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Blog / 15 Jan 2021

(Video) डेली करेंट अफेयर्स (Daily Current Affairs) : भारत और फ्रांस के रिश्ते इतने मजबूत क्यों हो रहे हैं? (Why are the relations between India and France becoming so strong?) - 15 January 2021

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 15 January 2021



भारत और फ्रांस के रिश्ते इतने मजबूत क्यों हो रहे हैं?

  • भारत और फ्रांस के संबंध ऐतिहासिक रूप से बहुत मजबूत रहे हैं। भारत की आजादी के बाद से ही फ्रांस भारत के लिए यूरोपीय देशों में सबसे महत्वपूर्ण रहा है।
  • 1950 से 1980 तक भारत के संबंध अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों की तरह सकारात्मक बने रहे। लेकिन 1980 के दशक से यह संबंध तेजी से मजबूत होते गये और इस दौरान देशों के मध्य अनेक समझौते हुए।
  • 1998 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति जैकेस चिराक के भारतीय दौरे में दोनों देशों के बीच सामरिक समझौता संधि के हस्ताक्षर के रूप में रंग लायी।
  • जनवरी 2008 में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। इसके बाद सितंबर 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने फ्रांस का दौरा किया जिसमें दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर हुए।
  • वर्ष 2015 में वर्तमान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस का दौरा किया और वर्षों से लंबित राफेल समझौते को अंतिम रूप दिया गया।
  • इस समय भारत में 1000 से अधिक फ्रांसीसी कंपनियां कार्यरत हैं वहीं 125-130 भारतीय कंपनियां फ्रांस में अपनी सेवा दे रही हैं।
  • दोनों देशों की सेनायें परस्पर एक दूसरे का सहयोग करती है। दोनों देशों की सेनाओं के मध्य शक्ति (सैनिक अभ्यास), वरूण (नौसेनिक अभ्यास) एवं गरूण (वायु सेना का अभ्यास) संयुक्त सैन्य अभ्यास का आयोजन किया जाता है।
  • दोनों देश अपने संबंधों की मजबूती को लेकर प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसकी हर साल बैठक होती है।
  • भारत-फ्रांस के बीच 1982 में 36 मिराज-2000 लड़ाकू जहाज का सौदा हुआ था, जिसका प्रयोग कारगिल युद्ध के दौरान किया गया था।
  • वर्ष 2005 में फ्रांस के साथ 6 स्कॉर्पीन पनडुब्बी का 3 बिलियन डॉलर में सौदा किया गया था, जिसका निर्माण तकनीक के हस्तांतरण से भारत के मजगांव डॉकयार्ड में हो रहा है।
  • दोनों देश आतंकवाद के खत्मे को लेकर अपनी प्रतिबद्ध दिखा चुके है। दोनों ‘‘नो मनी फॉर टेरर’’ के प्रमुख दृष्टिकर्ता हैं।
  • दोनों देशों की जांच एजेंसियों ने तकनीकी सहयोग और ऑनलाइन माध्यम से फैसले कट्टरता पर लगाम लगाने का प्रयास कर रहे है, जिसके लिए वर्ष 2018 में एक समझौता भी हो चुका है।
  • भारत और फ्रांस दोनों ने क्राइस्टचर्च कॉल टू एक्शन के कार्यान्वयन की पुष्टि की है। इस समझौते का उद्देश्य सोशल मीडिया पर चरमपंथी और हिंसक सामग्रियों को हटाना है।
  • दोनों सीमा पार से आतंकवाद की निंदा करते हैं तथा सभी प्रकार के आतंकवाद को खत्म करने और उनके वित्त पोषण पर प्रतिबंध की वकालत करते हैं।
  • भारत में फ्रांस के सहयोग से जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
