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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 07 July 2020

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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 07 July 2020



ब्लैक डेथ का आगमन फिर से ?

  • प्राचीन काल और मध्य काल में जब भी प्राकृतिक आपदाएं या बीमारियां आती थी तो इन्हें धर्म से जोड़कर देखा जाता था |
  • पूरे विश्व की तरह यूरोप में पुनर्जागरण से पहले धर्म का महत्व और बोल बाला बहुत ज्यादा था इसी कारण जब भी यहां अकाल और महामारी आती थी तो उसका धार्मिक एंगल खोजा जाता था |
  • चौदहवीं शताब्दी के प्रथम दशक ( 1300 - 1909 तक) से यहां पर ( यूरोप) मौसम में व्यापक परिवर्तन हुआ ठंड ज्यादा ठंडी हो गई , यहां तक की वर्ष 1303 मे बाल्टिक सागर जम गया । इस समय बर्फीले तूफानों की बारंबारता भी बढ़ गई |
  • इतने ठंडे मौसम में कृषि संभव नहीं थी। फलस्वरूप कृषि में कमी आई।
  • कृषि की मात्रा में कमी आना इसलिए चिंताजनक है क्योंकि यूरोप के अधिकांश क्षेत्र कृषि में आत्मनिर्भर ना तो आज हो पाए हैं और ना उस समय थे | इसका प्रमुख कारण वहां का भूगोल अर्थात उच्चावच, जलवायु, पानी की कम उपलब्धता, मैदानी भाग का औसत कम होना आदि है |
  • इस समय स्थिति इतनी बुरी हो गई थी कि लोग भूखे मरने लगे | जिन लोगों के पास अन्न था वह 300% तक ज्यादा दाम मे बेच रहे थे, जिसे खरीदना सबके बस की बात नहीं थी |
  • भुखमरी तो लोगों की जान ले ही रही थी इसी समय एक और घटना घटित हुई जिसने मौत का तांडव मचा दिया |
  • 1330 और 1340 के दशक में चीन में कई बार प्लेग फैलने की घटना हो चुकी थी |
  • 1340 के बाद फिर से एक प्लेग फैला जो चीन की सीमा से बाहर भी फैल गया | यह प्लेग चूहे के माध्यम से यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप तक पहुंच गया |
  • चीन इस समय मध्य एशिया, पूर्वी यूरोप और अरब प्रायद्वीप तक सिल्क का व्यापार करता था, जिसे यह सिल्क रोड नाम देता था |
  • क्रीमिया से जब सामान से भरे जहाजों को इटली के सिसली बंदरगाह के लिए भेजा गया तो हर जहाज पर प्लेग संक्रमित चूहे भी थे |
  • धीरे धीरे यह संक्रमण चूहों से जहाज में बैठे लोगों और सामानों में फैलने लगी |
  • संक्रमण इतना घातक था कि जहाज में ही लोगों की मृत्यु होने लगी और अधिकांश लोग बीमार हो चुके थे |
  • जब जहाज यूरोप के बंदरगाहों पर पहुंचे ( अक्टूबर - 1347) तो बड़ी संख्या में यह संक्रमण जहाज और उसके संक्रमित सामानों तथा लोगों के माध्यम से पूरे यूरोप में फैल गया |
  • शरीर पर फोड़े बनते, उसमें पस बनता, बुखार आता, सीने में दर्द होता, कमजोरी महसूस होती, सर दर्द होता और लोगों की मौत हो जाती थी |
  • 1347 से 1352 तक इस बीमारी ने यूरोप की लगभग आधी आबादी और पूरे विश्व की लगभग एक तिहाई का नाश कर दिया था |
  • बाइबिल में यह मान्यता है कि ईसा मसीह फिर से दुनिया में आएंगे लेकिन उनके आने से पहले चार विनाशकारी घटनाएं होंगी | इन घटनाओं के संकेतक होंगे 4 घुड़सवार | इनके आने का मतलब आपदाओं/बीमारियों का आना और बड़ी संख्या में आबादी का खात्मा होना है । इनमें से तीसरा घुड़सवार काले रंग के घोड़े पर आएगा जो भारी तबाही का कारण बनेगा ।
