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Blog / 16 Aug 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 16 August 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 16 August 2020



ताइवान-अमेरिका F16 समझौता

  • चीन से पूर्व की ओर एक द्विपीय क्षेत्र है जो राष्ट्र है और नहीं भी।
  • इसकी अपनी सरकार, अपना राष्ट्रपति, अपनी मुद्रा और सेना है फिर भी संपूर्ण राज्य/राष्ट्र का दर्जा इसे प्राप्त नहीं है। यह द्विपीय क्षेत्र ताइवान है, जिसका अधिकारिक नाम ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ है।
  • आज हम जिसे चीन के नाम से पुकारते हैं वह 'पीपुल्स रिपाब्लिक ऑफ चाइना’ है जबकि ताइवान केवल ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’।
  • ताइवान की राजधानी ताइपेई है और यहां की जनसंख्या लगभग ढ़ाई करोड़ हैं
  • यह चीन की समुद्री सीमा से मात्र सौ मील दूर है और अपने आप को स्वतंत्र देश के रूप में मानता है वहीं चीन कहता है कि ताइवान उसका एक प्रांत है जो उससे अलग हो गया है और भविष्य में उसका भाग बन जायेगा। इसके लिए चीन को यदि बल प्रयोग करना पड़ेगा तो भी वह करेगा।
  • ताइवान की पृष्ठभूमिः-
  • वर्ष 1642 से 1661 तक ताइवान नीदरलैंड्स की कालोनी थी। इसके बाद चीन का चिंग राजवंश वर्ष 1683 से 1895 तक ताइवान पर शासन करता रहा।
  • वर्ष 1895 में जापान के हांथों चीन की हार के बाद ताइवान, जापान के हिस्से में आ गया।
  • दूसरे विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने तय किया गया कि ताइवान को उसके सहयोगी और चीन के बड़े राजनेता और मिलिट्री कमांडर चैंग काई शेक को सौंप देनी चाहिए। इस समय चैंग की पार्टी का चीन के बड़े हिस्से पर नियंत्रण था।
  • इस समय चीन में गृहयुद्ध चल रहा था। इसमें दो नेता माओत्से तुंग एवं चैंग काई शेक और उनके समर्थक आमने सामने थे।
  • 1949 में माओत्से तुंग चैंग काई शेक से जीत गए और 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' की स्थापना की वहीं चैंग काई शेक को भागकर ताइवान जाना पड़ा।
  • माओ के डर से ताइवान अमेरिका के संरक्षण में चला गया। 1950 में अमेरिकी राष्ट्रपति ने जल सेना का जंगी जहाज का सातवां बेडा ताइवान की सुरक्षा में भेज दिया।
  • 1954 में अमेरिकी राष्ट्रपति आइजन हावर ने ताइवान के साथ रक्षा संधि पर हस्ताक्षर कर दिया।
  • 1959 में जब ताइवान में नई सरकार बनी तो उसने कहा कि बेशक चीन के मुख्य हिस्से में हम हार गये हैं फिर भी हम अधिकारिक रूप से चीन का नेतृत्व करते हैं।
  • यहां यह समझना होगा कि अभी तक ताइवान ही संयुक्त राष्ट्र एवं सुरक्षा परिषद का हिस्सा था।
  • इस बीच अमेरिका को अपने उत्पादों के लिए एक बाजार की आवश्यकता भी और चीन भी अमेरिका से अपने रिश्ते बनाने का प्रयास कर रहा था और वह इसमें सफल भी हुआ।
  • अमेरिका से बदलते रिश्ते के संदर्भ में चीन (मुख्य भूमि) ने अपनी पहचान की बात उठानी प्रारंभ की।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने चीन को पहचान दी और कहा कि ताइवान को सुरक्षा परिषद से हटना होगा।
  • वर्ष 1971 से चीन यूएन सिक्योरिटी काउंसिल का हिस्सा हो गया और 1979 ताइवान की यूएन में अधिकारिक मान्यता समाप्त हो गई और ताइवान का संकट बढ़ गया।
  • वर्तमान समय में लगभग 15-16 देश ही ताइवान को एक देश के रूप में मान्यता देता है और बढ़ते चीनी प्रभुत्व के कारण इन देशों की संख्या कम हो रही है।
  • मई 2020 में ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरूआत के मौके पर कहा कि- ‘‘लोकतांत्रिक ताइवान चीन के नियम कायदे कभी कबूल नहीं करेगा और चीन को इस हकीकत के साथ शांति से जीने का तरीका खोजना होगा।’’
  • उन्होंने आगे कहा कि ताइवान अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भागीदारी के लिए संघर्ष जारी रखेगा और अमेरिका, जापान, यूरोप और दूसरे समान विचार वाले देशों के साथ अपने संबंध मजबूत बनायेगा।
  • अमेरिका ने भले ही वर्ष 1979 में चीन को मान्यता दी हो फिर भी अमेरिका शुरू से ही ताइवान का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर रहा है।
  • इस समय अमेरिका और चीन उइगर समुदाय, हांगकांग, ट्रेड वॉर और कोरोना को लेकर आमने-सामने हैं।
  • इस साल अमेरिका ने ताइवान के साथ अपने रिश्ते बढ़ा दिया है। और ताइवान के माध्यम से चीन को काउंटर करने का प्रयास कर रहा है।
  • इसी साल 41 साल बाद कोई अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ताइवान पहुँचा । इस पर चीन ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे अपने साथ विश्वासघात बताया और अमेरिका को आग से न खेलने की सलाह दे दी।
  • जून 2019 में अमेरिकी सुरक्षा/रक्षा एजेंसी ने ताइवान के साथ हथियारों को लेकर 2.2 अरब डॉलर का एक समझौता किया। इसके तहत अमेरिका ताइवान को युद्धक टैंक, टैंक रोधी मिसाइलें और कंधे पर रखकर दागी जाने वाली मिसाइलें देने की बात की गई थी।
  • इसके बाद चीन ने इस पर बड़ी प्रतिक्रिया दिखाते हुए इसे अपने आंतरिक मामले में हस्तक्षेप बताया तथा अमेरिका को यह सौदा वापस लेने की बात कही।
  • हाल के समय में दक्षिणी चीन सागर में चीन का हस्तक्षेप बढ़ा है और कई बार ताइवान और चीन आमने सामने आ चुके हैं।
  • इसलिए ताइवान ने अपने सेना के आधुनिकीकरण की गति को बढ़ा दिया।
  • इसी के तहत ताइवान ने अपनी मिसाइलों को उन्नयन को प्रारंभ कर दिया है। इस कार्य में अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ताइवान को सहयोग करेगी।
  • इस कार्य में लगभग 620 मिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्च आयेगा इसके लिए 620 मिलियन अमेरिकी डॉलर के पैकेज की घोषणा अमेरिका द्वारा की गई।
  • वर्ष 2019 में हुए समझौते के तहत 66 नई पीढ़ी के F-16 फाइटर जेट खरीदने की बात की गई थी। इसे अब अंतिम रूप दिया गया है।
  • नए सौदे के तहत अमेरिका ताइवान 90 F-16 जेट विमान बेचेगा।
  • ताइवान के पास पहले से 150 पुराने F-16 लड़ाकू विमान हैं।
  • इस सौदे से न सिर्फ ताइवान की क्षमता बढ़ेगी बल्कि वह चीन का मुकाबला कर पायेगा।
  • चीन ने इस प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका को परिणाम भुगतने की धमकी दी है।