  • फ्रांस ने भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के चिकित्सा प्रशिक्षण सहायता हेतु सहमति व्यक्त की है जो वर्ष 2022 में भारत के मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन का हिस्सा होगा।
  • फ्रांस ने अनुच्छेद 370 पर भारत का वैश्विक समर्थन किया है।
  • दोनों देशों ने हिंद महासागर में सुरक्षा और शांति को सुनिश्ति करने के लिए कई प्रकार के समझौते किये हैं। इस संदर्भ में वर्ष 2018 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था- ‘‘आज वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए यदि कोई दो देश कंधे से कंधा मिलाकर चल सकते हैं तो वह हैं भारत और फ्रांस’’।
  • अभी कुछ दिन पूर्व इमैनुएल मैक्रों के कूटनीतिक सलाहकार इमैनुएल बोन 34वें इंडो-फ्रेंच रणनीतिक भागीदारी सत्र के बैठक में भाग लेने भारत आये थे। इस दौरान इमैनुअल बोन ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री के साथ बैठक की।
  • हाल के वर्षों में भारत और फ्रांस के जो संबंध, मजबूत हुए हैं, उसमें इमैनुअल बोन का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। इमैनुअल बोन और इमैनुअल मैक्रॉन ने हाल के वर्षों में भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता सार्वजनिक रूप से जाहिर किया है। वर्ष 2018 में यहां के राष्ट्रपति ने यह घोषणा किया था कि वह चाहते है कि भारत हमारा सबसे बड़ा रणनीतिक साझेदार बने। जब भारत पश्चिम की तरफ देखे तो उसे उसका सबसे बड़ा रणनीतिक भागीदार फ्रांस नजर आये।
  • इमैनुअल बोन ने भारत के साथ अपनी मजबूती को प्रकट करते हुए कहा कि फ्रांस हमेशा भारत की चिंताओं को लेकर सजग रहा है इसीलिए फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन को कभी कोई प्रक्रियागत खेल खेलने की अनुमति नहीं दी अर्थात सुरक्षा परिषद में चीन द्वारा भारत के खिलाफ लाये गये मुद्दे पर वीटो पावर का प्रयोग किया।
  • जम्मू-कश्मीर पर फ्रांस ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि फ्रांस पहले भी संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे पर वह चीन को काउंटर करना आया है और भारत का पक्ष लेता रहा है और भविष्य में भी ऐसा ही करेगा।
  • आगे इन्होंने कहा कि चीन जब नियम तोड़ता है तो हमें बेहद मजबूत और बेहद स्पष्ट होना होगा। हिंद महासागर में हमारी नौसेना की मौजूदगी इसी भावना के आधार पर है।
  • इमैनुअल बोन ने पाकिस्तान के संदर्भ में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कहा कि इस समय फ्रांस-पाकिस्तान संबंध सबसे खराब दौर में हैं और फ्रांस कभी भी पाकिस्तान के साथ संबंध भारत की चिंताओं को खारिज करते हुए संबंध नहीं बनायेगा। यह कथन भारत को आश्वस्त कर सकता है कि फ्रांस पाकिस्तान को वह हथियार नहीं बेचेगा जो भारत को दिये गये हैं। भारत-रूस संबंधों में एक ही हथियार देने का मुद्दा कई बार उठ चुका है।
  • भारत-फ्रांस मिलकर भविष्य में इंडो-पैसिफिक सहयोग को और मजबूत करेंगे, यह घोषणा फ्रांस के द्वारा की गई। समीक्षकों का मानना है यदि नये अमेरिकी राष्ट्रपति क्वाड की भूमिका को कम करते हैं या कम महत्व देते हैं तो फ्रांस की इस क्षेत्र में भारत के साथ मजबूती बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
