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Blog / 10 Jul 2020

Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 10 July 2020

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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 10 July 2020



हर्ड इम्यूनिटी चर्चा में क्यों ?

  • हमारे शरीर को किसी बीमारी से बचाने की जिम्मेदारी शरीर के एक तंत्र को दी गई है जिसे प्रतिरक्षा तंत्र (Immunity System) कहा जाता है !
  • यह प्रतिरक्षा तंत्र कई प्रकार से हमारे शरीर को बीमारियों से बचाता है, जिसमें एक बड़ा योगदान एंटीबॉडी का होता है !
  • जब हमारे शरीर में कोई वायरस प्रवेश करता है तो उससे लड़ने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा एंटीबॉडी का निर्माण किया जाता है !
  • हमारा प्रतिरक्षा तंत्र जितना मजबूत होगा वह उतनी ही मजबूती से बीमारियों से लड़ पाएगा, एंटीबॉडी का निर्माण कर पाएगा !
  • यह एंटीबॉडी सामान्यतः अब एक बार बन जाती है तो दोबारा उस वायरस का अटैक होने पर उसे निष्प्रभावी बना देता है , लेकिन यह सभी बीमारियों के लिए एक ही तरह इफेक्टिव नहीं होता है ! और ना ही सभी बीमारियों के लिए ऐसी एंटीबॉडी का विकास हो पाता है जो शरीर को हमेशा के लिए संबंधित वायरस से प्रोटेक्ट कर सके !
  • किसी बीमारी के संदर्भ में इम्यूनिटी विकसित करने या उससे बचने का दूसरा विकल्प दवा ( मेडिसिन) है ! दवा लेने से कुछ समय बाद हमारा शरीर उस बीमारी के लिए एंटीबॉडी बनाने लगता है !
  • प्रतिरक्षा तंत्र में संबंधित बीमारी के लिए इम्यूनोलॉजिकल मेमोरी और एंटीबॉडी का निर्माण हर बीमारी के लिए अलग-अलग मात्रा और समय काल के लिए होता है और कुछ बीमारियों के संदर्भ में पूरे जीवन काल के लिए हो जाता है !
  • इसी संदर्भ में कोरोनावायरस को लेकर दवा और एंटीबॉडी बनने को लेकर कई प्रकार के रिसर्च हो रहे हैं !
  • इन्हीं में एक शब्द पिछले दो माह से बहुत चर्चित है,वह है हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity) !
  • हर्ड इम्यूनिटी से आशय किसी समाज या समूह के कुछ प्रतिशत लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के माध्यम से किसी संक्रामक रोग के प्रसार को रोकना है !
  • हर्ड का अर्थ झुंड से होता है जिसमें यह माना जाता है कि यदि 70 से 80% लोगों में हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो गई है तो बाकी लोगों को नहीं होगी !
  • दूसरे शब्दों में कोई बीमारी यदि किसी बड़े हिस्से में फैलती है तो उन लोगों की इम्युनिटी उनको बीमारी/संक्रमण से बचाने का प्रयास करती है ! इस तरह बड़ा हिस्सा जब संक्रमित हो चुका होता है तो यही लोग आपस में मिलते जुलते हैं जिससे वायरस का ट्रांसमिशन बाहर नहीं हो पाता है और वायरस का प्रभाव लगभग नगण्य हो जाता है !
  • हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो जाने के बाद संबंधित वायरस हमारे शरीर में तो रहता है लेकिन यह एक सामान्य वायरस में बदल जाता है !
  • पुराने समय में यह माना जाता रहा है कि यदि एक बार बीमारी से अधिकांश लोग संक्रमित हो जाएंगे तो बाकी लोगों पर इसका प्रभाव अपने आप रुक जाएगा !
  • कोरोनावायरस के संदर्भ में ब्रिटेन द्वारा हर्ड इम्यूनिटी की बात की गई थी हालांकि इसका बहुत विरोध हुआ था क्योंकि जब कई करोड़ लोग संक्रमित होंगे तो मृत्यु का आंकड़ा बहुत ज्यादा होता ।
  • हाल ही हर्ड इम्यूनिटी के संदर्भ में एक नई रिपोर्ट ने इस मुद्दे को पुनः चर्चित बना दिया है !
  • स्पेन ने हाल ही में पूरे देश के स्तर पर Seroepidemiological सर्वे कराया था, जिसका प्रकाशन हाल ही चर्चित जनरल द लोसेण्ट में हुआ !
  • इसमें जो इसमें जो पता चला उससे कोरोना वायरस के संदर्भ में हम हर्ड इम्यूनिटी के भरोसे नहीं रह सकते हैं !
  • इस सर्वे में सिरम (ब्लड का भाग) का टेस्ट करके यह पता लगाने का प्रयास किया गया था कि कितने संक्रमित व्यक्तियों में एंटीबॉडी का विकास हो पाया है ।
  • 67000 लोगों पर किए गए अध्ययन में चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं ! इसमें पता चला है कि केवल 5.2% लोगों में ही एंटीबॉडी विकसित हो पाई है ! बच्चों में यह प्रतिशत और भी कम लगभग 3.5% है !
  • इसका मतलब है कि यहां के अधिकांश आबादी के अंदर एंटीबॉडी नहीं है और यह दोबारा संक्रमित हो सकते हैं !
  • इसमें यह तथ्य भी सामने आया है कि COVID- 19 के खिलाफ जो इम्यूनिती विकसित हो रही है उसका समय काल एक माह से भी कम है ! अर्थात कुछ समय बाद यह यह इम्युनिटी समाप्त हो जा रही है।
  • इस अध्ययन में 14% ऐसे लोग मिले जिनके अंदर पहले एंटीबॉडी था लेकिन दो सप्ताह बाद अब नहीं है इसका मतलब है यह लोग फिर संक्रमित हो सकते हैं !
  • भारत के संदर्भ में भी यह कहा जा रहा था कि यदि यहां लगभग 70 से 80 करोड़ लोग संक्रमित हो जाते हैं तो आगे संक्रमण की चैन रुक जाएगी अर्थात हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो जाएगी !
  • इस रिपोर्ट के माध्यम से हमें हर्ड इम्यूनिटी की अपनी रणनीति के विषय में सोचना होगा और संक्रमण को तत्काल रोकना होगा !