  • जब यूरोप में 14 वी सदी के प्रथम दशक में भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हुई तो लोगों ने कहा कि यह तीसरे काले घोड़े का संकेत है | इसी कारण 14 वी सदी में अकाल और महामारी की वजह से हुई मौतों को ब्लैक डेथ (Black Death) नाम दिया गया | चूंकि अधिकांश मौतें प्लेग महामारी से हुई थी इसी कारण इस प्लेग को Black Death नाम दिया गया |
  • प्लेग (Plague) - यह मुख्य रूप से कृंतक (Rodent) प्राणियों जैसे चूहा, गिलहरी, जंगली खरगोशॉ, मरमट ( ऊंचे पर्वतीय या ठंडे क्षेत्रों में पाई जाने वाली गिलहरी की एक प्रजाति है) आदि में पाए जाने वाला रोग है जो वेसिलस पेस्टिस ( पास्चुरेला पेस्टिस) की वजह से होता है |
  • जब इंसान इन संक्रमित जीवो के संक्रमण में आता है तो वह भी संक्रमित हो जाता है |
  • दरअसल इन कृंतकों पर निर्भर होते हैं पिस्सू | यह पिस्सू जब संक्रमित होकर इंसानी संपर्क में आते हैं तो संक्रमण तेजी से फैलता है |
  • एंटीबायोटिक दवाओं की खोज और वैज्ञानिक प्रगति ने इस बीमारी पर बहुत हद तक नियंत्रण कर लिया है लेकिन यह अलग-अलग रूपों से कई बार इसका डरावना रूप भी सामने आ चुका है |
  • पिछले रविवार से प्लेग फिर से चर्चा में आ गया |
  • चीन के आंतरिक मंगोलियाई स्वायत्त क्षेत्र के बयन्नूर शहर में ब्यूबोनिक प्लेग को लेकर तीसरे लेवल की चेतावनी जारी की गई |
  • Black Death नामक महामारी इसी ब्यूबोनिक प्लेग के कारण फैली थी |
  • दरअसल ब्यूबोनिक प्लेग, प्लेग का एक प्रकार ( स्टेज) है जिसका रोकथाम यदि समय रहते न किया गया तो यह तेजी से फैलती है |
  • WHO की रिपोर्ट के अनुसार यह बीमारी यर्सिनिया पेस्टिस के कारण होती है जो कृंतको एवं उनके पिस्सू में पाए जाते हैं |
  • यही पिस्सू और कृंतक ब्यूबोनिक प्लेग का कारण है |
  • वर्ष 2010 से 2015 तक दुनियाभर में ब्यूबोनिक प्लेग के 3248 मामले सामने आए जिससे 584 लोगों की मौत हो चुकी है |
  • चीन में ही 2009 से 2018 तक प्लेग के 26 मामले सामने आए है तथा 11 लोगों की मौत हो चुकी है | · चीन ने इस स्थिति से निपटने के लिए जानवरों के शिकार और इन्हें खाने से मना किया है तथा बीमार व्यक्ति के विषय में तुरंत सूचना देने की बात कही है |
  • चीन से आ रही रिपोर्ट के अनुसार प्लेग अभी ब्यूबोनिक स्टेज में है लेकिन यदि यह नहीं रुका तो यह न्यूमोनिक प्लेग में बदल जाएगा |
  • ब्यूबोनिक प्लेग में मृत्यु दर 30 से 60 %होती है जो न्यूमोनिक प्लेग मे और बढ़ जाती है तथा प्रारंभिक इलाज समय रहते ना मिलने पर मौत तय है |
  • न्यूमोनिक प्लेग कफ या ड्रॉपलेट्स के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है और बहुत जल्द महामारी का रूप धारण कर सकता है |
  • ब्यूबोनिक प्लेग से संक्रमित व्यक्ति में लक्षण 1 से 7 दिन में दिख सकते हैं |
  • इसमें ठंड लगती है, शरीर और सिर में दर्द होता है, कमजोरी होती है, उल्टी आती है, जी मिचलाता, गाँठो में दर्द एवं सूजन आता है |
  • जब न्यूमोनिक फ्लैग होता है तो इसके लक्षण संक्रमण के तुरंत बाद दिख जाते हैं, थूक में खून आता है, सांस लेने में दिक्कत होती है |
  • चीन में बार-बार आ रही बीमारियां यह बताती है कि यहां इंसान और जानवरों के बीच जो प्राकृतिक दूरी होनी चाहिए वह समाप्त हो चुकी है और यहां की खाद्य शैली ने जानबूझकर बीमारियों को न्यौता दिया है |
  • कोरोनावायरस के प्रसार में जहां चीन की भूमिका अभी भी संदिग्ध बनी हुई है वहीं इस नए ब्यूबोनिक प्लेग ने वैश्विक चिंता को और भी बढ़ा दिया है |