  • फ्रांस के साथ भारतीय सेना की मजबूती पहले से है। दोनों के बीच यह समझौता है कि आवश्यकता पड़ने पर एक दूसरे के मिलिट्री बेस का उपयोग कर सकते हैं।
  • आने वाले समय में दोनों देशों ने इंटेलीजेंस शेयरिंग को बढ़ाने और संयुक्त ऑपरेशन के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है। हिंद महासागर में दोनों देशों की आसूचना और नेवी का सहयोग भविष्य के हिंद-महासगार की शांति के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।
  • इस समय दोनों देशों के बीच आर्थिक व्यापार 13 बिलियन डॉलर (2019) का है, जिसे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोनों देशों ने व्यक्त की है। दोनों देशों के बीच कई ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें दोनों देश अपने व्यापार को बढ़ा सकते हैं।
  • ब्रेक्जिट के कारण भारत यूरोपीय यूनियन के साथ FTA समझौता करना चाहता है, इसमें भी फ्रांस महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • भारत के साथ फ्रांस ने अपने संबंधों को मजबूती प्रदान करने के लिए फ्रांस ने भारत के सामने एक बड़ा ऑफर रखा है जिसमें उसने कहा है कि फ्रांस रफॉल की 70 प्रतिशत असेंबली लाइन भारत में खड़ा कर सकता है। इसी तरह 100 प्रतिशत असेंबली लाइन भारत में विकसित करने का प्रस्ताव पेंथर चॉपर हेलिकॉप्टर के संदर्भ में भी रखा है। इसका आशय है कि इनका अधिकांश उत्पादन भारत में किया जा सकता है।
  • इस प्रस्ताव से फ्रांस का जहां डिफेंस निर्यात भारत के साथ-साथ दक्षिण पूर्व एशिया में बढ़ेगा वहीं लागत कम आने पर फ्रांस का डिफेंस सेक्टर वैश्विक हथियार व्यापार में महत्वपूर्ण भूमि का निभा सकता है।
  • फ्रांस के इस प्रस्ताव के बाद संभावना व्यक्त की जा रही है कि भारत 36 राफेल की डील को आगे बढ़ा सकता है।
  • भारत सरकार नौ सेना के लिए हैलिकॉप्टर खरीदना चाहता है और उसके लिए वह आवेदन देने पर विचार कर रही है ऐसे में फ्रांस ने पैंथर चॉपर्स का पूर्ण उत्पादन भारत में ही करने का प्रस्ताव देकर भारत से एक बड़ा टेंडर प्राप्त करने का प्रयास तेज कर दिया है। यह हैलिकॉप्टर एयरबस द्वारा बनाया जाता है, जिसका नाम AS565 MBe है। यह एक मल्टीरोल हैलिकॉप्टर है जो नौ सेना के जहाज, समुद्रतट और जमीन से भी उड़ान भर सकता है।
  • भारत द्वारा इसका प्रयोग Anti submarine warfare, बचाव कार्य और हवाई लड़ाई में कर सकता है। इसमें कई प्रकार के परिवर्तन भी देश की आवश्यकता के अनुसार किया जा सकता है।
  • फ्रांस के अलावा कई देश जैसे-इजराइल, मेक्सिको, दक्षिणी कोरिया, सऊदी अरब, ब्राजील, इण्डोनेशिया आदि देशों द्वारा किया जाता है।
  • भारत पांचवीं पीढ़ी के अत्याधुनिक फाइटर जेट का उत्पादन भारत में ही करने के लिए प्रयासरत है। इसीलिए भारत ने विदेशी कंपनियों के लिए FDI के साथ-साथ कई प्रकार की सहूलियते दी हैं, जिसके कारण फ्रांस ने रफाल का उत्पादन भारत में करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इससे भारत को तकनीकी मिलेगी और खुद का रक्षा उद्योग भी मजबूत होगा।
  • मीडिया रिपोटर्स के अनुसार भारत 6 एयरबस 330 मल्टि रोल ट्रांसपोर्ट टैंकर फ्रांस से लीज पर लेने का विचार कर रहा हैं यह एयरबस उड़ान के वक्त हवा में ईंधन भरने का काम करता है। एयर रीफ्रयूलर की वजह से भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता बढ़ सकती है।

