Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 08 June 2020
भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के उच्चतर बिंदु पर
- प्रधानमंत्री चंद्रशेखर नवंबर 1990 से जून 1991 तक 7 माह तक भारत के प्रधानमंत्री रहे ! यह दौर राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता के लिए जाना जाता है !
- इनके कार्यकाल तक देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी थी ! देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.1 अरब डॉलर तक आ गया था ! यह रकम 3 हफ्ते के आयात के लिए भी पूरी नहीं थी !
- इसी समय RBI ने 47 टन सोना गिरवी रखकर कर्ज लेने का फैसला किया !
- प्रत्येक देश में बहुत से सामानों का आयात किया जाता है।
- इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं की आवश्यकता होती है ! इसी तरह निवेश जब बाहर जाता है तब भी इसकी आवश्यकता पड़ती है ! इन्हीं सब कार्यों के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का निर्माण किया जाता है !
- विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं जिनका उपयोग देनदारीओं के भुगतान के लिए किया जाता है !
- यह विदेशी मुद्रा भंडार एक विदेशी मुद्रा या एक से अधिक विदेशी मुद्राओं में रखे जाते हैं !
- इसे फॉरेक्स रिजर्व या एफ एक्स (FX) रिजर्व भी कहा जाता है !
- सामान्य रूप में विदेशी मुद्रा भंडार में केवल विदेशी बैंक नोट, विदेशी बैंक जमा, विदेशी ट्रेजरी बिल,अल्पकालिक और दीर्घकालिक सरकारी प्रतिभूतियां शामिल होनी चाहिए लेकिन इसमें सोने का भंडार, विशेष आहरण अधिकार और IMF के पास जमा राशि भी इसका हिस्सा होता है ! प्रत्येक देश द्वारा निर्मित कानूनों के अंतर्गत इनके समुच्चय को ही विदेशी मुद्रा भंडार के नाम से जाना जाता है !
- भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4 तत्वों या 4 चीजों से मिलकर बनता है !
- विदेशी परिसंपत्तियां- विदेशी मुद्रा के साथ साथ विदेशी कंपनियों के शेयर, डिवेंचर, बॉन्ड इत्यादि !
- स्वर्ण भंडार - क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी तरलता अच्छी होती है !
- विशेष आहरण अधिकार-(SDR- Special Drawing Rights)
- IMF के पास रिजर्व कोष- (Reserve Trench)
- SDR को IMF द्वारा 1969 में अपने सदस्य देशों के लिए आरक्षित संपत्ति के रूप में बनाया गया था !
- प्रारंभ में ISDR को 0.888....... ग्राम स्वर्ण के बराबर परिभाषित किया गया था लेकिन बाद में इसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं के लिए एक बास्केट के मूल्य के समतुल्य मापा जाने लगा !
- यह मुद्राएं अमेरिकी डॉलर, यूरोप का यूरो, चीन की मुद्रा , जापानी येन, ब्रिटेन का पाउंड शामिल है !
- SDR कोई मुद्रा नहीं है और ना ही IMF पर कोई दावा है !
- यह एक संभाव्य क्षमता (दावा) है जो IMF के सदस्यों की प्रयोज्य मुद्राओं पर किया जाता है ! इन मुद्राओं के लिए SDR का विनियमन हो सकता है !
- दरअसल SDR अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सिर्फ डॉलर और सोने के माध्यम से व्यापार के एकाधिकार को तो समाप्त करता ही है साथ ही यह किसी देश की वित्तीय स्थिति को भी सुदृढ़ रखता है और IMF एवं अन्य देशों की संस्थाओं में अपनी क्रेडिबिलिटी बनाएं रखने में मददगार होता है !
- इस SDR बास्केट में सर्वाधिक महत्व US Dollar को दिया गया है !
- रिजर्व ट्रेंच (Reserve Tranche) वह मुद्रा होती है जिसे प्रत्येक सदस्य देश द्वारा IMF को प्रदान किया जाता है ! और जिसका उपयोग वे देश अपने स्वयं के प्रयोजनोंके लिए करते हैं या कर सकते हैं ! समानत: इसका उपयोग आपातकाल की स्थिति में किया जाता है !
