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Blog / 14 Jan 2021

(Video) डेली करेंट अफेयर्स (Daily Current Affairs) : ट्रंप पर चल रहे महाभियोग की प्रक्रिया को समझें (Understand the Process of Impeachment on the Trump) - 14 January 2021

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 14 January 2021



ट्रंप पर चल रहे महाभियोग की प्रक्रिया को समझें

  • महाभियोग यानी इम्पीचमेंट का लैटिन भाषा में अर्थ होता है ‘पकड़े जाना’। इसका आशय उस प्रक्रिया से है जिसके तहत सत्ता या किसी प्रमुख व्यक्ति को उसके पद से इस आधार पर हटाने का प्रयास किया जाता है, या हटाया जाता है कि उसने कोई ऐसा कृत्य किया है जो उसे नहीं करना चाहिए था। या वह कृत्य पद के अनुकूल नहीं था।
  • वर्तमान समय में अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में शक्ति के प्रथक्करण का सिद्धांत अपनाया गया है, जिसके कारण किसी देश में कई ऐसे पद हो सकते हैं, जिस पर बैठा व्यक्ति यदि अपने संवैधानिक दायित्वों का सही से निर्वहन न करे तो उस देश का लोकतंत्र खतरे में पड़ सकता है। इसलिए अधिकांश देशों में प्रमुख पदों पर बैठे व्यक्तियों के लिए महाभियोग का प्रावधान किया गया है ताकि वह असंवैधानिक कार्य न करे और यदि वह करता है तो उसे महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सके।
  • भारत में राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट के जजों को महाभियोग की प्रक्रिया से हटाया जा सकता है। इसका उल्लेख हमारे संविधान के अनुच्छेद 61,124(4), (5), 217 और 218 में मिलता है। भारतीय संविधान में महाभियोग के प्रावधान अमेरिकी संविधान से लिये गये हैं।
  • इम्पीचमेंट शब्द की उत्पत्ति भले ही लैटिन क्षेत्र से हुई हो लेकिन इसका वैधानिक प्रयोग ब्रिटेन द्वारा प्रारंभ किया गया। यहां 14वीं सदी के उत्तरार्ध में महाभियोग का प्रावधान किया गया था। जहां इसका प्रयोग कई बार किया जा चुका है। यहां यह प्रावधान है कि यदि कोई प्रमुख पद पर बैठा व्यक्ति कुछ ऐसा करता है जो गैर कानूनी/असंवैधानिक है तो उसे पद से हटाया जा सकता है।
  • भारत के पहले गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स पर 1788 से 1795 तक महाभियोग चलाया गया था, हालांकि यह महाभियोग सिद्ध नहीं हो पाया था। हेस्टिंग्स पर आरोप था कि इन्होंने कलकत्ता में अपने शासनकाल के दौरान कई प्रकार की अनियमितताएं और भ्रष्टाचार किया है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका, विश्व का पहला लिखित संविधान वाला देश है, विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र के रूप में जाना जाता है। यहां के संविधान में भी महाभियोग का प्रावधान किया गया है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान के अनुसार यहां के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा अन्य प्रमुख पदाधिकारी महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा उस स्थिति में हटाये जा सकते हैं जब उन पर राजद्रोह, घूस, भष्टाचार, उच्च अपराध या कदाचार का आरोप सिद्ध हो जाये।
  • उच्च अपराध या कदाचार के अंतर्गत कौन से मामले आयेंगे यह यहां की संसद (कांग्रेस) सुनिश्चित करती है। इसके अंतर्गत अभी तक भ्रष्टाचार, दुर्व्यवहार और न्यायिक कार्यवाही में बाधा डालना शामिल किया जा चुका है।
  • यहाँ भी राष्ट्रपति को हटाने के लिए दोनों सदनों-हाउस ऑफ रिप्रेजेंटिव (HOR) और सीनेट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। HOR में कुल 435 निर्वाचित सदस्य तथा 6 नॉन वोटिंग सदस्य होते हैं। वहीं सीनेट में 50 राज्यों से दो-दो सदस्य आते हैं, अर्थात कुल 100 सदस्य हैं।
  • यहां महाभियोग की प्रक्रिया के संबंध में आर्टिकल 1, सेक्शन 2 के तहत हाउस आफ रिप्रेजेंटेटिव्स को महाभियोग चलाने की शक्ति दी गई है। वहीं आर्टिकल 1 के सेक्शन 3 के तहत सीनेट को इस संदर्भ में शक्ति दी गई है। आर्टिकल 2, सेक्शन 3 में कहा गया है कि दोष साबित होने पर राष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है।
  • अमेरिका में महाभियोग की प्रक्रिया का प्रारंभ हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स से होता है। यह सदन राष्ट्रपति पर आरोप लगाता है, आरोप का ड्राफ्रट तैयार करता है।
  • महाभियोग प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के तीन विकल्प HOR के पास हैं।
  1. HOR आरोप की जांच के लिए किसी पैनल या कमेटी का गठन करे।
  2. HOR बिना कोई कमेटी बनाये महाभियोग के आरोप पर सीधे फ्रलोर वोटिंग (मतदान) करवाये।
  3. कांग्रेस आरोप के जांच का जिम्मा किसी न्यायिक कमेटी को भी सौंप सकती है, जिससे यह तय हो सके कि महाभियोग की प्रक्रिया चलाया जाये या नहीं। कमेटी आरोप तय करके इसकी अनुशंसा दोनों हाउस से कर सकती है।
  • हाउस की यह ज्यूडिशियल कमेटी वह कमेटी है, जिसका गठन प्रशासन के मामलों के देख-रेख के लिए बनायी जाती है। यह कमेटी यदि साधारण बहुमत से आरोपों को पारित कर देती है तो इसे HOR में वोटिंग के लिए रखा जाता है। जब HOR में जब इन आरोपों को प्रस्तुत किया जाता है तो इस आरोप पत्र को आर्टिकल ऑफ इम्पीचमेंट कहा जाता है। इसी आर्टिकल पर चर्चा और मतदान होता है। HOR यदि इसे साधारण बहुमत से पारित कर दे अर्थात यदि 218 सदस्य इसके पक्ष में वोट करते हैं तो इम्पीचमेंट की प्रक्रिया आगे बढ़ायी जाती है, अर्थात सीनेट के पास भेजा जाता है। यदि साधारण बहुमत नहीं मिल पाता है तो यह यही पर रूक जाता है।
  • सीनेट में इस प्रस्ताव पर ट्रायल (विचारण) चलता है। सीनेट के ट्रायल की कोई सेट प्रक्रिया (नियमबद्ध-क्रमबद्ध प्रक्रिया) नहीं है। सीनेट में जब ट्रायल चलता है तो सीनेट की अध्यक्षता अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश करता है। सीनेट के सदस्य ट्रायल के दौरान ज्यूरी मेंबर (न्यायिक सदस्य) की तरह भूमिका अदा करता हैं।
  • ट्रायल के दौरान HOR के कुछ सदस्य मैनेजर के तौर पर HOR के स्पीकर द्वारा चुने जाते हैं। सीनेट की बैठकों/ट्रायल में भाग लेते हैं। यह सदस्य सरकारी वकील की तरह आरोप सिद्ध करने का कार्य करते हैं तथा साक्ष्यों को रखते हैं।
  • राष्ट्रपति को अपना बचाव करने के लिए अपना प्रतिनिधि प्रस्तुत करने का अधिकार होता है।
  • ट्रायल के दौरान यदि आरोप सही नहीं पाये जाते हैं तो यह यही समाप्त हो जाता है। यदि आरोप सही पाये जाते हैं तो इसे मतदान के लिए रखा जाता है।
  • सीनेट उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से यदि इसे पारित कर देता है तो राष्ट्रपति पर महाभियोग सिद्ध हो जाता है।
  • इस स्थिति में राष्ट्रपति को अपना पद छोड़ना होता है।
  • अमेरिका में अभी तक किसी भी राष्ट्रपति को महाभियोग की प्रक्रिया से हटाया नहीं गया है।
  • वर्ष 1968 में राष्ट्रपति एड्रयू जॉनसन, राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन, बिल क्लिंटन तथा डोनाल्ड ट्रंप महाभियोग चल चुका है।