9PM Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 15 January 2021



विशेष विवाह अधिनियम चर्चा में क्यों है?

  • भारतीय समाज में ‘विवाह’ को एक पवित्र एवं धार्मिक संस्था के रूप में देखा जाता है।
  • हमारे समाज में विवाह की ही तरह जाति और धर्म का भी प्रमुख स्थान है और विवाह के लिए इन्हें सबसे बड़े मापदंड के तौर पर स्वीकार किया जाता है अर्थात विवाह के पवित्र बंधन को धर्म और जाति के साथ जोड़कर ही देखा जाता है।
  • हमारे समाज में आज भी अंतर-जातीय विवाह को सामाजिक अपराध माना जाता है और आये दिन हम ऑनर कीलिंग की घटनाओं के विषय में सुनते रहते हैं।
  • आजादी के बाद हमारे समाज के एक प्रगतिशील वर्ग ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया कि विवाह को धर्म और जाति के बंधनों से अलग किया जाना चाहिए और प्रेम आधारित विवाहों को मान्यता प्रदान किया जाना चाहिए।
  • संसद ने वर्ष 1954 में विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act), 1954 पारित किया और विवाह को धर्म और जाति के खांचे से बाहर निकाला।
  • यह अधिनियम अंतरधार्मिक और अंतर्जातीय विवाह को मान्यता प्रदान करता है। इस अधिनियम के तहत विवाह के लिए किसी धार्मिक औपचारिकता के निर्वहन की आवश्यकता नहीं है।
  • यह अधिनियम पंजीकरण के माध्यम से विवाह को मान्यता देता है और इसके लिए दोनों पक्षों को अपना धर्म छोड़ने या परिवर्तित करने की आवश्यकता नहीं है। अधिनियम यह मानता है कि दोनों पक्ष यदि विवाह के लिए तैयार हैं तो जाति, धर्म, नस्ल आदि रूकावट उत्पन्न नहीं कर सकते हैं।
  • यह अधिनियम पूरे भारत में लागू होता है और इसके अंतर्गत हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन और बौद्ध सभी धर्म आते हैं।
  • अधिनियम के तहत विवाहित जोड़े तलाक के लिए शादी की तारीख से 1 वर्ष की अवधि पूरी होने से पहले याचिका नहीं दे सकते हैं।
  • विशेष विवाह अधिनियम की धारा 4 में निम्नलिखित शर्ते शामिल है।
  1. दोनों पक्षों में से किसी का भी कोई जीवन साथी नहीं होना चाहिए।
  2. दोनों वयस्क हों जिससे वह अपने विषय में निर्णय ले सकें।
  3. पुरुष की आयु कम से कम 21 और महिला की आयु कम से कम 18 होनी चाहिए।
  4. दोनों पक्ष उन कानूनों के तहत, जो उनके धर्म विशेष पर लागू होता है। निर्धारित निषिद्ध संबंधों जैसे अवैध या वैध संबंध संबंधित व्यक्ति नहीं होना चाहिए।
  • विवाह करने वाले जोड़े में से कोई भी चित-विकृति के कारण सहमति देने में असमर्थ नहीं होना चाहिए।
  • यदि यह सभी शर्तो पूरी होती हों तो दोनों पक्ष जिस क्षेत्र में पिछले तीस दिनों से निवास कर रहे हैं उस क्षेत्र के एसडीएम (विवाह अधिकारी) को एक अर्जी देनी होती है जो एक पब्लिक नोटिस के रूप में होता है।
  • इसमें जोड़े को अपने विषय में पूरी जानकारी जैसे- धर्म, जाति, नाम की जानकारी देनी होती है। यह जानकारी एक फार्म में दी जाती है।
  • दी गई जानकारी वाला फार्म एसडीएम के दफ्रतर के बाहर 30 दिन तक लगाया जाता है ताकि किसी को कोई आपत्ति हो तो उसे सामने लाया जा सके। इसका एक मकसद या भी होता है कि कोई व्यक्ति झूठ या फरेब करके जल्दी में शादी न कर सके।
  • अर्जी देने के 30 दिन के बाद विवाह के पंजीकरण पर हस्ताक्षर करने के लिए 3 गवाहों की उपस्थिति में विवाह की अनुमति दी जाती है।

स्पेशल मैरिज एक्ट में समस्या?

