प देखे।
  • कुछ दिन पहले ब्रिटेन ने यह कहा कि D-10 (डेमोक्रेसी-10) नामक एक संगठन बनायें जिसमें लोकतांत्रिक देश इस प्रकार कार्य करें जिससे वह किसी चुनौती का सामना मिलकर कार्य करे सकें।
  • इसके उद्देश्य में यह भी था कि भविष्य 5जी के क्षेत्र में कार्य करने के लिए एक दूसरे (D-10) देशों की कंपनियों का सहयोग लिया आये तथा ऐसी किसी कंपनी मे शामिल न किया जाये जो इससे बाहर की हो और डाटा असुरक्षित हाथों में पहुंच सके।
  • D-10 में UK अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और भारत को शामिल किये जाने का प्रस्ताव है।
  • ब्रिटेन का मानना है कि यह सब देश अपनी तकनीकी का प्रयोग करके चीन की Huwaei से बेहतर 5जी नेटवर्क स्थापित कर सकती है।
  • दरअसल अमेरिका का कहना यह है कि Huwaei के माध्यम से चीन जासूसी कर रहा है। इसीकारण मई 2021 तक अमेरिका में इस पर प्रतिबंध है।
  • भारत में 5जी के ट्रायल के लिए Huwaei को कुछ माह पहले अनुमति दी गई थी, जिसके लिए चीन ने भारत की प्रसंशा भी की थी।
  • हाल ही में यूनाइटेड किंगडम ने भी अमेरिका की तरह Huwaei कंपनी पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • ब्रिटेन ने कहा है कि यूनाइटेड किंगडम का कोई भी मोबाइल प्रोवाइडर या टेलीकॉम कंपनी हुवेई से कोई भी उपकरण नहीं खरीदेगी।
  • इसी के साथ UK ने यह भी कहा है कि हुवेई कंपनी के जो उपकरण प्रयोग में लाये जा रहे हैं उनको वर्ष 2027 तक चेंज करना होगा।
  • यह पहला मौका नहीं है जब ब्रिटेन में हुवेई के खिलाफ बात उठी हो। दरअसल जनवरी 2020 में भी इसी प्रकार की मांग उठी थी लेकिन यह कहा गया था कि 35% से अधिक उपकरण इस कंपनी से नहीं खरीदे जायेगे।
  • लेकिन अब UK ने पूर्णतः इस पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • दरअसल इस प्रतिबंध के पीछे कुछ और भी कारण हैं।
  • पहला कारण अमेरिका का दबाव है क्योंकि अमेरिका नहीं चाहता है कि चीन के 5जी खेल में अन्य देश न फंसें।
  • वहीं ब्रिटेन अमेरिका से एक व्यापार संधि करना चाहता है जिसे व्रेक्जिट से नुकसान की भारपाई की जा सके।
  • इसी के साथ हांगकांग में चीन द्वारा लागू किये गये नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के खिलाफ अपना स्टैड स्पष्ट करना चाहता है कि वह मानवाधिकार विरोधी चीन के इस कानून के खिलाफ है।
  • कोरोना वायरस के संदर्भ में चीन द्वारा उठाये गये कदम से भी ब्रिटेन नाराज है।
  • ब्रिटेन के इस कदम के बाद अन्य यूरोपीय देश भी इसी प्रकार का कदम उठा सकते है।
  • ब्रिटेन को इसे नुकसान भी होगा और उसका 5जी प्लान 2 से 3 साल लेट हो सकता है।
  • चीन ने इस पर अपनी नाराजगी प्रकट करते हुए कहा है कि यह गलत निर्णय है और मुक्त और उचित व्यापार नीति के खिलाफ है।
  • ब्रिटेन की कई कंपनियाँ चीन में बहुत बड़ी मात्र में व्यापार करती है जिन पर चीन प्रतिक्रियात्मक स्वरूप में प्रतिबंध लगा सकता है।
  • कुछ समय पहले भारत ने चीन के 50 से अधिक एप्प पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद फिर से हुवेई पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठने लगी थी।
