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Blog / 12 Jan 2021

(Video) डेली करेंट अफेयर्स (Daily Current Affairs) : भारत में इलेक्ट्रिक वाहन की संभावनाएं एवं चुनौतियाँ (Electric Vehicle Prospects and Challenges in India) - 12 January 2021

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 12 January 2021



भारत में इलेक्ट्रिक वाहन की संभावनाएं एवं चुनौतियाँ

क्यों जरूरी है इलेक्ट्रिक वाहन?

  1. जलवायु परिवतन की चुनौती का समाधान।
  2. तेजी से बढ़ता शहरीकरण और परिवहन भार तथा कार्बन उत्सर्जन।
  3. नवीकरणीय स्रोतों से बिजली की उपलब्धता।
  4. बैटरी तकनीकी में विकास।
  5. जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता करने के लिए।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं अन्य संस्थाओं की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के सर्वाधिक वायु प्रदूषित शहर भारत में है। गुरुग्राम, गाजियाबाद, कानपुर, दिल्ली, नोयड़ा, फरीदाबाद, लखनऊ, पटना, बुलंदशहर, जोधपुर एवं सभी महानगर विश्व के सर्वाधिक वायु प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हैं।
  • भारत में होने वाले कार्बन आइऑक्साइड के कुल परिवहन उत्सर्जन में लगभग 86-88 प्रतिशत योगदान सड़क परिवहन का है।
  • भारत में अभी अधिकांश गाड़ियाँ गैसोलीन (पेट्रोल-डीजल) से चलती हैं, जिसके कारण हमें अधिक मात्र में तेल आयात करना होता है। भारत की तेल आयात निर्भरता लगभग 80 प्रतिशत है।
  • जीवाश्म न सिर्फ समाप्त होने की कगार पर हैं बल्कि इनका दहन पर्यावरण को क्षति पहुँचा रहा है। ऐसी ही कई चुनौतियों का समाधान इलेक्ट्रिक वाहन के रूप में नजर आता है।
  • इलेक्ट्रिक वाहन वह वाहन होते हैं जो अपनी ऊर्जा के रूप में किसी बैटरी पर निर्भर होते हैं, जिसे चार्च किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में इलेक्ट्रिक वाहन अपनी बैटरी या किसी बाहरी सोर्स की बिजली से चलते हैं न कि जीवाश्म ईंधनों से।
  • इलेक्ट्रिक वाहन किसी प्रकार का न तो उत्सर्जन करते हैं, न ही शोर। यह तेल से नहीं चलते हैं, जिसके कारण जल्दी-जल्दी इनका मेंटिनेंस नहीं करना होता है।
  • इसे चार्ज करने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली बिजली पर खर्च पेट्रोल की कीमत से कम से कम 25 प्रतिशत और घर पर चार्ज करने पर कुल कीमत 33-40 प्रतिशत कम होगी।
  • वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने के कई प्रकार के प्रयास किये हैं, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक इलेक्ट्रीय वाहन की बिक्री को 30 प्रतिशत तक बढ़ाना है।
  • नीदरलैण्ड, आयरलैण्ड, नार्वे जैसे देश इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं जिन्होने वर्ष 2030 तक पैसेंजर लाइट डयूटी वाहनों एवं बसों के मामले में 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक व्हीकल बिक्री का लक्ष्य रखा है।
  • भारत में केंद्र सरकार ने वर्ष 2030 तक देश में सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह इलेक्ट्रिक वाहन के रूप में परिवर्तित करने का लक्ष्य रखा था। वहीं 2030 तक व्यक्तिगत परिवहन में भी 10 प्रतिशत इलेक्ट्रिक व्हीकल को शामिल करने का लक्ष्य रखा हुआ था।
  • हालांकि सरकार ने अपने इस लक्ष्य को बाद में परिवर्तित कर दिया और 2030 तक 30 प्रतिशत EV (Electric Vehicle) का लक्ष्य रखा।
  • वर्ष 2012-13 में सभी यात्री वाहनों में 47 प्रतिशत डीजल चालित वाहन थे जो अब घटकर रहे हैं और अब कुल वाहन के एक चौथाई ही डीजल वाले हैं, जिसका कारण डीजल और पेट्रोल के मूल्य का अंतर कम होना।