  • जब एक ही धर्म के लोग शादी करते हैं तो उनकी शादी एक ही दिन में हो जाती है, लेकिन अगर अलग-अलग धर्म के लोग शादी करते हैं तो उसमें तीस दिन का समय लगता है।
  • ऐसे में, इस प्रावधान को शादी के इच्छुक जोड़ों की निजता के अधिकार का उल्लंघन और भेदभावपूर्ण माना जा रहा है।
  • साथ ही, जो जोड़ा शादी कर रहा होता है वो भावनात्मक, कई बार आर्थिक और परिवार की तरफ से संघर्ष कर रहा होता है।
  • ऐसे में, वे परिवार ही नहीं, अराजक तत्वों के निशाने पर भी आ जाते हैं। जहाँ उन पर अपने ही धर्म में शादी का दबाव डाला जाता है।
  • इसके अलावा, ये भी देऽा गया है कि लड़की चाहे किसी भी समुदाय की हो परेशानी सबसे ज्यादा उसे ही उठानी पड़ती है।

अभी चर्चा में क्यों है?

  • कुछ दिन पहले एक मुस्लिम लड़की ने हिंदू लड़के से मंदिर (धार्मिक स्थान) में शादी की थी। लड़ती के परिवार वाले और लड़के के परिवाहर वाले दोनों इस शादी से नाराज थे, हालांकि लड़के के परिवार वाले बाद में तैयार हो गये थे।
  • लड़के के परिवार की तरफ से कोर्ट (इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ) में याचिका दायर कर के लड़की के परिवार वालों के खिलाफ शिकायत की गई थी।
  • कोर्ट ने लड़की और पिता को बुलाकर अपनी बात रखने के लिए कहा। लड़की से कोर्ट ने यह भी पूछा कि उन्होंने यह शादी विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत क्यों नहीं किया और मंदिर में क्यों किया।
  • लकड़ी की तरफ से यह जवाब दिया गया कि एक्ट के तहत प्रावधान है कि एक माह की नोटिस दी जाती है और एक माह तक जोड़े की फोटो सार्वजनिक रखी जाती है, जिससे उसे खतरा हो सकता था क्योंकि इससे पहचान उजागर हो जाती है।
  • कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि- विवाह संबंधित नोटिस के अनिवार्य प्रकाशन से दोनों पक्षों की स्वतंत्रता और गोपानीय संबंधी मौलिक अधिकार का हनन होता है, इसलिए अब भावी पक्षों के लिए SMA, 1954 की धारा 5 और 6 के तहत विवाह से 30 दिन पूर्व नोटिस जारी करना वैकल्पिक होगा, न कि अनिवार्य।
  • कोर्ट ने कहा कि यह एक्ट इसीलिए है ताकि विवाह में शामिल दोनों पक्ष राज्य या गैर राज्य अभिकर्ताओं के हस्तक्षेप के बिना अपना जीवनसाथी चुन सकें जबकि उपरोक्त प्रावधानों से इसमें अड़चन आती हैं।
  • न्यायालय ने यह भी कोट किया- धर्मनिरपेक्ष कानून के बावजूद देश में अधिकांश धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार होते हैं। न्यायलय ने आगे कहा- जब धर्म संबंधी व्यक्तिगत कानूनों के तहत विवाह से नोटिस जारी करने अथवा आपप्ति दर्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है तो धर्मनिरपेक्षता के पूरक कानून-विशेष विवाह के संदर्भ में क्यों होना चाहिए।
  • कोर्ट द्वारा अधिकारी को निर्देश दिया गया है कि यदि दोनों पक्षलिखित रूप में नोटिस के प्रकाशन हेतु अनुरोध नहीं करते हैं तो वह अधिकारी इस तरह के नोटिस को प्रकाशित नहीं करेगा अथवा विवाह को लेकर आपत्तियाँ दर्ज नहीं करेगा। यदि विवाह अधिकारी को कोई संदेह हो तो वह तथ्यों के अनुसार उपयुक्त विवरण/प्रमाणपत्र मांग कर सकता है।