- रिजर्व ट्रेंच किसी देश के कोटा से संबंधित होता है ! भारत का IMF के कुल कोटा में हिस्सेदारी लगभग 2.76% है !
- इस कोटा के समतुल्य हम मुद्रा जमा रखते हैं जो सामान्यतः विदेशी मुद्रा में होती है ! इसके एक अनुपात को हम आवश्यकता पड़ने पर उपयोग कर सकते हैं !
- RBI द्वारा समय-समय पर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की जानकारी दी जाती है !
- हाल ही में RBI ने सूचित किया है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब हाल के सर्वोच्च बिंदु 493.48 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है !
- भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 90% से अधिक राशि US डॉलर होती है इसलिए 493 बिलियन में डॉलर की हिस्सेदारी 455.21 बिलियन डॉलर की है !
- दूसरे क्रम में सोने का स्थान है जो वर्तमान भंडार में केवल 32.68 बिलियन का योगदान देता है !
- SDR की कीमत 1.43 बिलियन डॉलर और रिजर्व पोजिशन (ट्रेंच) का योगदान लगभग 4.16 बिलियन डॉलर का है !
- उच्चतम बिंदु पर पहुंचने के निम्न कारण देखे जा सकते हैं !
- लॉक डाउन के कारण आयात में कमी !
- FDI और FPI अंतर्प्रवाह (Inflow) में वृद्धि !
- कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने से खर्च में कमी !
- भारत विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में 5वे स्थान पर आ गया है !
- सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भंडार चीन का है लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर उसके बाद क्रमशः जापान (1.3 ट्रिलियन डॉलर), स्वीटजरलैंड (848 बिलियन डॉलर), रूस (563 बिलियन डॉलर) एवं भारत है
सीमावर्ती क्षेत्र विकास
- चीन से लगने वाली 3488 किलोमीटर लंबी सीमा वर्तमान समय में कई प्रकार की चीनी आक्रमकता का सामना कर रही है !
- 1962 के बाद से ही भारत अनेक तरह का प्रयास चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए कर रहा है ! जिसमें सेना का आवागमन सुनिश्चित करना, सीमा सड़क का निर्माण, सेना का आधुनिकीकरण आदि !
- इसी प्रकार का एक प्रयास सातवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान सीमावर्ती क्षेत्र विकास कार्यक्रम के रूप में किया गया था !
- वर्तमान में इस कार्यक्रम के तहत 17 राज्यों के 111 सीमावर्ती जिलों के 394 सीमा खंड शामिल हैं !
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे लोगों की सामाजिक आर्थिक खुशहाली सुनिश्चित करना, कनेक्टिविटी प्रदान करना, स्वच्छ पेयजल, विद्यालय एवं अस्पताल का विकास करना आदि था !
- हाल ही में गृह मंत्रालय ने चीन से सटे सीमावर्ती क्षेत्रों को सुदृढ़ करने हेतु नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं !
- वित्तीय वर्ष 2020-21 में सीमावर्ती क्षेत्र का विकास कार्यक्रम हेतु 784 करोड रुपए खर्च किए गए हैं !
- नए दिशा निर्देशों के अनुसार इस कार्यक्रम की 10% धनराशि लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम में परियोजनाओं पर खर्च किया जाएगा !
- रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण गांवों और कस्बों को सीमा सुरक्षा बलों द्वारा चिन्हित कर परियोजनाओं पर खर्च किया जाता है !
- सीमावर्ती क्षेत्र के 10 किलोमीटर भीतर सड़क, पुल, पुलिया, प्राथमिक विद्यालय, स्वास्थ्य ढांचा, खेल के मैदान आदि विकसित किए जाएंगे !
- इससे न सिर्फ आधारभूत संरचना में सुधार होगा बल्कि यहां के लोगों का विकास होने से सहयोग भी बढ़ेगा !
- इससे भविष्य में सेना, सैन्य उपकरण की आवाजाही के साथ-साथ उसका भंडारण रखरखाव, रसद सामग्री और सेना का स्वास्थ्य स्तर भी सुधरेगा !