  • इस समय सरकार BS-VI उत्सर्जन मानकों को अपना रही है जिसके वजह से पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों की मांग घटने तथा इलेक्ट्रिक वाहनों के मांग में वृद्धि का ट्रेंड देखा जा रहा है।
  • भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए फेम (FAME) इंडिया योजना को बढ़ावा दे रही है। इसका प्रमुख उद्देश्य EV के विनिर्माण और उसके अधिकतम इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। इस योजना का पहला संस्करण 1 अप्रैल 2015 को लागू किया गया था। इसके दूसरे चरण को 1 अप्रैल, 2019 से तीन वर्ष के लागू किया गया है।
  • इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने के लिए इस योजना के तहत खरीद पर सब्सिडी देने तथा चार्जिंग प्वाइंट का विकास करने के लिए आधारभूत संरचना विकसित कर रही है।
  • इस योजना के तहत 2 वॉट वाले 10 लाख, 3 वॉट वाले 5 लाख, 4 वॉट वाले 55 हजार वाहनों और 700 बसों हेतु वित्तीय प्रोत्साहन राशि देने की योजना है।
  • इसके तहत महानगरों, 10 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहरों, स्मार्ट शहरों, छोटे शहरों और पर्वतीय राज्यों के शहरों में 3 किमी- के अंतराल में 2700 चार्जिंग स्टेशन बनाने का प्रस्ताव है।
  • कुछ माह पहले (अगस्त 2020) दिल्ली सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicle EV) नीति, 2020 की अधिसूचित किया गया है। इन नीति में इलेक्ट्रिक वाहनों के द्वारा निजी चार पहिया वाहनों के बजाय दोपाहिया वाहनों, सार्वजनिक परिवहन तथा साझा वाहनों एवं माल वाहकों के प्रतिस्थापन पर जोर दिया गया है।
  • दिल्ली सरकार इसे बढ़ावा देने के लिए सड़क कर में छूट, सब्सिडी देने तथा विनिर्माण को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है।
  • इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी क्षमता 5000 किलोवाट प्रति घंटे (Kilowatt-hour-KWh) के आधार पर 30,000 रुपये सब्सिडी देगी। इसके अलावा सरकार पहले 1000 ई-कारों या इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहनों की खरीद पर 10000 रूपये प्रति kWh के हिसाब से सब्सिडी प्रदान की जायेगी।
  • राज्य सरकार ने यह भी घोषणा की है कि अगले तीन वर्षों में खरीदी जाने वाली राज्य की आधी बसें पूर्ण इलेक्ट्रिक होगी।
  • केंद्र सरकार एक स्थायी इलेक्ट्रिक वाहन पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए भारत में राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (National Electric Mobility Mission Plan- NEMMP) को संचालित कर रही है।
  • भारतीय मानक ब्यूरो, भारी उद्योग विभाग, ऑटोमेटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया जैसे संगठन इलेक्ट्रिक वाहनों तथा इलेक्ट्रिक व्हीकल सप्लाई, इक्विपमेंट के डिजाइन और विनिर्माण मानकों को तैयार करने कर रहे हैं।
  • यूनियन पॉवर मिनिस्ट्री ने चार्चिग प्वाइंट को बढ़ावा देने के लिए इन्हें सेवा की कैटेगरी में शामिल कर दिया है, जिन्हें स्थापित करने के लिए अब लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा चार्जिंग स्टेशन के लिए नियमों को भी सार्वजनिक कर दिया है जिससे इनमें एकरूपता आ सके।
  • बजट 2019-20 में इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने के लिए 1.5 लाख रूपये तक का अतिरिक्त आयकर छूट देने की घोषणा की गई है, जिससे इसके खरीद में वृद्धी होगी।
  • इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों पर लगने वाले GST को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
  • सरकार इसमें जनसहयोग भी मांग रही है, जिससे सभी प्रमुख आउटलेट, होटल मॉल, थियेटर या अन्य ऐसे स्थानों पर चार्जिंग प्वाइंट विकसित किये जा सकें।

इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चुनौतियाँ-

  1. चार्जिंग स्टेशन की कमी
  2. ज्यादा चलने वाली बैटरी
  3. टॉप स्पीड में कमी
  4. ग्रामीण क्षेत्र के अनुकूल नहीं
  5. अधिक कीमत
  • सुझाव- संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का विकास जो इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा दे-
  • बैटरी की तकनीकी और क्षमता में सुधार।
  • CSR के तहत चार्जिंग प्वाइंट की स्थापना करवाना।
  • निजी क्षेत्र की कंपनियों को बढ़ावा और अनुकूल वातावरण उपलब्ध करवाना।
  • इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए रोडमैप की आवश्यकता।
  • रोड टैक्स, रजिस्ट्रेशन टैक्स एवं अन्य तरह के करों कमी।
  • फ्री पार्किंग सुविधा प्रदान करना।

लिथियम और इलेक्ट्रिक व्हीकल का संबंध

  • लिथियम एक रासायनिक तत्त्व हैं यह की सबसे हल्की धातु और सबसे कम घनत्व वाले ठोस पदार्थ के रूप में जाना जाता है।
  • यह क्षार धातु समूह का सदस्य हैं, जिसके कारण यह अत्यंत अभिक्रियाशील (रियेक्टिव) होता है, जिसके कारण अन्य पदार्थों के साथ तेजी से रासायनिक अभिक्रिया कर लेता है। यह बाहर रहने पर ऑक्सीजन के साथ तेजी से अभिक्रिया करता है और शीध्र ही आग लगने की संभावना होती है, इसी कारण इसे तेल में डुबोकर रखा जाता है।
  • इसका इलेक्ट्रोकेमिकल पोटेंशियल ज्यादा होने के कारण इसका प्रयोग बैटरी बनाने में एनोड मैटेरियल के रूप में होता है। आज की लिथियम आयन बैटरी का यह प्रमुख घटक है जो जल्दी चार्च होने के साथ-साथ अधिक समय तक चलती है। भविष्य के इलेक्ट्रिक व्हीकल का यह प्रमुख घटक है।
  • यदि बैटरी की कीमत कम होगी तो पूरी गाड़ी की कीमत काफी कम हो जायेगी। टेस्ला ने हॉल ही में यह घोषणा किया है कि वह ऐसी लिथियम आयन बैटरी पर काम कर रहे हैं जो 1 मिलियन मील तक चल सकती है।
  • लिथियम आयन बैटरी पर लंबे समय से काम किया जा चुका है और अब यह 2010 की तुलना में 80-90 प्रतिशत कम हो चुका है। वर्ष 2010 में लिथियम आयन की 1 KWh की बैटरी का मूल्य जहाँ 1000 डॉलर था वह 2020 में 100-110 डॉलर तक हो गया है।
  • यह लिथियम आधारित बैटरी सोलर और विंड एनर्जी को लंबे समय तक स्टोर करने में बहुत सहायक हो सकती है। टेस्ला कंपनी ने दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में इसी प्रकार का बैट्री प्लांट लगाया है, जहां से ऊर्जा बनाने और स्टोर करने के 24 घंटे बाद भी ऊर्जा ग्रिड में सप्लाई की जा सकती है।
  • हाल ही में यह घोषणा की गयी है कि टेस्ला कंपनी भारत में आ सकती है जिससे यहां इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी निर्माण में बड़ बदलाव आयोगा। लेकिन इन संभावनाओं के बीच सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हमारे यहाँ लिथियम के भंडार बहुत कम हैं।

लिथियम का भंडार-

  • लिथियम का सबसे बड़ा भंडार दक्षिण अमेरिकी देश चिली में पाया जाता है। यहाँ 8.6 मिलियन टन लिथियम का भंडार है। इसके बाद दूसरे स्थान पर ऑस्ट्रेलिया है जहाँ 2.8 मिलियन टन पाया जाता है। इसके बाद क्रमशः अर्जेंटिना (1.7 MT), चीन (1MT) का स्थान आता है।
  • उत्पादन के मामले में पहले स्थान पर ऑस्ट्रेलिया, दूसरे स्थान पर चिली, तीसरे स्थान पर चीन एवं चौथे स्थान पर अर्जेंटिना है। इसके अलावा जिंबावे, पुर्तगाल, ब्राजील एवं नामीबिया भी प्रमुख उत्पादक देश हैं।
  • उत्तरी अर्जेंर्टिना, मध्य चिली तथा दक्षिण बोलिबिया मिलकर लिथियम ट्रेंगल बनाते हैं। यहां लगभग खोजे गये लिथियम का 75-80 प्रतिशत पाया जाता है।
  • लिथियम के व्यापार में चीन का प्रमुख स्थान है। चीन के पास पर्याप्त भंडार व उत्पादन क्षमता है। भारत का अधिकांश लिथियम चीन से ही आयात होता है।
  • ऑस्ट्रेलिया की Maunt Marion खान लिथियम के लिए प्रसिद्ध है। हाल ही में भारत की मनिकरण पावर कंपनी ने घोषणा किया है कि वह भारत की पहली लिथियम रिफाइनरी की स्थापना करेगी।
  • 8 जनवरी 2021 को ऑस्ट्रेलिया ने भी घोषणा किया है कि वह भारत के साथ लिथियम व्यापार को बढ़ायेगा।
  • वर्ष 2019 में भारत ने लिथियम के लिए बोलिबिया से समझौता किया है।
  • हाल ही में कर्नाटक के मांड्या जिले में परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय ने लिथियम की उपस्थिति का पता लगाया है। मांड्या जिले के मार्लगल्ला-अल्लापटना क्षेत्र की आग्नेय चट्टानों में इसका पता चला है।
  • भारत के राजस्थान, बिहार, आंध्रप्रदेश के अभ्रक बेल्ट में भी इसके मिलने की संभावना है। इसके अलावा ओडिशा, छत्तीसगढ़, गुजरात के कच्छ रण में भी यह मिल सकते हैं।
  • भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड इसी क्षेत्र में कार्य कर रही है। इसका प्रमुख कार्य खनिज संपदा जैसे लिथियम, कोबाल्ट का अन्वेषण करना है।