एक्ट के प्रावधान और मौलिक अधिकार-

  • संविधान का मूल अधिकार खंड व्यक्ति को कई प्रकार की स्वतंत्रता और अधिकार प्रदान करता है। इन अधिकारों का मुख्य ध्येय यह है कि व्यक्ति अपना जीवन अपने हिसाब से व्यक्ति कर सके, जब तक कि वह कुछ ऐसा नहीं करता है जो असंवैधानिक/गैरकानूनी हो।
  • व्यक्ति की जीवन अपने मूल्यों के अनुसार व्यक्ति करने के अधिकार में यह निहित है कि उसे अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण फैसले में से एक ‘विवाह का निर्णय’ लेने का भी अधिकार हैं इसी मूल्य को मान्यता प्रदानकरते हुए हादिया विवाह मामले (वर्ष 2018) में सर्वोच्च न्यायालय ने साथी चुनने के अधिकार को एक मौलिक अधिकार माना था। इस तरह यदि कोई प्रावधान इससे असंगत है तो वह मूल अधिकार का उल्लंघन करता है।
  • इसमें एक बहुत प्रमुख मुद्दा निजता का भी था। सुप्रीम कोर्ट वर्ष 2017 में आधार मामले में यह स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति अपने विषय किसी सार्वजनिक हर कार्य के लिए सार्वजनिक नहीं करना चाहता है तो उसको मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। अनुच्छेद-21 के तहत निजता का अधिकार एक मूल्य अधिकार है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 में नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ बाद में समलैंगिकता को IPC की धारा 377 से अलग करते हुए, इसे अपराध की श्रेणी से अलग कर दिया था।
  • कुछ समय पूर्व दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी जिसमें यह कहा गया था कि 1954 के मुकाबले अब संचार की तकनीकी जैसे फोन, मोबाइल, मेल या किसी भी सूचना को पहुँचाने की तकनीकी बदल चुकी है ऐसे में 30 दिन का नोटिस पीरियड उचित नहीं है। आने वाले समय में 30 दिन की अवधि भी कम की जा सकती है।

निर्णय का प्रभाव-

  • अंतर-धार्मिक एवं अंतर्जातीय विवाह में आने वाली बाधाये कम होंगी, जिससे धर्मनिरपेक्षता और समानता को मजबूती मिलेगी।
  • असामाजिक तत्त्व और तथाकथित समाज के ठेकेदारों पर प्रतिबंध लगेगा।
  • विशेष विवाह की कठिनाईयों से धर्म परिवर्तन की घटनायें होती थी, उसमें रूकावट आयेगी।
  • महिलाओं पर होने वाली परिवारिक हिंसा में कमी आयेगी।

LCA MKA1 चर्चा में क्यों?

