Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 04 November 2019
कृत्रिम वर्षा
- बादलों की भौतिक अवस्था में परिवर्तन लाकर उन्हें वर्षा के अनुकूल बनाकर वर्षा करवाना ही कृत्रिम वर्षा कहलाता है।
- इस प्रक्रिया में बादल का निर्माण कर वर्षा करवायी जाती है इसीकरण इसे ब्सवनक ैममकपदह कहा जाता है।
- कृत्रिम वर्षा तीन चरणों में होती है।
- जिस क्षेत्र में बारिश करवानी होती है उस क्षेत्र की हवा को ऊपर की ओर उठाये जाने का प्रयास किया जाता है।
- Calcium Chloride
- Calcium Corbide
- Calcium Oxide
- नमक एवं यूरिया के यौगिक
- यूरिया और अमोनियम नाइट्रेट के यौगिक का इस्तेमाल किया जाता है।
- इन गैसों को वायुमण्डल में पहुँचाया जाता है। ये सभी यौगिक हवा से जलवाष्प को सोख लेते है।
दूसरा चरण
- बादलों का घनत्व बढ़ाने का प्रयास
- Salt, Urea, Ammonium Nitrate, Dry Ice, Calcium Chloride का प्रयोग कर बढ़ाया जाता है।
- Vincent Joseph Schafer अमेरिकी रसायनशास्त्री एवं मौसम वैज्ञानिक थे। उन्होंने ही 13 नवंबर, 1946 को कृत्रिम वर्षा का आविष्कार किया था।
- प्रदर्शन. प्रथम General Electric Lab द्वारा फरवरी 1947 मे आस्ट्रेलिया के Bathurst में किया गया था।
तीसरा चरण
- यह प्रक्रियाध्चरण तभी अपनाया जाता है जब बादल बने हों या बादल निर्मित किये गये हों।
- Silver Iodide या Dry Ice जैसे रसायनों का प्रयोग किया जाता है, जो बादल के तापमान को कम कर देते हैं।
- इनका छिड़काव बादलों में हवाई जहाज, राकेट या गुब्बारे के माध्यम से किया जाता है।
- इससे घनत्व बढ़ जाता है - वर्षा
- तीसरे चरण की प्रक्रिया का सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है।
- यदि बादल में पहले से नमी हो तो 1 एवं 2nd Stage का प्रयोग नहीं किया जाता है।
- विमान को हवा की उल्टी दिशा में उड़ाया जाता है जिसमें अधिक दूर तक सिल्वर आयोडाइड या ड्राइ आइस फैल सके।
- यह शुष्क बर्फ बादल को लगभग शून्य डिग्री तक कम कर देती है। (संघनन तीव्र गति से)
- चीन, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, रसिया, इजराइल, UAE जैसे 40 देशों में इसका प्रयोग किया जाता है।
भारत में प्रयोग
- 1983 में तमिलनाडु . सूखाग्रस्त क्षेत्र में वर्षा
- 2003 - कर्नाटक - 2004
- कृत्रिम वर्षा के लिए आवश्यक है वहाँ 65% से अधिक वाष्प की मात्रा हो।
- समुद्र की निकटता से यह प्रतिशत बढ़ जाता है।
- शाम के 65% Humidity बढ़ती है, बादल छाये हों तब कृत्रिम वर्षा करायी जा सकती है।
- Super Cooled Silver Iodide (सिल्वर के कण), Dry ice, Salt Powder का छिड़काव किया जाता है।
- शाम का समय होने के कारण प्राकृतिक रूप से स्वयं तापमान कम होने लगता है, फलस्वरूप आर्द्रता बढ़ने लगती है।
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात
- कर्क रेखा एवं मकर रेखा के मध्य उत्पन्न होने वाले चक्रवातों को उष्ण कटिबंधीय चक्रवात कहते हैं।
- 5 डिग्री - 30 डिग्री उत्तरी अक्षांश के मध्य इसकी उत्पत्ति
- उत्पत्ति उष्ण दृ कटिबंधीय सागरीय भागों पर गर्मियों में होती है जबकि तापमान 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो।
- T - वाष्पिकरण - आर्द्र हवाओं से संघनन - गुप्त उष्मा काले कपासी मेंघ
- निम्न दाब की ओर आती हवाएं ऊँची सागरीय लहरों का निर्माण करती है।
- भारत में अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी में
- अप्रैल से नवम्बर के मध्य
- गति 40 से 50 किमी. (सामान्य)
- जब गति 225 किमी. प्रति घंटा Super Cyclone
- 40 Mph, 65 km/h
- यह निम्न वायुदाब के केन्द्र होते हैं जिनके चारो ओर क्रमश% बढ़ते वायुदाब की समदाब रेखाएं होती हैं।
- पवन की गति परिधि से केन्द्र की ओर
- दिशा . उत्तरी गोलार्द्ध . घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध - घड़ी की सुई की दिशा के अनुकूल
Tropical Cyclone in India 2019
- 1st Cyclone - पाबुक (Pabuk) - 4 jan को बंगाल की खाड़ी
- 2nd - Cyclone (Fani) Bay of Bangal (26 April)
- 3rd Cyclone - वायु (vayu) अरबसागर में - 10 June
- 4th Cyclone हिक्का (Hikka) - अरबसागर
- 5th Cyclone क्यार (Kyarr) - अरबसागर
- 6th Cyclone माहा (Maha) - अरबसागर 30 October 120km/h 75-Mph Pressure – 984 hpa ( 29.29 inhg)
- अरब सागर की तरफ से आ रही नमी से - गुजरात, MP, महासाष्ट्र व अंडमान निकोबार में भारी बारिश के आसार
- IMD के अनुसार महा चक्रवात 5 नवम्बर तक गुजरात तट पर पहुँचेगा सबसे ज्यादा असर द्वारका ( गुजरात ) व द्वीव के बीच स्पिट तट पर
- RCEP- Regional Comprehensive Economic Partnership