डोनाल्ड ट्रंप पर महाभियोग-

  • डोनाल्ड ट्रंप पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने हैं जिन पर दो बार महाभियोग की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है।
  • दिसंबर 2019 में भी डोनाल्ड ट्रंप पर महाभियोग की प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी लेकिन यह पूरी नहीं हो पाई थी। अर्थात सीनेट से यह पास नहीं हो पाया था।
  • वर्ष 2019 में महाभियोग इस आधार पर प्रारंभ किया गया था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वर्ष 2020 के अपने प्रतिद्वंदी जो बिडेन समेत अन्य नेताओं की छवि खराब करने के लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति ब्लादीमेर जेलेंस्की से गैरकानूनी रूप से सहायता मांगा था। राष्ट्रपति ट्रंप पर सत्ता के दुरुपयोग के साथ-साथ जांच रोकने का भी आरोप था।
  • डोनाल्ड ट्रंप के ऊपर एक बार पुनः महाभियोग की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। इस बार ट्रंप के ऊपर इसलिए महाभियोग लगाया है कि उन्होंने लोगों को भड़काकर कैपिटॉल हिल की हिंसा करवाया। इससे भारी हिंसा हुई थी जिसमें एक पुलीसकर्मी समेत 5 लोगों की मृत्यु हो गई थी। इसके अलावा जार्जिया के सेक्रेटरी को फोन करके चुनाव के परिणाम को अपने पक्ष में करवाने का अरोप हैं इसके अलावा यह कहा गया है कि ट्रंप चुनाव की विश्वसनीयता को बार-बार झूठ बोलकर कम कर रहे हैं।
  • HOR ने महाभियोग के प्रस्ताव के दौरान इसके पक्ष में 232 वोट दिये। विपक्ष में 197 वोट पड़े। 10 रिपब्लिकन सांसदों ने भी महाभियोग के पक्ष में वोट दिया।
  • सीनेट में यदी आरोप सिद्ध हो जाता है तो सीनेट ट्रंप को दोबारा किसी भी पब्लिक ऑफिस के अयोग्य ठहरा सकता है, इससे ट्रंप 2024 में राष्ट्रपति पद के लिए खड़े नहीं हो पायेंगे।