विंटर डीजल क्या है ?

  • ठंड के समय डीजल की गाड़ियां जल्दी स्टार्ट नहीं होती है, जिसका कारण है डीजल का जम जाना और डीजल की आपूर्ति ना हो पाना |
  • लद्दाख क्षेत्र में ठंडी के मौसम में तापमान माइनस (-) में चला जाता है | ऐसे में यहां की गाड़ियां भी उपरोक्त समस्या का सामना करती हैं |
  • इस समय लद्दाख में भारत चीन सीमा तनाव अभी भी बना हुआ है और आने वाले सर्दी के मौसम में भी दोनों सेनाएं आमने-सामने रह सकती हैं |
  • इसलिए यहां की गाड़ियों के लिए एक विशिष्ट प्रकार के डीजल की आवश्यकता होती है | इसी आवश्यकता को देखते हुए पिछले साल एक विशिष्ट प्रकार के डीजल का निर्माण किया गया जिसे विंटर डीजल या विंटर ग्रेड डीजल के नाम से जाना जाता है |
  • हाल ही में डायरेक्टर जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस द्वारा सेना को विंटर डीजल के इस्तेमाल की अनुमति दे दी गई है |
  • इसका निर्माण इस तरह से किया जाता है जिससे यह ठंड के मौसम में भी नहीं जमता है और - 33डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर भी तरल अवस्था में बना रहता है |
  • इसमें चिपचिपा पन जितना ही कम होगा यह उतना ही अच्छा होगा इसीलिए इसमें फ्यूल एडिटिव्स (Fuel Additives) को मिलाया जाता है |
  • वाहनों में जो फ्यूल इंजेक्टर्स लगे होते हैं उन पर कार्बन ना जमा हो इसीलिए फ्यूल एडिटिव्स का प्रयोग किया जाता है |
  • दरअसल कई बार पर्वतीय और ठंडे क्षेत्रों में डीजल को जमने से बचाने के लिए केरोसिन को मिलाकर इसका इस्तेमाल किया जाता है | जिससे कार्बन की मात्रा ज्यादा होती है |
  • विंटर डीजल में लगभग 5% बायोडीजल के मिश्रण का इस्तेमाल किया जाएगा और यह बीएस-6 (BS- 6 ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) के मानकों को भी पूरा करेगा |
  • इस में सल्फर की मात्रा कम रखी जाती है जिससे इंजन का प्रदर्शन बेहतर हो सके |
  • इसका निर्माण पानीपत रिफायनरी में पिछले साल ही कर लिया गया था | आने वाले समय में जालंधर से भी इसका निर्माण किया जाएगा जहां से कारगिल और लद्दाख डिपो तक आपूर्ति की जाएगी |
  • अब तक लद्दाख एवं ठंडे क्षेत्रों में सेना के लिए IOCL, BPCL एवं HPCL द्वारा ऐसे डीजल की आपूर्ति की जाती थी जिसमें हाई सल्फर पौर् पॉइंट (High Sulphur Pour Point) होता था, जिससे यह माइनस (-) तापमान की स्थिति में भी कार्य करता था |
  • पौर पॉइंट वह तापमान है जिस बिन्दु पर आकार द्रव्य बहना बंद कर देते हैं |

सकतेंग वन्य जीव अभ्यारण

  • पूर्वी भूटान में एक जिला त्रशीगैंग दोगशांक है जहां लगभग 650 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सकतेंग वन्य जीव अभ्यारण (Sakteng Wildlife Sanctuary) स्थित है !
  • यह अरुणाचल प्रदेश के सेला पास के करीब 17 किलोमीटर की दूरी पर है ! इस तरह यह भारत- भूटान सीमा के पास का क्षेत्र है !
  • यह अभयारण्य लाल पांडा, हिमालयन ब्लैक बियर, हिमालयन मोनल तीतर जैसे वन्यजीवों का आवास क्षेत्र है !
  • इस अभ्यारण्य पर पूर्वी भूटान के साथ-साथ प्रथक खानाबदोश जनजाति लोगों की निर्भरता है !
  • हाल ही में वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility- GEF) की एक वर्चुअल बैठक में सकतेंग वन्य जीव अभ्यारण के विकास के लिए वित्त पोषण परियोजना पर यह कहते हुए आपत्ति प्रकट की गयी की यह वन्य अभयारण्य क्षेत्र चीन एवं भूटान के बीच एक विवादित क्षेत्र है !
  • हालांकि भूटान ने इस दावे को न सिर्फ खारिज किया है बल्कि GEF के वित्तपोषण प्रस्ताव की मंजूरी भी प्राप्त कर ली !
  • GEF वर्ष 1992 में स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय निकाय है जो पर्यावरणीय योजनाओं का वित्तपोषण कर पर्यावरण संरक्षण में अपना सहयोग देता है !
  • यह GEF की 58 वीं बैठक थी !
  • चीन का कहना है कि चीन एवं भूटान के बीच सीमा को कभी भी सीमांकित नहीं किया गया है इसलिए पूर्वी, पश्चिमी एवं मध्य क्षेत्र में सीमा को लेकर लंबे समय से विवाद है !
  • वहीं भूटान का कहना है कि यह क्षेत्र कभी भी विवादित नहीं रहा है !
  • वर्ष 1984 से वर्ष 2016 तक कुल 24 दौरे की हुई वार्ता में भी कभी इस क्षेत्र को लेकर विवाद नहीं आया !
  • वर्ष 2017 में डोकलाम विवाद के बाद कोई बैठक आयोजित नहीं हुई है !