  • तेजस भारत द्वारा विकसित हल्का लेकिन अनेक विशिष्टताओं से युक्त लडाकू जेट विमान है। इसका पूरा नाम LCA (Light Combat Aircraft) तेजस है।
  • तेजस का दांचा कार्बन फाइबर से बना है जिसकी वजह से यह अन्य धातुओं से बनने विमानों की तुलना में काफी हल्का होता है।
  • भारत में इसका विकास 1980 के दशक हल्का युद्धक विमान (LCA) नामक कार्यक्रम कें अंतर्गत प्रारंभ किया जाना था लेकिन इस परियोजना को 1993 में मंजूरी मिली थी। जिसका अधिकारिक नाम तेजस मई 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था।
  • इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स मिलिटेड (HAL) ने विकसित किया है।
  • यह न सिर्फ त्वरित और प्रभावी हमलों करने में सक्षम है बल्कि निशाना भी इसका अचूक है। इन्हें भारतीय वायुसेना के एक स्क्वाड्रन में फ्रलाइंग बुलेट नाम दिया गया है।
  • इसकी गति 2000 किमी/घंटा से ज्यादा है। तेजस एक बार में लगभग 3850 किमी- की दूरी तय करने में सक्षम है।
  • तेजस 13-2 मीटर लंबा और 4.4 मीटर ऊँचा है तथा सभी हथियारों को लोड़ कर देने कर देने पर इसका वजन 1350 किग्रा हो जाता है।
  • यह हवा से हवा में तथा हवा से जमीन पर मिसाइल दागने में सक्षम है। इसमें एंटीशिप मिसाइल, बम, रॉकेट भी लगाये जा सकते हैं। इसमें गाइडेड लेजर बम लगाने की तकनीकी भी विकसित की जा सकती है।
  • इसे आधुनिक रडार और मिसाइल जैमर से भी लैस किया जा सकता है।
  • वर्ष 2018 में तेजस में हवा में उड़ान के दौरान ईंधन भरा जा चुका है, जिससे इस विमान का महत्व और बढ़ गया था।
  • इस विमान को उड़ान भरने हेतु आधे किमी से भी कम जगह की आवश्यकता पड़ती है। यह सतह के करीब भी उड़ान भर सकता है और 50000 फीट की ऊँचाई पर थी।
  • LCA के कई वेरियंट है। इस समय LCA MKA1 चर्चा में बना हुआ है। यह एक सुपर सोनिक फाइटर जेट हैं यह सभी ऊँचाईयों पर अपना बेहतर परिणाम देने में सक्षम है।
  • यह 3500 किग्रा तक का पेलोड ले जा सकता है। यह आक्रमणकारी या ऑफेंसिव एयर सपोर्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • इसमें BVR मिसाइल (बिंयाड बिजुअल मिसाइल) लगाने की क्षमता है जिसमें ASTRA MK1 लगाया जायेगा। यह एयर टू एयर BVR मिसाइल है।
  • इसमें AESA नामक रड़ार लगाया जायेगा। इस रडार के माध्यम से एक साथ कई स्थानों पर एक साथ हमला किया जा सकता है और आसानी से दुश्मन का पता लगा सकता है।
  • इसमें डिजिटल मूविंग 2D एवं 3D मैप होगा। इसके अलावा IRNS सिस्टम, GPS सिस्टम और सभी प्रकार के संचार के सबसे उच्च तकनीकी का प्रयोग किया जायेगा।
  • हाल ही में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समित ने भारतीय वायुसेना के लिए 48000 करोड़ रुपये की लागत के 83 तेजस विभानों के अधिग्रहण की मंजूरी दे दी है।
  • 83 विमानों में से 73 एलसीए तेजस MK-1A लड़ाकू विमान और 10 MK-1 ट्रेनर (तेजस) विमान होंगे।
  • HAL इन विमानों का निर्माण लगभग 70 आपूर्तिकर्ताओं से सामान प्राप्त करके करेगा।
  • इस अधिग्रहण पर समझौता अगले माह होने वाले एयरो इण्डिया शो, के दौरान किया जायेगा।
  • HAL द्वारा इन विमानों की आपूर्ति वर्ष 2026 तक की जायेगी। प्रारंभिक डिलीवरी अगले 3 साल में प्रारंभ हो जायेगा। इसका 2024 तक पहला स्क्वाड्रन तैनात कर दिया जायेगा।
  • इन विमानों के रख-रखाव और मरम्मत के लिए आधारभूत संरचना विकसित की जायेगी।
  • LCA-MK-2 के 6 स्क्वाड्रन और भारतीय वायुसेना में शामिल किये जा सकते हैं।
  • HAL अपनी निर्माण क्षमता को 16 विमान प्रतिवर्ष तक कर रहा है, जिससे आपूर्ति समय पर हो सके।