खसरा और रूबेला मुक्त मालदीव एवं श्रीलंका

  • खसरा (मीजल्स) एक संक्रामक रोग है जो मोर्बीलीवायरस (Morbillivirus) के जींस पैरामिक्सोवायरस (paramixovirus) से फैलता है !
  • यह संक्रमण ज्यादा घातक इसलिए है क्योंकि सीधे संपर्क में आने के साथ-साथ हवा के माध्यम से भी फैल सकता है !
  • खांसने छींकने से यह वायरस हवा में फैलता है और उस समय यदि कोई व्यक्ति इस हवा के संपर्क में आता है तो संक्रमण हो सकता है !
  • एक खसरा संक्रमित व्यक्ति 15 व्यक्तियों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है !
  • संक्रमण के कुछ समय बाद (सामान्यतः 14 दिन) व्यक्ति को खांसी और बुखार आता है ! शरीर पर लाल चकत्ते निकल आते हैं , बुखार 104 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है !
  • WHO के अनुसार इसका कोई विशिष्ट उपचार नहीं है इसलिए रोगी का ख्याल रखा जाता है, तरल पदार्थ का सेवन कराया जाता है !
  • अधिकांश मामलों में लोग स्वतः ही 2 से 3 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं !
  • इसके लिए टीके का निर्माण 1960 के दशक में हुआ था ! इसके बाद विश्व स्तर पर इसके टीकाकरण कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया !
  • वर्तमान समय में लगभग 90% बच्चों को उनके जन्म के 1 साल के भीतर टीकाकरण कर दिया जाता है !
  • प्रतिरक्षा क्षमता सुनिश्चित करने के लिए टीके की दो खुराक की सलाह दी जाती है !
  • रूबेला (Rubella) भी एक संक्रामक वायरस जनित रोग है, जिसे जर्मन खसरे के नाम से जाना जाता है ! जो रूबेला वायरस से फैलता है !
  • यह वायरस स्वशन मार्ग में प्रवेश करके 2-3 सप्ताह बाद अपना लक्षण दिखाता है !
  • अजन्मे शिशुओं के लिए यह बहुत घातक बीमारी के रूप में जाना जाता है !
  • इसमें शरीर पर दाने निकलना, बुखार, सिर दर्द, लसीका ग्रंथि संबंधित समस्याएं होती हैं !
  • जन्म से रूबेला होना बहरापन, मोतियाबिंद, मानसिक मंदता, हृदय विकृति आदि का कारण बन सकता है !
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हाल ही में घोषणा की गई कि श्रीलंका और मालदीव में खसरा और रूबेला समाप्त हो गया है !
  • WHO ने इन दोनों देशों की तारीफ करते हुए कहा कि- इस प्रकार के रोगों के विरुद्ध बच्चों की रक्षा करना, स्वस्थ आबादी प्राप्त करने के वैश्विक प्रयास का महत्वपूर्ण कदम है !
  • एक देश को खसरा और रूबेला मुक्त तब माना जाता है जब वहां कम से कम 3 वर्ष से अधिक समय तक खसरा और रूबेला वायरस के स्थानिक संचरण का कोई भी मामला सामने नहीं आया हो !
  • श्रीलंका में खसरे का आखिरी मामला वर्ष 2016 में और रूबेला का अंतिम मामला वर्ष 2017 में आया था ! वही मालदीव में खसरा का अंतिम मामला वर्ष 2009 में एवं रूबेला का वर्ष 2015 में सामने आया था !
  • श्रीलंका, मालदीव के साथ साथ अधिकांश दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में नियमित टीकाकरण कार्यक्रमों से स्थिति में बहुत सुधार आया है !
  • वर्ष 2017 के बाद से अब तक इस क्षेत्र में 500 मिलियन अतिरिक्त बच्चों को खसरा और रूबेला का टीका लगाया गया है !
  • दक्षिण पूर्व एशिया के WHO के सदस्य देशों ने वर्ष 2023 तक खसरा और रूबेला उन्मूलन का रखा था !
  • भारत में वर्ष 2018 से अप्रैल 2019 के बीच खसरा के कुल 47056 और रूबेला के कुल 1263 मामले सामने आए थे !