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Blog / 14 Aug 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 14 August 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 14 August 2020



देपसांग मैदान चर्चा में क्यों है?

  • भारत द्वारा दौलत बेग ओल्डी में न सिर्फ भारत का बल्कि विश्व के सबसे ऊँचे हवाई पट्टी का निर्माण किया गया है। यह LAC से मात्र 9 किमी. की दूरी पर है।
  • यह भारत का वह सामरिक क्षेत्र है जहाँ भारत हवाई माध्यम से सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण आवश्यक सामानों की आपूर्ति कर सकता है।
  • भारत ने दौलत बेग ओल्डी को एक सड़क माध्यम से जोड़ रखा है जिसे दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) सड़क मार्ग के नाम से जाना जाता है।
  • यह सड़क 225 किमी. लंबी है तथा LAC के समानांतर 16000 फीट की ऊँचाई पर विकसित की गई है।
  • यह सड़क लेह को काराकोरम दर्रे से जोड़ती है तथा चीन के शिनजियांग प्रांत से लद्दाख को अलग करती है।
  • दौलतबेग ओल्डी से दक्षिण की ओर अनेक महत्वपूर्ण भारतीय पोस्ट क्रमशः डेपसांग पोस्ट, गलवान घाटी क्षेत्र, गोगारा पोस्ट, पांगोंग झील क्षेत्र है।
  • लगभग एक माह पहले सूचना आई थी कि चीन के सैनिक न सिर्फ भारतीय डेपसांग मैदान में प्रवेश कर रहे हैं बलिक यहां पर तेजी से दो सड़कों का निर्माण भी कर रहे हैं। यह सड़कें LAC से भारत की ओर बढ़ाई जा रही हैं। इससे चीनी सेना का भारतीय क्षेत्र में प्रवेश आसान हो जायेगा।
  • कई मीडिया सूत्रें ने इस समय जानकारी दी थी कि चीन यहां युद्ध सामाग्री भी एकत्रित कर रहा है।
  • हाल ही में भारत एवं चीन के मध्य सामरिक रूप से महत्वपूर्ण डेपसांग मुद्दे पर चर्चा करने के लिए मेजर जनरल-स्तरीय वार्ता संपन्न की गई।
  • यह वार्ता दौलतबेग ओल्डी में आयोजित की गई जो दोनों देशों के अलग अलग दावे पर चर्चा के अलावा डेपसांग मैदान में चीनी गश्त को रोकने पर केंद्रित थी।
  • गलवान घाटी में हुई हिसा के बाद यह पहली उच्चस्तरीय वार्ता थी।
  • डेपसांग मैदान के सामरिक महत्व के बावजूद अब तक आयोजित वार्ताओं का क्रम गलवान घाटी, गोगरा पोस्ट, पेंगोंग झील के फिंगर एरिया के गतिरोध पर ही केंद्रित रहा है।
  • वर्तमान समय में डेपसांग क्षेत्र बड़ी संख्या में चीनी सेना की उपस्थिति है जिसे बल्ज (Bulge) कहा जाता है।
  • यहाँ चीनी सेना द्वारा भारतीय सैन्य टुकड़ियों को गश्त करने से रोका जा रहा है।
  • डेप्सांग LAC के उन क्षेत्रें में से एक है जहाँ टैंक युद्धाश्यास संभव है।
  • 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के दौरान, चीनी सैनिकों ने इस मैदान पर कब्जा कर लिया था हालांकि बाद में खाली कर दिया था।
  • वर्ष 2013 में भी इस क्षेत्र में लगभग 20 किमी- अंदर तक चीनी सैनिक प्रवेश कर गये थे जिसके कारण लगभग 3 सप्ताह तक गतिरोध बना रहा था और बाद में चीनी सैनिक पीछे हट गये थे।
  • चीन डेपसांग मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर DBO एवं DSDBO के सामारिक महत्त्व को कम करना चाहता है।
  • पहले यह माना जा रहा था कि ठण्ड के मॉसम में चीन यहां से पीछे हट जायेगा लेकिन अब उसने DBO से लेकर पांगोंग झील तक कई स्थानों पर न सिर्फ स्थायी पोस्ट बना लिये हैं बल्कि सैन्य ताकत को मजबूत कर रहा है। इससे यहां ठण्ड के मौसम भी दोनों देशों के संबंधों में गर्मी बनी रह सकती है।

इस्लामिक स्टेट चर्चा में क्यों हैं?