  • सरकार भी इस पर अब विचार कर रही है और भारत-चीन तनाव को देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से चीन की कंपनी पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है।
  • यहां पर यह भी समझना आवश्यक है कि भारत के 3जी और 4जी नेटवर्क में चीनी कंपनियों की पहले से ही लगभग 30% उपकरण लगे हुए है इसलिए हमें वर्तमान जनरेशन के साथ-साथ भविष्य के जनरेशन को आगे बढ़ाने के लिए एक व्यापक कदम उठाना होगा।
  • रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड के 43वें एनुअल जनरल मीटिंग के दौरान कहा कि भारत अब 5जी मुहाने पर खड़ा है और जल्द ही स्वदेशी तकनीकी वाला 5जी सामने आयेगा।
  • इसमें यह भी सामने आया कि इस 5जी तकनीकी में 100% उपकरण स्वदेशी है।
  • रिलाइंस ने न सिर्फ इसे भारत में फैलाने की बात कहा है बल्कि वह इसका निर्यात भी करेगा।

KZ-11 क्या है।

  • कुइझोउ-11 (Kuaizhou-11) एक चीनी राकेट है जो हाल ही में प्रक्षेपण के दौरान तकनीकी खराबी से अपने मिशन में विफल हो गया। इस कारण रॉकेट के साथ भेजे जा रहे उपग्रह भी नष्ट हो गये।
  • यह एक कम लागत वाला ठोस ईंधन के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाने वाला रॉकेट है।
  • इसे KZ-11 के नाम से भी जाना जाता है।
  • इसे पृथ्वी की निचली एवं सूर्य तुल्यकालिक कक्षा के उपग्रहों को लाँच करने के लिए डिजाइन किया गया था जो लगभग 70 टन भार वहन की क्षमता रखता है।
  • कुइझोउ को मूल रूप से 2018 की पहली छमाही में लाँच करने की योजना बनाई गई थी।
  • इस साल के प्रारंभ में इंजन परीक्षण के दौरान एक विस्फोट होने सक यह विलंब हो गया।
  • KZ-11 वर्ष 2020 में चीन द्वारा लाँच किया गया 19वां रॉकेट था, जबकि असफल होने वाला तीसरा रॉकेट था।
  • इससे पहले लाँग मार्च 3बी एवं लाँग मार्च 7ए फेल हो चुके है।
  • KZ-11 साथ भेजे जाने वाले दो उपग्रह-जिलिन-1 एवं सेंटीस्पेस-1 एस 2 थे।
  • जिलिन-1 को वीडियो शेयरिंग एक वेबसाइट के लिए तैयार किया गया था तो दूसरे उपग्रह को नेविगेशन के लिए डिजाइन किया गया था।
  • कोविड-19 महामारी के दौरान चीन द्वारा सतत रूप से रॉकेट प्रक्षेपित करना चीन की वाणिज्यिक अंतरिक्ष उद्योग में उसकी रूची को प्रदर्शित करता है।
  • वर्ष 2014 में चीन ने स्पेस क्षेत्र में निजी कंपनियों के लिए नियमों को शिथिल किया जिसके बाद से बड़े पैमाने पर स्पेस क्षेत्र का दोहन करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • आईस्पेस (ispace), लैंडस्पेस (Landspace) और एक्सपेस (Exspace) जैसी चीनी कंपनियां तेजी से इस क्षेत्र में कार्य कर रही है।
  • चीन का वाणिज्यिक अंतरिक्ष उद्योग अभी भारत से पीछे है लेकिन चीन जिस गति से प्रक्षेपण कर रहा है। उससे आने वाले समय में भारत को टक्कर मिल सकती है।
  • चीन ही नहीं इस समय पूरे विश्व में स्पेस क्षेत्र के दोहन का प्रयास बहुत तेजी से किया जा रहा है जिसमें अमेरिका सबसे आगे है।
  • वर्ष 2020 से 2030 तक का समय को लघु उपग्रह क्रांति (Small Satellite Revolution) के रूप में व्याख्यायित किया जा रहा है। इस दौरान 17000 छोटे उपग्रहों को लांच किये जाने की उम्मीद है।