  • मोजाम्बीक (Mozambique) दक्षिण पूर्व अफ्रीका में स्थित एक देश है। यह उत्तर में तंजानिया, पश्चिम उत्तर में मालावी एवं जांबिया से, पश्चिम में जिम्बाबे से और दक्षिणी में स्वाजीलैण्ड एवं दक्षिण अफ्रीका के साथ सीमा साझा करता है।
  • इस देश के पूर्व में मोजांबीक चैनल एवं मेडागास्कर का विस्तार है।
  • 1498 में पुर्तगाली खोजयात्री वास्को दा गामा द्वारा इसकी खोज की गई थी और 1505 में यह पुर्तगाली उपनिवेश बन गया।
  • यहां की राजधानी मापूतो एवं राजभाषा पुर्तगाली है।
  • 1975 में यह देश आजाद हुआ था।
  • हाल ही में सूचना आयी है कि इस्लामिक स्टेट ने मोजाम्कि के उत्तर भाग में स्थित Mocimboa da praia पर कब्जा कर लिया है।
  • इस बंदगाह के समीप महत्वपूर्ण नेचूरल गैस के क्षेत्र है। जिन पर इस्लामिक स्टेट का नियंत्रक मोजाम्बिक को बहुत नुकसान पहुँचा सकता है।
  • समिपवर्ती क्षेत्रें में कई तेल खनन के प्रोजेक्ट चल रहे है जिन पर इस्लामिक स्टेट यदि कब्जा कर लेता है या फिर उसे नष्ट करता है तो यह देश कई साल पीछे ले जा सकता है।
  • दरअसल यहां पर लगभग एक साल से कई गुटो के द्वारा इस पर नियंत्रण का प्रयास किया जा रहा था। जिसे यहां के सुरक्षा गार्ड द्वारा विफल कर दिया गया। लेकिन इस बार किया गया हमला बहुत योजनाबद्ध था फलःस्वरूप सुरक्षा समूह के कई जवानों को भाग कर अपनी जान बचानी पड़ी।
  • ISIS द्वारा महत्वपूर्ण क्षेत्र पर कब्जा यह दर्शाता है कि अभी तक उनका सफाया नहीं हो पाया है और फिर से वह अपनी शक्ति को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।
  • मोजाम्बिक के महत्वपूर्ण बंदरगाह पर नियंत्रण से सीमावर्ती देशों में भी इस्लामिक स्टेट के मजबूत होने का डर बढ़ गया है।
  • दक्षिण अफ्रीका एवं अन्य देशों ने सैन्य सहायता की पेशकश की है। लेकिन एक डर यह भी है कि इस सैन्य कार्यवाही से तेल एवं गैस क्षेत्रें को क्षति पहुँचाई जा सकती है।
  • Al Shabaab
  • Islamic State Somalia
  • ISWAP (Islamic West Africa Province)
  • JNIM (Jamaat Nasr al-Islam wal Muslimin)
  • ISCAP (Islamic State Central Africa Province) Mozambique
  • यह सभी आतंकी संगठन अफ्रीका में आतंक फैलाने का काम करते हैं तथा यह इस्लामिक स्टेट से विचाराधारा एवं अन्य सहयोग प्राप्त करते हैं।
  • इस्लामिक स्टेट की स्थापना- जमात अल-ताव्हिद वल जिहाद के नाम से वर्ष 1999 में हुई मानी जाती है।
  • यह अलकायदा के एक गुट के रूप में काम करता रहा है। धीरे- धीरे इसने अपनी विचारधारा को फैलाया तथा अरब स्प्रिंग की घटना के बाद इसने इराक और सीरिया के कई क्षेत्रें पर कब्जा कर लिया।
  • इसने तेल क्षेत्रें पर कब्जा किया, जबरन वसूली की, धार्मिक चंदे प्राप्त किए तथा देखते ही देखते इसने अपना विस्तार 15 देशों में कर लिया।
  • इसका उद्देश्य इराक, सीरिया और अन्य देशों में इस्लामिक राज्य यानि खिलाफत का निर्माण करना है।
  • यह अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए तेल और गैस के क्षेत्रें पर अपना नियत्रंण करता है तथा लूट से प्राप्त धन से हथियारों की खरीद करता है।
  • यह धर्म की व्याख्या अपने अनुसार करके युवा वर्ग को अपने साथ जोड़ता है। उन्हें हथियार, धन, स्त्री आदि का लोभ देकर खूंखार आंतकी बनाता है।
  • कुछ समय पहले तक इसने 80 देशों में अपनी पहुँच स्थापित कर ली थी और युवाओं को धर्म के लिए युद्ध करने के लिए आमंजित करता है।
  • वर्ष 2019 के मार्च में इस्लामिक स्टेट के सीरिया के बेगुज़ कस्बे से जब इसे उखाड़ा के फेंका गया तो IS की समाप्ति की बात उठी। क्योंकि यह IS के अधीन प्रत्यक्ष कब्जें वाला अन्तिम क्षेत्र था।
  • हाल के समय में इसने पुनः अपना प्रसार बढ़ा दिया है और यह इसके लिए विद्रोही गुटों एवं अन्य आतंकी संगठनों की मदद ले रहा है।
  • अफ्रीका महाद्वीप पहले से ही गरीबी, अशिक्षा, अलगाववाद, धार्मिक कट्टरता और नृजातीय संघर्ष का सामना कर रहा है। जहां पर IS ने अपनी पैठ मजबूत कर ली है।
  • वर्तमान मोजाम्कि पोर्ट पर कब्जा पुनः इस्लामिक स्टेट के उभार का संकेत हैं इसलिए सभी देशों को मोजाम्बिक के साथ खड़े होने की जरूरत है।